अन्धविश्वास के 11 बड़े नुकसान | झेलने पड़ते हैं इंसान को

ये बात सुनने में विचित्र लगती है लेकिन सच है की कभी विश्व गुरु रहने वाले हमारे देश ने पिछले 1 हजार वर्षों में अंग्रेजी, फ़्रांसिसियों, डच इत्यादि सभी की गुलामी झेली! और हमें हराने में अन्धविश्वास की भूमिका अहम रही, आइये जानते हैं इस लेख में अन्धविश्वास के नुकसान क्या क्या होते हैं?

अन्धविश्वास के नुकसान

अंधविश्वास क्या है? और इसका प्रभाव सिर्फ अनपढ़, अशिक्षितों में ही नहीं बुद्धिजीवियों में भी किस तरह व्याप्त है, इस विषय पर हम पहले से ही बात कर चुके हैं!

एक ज़माना हुआ करता था अंधविश्वास सिर्फ लोगों को डराने और उन्हें काबू में करने के लिए किया जाता था आज यह लुटेरों और चालाक लोगों के लिए अँधा धुंध पैसा कमाने और शक्ति हासिल करने का बेहतरीन जरिया बन चुका है!

बहुत ऐसे ढोंगी घूम रहे हैं जो स्वयं को धार्मिक इन्सान बतलाकर लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करके उनका अपने हित में फायदा उठा रहे हैं, आइये जानते हैं!

अन्धविश्वास के नुकसान क्या हैं | कहीं आप तो नहीं एक अंध विश्वासी

यह निश्चित है की बिना अध्यात्म के और वेदांत को जाने बिना इन्सान स्वयं के भीतर मौजूद कई दशकों के अंधविश्वास को जड़ से खत्म नहीं कर सकता!

 इसलिए यह कहा जाता है की एक अन्धविश्वासी व्यक्ति का जीवन न सिर्फ उसे दुःख झेलने के लिए मजबूर करता है बल्कि इसका प्रभाव उसके परिवार और पूरे समाज में पड़ता है, इस बात को आप निम्न बिन्दुओं के माध्यम से समझ सकते हैं!

#1. सोचने समझने की बुद्धि क्षीण हो जाती है!

हम इंसानों को प्रकृति ने सोचने समझने और सही फैसला करने के लिए बुद्धि दी है। ताकि हम सही गलत का आकलन कर सके और अपनी समझ और बोध से सही निर्णय ले सके। लेकिन अंधविश्वासी इंसान किसी भी मान्यता को चुप रह कर सर नीचा करके बस किसी भी बात को मान लेता है।

बजाय यह तर्क करने के की इसके पीछे लॉजिक क्या है? क्या ऐसा करके कोई फायदा मिलेगा? इंसान बस उस कार्य को करता रहता है। समाचार पत्रों में कई ऐसे मामले भी आते रहते हैं जिसमें अंधविश्वास ने लोगों की हत्या तक की है।

#2. इन्सान डरा हुआ रहता है!  

अन्धविश्वास के नुकसान की बात हो रही है तो अन्धविश्वासी होने की स्तिथि में इंसान हर पल डरा रहता है। क्योंकि जो मान्यता उसे समाज या लोगों ने बताई है क्या पता उसमें कितनी सच्चाई हो! तो इस तरह आप किसी भी बात को लेकर अडिग नहीं हो सकते आप हर समय शक के घेरे में रहते हैं क्योंकि इस बात को सही साबित करने का आपके पास कोई प्रमाण नहीं होता।

अन्धविश्वास इन्सान को डराता है

#3. सत्य की तलाश खत्म हो जाती है!

जिस तरह अधर्म बढ़ता है, तो धर्म के द्वार स्वयं ही बंद हो जाते हैं उसी तरह जितना अंधविश्वास फैलता है, सच से इंसान इतना ही दूर होता चला जाता है। जिन बातों का जिन मान्यताओं का अंधा अनुकरण इंसान करता है जरा उनके पीछे तर्क क्या है? वह उन्हें ढूंढने की कोशिश नहीं करता। और बस उन्हें मानते हुए आगे बढ़ता जाता है।

#4. अंधी मान्यताओं को दूसरों पर भी थोपा जाता है!

आपके परिवार में आपके माता-पिता या दादा दादी द्वारा जो मान्यताएं आपको बताई गई हैं क्या वह कभी उनकी बनाई गई थी? शायद नहीं, उन्हें भी यह बात उनके पितरों ने बताई हो। इस तरह पीढ़ी दर पीढ़ी अंधविश्वास चलते रहते हैं लेकिन कोई भी उनपर प्रश्न खड़े करने की हिम्मत नही रखता। परिणामस्वरूप आपको तो नुकसान झेलना ही पड़ता है आपकी आने वाली पीढ़ी में भी यह समस्या यथावत बनी रहती है।

#5. समाज और देश में झूठ फैलता है!

