अंधविश्वास एक ऐसी ला-इजाज बीमारी है जिसने शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भारत की तरक्की को रोकने में सर्वाधिक अहम् भूमिका निभाई है, अगर आप स्पस्ट शब्दों में समझना चाहते हैं की अंधविश्वास क्या है? तो यह पोस्ट पूरा पढ़ें।
हमें लगता है अन्धविश्वास का प्रभाव कम पढ़े लिखे, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों पर ही पड़ता है, नहीं वास्तव में स्वयं को बुद्धिजीवी कहने वाले लोग भी अन्धविश्वास में डूबे रहते हैं।
अतः भले ही उनके जीवन में धन सम्पन्नता आ जाये लेकिन बेफजूल की मान्यताओं के कारण उनका जीवन दुखों में घिरा रहता है।

अंधविश्वास क्या है | अंधविश्वास का क्या अर्थ होता है?
किसी भी बात की सच्चाई जांचे परखे बिना उसे मान लेना अंधविश्वास है अर्थात हर वह मान्यता, आदेश या कथन जिसकी हकीकत का अन्वेषण किये बिना आपने जिसे स्वीकार कर लिया वह गहरा अंधविश्वास है।
अंधविश्वास से अभिप्राय सिर्फ सुनी सुनाई बातों पर यकीन करने, धार्मिक अथवा रुढ़िवादी परम्पराओं को मान लेने से नहीं है।
अपितु जीवन में हर छोटी बड़ी बात जिसको हम गहराई से जाने बिना उसपर भरोसा कर लेते हैं वह अन्धविश्वास है, उदाहरण के लिए किसी पेड़ पर फलाने व्यक्ति की आत्मा लटकी है यह मान लेना ही अन्धविश्वास नहीं है।
बल्कि बिना ज्ञान को परखे आपका किसी को गुरु कह देना भी अन्धविश्वास ही है, संक्षेप में कहें तो अन्धविश्वास हर वह चीज़ है जिसे आपने जाना तो नहीं परन्तु मान लिया।
अंधविश्वास और विज्ञान में अंतर!
अन्धविश्वास, विश्वास और श्रृद्धा तीनों के बीच प्रमुख अंतर निम्नलिखित है।

अन्धविश्वास:- हर वह बात जिसे आपने जांचे परखे बिना ही मान लिया वह अन्धविश्वास कहलाता है। न सिर्फ भूत प्रेत की कहानियां बल्कि हर वह बात जो पुरानी सामजिक मान्यताओं, परिवारों में कही जा रही है उसका बिना सोचे समझे पालन करना भी अंधविश्वास ही है।
विश्वास:- जब हम किसी कही गई बात को मानने से पूर्व अपनी बुद्धि का प्रयोग कर उस कथन की सत्यता की पुष्टि करते हैं और फिर यह निर्णय लेते हैं की बात भरोसेमंद है या नहीं तो इस स्तिथि को विश्वास कहा जाता है।
श्रृद्धा:- विश्वास से आगे की चीज़ होती है श्रृद्धा, जब आप यह जान जाये की कुछ बातें हमारे मस्तिष्क (बुद्धि) द्वारा नहीं जानी जा सकती तो फिर श्रृद्धा काम आती है, किसी नेक कार्य का परिणाम अच्छा होगा या बुरा होगा यह बुद्धि नहीं बता सकती पर हम तब भी उस उचित कार्य को करते हैं यह बात श्रृद्धा की हो जाती है।
सबसे अंधविश्वासी देश कौन सा है?
सबसे अंधविश्वासी देशों की सूची में प्रथम स्थान पर भारत है, परिणामस्वरूप भारत ने पिछले 1 हजार वर्षों में गुलामी, अशिक्षा, गरीबी, को जीवन में न्योता दिया। और बेहतर होने और स्वयं का विकास करने की सोच से खुद को हमेशा वंचित रखा।
यही वजह है की आर्थिक विकास की तरक्की के पैमाने पर हमारा देश अन्य विकसित राष्ट्रों से काफी पिछड़ा नजर आता है जिसकी मुख्य वजह है अंधविश्वास।
और दुर्भाग्य यह है की 21वीं सदी में भी अंधविश्वास चरम सीमा पर है आज भी देश की बड़ी जनसंख्या जादू टोना, अलौकिक शक्तियों पर विश्वास कर सही और आवश्यक कर्म को टालकर आलस्ययुक्त और कमजोर जीवन जीने को विवश है।
भारत में अंधविश्वास क्यों है? अंधविश्वास का प्रमुख कारण क्या है?
डर, लालच, स्वार्थ इत्यादि मनुष्य की यह मूल वृतियां ही उसके अन्धविश्वास का प्रमुख कारण हैं, अन्धविश्वास इंसान की इन मूल वृतियों को हवा देता है और उसके बहकावे में आकर इन्सान फिर उसी के अनुरूप जीवन जीने लगता है।

उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति ने चोरी करके तिजोरी में 100 करोड़ छुपाये हुए हैं और उसे अब प्रति पल भय है की पुलिस कहीं आकर ये पैसे न ले जाए, अब इस अशांति से बचने का एकमात्र उपाय है जिसका यह पैसा है उसको दे दें।
परन्तु अधिकतर लोग ऐसा करने की बजाय अपनी इस अशांति को दूर करने के लिए कई गैर आवश्यक विधियाँ अपनाते हैं जैसे योग, ध्यान कर लेना इत्यादि। ना या फिर भगवान की भक्ति कर लेना।
पर ऐसा सब करके हम खुद को वास्तविकता से दूर रखते हैं, और विश्वास कर लेते हैं की कोई आलौकिक शक्ति है, प्रभु है जो मेरे कर्मों में मेरा साथ देकर मेरे धन की रक्षा करेंगे।
इसलिए अन्धविश्वास सत्य के रास्ते में बाधा बन जाता है। लेकिन जो लोग किसी बात की तह तक पहुंचकर सच देखना और जानना चाहते है उनके जीवन में अन्धविश्वास कम होता चला जाता है।
कई लोगों को लगता है भारत में अन्धविश्वास का प्रमुख कारण यहाँ व्याप्त अशिक्षा है, लेकिन शिक्षा अन्धविश्वास का मूल कारण नहीं है क्योंकि आज आप पाएंगे शीर्ष तकनिकी कम्पनियों में कार्यरत लोग भी अंधविश्वास में लिप्त हैं।
वे ध्यान, वाईब्रेशन जैसी क्रियाओं को जीवन में सच्चाई मानकर इन्हीं के भरोसे जीते हैं।
भारत में प्रचलित कुछ अंधविश्वास | अंधविश्वास का उदाहरण क्या है?
हमारे समाज अवम परिवारों में आज भी अंधविश्वास में की गई इन क्रियाओं को व्यक्ति के लिए अशुभ माना जाता है!
- चलते हुए बिल्ली का रास्ता काट जाना,
- किसी विशेष कार्य को शुरू करने से पूर्व छींक आ जाना।
- व्यक्ति की बाईं आँख का फडकना।
- काले रंग की बिल्ली में भूत प्रेतों का सूचक मानना।
- दरवाजे पर नीम्बू मिर्च टांगना।
- तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा अर्थात तीन लोगों का इक्कठा साथ नहीं जाना।
- रात्रि के समय अथवा किसी निश्चित दिन पर बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए!
- ग्रहण में आसमान की तरफ नहीं देखना
- एक निश्चित वार जैसे मंगलवार, शनिवार, शुक्रवार पर बालों को साबुन से नहीं धोना चाहिए!
- श्मशान घाट में जाकर स्नान करके घर लौटना
- रात्रि के समय झाडू न लगाना
जहाँ लोगों के बीच अन्धविश्वास के तौर पर अशुभ संकेत माने गए हैं वही कुछ शुभ संकेत भी होते हैं जो निम्नलिखित हैं!
- घर से निकलने से पूर्व सफ़ेद चीजों जैसे दही&चीनी का सेवन करना!
- बुरी नजर से बचने हेतु आँखों में काजल,सुरमा लगाना चाहिए!
- पालतू कुत्ता मालिक को घर से निकलने से पूर्व चाटे, उसके साथ खेले तो यात्रा शुभ रहती है!
- सुबह उठकर गाय की आवाज सुनाई दे तो यह शुभ संकेत हैं।
- यात्रा के दौरा सांप, कुत्ते या बन्दर को देखना।
- रात में टूटता तारा देखना और उस तारे से कुछ पाने की प्रार्थना करना।
- बारिश के दौरान सूर्य का दिखाई देना।
एक ख़ास अन्धविश्वास जिसे विज्ञान और वैज्ञानिक भी मानते हैं!
ये बात जग जाहिर है की अन्धविश्वास को कम करने में विज्ञान की भूमिका और योगदान सर्वाधिक रहा है, पर एक बात को लेकर उनके बीच गहरा अन्धविश्वास रहा है जो इस प्रकार है।

देखिये, प्राकृतिक रूप से एक बच्चा भी इस दुनिया के बारे में जानने की रुचि रखता है जैसे वह प्रश्न करता है मां ये तारे इतने छोटे क्यों दिखाई देते हैं, और जब व्यक्ति बड़े होकर तारों की हकीकत को जानने का प्रयास करता है वह वैज्ञानिक हो जाता है।
अतः बच्चे में और उस वैज्ञानिक में एक बात सांझी है की दोनों जिज्ञासा रखते हैं इस दुनिया के बारे में।
हालाँकि संसार की चीजों/ विषयों पर रीसर्च करने वाला वैज्ञानिक कभी अपनी जांच पड़ताल कर नहीं पूछता की आखिर मैं हूँ कौन? क्यों मुझे इतनी जिज्ञासाएं उठती है? ये मन क्या है? शरीर क्या है?
मैं क्यों और किस मकसद से कार्य कर रहा हूँ? मेरे द्वारा की जाने वाली रिसर्च का दुनिया पर और समाज पर क्या प्रभाव पड़ेगा? और चूँकि अगर वो ये मूल बातें नहीं जानता।
तो जान लीजिये वो वैज्ञानिक भी अन्धविश्वासी है जो दुनिया की छोटी से छोटी चीज की हकीकत सामने रख देता है लेकिन उसे अपने चित्त की हकीकत नहीं मालूम! इसलिए हम पाते हैं की बहुत से सफल वैज्ञानिक भी डर के कारण गहरे अन्धविश्वासी होते हैं।
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FAQ~ अन्धविश्वास से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
नासमझी और डर के कारण मूल रूप से व्यक्ति के भीतर गहरा अन्धविश्वास भरा होता है! अतः हम कह सकते हैं की अज्ञान की अन्धविश्वास का मूल कारण है।
स्वयं के विचारों को, दूसरों की कही गई बातों को बिना जांचे परखे उनपर यकीन कर लेना ही अन्धविश्वास है।
चूँकि समाज में, परिवार में अधिकाँश लोग रुढ़िवादी सोच रखते हैं, पुरानी मान्यताओं पर भरोसा रखते हैं अतः उन्हीं को देखकर बाकी लोग भी उनका अँधा अनुकरण करने लगते हैं।
अंतिम शब्द
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