आध्यात्मिक शक्ति क्या है? जानें कैसे प्राप्त करें!

हजारों वर्षों तक एक आध्यात्मिक देश के तौर पर विख्यात रहा भारत आज अपनी महान आध्यात्मिक विरासत से दूर होता जा रहा है। आलम यह है की लोगों को आध्यात्मिक शक्ति क्या होती है? इस विषय का सही अर्थ मालूम नहीं होता।

आध्यात्मिक शक्ति क्या है

देश की आजादी के बाद हमारी शिक्षा व्यवस्था में बदलाव हुआ , जिससे एक तरफ लोगों में जागरूकता आई और उनका आर्थिक विकास हुआ।

तो दूसरी तरफ हम आत्मज्ञान की शिक्षा से वंचित रह गए। भारत जिसे कभी आध्यात्मिक शिक्षा का केंद्र माना जाता था, धीरे धीरे अध्यात्म से दूर होता चला गया।

परिणाम यह रहा की यदि हम अपने पिछले एक हजार वर्षों को देखें तो हमें मुगलों से, अंग्रेजों से, फ्रांसीसियों जैसे अनेक शासकों से हार मिली।

और आज यदि दुनिया की जो खराब हालत है, अगर इसे ठीक करना है तो मात्र अध्यात्म ही इसका समाधान है, जी हाँ हम ऐसा क्यों कह रहे हैं इसे समझने के लिए आपको जानना होगा की

आध्यात्मिक शक्ति क्या है?

आत्मज्ञान को ही आध्यात्मिक शक्ति कहा जाता है। जब इंसान स्वयं को जानता है तो उसे अपने जीवन के दुखों का कारण और उनसे मुक्ति का मार्ग मिल जाता है, अध्यात्म की इसी खूबी को हम आध्यात्मिक शक्ति के तौर पर जानते हैं।

आध्यात्मिक शक्ति का उद्देश्य मनुष्य को किसी दैवीय अनुभव और चमत्कारिक शक्तियाँ इत्यादि देना नहीं है, वास्तव में अध्यात्म का लक्ष्य महज इंसान को उसके जीवन की परेशानियों का कारण पता कर उसे एक प्रेमपूर्ण और आनन्द से भरा जीवन जीना सिखाना होता है।

देखिये हर इन्सान जीवन में शांति/आनंद/सुख की तलाश में है पर आमतौर पर जैसा जीवन व्यक्ति जीता है उसमें वह अपने आप को मजबूरी, दुःख में घिरा पाता है।

पर अध्यात्म उसी दुखी व्यक्ति को एक अलार्म के रूप में जगाकर उसे कहता है देखो जैसी तुम्हारी हालत है इसके जिम्मेदार तुम ही हो।

तुम बेहतर हो सकते हो, एक पुष्प की भाँती निखर सकते हो। तुम्हारे जीवन में जो अशांति है, बेचैनी, डर और तमाम तरह की मजबूरियां है, अगर तुमने फैसला ले  लिया तो उन सब दुखों का आज ही अंत हो सकता है।

जिन्दगी में इन्सान कभी पैसे के तो कभी स्त्री/पुरुष के सुख के पीछे ही भागता है, पर अगर वो उसे मिल भी जाए तो उसका मन शांत नही होता।

पर अध्यात्म इन्सान को महासुख दे देता है, वो इंसान को कुछ ऐसा दे देता है जिसके बाद उसे सुख की परवाह ही नहीं करनी पड़ती।

जी हाँ वास्तव में इसी आध्यात्मिक शक्ति की जीवन में तलाश सभी को रहती है, सभी चाहते हैं अपने दुखों से मुक्ति पाना, इसी वजह से इन्सान जिन्दगी में एक चीज़ तो कभी दूसरी चीज़ करता है। अब सवाल आता है की जीवन में प्रेम, शांति, स्थिरता लाने के लिए आध्यात्मिक शक्ति को कैसे पायें?

आध्यात्मिक शक्ति कैसे प्राप्त करें?

वह इंसान जिसे अपने अंतर जगत का ज्ञान हो, जिसके भीतर स्वयं को देखने की इमानदारी हो वह इन्सान आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने का हक़दार हो जाता है।

जी हाँ, आध्यात्मिक शक्ति कोई रुद्राक्ष की माला या कोई मन्त्र नही है जिसका जाप और ध्यान कर लेने से व्यक्ति के भीतर वो आध्यात्मिक शक्ति आ जाएगी।

जी नहीं, बिलकुल भी नहीं। आध्यात्मिक शक्ति पाने का एक ही रास्ता और एक ही विकल्प है खुद को जानना। अब सवाल है खुद को जानने का क्या अर्थ होता है?

स्वयं को जानना अर्थात अपने अन्दर झाँककर उस कर्ता को देखना,जो हमसे जीवन में कर्म करवाता है। हम सभी के भीतर कर्ता भाव मौजूद होता है जिसके कहने पर हम जीवन में कोई भी काम करते हैं।

हम पैसे क्यों कमाते हैं? क्योंकी भीतर कुछ है जो कहता है की पैसे से सुरक्षा मिलती है, हम घूमने क्यों जाते हैं क्योंकी भीतर है जो कहता है घूमने से शांति मिलेगी।

तो भीतर जो ये कहने वाला है इसी को कर्ता कहा गया है, ये कर्ता ही इन्सान से कर्म करवाता है।

इसी कर्ता को आप जान लेते हैं तो आपको आपको अपनी जिन्दगी के दुःख अपने पेशानियों की असली वजह मालूम हो जाती है।

उदाहरण के लिय आप किसी घटिया नौकरी में फंसे हुए हैं जहाँ पैसा खूब मिलता है, और भीतर जो मन यानी कर्ता है वो कह रहा है की नौकरी तो खराब है लेकिन इस नौकरी को छोड़ दूंगा तो मेरे और मेरे परिवार का क्या होगा?

