अमावस्या के दिन पितरों को कैसे खुश करें? अनोखा उपाय

हिन्दू धर्म में अमावस्या की रात विशेष मानी गई है, मान्यता है इस दिन धरती पर भूत प्रेत और पितृ अपनी तृप्ति हेतु घूमते रहते हैं ऐसे में सवाल आता है की आखिर अमावस्या के दिन पितरों को कैसे खुश करें?

अमावस्या के दिन पितरों को खुश कैसे करें

अमावस्या की काली रात से जुडी कई कहानियां और किस्से प्रचलित हैं। कई लोगों के लिए ये रात डरावनी होती है तो कई लोग ये मानते हैं की इसी रात के माध्यम से हम अपनी तकलीफों से मुक्ति पा सकते हैं।

तो अगर आप इस अमावस्या अपने पितरों को खुश करने का उपाय खोज रहे हैं तो आज हम आपको एक ऐसी कारगर विधि बताने जा रहे हैं जिससे आपके भीतर पितरों में जो बेचैनी और नाराजगी फैली हुई है उसे दूर कर पायेंगे।

आपसे निवेदन है निम्नलिखित जानकारी को ध्यानपूर्वक पढ़ें तभी आप इन विधियों का भरपूर लाभ ले पायेंगे।

अमावस्या के दिन पितरों को कैसे खुश करें?

अमावस्या के दिन पितरों यानि पूर्वजों को खुश करके हम अपने जीवन को एक नयी दिशा दे सकते हैं। ये रात इतनी ख़ास होती है की अगर कोई व्यक्ति इसका महत्व जानें तो उसका जीवन बदल जाता है।

हालाँकि समाज में प्रचलित धारणा को देखें तो पंडितों के अनुसार अमावस्या के दिन जो व्यक्ति दान, भेंट इत्यादि पुण्य कार्य करता है इससे पितरों को शांति मिलती है और वे उनकी मनोकामना को पूर्ण करने का आशीर्वाद देते हैं।

पर इन्टरनेट पर जाने पर आप पायेंगे की विभिन्न पंडितों के अनुसार अमावस्या के दिन पितरों को खुश करने हेतु उपयोग की जानी वाली विधियों में अंतर है। कोई कुछ कहता है तो कोई कुछ।

और सही विधि न मालूम होने पर रस्मों रिवाज का पालन करते समय अक्सर गलतियों की गुंजाइश बनी रहती है और ऐसे में व्यक्ति के मन में इस बात को लेकर चिंता भी रहती है।

तो आज हम आपको कुछ ऐसी विधियाँ बतायेंगे जो समाज के हर वर्ग के लिए कल्याणकारी हैं जो इन विधियों का पालन करता है निश्चित ही पितृ उनसे प्रसन्न रहते हैं।

#1. भगवदगीता का पाठ करना शुरू करें।

यूँ तो हिन्दू धर्म में सैकड़ों ग्रन्थ हैं लेकिन श्रीमदभगवदगीता का स्थान उनमें सबसे ऊँचा है? जानते हैं क्यों? क्योंकी भगवद्गीता हमें सही जीवन जीना सिखाती है और यही हमारे पूर्वजों और पितरों की हमेशा आस रहती है की हम एक सच्चा और सुन्दर जियें।

भगवद्गीता गीता हमें बन्धनों से मुक्ति की तरफ ले जाने का सूत्र बताती है, यही कारण है की महाभारत के युद्ध के हजारों वर्ष बीतने के बाद भी गीता ज्ञान उतना ही प्रासंगिक तथा लाभकारी है जितना की वह पहले था।

जानते हैं पितरों की अंतिम इच्छा क्या होती है? अगर यह जानना है तो देख लीजिये जीते जी हमारे माता पिता की हमसे क्या कामना रहती है? हर माँ बाप यह चाहते हैं की जिस महान जीवन से वे वंचित रह गए अब उनकी सन्तान वैसा जीवन जियें।

अतः पितरों को खुश करना है तो समझे पहले जानिये एक ऊँचा जीवन क्या होता है? गीता के पास आइये। यहाँ आपको कृष्ण एक ऐसे रूप में मिलेंगे जो आपको जीवन जीना सिखाते हैं। पर बहुत से लोग भगवदगीता की उपयोगिता समझते तो हैं और उनके घर में यह ग्रन्थ भी मौजूद है।

पर चूँकि उन्हें आज तक कोई गुरु या व्यक्ति नहीं मिला जो उन्हें गीता के श्लोकों का अर्थ समझा पाए तो फिर वो गीता को ध्यान से नहीं पढ़ पाते। अगर आपके साथ भी यही समस्या है और आप गीता के एक एक श्लोक का वास्तविक अर्थ समझना चाहते हैं तो आप ये विडियो जरुर देखें।

