ब्रह्मचर्य क्या है? सच जो सदियों से छुपाया गया!

ब्रह्मचर्य में उठना, उठके नित्य कर्म करना, वासना से दूर रहकर वीर्य बचाना बहुत ही अनुशासन भरा काम माना जाता है परन्तु वास्तव में ब्रह्मचर्य क्या है? इस बात का सटीक और सरल जवाब आज भी कई लोगों को मालूम नहीं हैं।

और परिणाम यह होता है की कई सारे लोग या तथाकथित गुरु इस विषय पर अलग अलग बात कहते हैं जिससे पाठकों के मन में भ्रांतियां फैलती हैं।

तो आज हम ब्रह्मचर्य का शुद्धतम और स्पस्ट अर्थ आपके समक्ष लेकर आये हैं। आइये जानते हैं

ब्रह्मचर्य क्या है? ब्रह्मचारी होने का क्या मतलब है? 

ब्रह्मचर्य अर्थात ब्रहम में आचरण करना। ब्रह्म माने सत्य यानी जिस व्यक्ति के जीवन में सच्चाई का स्थान सबसे ऊँचा हो, जो सत्य के रास्ते पर चले सो ही ब्रह्मचारी कहलायेगा।

बता दें ब्रहम शब्द व्रहद धातु से आया है जिसका अर्थ होता है विस्तार होना। चूँकि सत्य अनंत और असीम होती है उसे कभी भी किसी घेरे में बाँधा नहीं जा सकता।

देखिये अगर आप अध्यात्म में रूचि रखते हैं तो आप पाएंगे की इन्सान जिसे मैं कहता है वो उसका अहंकार होता है, और अहंकार बड़ा छोटा, सीमित होता है।

और इसी मैं भाव के कारण उसे बड़ा दुःख पहुंचता है, इसलिए संतों ने कहा की मैं मैं, मत कर यहाँ तेरा कुछ भी नहीं एक दिन सब मिट जायेगा।

फिर सवाल आया की अगर इस दुनिया में अहंकार छोटा है, तो क्या है जो सबसे ऊँचा है? जो सबसे बड़ा है? ऐसा क्या है जो मनुष्य के बाद भी रहेगा, यहाँ तक की प्रकृति के नष्ट होने पर भी जो रहेगा?

तो बड़ा सुन्दर जवाब आया “सत्य” जी हाँ सच्चाई है जो हर काल में, हर जगह मौजूद है, उसका न कोई आदि है न कोई अंत है उसे कोई नहीं मिटा सकता।

इसलिए इसी सत्य को सनातन धर्म में बड़ा स्थान दिया गया। सनातनी होने के नाते आप भगवदगीता पढ़ें, रामायण पढ़ें या कोई भी धर्म ग्रन्थ पढ़ें आप पाएंगे की वो सभी हमें सत्य की राह पर चलने की सीख देते हैं।

अर्थात सत्य का ही एक और नाम है ब्रह्म। और इसी सत्य को ऋषियों ने उपनिषदों में साफ़ साफ़ ब्रह्म के रूप में परिभाषित करते हुए कहा की मात्र सत्य ही है।

यहाँ तक की ऋषियों ने ये भी कह दिया की ये दुनिया जो हमें बड़ी आकर्षित करती है वो सब झूठी है। जी हाँ कह दिया की जगत मिथ्या ब्रह्म सत्यम यानी की मात्र सत्य है और सब कुछ झूठ है, सब मिट जायेगा।

ठीक है तो फिर ब्रह्म का अर्थ जब सत्य हुआ है तो ब्रह्मचारी का अर्थ हुआ ब्रह्म में चर्या जो करे सो ही ब्रह्मचर्य।

संक्षेप में कहें तो जो व्यक्ति ब्रह्म में जिए यानी सच्चाई में जिए, सच्चाई में कर्म करे सो ही ब्रह्मचारी है।

वो व्यक्ति जो झूठ बोले, सच जानते हुए भी गलत कार्यों को करे समझ लेना वो भले स्वयं को ब्रह्मचारी कह दे, वो ब्रह्मचारी नहीं कहलायेगा। तो जल्दी से कोई ब्रह्मचारी है या नहीं ये घोषित मत कर लेना।

अब अगला सवाल आता है की

ब्रहम क्या है?

