असली हिन्दू कौन है? जानिए हिन्दू कहलाने का अधिकारी कौन

कोई कहता है हिंदुत्व खतरे में है तो किसी को लगता है पूजा पाठ करना और परम्पराओं का पालन करना ही सनातन धर्म है, वास्तव में असली हिन्दू कौन है? ये पता लगाना थोडा मुश्किल है।

असली हिन्दू कौन है

असल में हिन्दू होना बेशक एक गौरव की बात है, पर सवाल है जिस तरह हर चीज़ के काबिल होने के लिए पात्रता चाहिए उसी तरह क्या हिन्दू होने के लिए कोई पात्रता, योग्यता नहीं होनी चाहिए।

आप बताइए एक सच्चा सनातनी/ हिन्दू की पहचान उसके कर्म से होने चाहिए या फिर उसका हिन्दू परिवार में जन्म लेना ही काफी है?

यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि आज खुद को 100 करोड़ से भी ज्यादा लोग खुद को सनातनी कहते हैं पर सनातन धर्म की सीख और कही गई बातें उनके जीवन में दूर दूर तक नहीं दिखती।

अगर आपको भी बड़ा दम्भ है और गर्व है हिन्दू होने पर तो इस लेख में प्रस्तुत बातों पर एक बार जरुर गौर करना चाहिए, जिससे आपको ये अंदाजा हो जायेगा की हिंदुत्व के नाम पर कितने हिन्दू खुद हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाते हैं।

सनातन धर्म क्या है? हिन्दू धर्म का वास्तविक अर्थ

सनातन धर्म, वैदिक धर्म या हिन्दू धर्म से आशय उस धर्म से है जो नित्य और शाश्वत है! प्रकृति में मौजूद सभी चीजें जैसे संस्कृति, परम्पराएं समय की धारा में शुरू होती हैं और कुछ समय बाद नष्ट हो जाती हैं।

लेकिन सत्य सदैव अपरिवर्तनीय रहता है अतः जब तक मनुष्य और चेतना है तब तक सनातन धर्म निरंतर अस्तित्व में रहेगा।

इसी बात को विस्तार में समझें तो सनातन धर्म वैदिक है जो वेदों से अभिव्यक्ति पाता है, वेदों के दो भाग है एक कर्मकांड, कर्मकांड के अन्दर संहिता आती हैं।

जिसमें देवताओं को प्रसन्न करने हेतु मन्त्र जाप बताये गये हैं साथ ही इसमें ब्राहमण आते हैं जिसके अन्दर यज्ञ, हवन इत्यादि सम्मिलित हैं! ये सारी चीजें कालातीत नहीं होती क्योंकि समय के साथ इनमें बदलाव लाया जाता है।

वेदों का ही दूसरा भाग है ज्ञानकाण्ड जिसमें आरण्यक और उपनिषद आते हैं! जिनमें वो बात कही गई है जो कालातीत है, यानी जो समय के साथ परिवर्तित नहीं हो सकती।

वैदिक धर्म की मूल बात उपनिषदों में लिखी गई है इसलिए वेदों का यही हिस्सा वास्तव में सनातन धर्म कहलाता है।

पर दुर्भाग्यवश हिन्दू परिवार में जन्म लेने वाले व्यक्ति को देखें तो उसके कार्यों में कुछ ख़ास रीती रिवाज, परम्पराओं के सिवा कुछ नहीं दिखाई देता! और धर्म के नाम पर जिन कर्मों और मान्यताओं का वह पालन करता है वह भी पिछले 200- 400 सालों में लोकप्रिय हुई हैं।

अगर आप नित्य इन क्रियाओं का पालन करते हैं, और आप हिन्दू धर्म के नाम पर मात्र कुछ खास क्रियाओं का पालन करते हैं तो यह बिलकुल आवश्यक नहीं की आप हिन्दू हैं।

  • आप रोज गाय को रोटी देते हैं
  • आप होली दिवाली मनाते हैं
  • आप तिलक लगाते हैं।
  • राखी और हाथ पर कलावा बांधते हैं।

यह कुछ आम आचरण व्यक्ति द्वारा किये जाते हैं तो हम आसानी से कह देते हैं यह सनातनी व्यक्ति है! पर वास्तव में क्या सनातन धर्म मात्र कुछ विशेष कार्य को करने और न करने तक ही सीमित है? नहीं न सनातन धर्म हजारों वर्ष पुराना है।

असली हिन्दू कौन है?| हिन्दू कहने का हकदार कौन है?