इस अमावस्या जब आप भगवदगीता पढना शुरू करेंगे तो आप जानेंगे जीवन का उद्देश्य क्या है? और हमें ये जिन्दगी क्यों मिली है? और एक बार जो ये जान लेता है उसे ये भी समझ आ जाता है की पितरों को ख़ुशी उन्हें जल चढाने से नहीं बल्कि हमारे सही जीवन जीने में होगी।

#2. हनुमान चालीसा का वास्तविक अर्थ जानें।

हिन्दू परिवार में जन्म लेने के बाद हमें बचपन से ही हनुमान चालीसा का पाठ कराया जाता है। और हम में से कई लोगों को यह कंठस्थ याद भी होगी। पर दुर्भाग्य से हनुमान चालीसा को रटने भर से हनुमान जी हमारे काम नहीं आयेंगे।

हनुमान जी का आशीर्वाद हमें तभी प्राप्त होगा जब हम हनुमान चालीसा की एक चौपाई को समझेंगे। आपको जानकर हैरानी होगी की एक एक चौपाई में हनुमान जी के जीवन की इतनी ख़ास बात लिखी गई है जिसका आपको अंदाजा भी नहीं होगा।

अब आपके मन में ये सवाल आ सकता है की पितरों का हनुमान चालीसा से क्या लेना देना? तो समझिएगा हनुमान चालीसा में हनुमान जी का जीवन हमें बताता है की जीवन कैसे जीना चाहिए। जो ये सूत्र समझ लेता है वो ये भी जान लेता है की पितरों को कैसे खुश करना है।

#3. सच्चे और ऊँचे कर्म की तलाश करें।

पता है माँ बाप को सबसे बड़ा दुःख कब पहुँचता है जिस दिन हम कुछ ऐसा करते हैं जिससे की उनका सर शर्म से झुक जाए। और उस दिन न सिर्फ माँ बाप की बेइज्जती होती बल्कि उन पितरों का भी असम्मान होता है जिनसे हमारा जन्म हुआ है।

समझिएगा पितृ हमसे कुछ नही चाहते। वो हमसे पैसा, सुख सुविधाएं कुछ नहीं चाहते वो चाहते हैं मुक्ति।

इसलिए पितरों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता जब वो पाते हैं की उनकी सन्तान अपना जीवन किसी ऐसे कार्य को समर्पित कर रही है जिससे वे भी मुक्त हो रहे हैं और दूसरों को भी मुक्ति मिलती है।

मुक्ति की चाह सभी में होती है कोई प्राणी नहीं चाहता की वो मजबूरी में, दुःख में जीवन जियें। इसलिए जब आप अपने ही बन्धनों से, मजबूरी से मुक्त हो जाते हैं तो आप चाहते हैं की वो मुक्ति का आशीर्वाद दूसरों को भी मिले।

तो आप दूसरों के कल्याण के लिए काम करना शुरू करते हैं आप लोगों के लिए, जानवरों की मुक्ति के लिए कर्म करना शुरू कर देते हैं। आप कहते हैं अगर किसी की मुक्ति अशिक्षा को दूर करके होगी तो मैं उसे पढ़ाऊंगा।

तो इस तरह आप जीवन में किसी ऊँचे काम को अपना लक्ष्य बना लेते हैं। और जितना आप दूसरों को मुक्त करने का प्रयास करते हैं आप भी अपने बन्धनों से मुक्त हो जाते हैं। उसी को ऊँचे कर्म और सच्चे कर्म के रूप में जाना जाता है।

तो इस अमावस्या अपने जीवन के बंधनों से मुक्ति पाने के लिए कार्य करें। और फिर दूसरों की मुक्ति को अपना ध्येय बना लें इसी में पितरों को सबसे बड़ी ख़ुशी मिलेगी।

पढ़ें: मुक्ति क्या है? जीते जी मुक्ति कैसे पायें।

अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद अमावस्या के दिन पितरों को कैसे खुश करें? इस बात का भली भाँती पूर्ण उत्तर मिल गया होगा। आप जान गये होंगे की पितरों की अंतिम चाह क्या है? और आप उनकी इस चाहत को कैसे पूर्ण कर सकते हैं।

अगर अभी भी इस लेख के विषय में आपका कोई प्रश्न है तो आप बेझिझक इस whatsapp number 8512820608 पर सांझा कर सकते हैं। साथ ही लेख उपयोगी साबित हुआ है तो इसे शेयर भी कर दें। याद रखें आपका एक शेयर किसी की जिन्दगी बदल सकता है।

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