वे लोग जो भगवान में पूरी आस्था रखते हैं, उनसे अक्सर पूछा जाता है की यदि वास्तव में उपरवाला है, और उसका हाथ आपके सिर पर है तो बताओ भगवान दिखाई क्यों नहीं देते?
देखिये इस बात में कोई दो राय नहीं की भगवान के प्रति हर इंसान के मन में अलग-अलग छवि है, इसलिए भगवान के नाम पर समाज में कई तरह के किस्से कहानियां प्रचलित हैं।
दुर्भाग्यवश धर्म और भगवान से जुडी अधिकतर कहानियों को हम सुनते हैं वो बस मनगढ़ंत कहानियां होती हैं, अतः झूठ से पर्दा हट सके और आपको भगवान के होने का स्पष्ट प्रमाण मिल सकें।
भगवान दिखाई क्यों नहीं देते?
भगवान कोई भौतिक वस्तु या व्यक्ति नहीं हैं जिन्हें हमारी आँखें देख सकें अथवा इन्द्रियां जिनके होने का अहसास कर सके। पर इसका अर्थ यह कदापि नही है की जो चीज़ दिखती नहीं है, उसका अस्तित्व नहीं होता।
उदाहरण के लिए हम सभी को भीतर से एक बेचैनी होती है जो दिखाई तो नहीं देती पर वो है इस बात का प्रमाण यह है की हम दुःख से छटपटाते हैं, इसी प्रकार इंसान के भीतर प्रेम, करुणा का होना दर्शाता है की भगवान हैं।
हमारे ही भीतर राक्षस भी है और देवता भी हैं, इस बात का प्रमाण यह है की भीतर का आलस्य, लोभ, वासना हमें लगातार हमें गलत कर्म करने के लिए प्रेरित करते है। और वही हमारे अन्दर प्रेम, करुणा और सच्चाई के रूप में साक्षात भगवान भी हैं जो हमें झूठ के सामने सर न झुकाने और अच्छा इंसान बनने की मिशाल देते हैं।
इसलिए वे लोग बड़ी भूल करते हैं जो भगवान को अपने से बाहर का अवतार मानते हैं, और समझते हैं की भगवान कोई दिव्य शक्ति हैं नहीं भगवान भीतर ही हैं, अगर सच्चाई के सामने सर झुक जाता है।
भीतर से प्रेम उठता है तो समझ लीजिये भगवान की अनुकम्पा आप पर है, लेकिन अपने लालच और स्वार्थ के खातिर बुरे और झूठे लोगों के सामने भी झुक जाते हो तो समझ लीजिये आप राक्षस की पूजा कर उसे भोग लगा रहे हैं।
जितना पूजा करता हूं उतना दुख होता है क्यों?
आत्मज्ञान की कमी के कारण मनुष्य पूजा-पाठ करने के बावजूद जीवन पर्यंत दुखी रहता है।
अधिकांश लोग देवी देवताओं की पूजा, आरती, उपवास तथा अन्य विधियाँ मात्र इसीलिए करते हैं ताकि उनकी मनोकामना पूर्ण हो सकें।
उदाहरण के लिए किसी का लक्ष्य अधिक पैसे देने वाली नौकरी प्राप्त करना है, अब अपनी इस इच्छा को हकीकत में बदलने के लिए यदि वह भगवान को प्रसन्न करने की विधियाँ अपनाता है और नौकरी पाने की दिशा में मेहनत भी करता है, परिणामस्वरूप उसे अंततः नौकरी मिल भी जाती है।
अब चूँकि मनुष्य की इच्छाएं तो असीम, अनंत होती हैं। अतः एक इच्छा जैसे ही पूरी होती है कुछ ही समय बाद उसे अहसास होता है मन अब किसी और चीज़ को पाने के लिए बेकरार है।
अतः वो इंसान जिसे पहले नौकरी चाहिए थी अब उसे लगता है मुझे शांति और चैन किसी जीवनसाथी के होने से मिलेगी। अतः अब वह सुन्दर पत्नी प्राप्त करने हेतु भगवान से प्रार्थना करता है।
इस तरह इच्छाओं का खेल जीवन भर चलता रहता है, और जो व्यक्ति अपनी इच्छा पूर्ती के लिए जितना देवी देवताओं को प्रसन्न करता है, उतना दुखी होता जाता है।
क्योंकि सुख वो मीठा रस है, जो आपको पल भर के लिए मिलता है लेकिन उस सुख को पाने के बाद पीछे पीछे दुःख भी चला आता है, इसलिए जो इंसान सुख के लिए जितना लालायित रहेगा उतना अधिक दुख उसका पीछा करेगा।
क्या किसी इंसान ने भगवान को देखा?
