आध्यात्मिक ज्ञान की 7 बातें| जीवन का अनमोल ज्ञान

कभी विश्व में आध्यात्मिक केंद्र के तौर पर विख्यात रहा भारत आज अपनी उस महान विरासत से दूर होता जा रहा है, याद करें इसी भूमि पर सनातन धर्म के पूजनीय ग्रन्थ वेद, उपनिषद प्रस्फुटित हुए अतः यहाँ हम आध्यात्मिक ज्ञान की बातें सांझा करने जा रहे हैं।

आध्यात्मिक ज्ञान की 7 बातें

यह कहना गलत नही होगा की आज की नयी पीढ़ी के लिए धर्म और अध्यात्म बहुत दूर की बातें हैं। पर सच्चाई देखें तो आर्थिक सामजिक रूप से जितना मनुष्य का विकास हुआ और टेक्नोलॉजी की बदौलत आज जितनी सुख सुविधाएं आज इंसान के पास है।

उस हिसाब से सुख और शांति में जीने की बजाय आज वह घोर निराशा, अवसाद (स्ट्रेस) में जीवन बिता रहा है। अतः आज मनुष्य जिन शारीरिक और मानसिक परेशानियों को झेल रहा है उसका एक ही उपाय है अध्यात्म।

आध्यात्मिक ज्ञान की 7 बातें | हमेशा काम आयेंगी।

अध्यात्म मन का अवलोकन करने की एक विधि है जिसका उपयोग कर इंसान स्वयं की हकीकत से वाकिफ हो जाता है। आमतौर पर हम दुनिया का सच जानने के लिए आतुर रहते हैं पर हम दुनिया को देखने की इच्छा रखने वाला यह मन कौन है? इसकी अंतिम चाह क्या है? और क्यों इतना परेशान और गति करता है।

इस प्रकार जब इंसान अपने मन को और आत्मा को समझ लेता है तो फिर दुनिया में जीवन जीने का रवैया उसका बदल जाता है। अतः हर वह इंसान जो दुखों से मुक्ति पाना चाहता है, जीवन को प्रेम और समझदारी से जीकर इस जिन्दगी को सार्थक बनाना चाहता है उसका आध्यात्मिक होना बेहद जरूरी है।

तो आज हम आपके साथ आपकी आध्यात्मिक यात्रा की शुरुवात करने में उपयोगी कुछ मूलभूत बातें सांझा करना चाहते हैं।

  1. चेतना क्या है?

अध्यात्म में मन को चेतना कहकर सम्बोधित किया जाता है। चूँकि इंसान का प्रत्येक कर्म और विचार उसके मन की उपज है। मनुष्य के दुःख, मजबूरियां और सभी बन्धनों का कारण मन है, अतः अध्यात्म में इसी मन को सबसे केन्द्रीय विषय माना जाता है, देखा जाए तो सारे अध्यात्मिक ज्ञान का उद्देश्य इसी मन को बेहतर बनाना है।

देखिये प्राकृतिक रूप से हम सभी की चेतना निम्न स्तर पर होती है, अतः मन की इसी हालत को ऊपर उठाकर उसे शुद्धतम और उच्चतम स्तिथि तक लेकर जाना ही अध्यात्म का लक्ष्य है।

अध्यात्म इंसान को बोध अर्थात समझदारी प्रदान करता है ताकि उसका मन इन्सान को सही दिशा में ले जाने के लिए प्रेरित करे। क्योंकी कहा जाता है अगर मन ठीक हो गया तो जीवन सही हो जाता है।

  1. मन क्यों बेचैन रहता है?

हर इंसान जीवन में शांति/सुकून चाहता है। पर इसके लिए जरूरी है मन का स्थिर होना, निरंतर हमारा मन किसी वस्तु की तो कभी इंसान की ओर भागता है। हमें लगता है अगर वो चीज़ भविष्य में मिल गई तो हम शांत और तृप्त हो जायेंगे। खैर, कभी ऐसा होता नहीं।

अध्यात्म स्पष्ट रूप से मनुष्य को कहता है की तुम्हारी बेचैनी, दुःख, मजबूरी सभी का कारण तुम ही हो। क्योंकी जिस भी काम को करने से जीवन में अशांति हो रही है उसमें जरुर तुम्हारा कोई स्वार्थ छिपा हुआ है। जिन छोटी छोटी इच्छाओं, लालच, डर के कारण परेशान हो रहे हो ऐसा हो जाना तुम्हारी नियति नहीं है।

मन को जब तक तुम सच्चाई तक नहीं ले जाते, जब तक मोह, डर की वजह से झूठा जीवन जिओगे तब तक मन शांत और स्थिर होगा ही नहीं। अगर एक असीम शांति और स्थिरता चाहिए तो सत्य को जानना और जीना पड़ेगा।

  1. ब्रह्म या सत्य क्या है?

अध्यात्म में ब्रह्म को ही सत्य कहा गया है। अध्यात्मिक ज्ञान इन्सान को कहता है की सच जानो , सत्य के खोजी बनो इसलिए नहीं दुनिया में लोगों का सम्मान या कोई और लाभ मिलेगा। नहीं, इसलिए ताकि जो ढोंग और पाखंड से भरी जिन्दगी जी रहे हो उससे मिलने वाले दुःख से अपनी रक्षा कर सको।

और अध्यात्म की यही खूबी है की वहां किसी देवी देवता या गॉड को नहीं पूजा जाता, वहां तो सिर्फ और सिर्फ सत्य के लिए सम्मान और आदर है। अध्यात्म कहता है किसी की बात को मानो मत, सच जानो। जानो जो मैं काम कर रहा हूँ उसका सच क्या है? मेरे रिश्तों का, मेरे जीवन का, मेरे पैसे का सच क्या है?

