अंधविश्वास को दूर करने के 6 उपाय| इनके सिवा कोई तरीका नही

एक दीमक की भाँती अन्धविश्वास पूरे जीवन मनुष्य को खाए रहता है, और कभी यह जान्ने की चेष्टा किये बगैर की उसके यह भ्रम और कल्पनाएँ सत्य है या नहीं वह अंधी मान्यताओं को माने रहता है, ऐसे में सवाल है की अंधविश्वास को दूर करने के उपाय क्या हैं?

अंधविश्वास को दूर करने के उपाय

इसी प्रश्न को हम जरा बारीकी से समझेंगे ताकि हमें बचपन से समाज और परिवार द्वारा जो अंधविश्वास की शिक्षा दी गई है, जिससे युवाओं और पढ़े लिखे लोगों को भी डरकर, सहम कर जीवन जीना पड़ता है! ऐसी मानसिकता को खत्म किया जाए!

दुःख की बात है की पढ़ाई पर जोर देने वाली हमारी शिक्षा व्यवस्था और शिक्षित पेशेवर लोग भी अन्धविश्वास पर गहन श्रृद्धा रखते हैं, और फिर इसी को धर्म का चोला पहनाकर उनके लिए सच्चाई से दूर होना आसान हो जाता है!

बहरहाल, यदि आप खुद को सही राह दिखाना चाहते हैं और सत्य और अन्धविश्वास का फर्क कर, अन्धविश्वास से बचना चाहते हैं तो आज का यह विशेष लेख आपको अंत तक जरुर पढना चाहिए!

अन्धविश्वास और सत्य में अंतर कैसे करें?

सच्चाई और अन्धविश्वास में विशेष अंतर है “तर्क” का, कोई बात सच है या नहीं ये Fact या तथ्य देखकर हम आसानी से पता कर सकते हैं! जबकि अन्धविश्वास वो मान्यता या विश्वास है जिसके होने के पीछे कोई कारण या तर्क नहीं होता!

अन्धविश्वास मात्र यह नहीं है की रात के समय किसी स्थान पर भूत आते हैं, बल्कि हर वह चीज़ जो हमने बगैर जाने और समझे बिना मान ली वो भी अन्धविश्वास है! उदाहरण के लिए परीक्षा के परिणाम आने से पूर्व ही हमने यह मान लिया की हमने टॉप किया है कक्षा में, तो यह भी अन्धविश्वास है!

दूसरी तरफ सत्य आपको स्पष्ट प्रमाण तब देगा जब आपकी परीक्षा का परिणाम पत्र आपके हाथों में होगा, और उसके आधार पर आप जान पाएंगे की आपने कक्षा में प्रथम पायदान हासिल किया है अथवा नहीं! 

इसलिए वे लोग जो अंधविश्वासों में लिप्त रहते हैं वे सच्चाई से ज्यादा झूठा, काल्पनिक या मनगढंत जीवन जीने में विश्वास रखते हैं!

ऐसे लोगों के लिए बड़ा दुर्भाग्य यह होता है की यह जानते हुए भी वास्तव में आप झूठे हैं, इस सत्य को मानकर अपनी गलतियों से सीखने की बजाय अंधविश्वासों पर चलकर अपनी जिन्दगी बर्बाद कर देते हैं!

अंधविश्वास को दूर करने के उपाय क्या हैं?

#1. जीवन में कुछ करने योग्य और विशेष हो!

प्रायः देखा होगा जो इन्सान जितने छोटे मसलों/ मुद्दों में उलझा रहता है, वो उतना ही अन्धविश्वासी होता है! जबकि दूसरी तरफ वे लोग जो भले ही लालची हो, हर जगह अपना मतलब खोजते हों पर अगर उनकी जिन्दगी में कोई बड़ा लक्ष्य है तो उनमे अंधविश्वास आमतौर पर थोडा कम होता है!

जैसे की अमीर लोग ज्यादा पैसा कमाने की चाहत में भरपूर मेहनत करते हैं इसलिए उनके पास बाकी मान्यताओं के लिए अधिक समय नहीं होता! अब हम यहाँ अमीरों के जीवन जीने के तरीके को सही नहीं ठहरा रहे हैं!