यदि भगवान से आशय आपका किसी दिव्य शक्ति से है, किसी आसमानी सत्ता से है जिसके अनेक हाथ, सिर पर सोने का मुकुट, हाथों में त्रिशूल हैं। जैसा चित्रण हम प्रायः टीवी सीरियल्स में देखते हैं, तो ऐसे भगवान का प्रकट होना सम्भव नहीं है।
भगवान से आशय उस व्यक्ति से है जो तुम्हें सच्चाई तक पहुँचने में मदद करे, जिसकी बातें सुनने से मन में शांति होती है, जो आपके भीतर के डर, लालच को कम करके आपको निडर जीवन जीने के लिए प्रेरित करे, जो आपके भीतर प्रेम और करुणा जागृत करें।
तो समझ लीजियगा वह व्यक्ति ही आपके लिए भगवान् है, अब चूँकि यह सब कुछ मात्र एक गुरु ही कर सकता है, इसलिए गुरु को भारत ने भगवान से भी ऊँचा कहा है।
तो अगर जीवन में मिल जाये ऐसा सच्चा गुरु जो आपको एक घटिया इंसान से बदलकर एक बेहतर, सच्चा इन्सान बना दे तो समझ लीजियेगा वही आपके लिए साक्षात भगवान हैं।
अब ऐसा गुरु ढूंढना थोडा मुश्किल जरुर है लेकिन इरादा आपका सच्चा और नेक हो तो जरुर परमात्मा आपकी मदद करता है।
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क्या सब कुछ भगवान की मर्जी से होता है?
प्रत्येक मनुष्य के पास चुनाव का अधिकार है, जो यह दर्शाता है की मनुष्य के पास अपना भाग्य लिखने की शक्ति होती है।
वे लोग जो अपनी हालत के प्रति संतुष्ट नहीं होते वे अपना जीवन बदलने का प्रयास करते हैं और उन्हें सफलता भी मिल जाती है, लेकिन दूसरी तरफ जिन्हें अपने वर्तमान जीवन में ही आनंद आने लगा है फिर ऐसा इंसान नहीं बदल पाता।
देखिये कुछ अपवादों को छोड़कर जैसे मरने और पैदा होने और कोई अकस्मात घटना के अलावा प्रकृति हमें पूरी यह छूट देती है की हम जैसा चाहे वैसा जीवन जियें, हम चाहे तो नासमझी, झूठा जीवन सकते हैं, और यदि हम चाहें तो सच्चाई, बोध से परिपूर्ण जीवन भी जी सकते हैं।
पर यह जानने के बाद भी की मेरा जीवन अपने ही निजी स्वार्थों को पूरा करने में बीता जा रहा है, मेरे मन में लालच और डर बढ़ता जा रहा है, फिर यह फैसला लेना की अब मुझे शांति से जीवन जीना है और सत्य के रास्ते पर चलना है, मन को बड़ी तकलीफ होती है।
अतः वे लोग जो इस तकलीफ को सहन नहीं कर पाते, ऐसे लोग व्यर्थ का जीवन बिताने में मजबूर हो जाते हैं। और फिर वो कहते हैं की सब कुछ भगवान के भरोसे ही होता है, ऐसे आलसी और डरपोक लोगों को जिन्दगी बड़े कष्ट देती है।
क्या हम ईश्वर को देख सकते हैं?
ईश्वर कोई भौतिक वस्तु या व्यक्ति तो नहीं हैं जिन्हें मनुष्य द्वारा खुले नेत्रों से या मन की कल्पना के माध्यम से देखा जा सके। लेकिन ईश्वर साक्षात् आपके साथ हैं या नहीं इसे परखने के लिए आप इस कारगर विधि का उपयोग कर सकते हैं।
- अगर मन किसी की कही गई बातों को, सामाजिक मान्यताओं को आँख बंद कर मान लेने की बजाय उस बात के पीछे का सच जानने के लिए बेकरार होता है।
- भीतर कुछ ऐसा है जो ये कहता है की जिन्दगी हमें मात्र अपना पेट चलाने के लिए नहीं मिली, जीवन में लोगो की भलाई के खातिर कुछ अच्छा करने का भाव आता है।
- अगर मन को अशांति वाले माहौल से ज्यादा शीतल और शांति प्रदान करने वाली संगती ज्यादा पसंद है।
- यदि मन बुराई और झूठ के आगे सर न झुकाने के लिए तैयार रहता हो।
संक्षेप में कहें तो यदि आपके मन को सच्चाई, शान्ति और ज्ञान पसंद है, जो कहता है जिन गलतियों को करके पहले मुझे दुःख मिला था अब मैं उन्हें दोहराऊंगा नहीं। ऐसा मन अगर आपके पास है तो समझ लीजियेगा ईश्वर आपके साथ हर जगह है।
लेकिन मन ऐसा है जो अपने फायदे के लिए छल, कपट करने को तैयार हो जो ये जानते हुए भी की कौन से लोग, कौन सी वीडियोस, कौन सी बातें मेरे मन को गंदा कर उसे अशांत करती है!
फिर भी मन उसी दिशा में जाता है तो समझ लीजियेगा राक्षस भीतर बैठा है। उस राक्षस से दूर होने के उपाय बताइए।
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अंतिम शब्द
तो साथियों इस लेख को पढने के पश्चात भगवान दिखाई क्यों नहीं देते? इस बात का सच्चा और सीधा उत्तर आपको मिल चुका होगा। इस लेख को पढ़कर यदि जीवन में कुछ स्पस्टता आई हो तो कृपया इस लेख को शेयर भी जरुर कर दें, ताकि अन्य लोग भी अपने भ्रम और अंधविश्वासों से आगे चलकर सच्चाई का जीवन जी सके।