आत्मा क्या है| आत्मा का असली सच जानिए

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बच्चे हो या बड़े आत्मा का विषय लोगों के बीच हमेशा से ही रहस्यमई रहा है, लेकिन सीधे तौर पर आत्मा क्या है? इसका अनुभव कैसे हो? मरने के बाद आत्मा का क्या होता है? कोई भी धार्मिक व्यक्ति या गुरु इसका जवाब नहीं देता।

आत्मा क्या है

हालाँकि आत्मा के बारे में हमने टीवी सीरियल्स पर और फिल्मों में कई तरह की बातें सुनी हैं, लेकिन अगर आप केवल मनोरंजन के लिए नहीं अपितु आत्मा की सच्चाई को जानने के लेकर जिज्ञासु हैं तो आज हम आपको आत्मा का सच बिलकुल सरल और सटीक शब्दों से पहुँचाने जा रहे हैं।

आत्मा क्या है? आत्मा की परिभाषा

आत्मा परम सत्य है, अविनाशी है, जिसका न रंग है न रूप है, न आकार है न प्रकार है, जिसे न देखा, न सुना जा सके जो प्रकति के सब अनुभवों से परे हो वही आत्मा है! सच का दूसरा नाम ही आत्मा है,इसलिए आपके और इस संसार का सत्य ही आत्मा कहलाता है।

सत्य कभी परिवर्तनीय नहीं होता, न उसे मिटाया जा सकता है न बदला जा सकता है। इसी तरह आत्मा भी अटल,अविचल है इसलिए जानने वालों ने आत्मा के बारे में कुछ भी कहने से बेहतर, आत्मा को सत्य कह देना उचित समझा।

कई लोगों को लगता है की इंसान के शरीर का उसकी आत्मा से जरुर कोई न कोई तादात्म्य है, पर वास्तव में मनुष्य के शरीर और आत्मा के बीच कोई समानताएं नहीं होती इसलिए रूह यानि शरीर का आत्मा से कोई सम्बन्ध नहीं है।

हमारा शरीर चाहता है इसे भांति भांति के अनुभव हो, इसे भोजन मिले, सुरक्षा मिले ताकि यह बचा रहे लेकिन आत्मा को सिर्फ सत्य से मतलब है।

क्योंकि वो भला जिसे कोई मार नहीं सकता, मिटा नहीं सकता, उसे क्या किसी की सुरक्षा चाहिए मान सम्मान चाहिए।

आत्मा न कभी शुरू हुई न उसका अंत होगा, आत्मा शरीर का कोई अंग नहीं लेकिन फिर भी लगातार हर समय हमारे साथ मौजूद है।

इस संसार में भले शरीर करोड़ों अरबों हैं लेकिन आत्मा सिर्फ एक है क्योंकि सत्य एक होता है। मेरी आत्मा-तेरी आत्मा जैसा कुछ नहीं होता क्योंकी तेरा सच मेरा सच नहीं होता सत्य सार्वभौमिक होता है जो सबके लिए है।

क्या शरीर में आत्मा होती है?

नहीं, समझिये जब हम कहते हैं शरीर में आत्मा है तो ऐसा कहकर हमारे मन ने हमारी आत्मा को कोई विषय बना दिया, जैसे आत्मा इतनी छोटी चीज़ हो शरीर या मन में समा सके।

यह जो शरीर है इस शरीर का छोटा सा बच्चा है चेतना, और उस चेतना को बहुत बहुत ऊँचा यानी अनन्त बनाना होता है।

 और इसी अनंतता को आत्मा कहा जाता है! इसलिए आत्मा को परम यानी आकाश कहा गया है, वो किसी के छोटे से शरीर में कैसे प्रवेश कर सकती है।

आत्मा कोई ऐसी वस्तु नहीं जो एक जगह से दूसरी जगह डोल रही हो।

हम अक्सर कहते हैं की मृतक की आत्मा को शान्ति मिले, देखिये आत्मा कभी अशांत नहीं रहती सिर्फ मन अशांत होता है। आत्मा तो पहले से ही पूर्ण है, न उसे कुछ पाना है, न उसे कुछ गंवाना है वो स्वयं में पूर्ण है।

न आत्मा को चोट पहुँच सकती है, न आत्मा को दर्द होता है ये सब बातें जो कही जाती है सब व्यर्थ है। सिर्फ मन को दर्द होता है!

पर चूँकि न तो हमें ये पता होता है की आत्मा क्या है? मन क्या है? तो फिर हम यूँ ही कोई भी बात कह देते है या किसी भी बात को सच समझ बैठते हैं! इसलिए आत्मा को अनिकेत भी कहा गया है! क्योंकि वो किसी के शरीर, घर या यहाँ तक की ब्रहांड में भी प्रवेश नहीं कर सकती।

मरने के बाद आत्मा कहाँ जाती है?