बल्कि कहने का अर्थ है अगर आपके जीवन में कोई बड़ा मुद्दा है कोई ऐसा कार्य या जिम्मेदारी है जिसे करना आप अपना कर्तव्य समझते हैं तो उसे करने के लिए आप छोटे छोटे अन्धविश्वास जैसे अशुभ रंग, दिशा, कपडे, वार इत्यादि की फिक्र नहीं करेंगे!

आप कहेंगे चाहे कोई भी समय हो, तिथि हो उस कार्य को करना बहुत जरूरी है अन्यथा बहुत नुकसान हो सकता है! इसलिए जिस इंसान को अपने व्यक्तिगत फायदे से भी बड़ी कोई चीज़ जीवन में करने लायक मिल जाती है फिर छोटे छोटे अन्धविश्वास उसका कुछ नहीं कर पाते!

#2. डर, दूर करता है अन्धविश्वास को 

मान लीजिये आप एक डॉक्टर हैं और आप एक शिक्षित व्यक्ति होने के बाद अंधविश्वासों में बेहद यकीन करते हैं और आपकी इस बात में गहरी मान्यता है की फलाने वार को अगर हॉस्पिटल 12 बजे से पहले चला गया तो कुछ अशुभ हो जाएगा!

अब उसी वार के दिन कोई मरीज बिलकुल दर्दनाक हालत में 10 बजे अस्पताल में एडमिट हो जाता है, और आपको फोन करके बुलाया जाता है तो अब अगर आप अभी हॉस्पिटल रवाना हो जाते हैं तो जो आपकी मान्यता थी की कुछ अशुभ हो जाएगा, अब उसी मान्यता से बड़ी चीज़ हो जायेगी डर!

 जो आपको कहेगा की तुमने अगर अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं की फ़ौरन, तो किसी की जान जा सकती है! ऐसी स्तिथि में आप अपने पूर्व विचारों को साइड में रखकर सीधा हॉस्पिटल की तरफ निकल लेंगे!

इस तरह सही काम का डर जिस व्यक्ति के मन में छा जाता है फिर उसके लिये छोटे मोटे अन्धविश्वास मायने नहीं रखते!

#3. मात्र प्रेम है अन्धविश्वास को हटाने के उपाय

कई बार डर जिन चीजों को करने से इन्सान को रोकता है, उन्हीं चीजों पर प्रेम भारी पड़ जाता है! कभी किसी आपको इंसान या कार्य के प्रति प्रेम हुआ हो तो ये बात आप समझ पा रहे होंगे!

उदाहरण के लिए आपके मन में समाज ने या परिवार ने ये विचार गहरा दिया है की प्रेमी से अमावस के दिन मिलना बिलकुल शुभ नहीं होता!

अब आपकी प्रेमिका दूर किसी राज्य में रहती है, और वो काम के सिलसिले में एक दिन के लिए आपके जिले में अमावाश आ रही है और उसने आपको मिलने के लिए बुलाया है?

आप जानते हैं सालों में ऐसा पहली बार मौका मिला है, अब चाहे पुरानी मान्यताएं आपको डराएँ लेकिन आपका प्यार आपको फिर भी प्रेमिका की तरफ ले चलेगा! और आप वहां उनसे मिलने पहुँच ही जायेंगे!

इस तरह आवश्यक नहीं की किसी स्त्री या पुरुष से ही आपको प्रेम हो, यदि जीवन में आपके अन्दर यह समझ आ जाए की कौन सा काम करना इस समय दुनिया और समाज के हित में है तो आप फिर दिल लागाकर उस काम को करेंगे क्योंकि जानते हैं यही तो मेरे जीने का अब मकसद है!

उदाहरण के लिए क्रांतिकारियों को आजादी इतनी प्यारी थी की उन्होंने इस खातिर न दिन देखा न रात बस अपने लक्ष्य को पाने के लिए काम करते रहे और हँसते हँसते शहीद हो गए!

#4. एक अन्धविश्वास दूर होगा तो दूसरा आएगा!

अगर आपके मन में किसी अन्धविश्वास ने गहरी पैठ जमा रखी है, और अंधविश्वास को दूर करने के उपाय आपको नहीं मिल पा रहे हैं तो आपको बता दूं जिस तरह की जिन्दगी आप अभी जी रहे हैं!