अब या तो आप जीवनभर फंसे रहो, दूसरा अध्यात्म यानि आपकी समझ कहेगी की देखो जब आप हकीकत जान गए हो तो अब आप इस परेशानी से बाहर तभी निकलोगे जब आप कोई ऐसी नौकरी ढूंढोगे जहाँ भले पैसा थोडा कम मिले लेकिन आपको गंदे काम में दोबारा जाने की आवश्यकता नही पड़ेगी।

इसी तरह अध्यात्म कहता है आपके जीवन में जो भी परेशानियां हैं उन्हें ध्यान से समझो, देखो और फिर उस समस्या का समाधान करो।

इस तरह अध्यात्म हमारे जीवन में हमारे मन की जांच पड़ताल कर हम दमित और शोषित जीवन से बाहर निकालकर हमें अशांति, बेचैनी से मुक्ति दिलाकर हमारे जीवन में प्रेम के रंग बिखेरता है।

तो संक्षेप में कहें तो ऐसा आत्मज्ञानी जो अपनी हालत को ईमानदारी से देखकर, अपने मन और विचारों को समझकर अपनी स्तिथि को सुधारने का निर्णय ले लेता है उसे आध्यात्मिक शक्ति मिल जाती है।

आध्यात्मिक शक्ति कैसे बढ़ाएं?

कठिन अभ्यास से ही आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाया जा सकता है। एक बार साफ़ साफ जान गए की संसार, मन और आत्मा क्या है?

मालूम हो गया जीवन में दुःख क्यों आते थे, कहाँ मैं गलती कर रहा था, कैसे डर,मोह या लालच मेरे जीवन पर हावी होकर मेरा ही सत्यानाश कर रहे थे।

एक बार जब आप ये समझ गए तो अब जो गलत है उसे हटाकर जीवन में जो सही है उसे करने की चुनौती सामने आ जाती है न।

जान गए जिन्दगी में कितना, झूठ, कितना कपट था, एक बार समझ गए तो फिर उस झूठ की जगह जीवन में सच्चाई को देनी पड़ती है। लेकिन सच्चाई जीने में तो हिम्मत लगती है, अभ्यास करना पड़ता है।

और लोग यही पर चूक जाते हैं। अधिकांश लोग जो आध्यात्मिक बनना चाहते हैं वो आत्मज्ञान की राह में अपना और दुनिया में क्या झूठा क्या नकली है ये जान तो लेते हैं।

लेकिन उस झूठ को हटाकर जीवन में सच की राह पर चलने से वो कतरा जाते हैं, उन्हें लगता है ये बड़ा कठिन काम है इस काम की कोई तारीफ नहीं करेगा और न ही इसमें वो सुरक्षा मिलेगी जो झूठा जीवन जीने से होती है।

तो ऐसे में वो सच जानते हुए भी मिथ्याचारी बनकर झूठा जीवन जीते हैं। इसलिए कहा गया की अधिकांश लोग जीवन बर्बाद इसलिए नहीं करते क्योंकि उन्हें मालूम नहीं है की क्या सही है या क्या गलत है।

वो बर्बाद कर देते हैं क्योंकि वह सच के साथ चलने का फैसला नही करते। ठीक उसी तरह जैसे आजादी के समय भी कई सारे ऐसे लोग थे जो जानते थे की अंग्रेजों से आजादी उनसे मुकाबला करके ही मिलेगी।

लेकिन फिर भी लोग सच जानते हुए भी चुप बैठे रहे, वो दमित और शोषित जीवन जीते रहे पर उन्होंने झूठ का विरोध नहीं किया। जिसका परिणाम यह हुआ है की हमें आजाद होने में लम्बा समय लग गया।

जो आजादी हमें पहले ही मिल जानी चाहिए थी उसे मिलने में सैकड़ों वर्ष लग गए। इसी प्रकार आज भी दुनिया में कितनी गंदगी फैली है, कितने झूठे लोग दुनिया पर छाये हुए हैं हम सब जानते हैं।

लेकिन उसे जानते हुए भी हम सफाई करने का प्रयास नहीं करते और सच्चे लोगों का साथ नहीं देते जो ये दर्शाता है की हमें सच से ज्यादा झूठ से मोह है।

अतः अध्यात्म कहता है की सच्चाई भरा जीवन जियो, एक बार जान गए क्या सच है तो अब आप जी जान लगा दो सच के रास्ते पर चलने के लिए।

कई बार सही और सच्ची राह में चलने में डर लगता है, लालच उठता है, मोह आता है, पर जो इन्सान मन में उठ रहे इन भावों से घबराता नहीं बल्कि आगे बढ़ता जाता है ऐसे इंसान की आध्यात्मिक शक्ति बढती जाती है।

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद आध्यात्मिक शक्ति क्या है? इस विषय पर पूर्ण जानकारी आपको हासिल हो चुकी होगी। हमें आशा है आध्यात्मिक बनने की दिशा में यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित हुआ है। अगर इस लेख में दी गई जानकरी पसंद आई है तो कृपया इसे अधिक से अधिक शेयर करना मत भूलिएगा।

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