सर्वप्रथम यह समझें की आत्मा हर काल में, हर क्षण मौजूद हैं मनुष्य के जन्म लेने से पूर्व भी उसका अस्तित्व था और उसके मरने के बाद भी वो रहेगी।

तो जिसका समबन्ध ही नहीं हैं मनुष्य के जन्म लेने से और मरने से तो कैसे किसी की म्रत्यु होने पर आत्मा उड़ जायेगा या जल जाएगी?

इसलिए आत्मा यानी सत्य जस का तस ही रहता है, शरीर मर जाता है, प्रकृति में नए जीव का निर्माण होता है, इसलिए शरीर बदलते रहते हैं पर आत्मा सदैव एक ही है।

पर चूँकि कई सारे धार्मिक गुरु और अध्यात्मिक लोग ये कहने लगते हैं आत्मा मरने के बाद उड़ जाती है, या भटकती है ऐसा नहीं है। आत्मा का सम्बन्ध न तो शरीर के जन्म लेने से है और न उसके मरने से है आत्मा को हमारी म्रत्यु से कोई फर्क नहीं पड़ता!

इसलिए तो जो हम खुद को बचाने के लिए इतना प्रयास करते हैं ये प्रकृति चाहती है की  हम बचे रहे, बने रहे आत्मा को इस शरीर की कोई परवाह नहीं।

आत्मा की आवाज कैसे होती है?

सत्य की कोई आवाज नहीं होती, इसलिए आत्मा की कोई ध्वनी नहीं होती। लोगों के बीच एक भ्रामक धारणा है उन्हें लगता है मरने के बाद आत्मा से तरह तरह की ध्वनियाँ उत्पन्न होती हैं।

परन्तु अगर आपको सच जानना है तो समझ लीजिये आत्मा से किसी तरह की ध्वनी या तरंगे नहीं उठती! वे लोग जो इस तरह की बातें करते हैं उन्हें निश्चित ही आत्मा के बारे में जानना अति आवश्यक हो जाता है!

आत्मा कितने प्रकार की होती है?

आत्मा को अनवय कहा गया है क्योंकि उसके कोई हिस्से नहीं होते, आत्मा एक होती है,जो अखंड है। आत्मा कोई विषय या शरीर का भाग नहीं है जिसका अनेक भागों में विभाजन किया जा सके!

अगर कोई कहता है आत्मा का यह प्रकार रोशनी देना है और दूसरा प्रकार द्वेष, क्रोध और आपका अहित चाहता है।

तो समझ जाइए यह इंसान मूर्ख है इसे आत्मा के विषय पर कोई जानकारी नहीं है। आत्मा अकल्प है जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती, जिसे देखा न जा सके तो क्या उसको विभिन्न प्रकारों में बांटा जा सकता है!

आत्मा का धर्म क्या है?

आत्मा अर्थात सत्य का कोई धर्म नहीं होता, इन्सान का धर्म होता है की वह सच्चाई और इमानदारी के मार्ग पर चलकर अपनी चेतना को ऊँचा उठाये ताकि उसक मन बेचैनी, निराशा की अवस्था से बाहर आकर शांति प्राप्त कर सके।

पर चूँकि मनुष्य अज्ञानी होता है वह स्वयं धर्म के मार्ग पर नहीं चलना चाहता इसलिए फिर वह आत्मा के धर्म को लेकर जवाब खोजता है! 

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आत्मा से कैसे बात कर सकते हैं?

क्या आप सत्य से बात कर सकते हैं, नहीं न इसी तरह आत्मा न तो शरीर है जिसकी कोई आवाज है, न रंग है, रूप है जिससे आप प्रत्यक्ष रूप से या किसी के माध्यम से बात कर सकते हैं।

समाज में वे लोग जो कहते हैं मेरी आत्मा से बातचीत होती है, ऐसे लोग आमतौर पर अन्धविश्वास फैलाते हैं।

हालाँकि यह संभव है जो लोग सच्चाई का जीवन जीते हैं अपने मन पर नहीं बल्कि ह्रदय केन्द्रित जीवन जीते हैं। सिर्फ उन्हें कहने का अधिकार है की हम आत्मस्थ होकर जीवन जीते हैं! यानी आत्मा के आधार पर जीवन जीते हैं।

आत्मा के विषय पर अन्य सवालों का समाधान?

देखिये उपरोक्त प्रश्नों का सीधा और सटीक जवाब आपको इसीलिए मिल पाया है क्योंकि हमने आचार्य प्रशांत द्वारा आत्मा के विषय पर कही गई बात को समझा है। अगर आपके मन में आत्मा के सम्बन्ध में कुछ और प्रश्न हैं तो आपको एक बार यह विडियो देखना चाहिए, निश्चित ही आत्मा के सम्बन्ध में आपकी भ्रांतियां और अन्य सवाल इस विडियो को देखकर मिट जायेंगे!

विडियो लिंक *****

अंतिम शब्द

तो साथियों आत्मा के विषय पर यह कुछ मूल प्रश्न हमने जाने, आशा है आप आत्मा के विषय पर विस्तार से जानना चाहते होंगे, अगर आप इस लेख में दी गई जानकारी से संतुष्ट हैं तो कृपया इसे शेयर करना बिलकुल मत भूलियेगा।

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