इसी तरह लाइफ को आगे बढाते हुए अगर किसी दिन आपके अन्धविश्वास को किसी ने झूठा साबित कर भी दिया तो फिर कुछ दिनों बाद एक नए कारण से, नए रूप में एक दूसरा अन्धविश्वास आपके मन में आकर बैठ जाएगा आपको पता भी नहीं चलेगा!

की ये मेरे साथ क्या हुआ! अतः किसी भी तरह के अंधविश्वास से बचने का एकमात्र उपाय यह है की जिन्दगी में कुछ बेहतर कीजिये, कुछ इतना प्यारा और जरूरी हो जिसके लिए ये नींबू मिर्ची  या किसी भी तरह का अन्धविश्वास बहुत छोटा पड़ जाए!

अगर ऐसा नही हुआ और आप वही पुराने काम करेंगे, उसी तरह के लोगों से मिलेंगे, उनकी सुनेंगे, वहीं पुरानी जगह जायेंगे तो फिर वही पुरानी जिन्दगी जीने की सजा यह होगी की फिर से कोई अन्धविश्वास आपके जीवन में छा जायेगा!

#5. जो जिसकी जगह है उसे दे दीजिये!

जी हाँ, इस बिंदु को एक उदाहरण की साहयता से समझते हैं!

 मान लीजिये घर में कोई कुर्सी खाली है अब वह कुर्सी घर के किसी बड़े सदस्य या मेहमान के लिए लगाई हुई है! लेकिन उनके वहां उपस्तिथ न होने के कारण छोटे बच्चे उस कुर्सी पर चढ़ रहे हैं कभी कुर्सी गिरा रहे हैं! इत्यादि!

अब कई बार बड़ों द्वारा उन बच्चों को डांट लगाईं पर वह किसी की एक नहीं सुनते! कुछ समय बाद मेहमान घर में पहुँचते हैं और उस कुर्सी पर पधारते हैं! और तब जाकर वह बच्चे शांत होकर कुर्सी से दूर कहीं खेलने निकल पड़ते हैं!

इसी प्रकार हमारे दिल का एक कोना है जो अक्सर खाली रहता है इसलिए किसी की भी कोई खौफनाक बात या कोई अंधविश्वास आकर सीधे दिल में बैठ जाता है! और हम एक मजबूर इन्सान की भांति कुछ नहीं कर पाते!

इसलिये इससे बचने का एकमात्र उपाय है उसको दिल में जगह दे देना जो इसके लायक है! अन्यथा दिल के इस कोने को अगर आप खाली रखेंगे तो कोई व्यर्थ बात आकर उसमे बैठ जायेगी! अब वो सही चीज क्या है जिसे दिल में जगह देनी चाहिए!

कोई काम है, या कोई व्यक्ति है ये आपको खुद ईमानदारी से सोचना होगा! तभी आप उस कोने को सही चीज से भर पायेंगे!

#6. आत्मज्ञान हो गया तो गया अंधविश्वास

जिस क्षण आपको अपनी हालत के प्रति जिज्ञासा शुरू हो गई, जिस क्षण आपको मालूम हो गया की क्यों मुझे लोगों की गुलामी सहनी पड़ती है, क्यों स्वस्थ्य होने और पर्याप्त पैसा होने के बाद भी मैं इतना दुखी रहता हूँ, क्यों मैं खुश होने के लिए किसी इन्सान का हाथ पकड़ता हूँ!

इत्यादि सवाल जब आप खुद से करने लग जाते हैं तो यहीं से आत्मज्ञान की यात्रा शुरू हो जाती है! आत्मज्ञान माने खुद के प्रति ज्ञान होना! चूँकि हम अक्सर संसार के बारे में तो जान लेते हैं लेकिन खुद के बारे में हमें कोई ज्ञान नहीं होता!

इसलिए हम घोर दुःख झेलते हैं, और बिना यह जाने की ये मन क्या है, चेतना क्या है, और आत्मा क्या है? और जीवन का उद्देश्य क्या है? समझे बिना हम इस संसार में कितना कुछ हासिल कर लें, सब व्यर्थ रहेगा!

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस पोस्ट को पढने के बाद अंधविश्वास को दूर करने के 6 उपाय आप भली भाँती समझ गये होंगे, अंधविश्वास के पनपने की मूल वजह क्या है? हमें कमेन्ट बॉक्स में बताएं साथ ही जानकारी पसंद आई है तो इस लेख को अन्य दोस्तों के बीच भी जरुर शेयर करें!

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