अंधविश्वास का नुकसान सिर्फ व्यक्तिगत रूप से नहीं अपितु पूरे समाज पर पड़ता है। क्योंकि एक अंधविश्वासी व्यक्ति अगर समाज में कदम रखेगा तो उसकी हरकतों से जरूर दूसरों पर भी फर्क पड़ेगा। इससे एक व्यक्ति से दूसरा व्यक्ति और पूरा समाज और देश की बदनामी होती है इसलिए आज दुनिया भारत को आज अंधविश्वासों के गढ़ के रूप में जानती है।

#6. शिक्षित लोग भी इसके प्रभाव में आते हैं!

आप चाहे कितने भी पढ़े लिखे ना हो जाए अंधविश्वास का डर लोगों में छाया ही रहता है।  वैज्ञानिक भी रॉकेट लॉन्च करने से पहले शुभ मुहूर्त देखते है। जो इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि आप कितनी ही पढ़ाई कर लें लेकिन आपके अंदर का डर और कुछ पाने की कामनाएं आपको अंधविश्वास को मानने के लिए मजबूर कर देती हैं।

पढ़े लिखे लोग भी अन्धविश्वासी होते हैं

#7. जीवन गुलामी भरा प्रतीत होता है!

जी हां, मान्यताओं पूर्वाग्रहों को जांचने परखने की बजाय लोग यथावत उसी रास्ते पर चलते हैं इससे बाकी लोगों की तरह अपनी जिंदगी तो खराब करती ही हैं। लेकिन अगर उन्हें किसी पल यह समझ आने भी लगता है की कुछ गलत कर रहा हूं तो भीड़ से अलग चलने में उन्हें बड़ी  तकलीफ होती है इसलिए व्यक्ति को मजबूर होकर उन मान्यताओं का पालन करना पड़ता है।

#8. गलत कदम उठाने के लिए विवश हो जाता है!

कई बार यह मजबूरी इंसान को गलत निर्णय लेने के लिए मजबूर कर देती है। देखा होगा कई लोग जो घोर अंधविश्वासी हैं वह कुछ ऐसा कर डालते हैं जो लोगों ने सोचा भी नहीं होता।

 क्योंकि जब सही चीज के लिए भी इंसान को कई बार रोका टोका जाता है तो फिर वह कुछ ऐसा जघन्य अपराध करने के लिए तैयार हो जाता है जो लोगों की सोच से बाहर होता है।

#9. जीवन भाग्य भरोसे हो जाता है!

जो करेगा राम करेगा हमारे बस की कहां, इस तरह की बातें आपने अक्सर सुनी होगी। अंधविश्वासी लोगों के बीच प्रसिद्ध यह धारणा बताती है कि वह अपने जीवन को भाग्य भरोसे छोड़कर कर्महीन हो जाते हैं। वे नहीं जानते कि कर्म करना हमारा चुनाव है, वह धर्म को अपना भाग्य समझ लेते हैं।

#10. धर्म का चोला पहनता है अन्धविश्वास

धर्म हमें सही जीवन जीने की सीख देता है, धर्म अर्थात जो चीज धारण करने योग्य है। लेकिन अंधविश्वास झूठ होते हुए भी इस कदर अपने आप को सच के तौर पर दर्शाता है मानो वह सच हो। कई सारे धार्मिक लोग घोर अंधविश्वासी होते हैं जो इस बात का स्पष्ट प्रमाण है की धर्म और अन्धविश्वास दोनों को लोग एक ही समझते हैं।

#11. देश उतना पिछड़ता जायेगा!

जब अंधविश्वास किसी जिले में होगा तो समस्त राज्य का नुकसान होगा। और राज्य के नागरिकों से मिलकर ही एक देश बनता है और जिस देश के नागरिकों में अंधविश्वास होगा उस देश का आगे बढ़ना मुश्किल होगा और ऐसा हुआ भी है। अन्य विकसित देशों की तुलना में अंधविश्वास ने भारत को आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक हर क्षेत्र में पिछड़ापन दिया है।

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अंतिम शब्द

तो साथियों हमें पूर्ण आशा है अन्धविश्वास के नुकसान क्या क्या होते हैं? इस बात की भली भाँती पूर्ण जानकारी आपको प्राप्त हो गई होगी, इस लेख के प्रति आपके विचार क्या हैं? हमें कमेन्ट बॉक्स में बताएं और साथ ही इस जानकारी को शेयर भी कर दें!

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