स्वयं को हिन्दू कहने का हक़ मात्र उस व्यक्ति को है जिसे हिन्दू धर्म के शीर्षतम ग्रन्थों जैसे उपनिषद, वेदान्त और गीता का ज्ञान हो! अर्थात एक असली हिन्दू वह है जो सनातन धर्म के उच्चतम दर्शन से परिचित हों, और उन्हें पूजकर (अर्थात दिल से जिनका पालन) करता हो।

यह बात समझ से परे है की एक मुसलमान बाइबल पढता है, सिक्ख गुरुवाणी पढता है, पर हिन्दू को न गीता से मतलब होता है न उपनिषदों से.. ये बड़ी विडम्बना है इसलिए खतरा है हिन्दू धर्म को हिन्दुओं से।

जिसकी हिन्दू दर्शन में रूचि न हो, जिसने कभी हिंदुत्व का मर्म नहीं जाना वह इंसान क्या सिर्फ हिन्दू परिवार में जन्म होने से खुद को हिन्दू कह सकता है! नहीं न, हिन्दू होना क्या जींस की बात है?

जिस तरह एक वैज्ञानिक को विज्ञान के कारण सम्बोधित किया जाता है , उसी तरह जिसे  कृष्ण से, शिव से प्रेम है मात्र उनके समक्ष सर झुकाकर प्रणाम करने से बात नहीं बनेगी बल्कि ऐसा व्यक्ति श्रीमद भगवद गीता, शिव गीता का भी अध्ययन करेगा।

इसलिए करोड़ों हिन्दुओं में से आप ढूँढने निकलेंगे तो मात्र कुछ ही लोग होंगे जो सनातनी होने का अर्थ समझते होंगे, बाकी सभी लोग धर्म के नाम पर बस हो हल्ला, शोर शराबा करते नजर आयेंगे।

ऐसे लोगो की आस्था अक्सर खोखली साबित होती है, ये लोग फिर धर्म को अपनी मनोकामना/इच्छा की पूर्ती का साधन बना लेते हैं! ये धर्म और भगवान को इसलिए पूजते हैं ताकि ईश्वर उनकी रक्षा कर सके और उन्हें सुख दे सके।

ऐसे लोग अज्ञानी होते हैं क्योंकी जो व्यक्ति वेदान्त नहीं जानता उसे न मन के बारे में पता होगा न आत्मा के, ऐसा व्यक्ति न प्रकृति को समझेगा न ईश्वर को, अतः यही वजह है की फिर कई सारे तथाकथित धार्मिक लोग घोर अन्धविश्वासी होते हैं।

सनातन धर्म के प्रमुख ग्रन्थ जो आपको जरुर पढने चाहिए:-

1. वेदांत

2. उपनिषद

3. भगवद गीता

4. अष्टावक्र गीता

परम्पराओं को मानने का नाम हिन्दू धर्म नहीं है|

अधिकांश लोग जिन परम्पराओं में गहरी आस्था रखते हैं, और उनका पालन करते हैं उसे मनाने की वजह क्या थी उन्हें पता नहीं होता! और न ही वह जानते की कोई भी परम्परा शाश्वत होती है।

अगर इन परम्पराओं को अंधाधुंध मानना ही सनातन धर्म है तो बताइए कौन सी परम्परा का पालन आदिकाल से किया जा रहा है, उदाहरण के लिए पहले करवा चौथ सिर्फ पंजाब में मनाया जाता था।

पर बॉलीवुड और मीडिया की वजह से आज यह त्यौहार उत्तर भारत विशेषकर यूपी, बिहार में भी खूब मनाया जाता है, इस मौके पर कुँवारी स्त्रियाँ नाचती हैं और नए अंदाज में आज यह पर्व मनाया जा रहा है।

तो इस प्रकार देखा जाए तो परम्पराएं तो बदलती रहती हैं, लोग पहले लकड़ी के चप्पलों पर चलना शुभ समझते थे पर आज तकनीक और सुविधाओं की वजह से लोग चमड़े के चप्पलों से चलते हैं।

अतः परम्पराएं सनातन धर्म नहीं हैं, इस बात का प्रमाण हमें इस बात से मिल जाता है की जिन परम्पराओं का पालन हमारे पूर्वज करते थे आज आप उनका बिलकुल भी समर्थन और पालन नहीं करते।

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अन्तिम शब्द

तो साथियों इस पोस्ट को पढने के पश्चात वास्तव में असली हिन्दू कौन है? अब आप भली भाँती समझ चुके होंगे, इस लेख के प्रति आप अपने विचारों को और सुझावों को बेझिझक कमेंट बॉक्स में सांझा कर सकते हैं! जानकारी उपयोगी साबित हुई है तो इसे शेयर भी कर दे।

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