एक बार सच जान गए तो यकीन मानिए जीवन से लगभग वे सभी चीजें झूठी थी और आपको डराती थी वो गायब होना शुरू हो जाएँगी।

  1. मन, आत्मा और संसार में क्या समबन्ध है?

अध्यात्म दो विषयों पर बात करता है पहला मन और दूसरा आत्मा जिसे परमात्मा, ब्रह्म या सत्य के रूप में भी जाना जाता है। अध्यात्म में आप पाएंगे किसी ख़ास इंसान को या किसी देश या किसी वस्तु इत्यादि की फ़ालतू बातें हैं ही नहीं। वहां स्त्री,पुरुष, बूढा, जवान, इत्यादि की बात ही नहीं है।

वहां बात है इंसान के मन की, अर्थात ये मन क्या चीज़ है और दूसरा आत्मा यानि सच्चाई की। अगर आपको अपने मन के इस संसार के साथ रिश्ते को वास्तव में समझना है तो अध्यात्म आपके काम आएगा। एक बार जान गए की मन आखिर बला क्या है? तो फिर ये भी पता लग जाएगा की दुनिया का सच क्या है?

और ये मन क्यों बार बार सच जानने का प्रयास करता है? क्योंकि मन को आत्मा/सच्चाई से बड़ा प्रेम है, लेकिन मन ही है जो आत्मा से डरता भी बहुत है क्योंकी एक बार मन जान गया हकीकत क्या है तो फिर वह जिन चीजों से आपको परेशान करना चाहता था, ऐसा करना बंद हो जायेगा।

  1. माया क्या है?

हम अक्सर सुनते हैं की सब माया का खेल है। तो सवाल आता है की आखिर ये माया क्या है? तो अध्यात्म कहता है मात्र सत्य ही है जो होता है बाकी तो प्रकृति में जो कुछ है चाहे इंसान हो या पत्थर वो तो खत्म हो ही जाना है।

तो जब सत्य यानि आत्मा ही है सिर्फ तो फिर माया वो जो ऐसे दिखाई दे जैसे मानो सच है पर होती नहीं। जैसे बचपन में हमें लगता था की बड़े होंगे तो मौज आएगी, पर आज मालूम होता है वो तो झूठ था। इसलिए जानने वाले कह गए की ये माया तो एक झूठ है, भ्रम है, जो मन में लगातार ऐसे बैठे रहती है जैसे मानो यही सच है।

  1. बंधन और मुक्ति क्या है?

हर इंसान जीवन में मुक्ति/आजादी की तलाश में रहता है, पर यदि कोई हमें कहें की आप आजादी भरा जीवन जीते हैं? तो जवाब आएगा नहीं, क्यूंकी जीवन में कई मौके ऐसे आते हैं जब हमारा मन ऐसे घटिया कामों को भी करने पर मजबूर हो जाता है जिनका सच हम भली भाँती जानते हैं।

तो जान्ने वाले कह गए की जो भी काम तुम्हें तुम्हें शांति तक ले जाने से रोके, तुम्हारे मन को अशांत और बेचैन कर दे वही तुम्हारा बंधन है। अंततः हम सभी जीवन में शान्ति ही चाहते हैं न पर जैसा हम जीवन जीते हैं उसमें वह दूर दूर तक नही होती।

तो फिर मुक्ति क्या? मुक्ति माने आजादी, अतः जिस कर्म को करने से जीवन में दुःख कम हो, मन में बेचैनी कम हो, मन में लालच और डर कम हो और तुम एक मुक्त जीवन जी सको उसी को मुक्ति कहा गया है। तो इससे आप समझ सकते हैं मुक्ति मरने के बाद नहीं जीते जी चाहिए होती है हर इन्सान को।

  1. वास्तविक गुरु कौन है?

वास्तविक गुरु वो जिसका उद्देश्य मात्र अपने शिष्य की भलाई करना हो। और भलाई किसी की जा सके इसके लिए मन में प्रेम होना बेहद जरूरी है। अतः हर वह इंसान जिसके जीवन में समझ है और प्रेम है तो वह गुरु बनने की काबिलियत रखता है।

गुरु मतलब कोई स्कूल में पढ़ाने वाला शिक्षक नहीं है, गुरु वो जिसके लिए अब दूसरे की भलाई विवशता बन जाये। ठीक उसी तरह जैसे एक बाप के आगे एक बच्चा नदी में डूब रहा हो तो भले ही उसे तैरना न आये उसे वह बचाने का प्रयास करेगा न।

इसी प्रकार एक बार जो इन्सान हकीकत जान गया तो फिर दूसरे को झूठ से बचाने का प्रेम अगर उसके भीतर है तो वह एक गुरु होने की पात्रता रखता है।

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अंतिम शब्द

तो साथियों आध्यात्मिक ज्ञान की बातें पढने के बाद हमें आशा है जीवन का गूढ़ रहस्य आपको मालूम हो चुका होगा। यदि इस लेख को पढ़कर मन में किसी तरह का प्रश्न या सुझाव है तो कमेन्ट बॉक्स में बताएं साथ ही यह लेख उपयोगी साबित हुआ है तो इसे शेयर भी जरुर कर दें।

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