ऊपर हमने जाना ब्रह्मचर्य का प्रत्यक्ष सम्बन्ध ब्रहम से है अब हम विस्तार से ब्रहम को समझते हैं।

आपके जीवन के वृत्त यानी घेरे से बाहर का जो है वही ब्रहम है, आमतौर पर हम जो भी दिमाग से सोचते हैं या मन से कल्पनाएँ करते हैं वो बेहद सीमित होता है।

लेकिन ब्रहम असीम है अन्नत है, न उसका रंग है न आकार है, न शरीर है न मन है लेकिन फिर भी वो है उसे ही सत्य या आत्मा भी कहा गया है।

ब्रहम वो जिसे परिभाषित न किया जा सके, जिसकी व्याख्या न की जा सके क्योंकि हम सिर्फ उन्हीं चीजों का विश्लेषण कर सकते हैं जो हमारे मन के दायरे में आती है।

अब सवाल आता है तो जिसे देखा नहीं जा सकता, जाना नहीं जा सकता उसमें रहकर कैसे जिया जा सकता है? क्योंकि ब्रहमचर्य का अर्थ ब्रह्म में लीन होना होता है।

तो यहाँ समझना जरूरी है की आत्मा यानि सत्य से जो व्यक्ति जीवन जीता है उसे आप ब्रहमचारी यानी ब्रहम से जीने वाला व्यक्ति कह सकते हैं।

और आत्मा में जीना कोई बायें हाथ का खेल नहीं, सोचिये मन के कपटपन, लालच और स्वार्थ को छोड़ने के लिए कितना अभ्यास चाहिए?

लेकिन जो व्यक्ति ऐसा करने में सफल हो जाता है और आत्मस्थ होकर यानि सच्चाई से जीवन जीता है उसके लिए सुख-दुःख भी दूर की बात हो जाते हैं।

ब्रह्मचारी कौन है?

ब्रहमचर्य का सीधा सम्बन्ध न वासना से है, न शरीर से है बल्कि इसका प्रत्यक्ष सम्बन्ध ब्रह्म से है।

जिस व्यक्ति ने अपना अहंकार इतना शून्य कर दिया की अब उसकी कोई व्यक्तिगत इच्छा नहीं है, ब्रह्म यानी सच्चाई के कहने पर वो काम करेगा, ब्रह्म करने पर सोयेगा वही वास्तव में ब्रह्मचारी है।

एक ब्रह्मचारी के लिए फिर बाकी सभी चीजें बहुत मूल्य की नहीं होती यानी वो ब्रह्मा में जीता है अतः मान अपमान, धन सम्मान इत्यादि में उसकी कुछ विशेष रूचि नहीं रह जाती।

अतः इसी प्रकार बाकी चीजों की तरह वासना भी उसके लिए एक बहुत छोटी चीज़ रह जाती है।

अतः न तो वह किसी महिला को इस तरह देखता है जिससे उसकी कामवासना पूरी हो जाये न ही वह उनसे दूर भागकर उन्हें देखना बंद कर देता है।

बल्कि वास्तव में वह इंसान जिस भी महिला या पुरुष के साथ सम्बन्ध स्थापित करता है वह समबन्ध स्वस्थ्य होते हैं।

यौन इच्छा से मुक्ति ब्रहमचर्य का एक बहुत छोटा हिस्सा है

अतः यह कहना की ब्रहमचार्य मूल उद्देश्य सम्भोग, वासना से मुक्ति पाना है तो ऐसा नहीं है।

ब्रहमचार्य से जुडी भ्रांतियां

चूँकि हमने ब्रहमचार्य को कामवासना से जोड़कर देखा है इसलिए लोगों के मन में ब्रहमचार्य को लेकर कुछ धारणाएं बना रखी हैं।

#1. ब्रहमचारी को शादी नहीं करनी चाहिए?

हमें लगता है ब्रहमचारी वह व्यक्ति है जो कामुक नहीं होता अतः ऐसे व्यक्ति को किसी दूसरी स्त्री की तरफ न तो आकर्षित होना चाहिए न ही संतानोपत्ति के बारे में सोचना चाहिए।

#2. निश्चित दिनों तक उपवास करना

ब्रहमचारी व्यक्ति को सात्विक भोजन करने के साथ साथ उपवास रखकर अपनी इन्द्रियों को संयमित रखने की सीख दी जाती है,लेकिन वास्तव में ब्रहम का लक्ष्य आपके आहार को नहीं अपितु आपको सत्य्निष्ट इन्सान बनाना होता है।

इसलिए वहां पर प्रत्यक्ष रूप से उपवास रखने या भोजन के विषय पर बातचीत ही नहीं की जाती।

ऐसा भोजन जिससे किसी प्राणी को दुःख न पहुचे, किसी का शोषण न हो जान लीजिये और जिससे आप सही काम बिना रुकावट कर सके जान लीजिये की वो भोजन शुभ है।

#3. वीर्य को बचाना

देखिये जब व्यक्ति का एकमात्र उद्देश्य जीवन में अपने वीर्य की रक्षा करना होता है तो फिर भला वह अच्छे कार्य कैसे कर सकता है?

मान लीजिये एक व्यक्ति जिसने 1 साल से अपना वीर्य न बहाया हो पर ऐसा करके भले उसके जीवन में कामवासना शांत हो जाये।

लेकिन क्या उसके मन से डर, लालच, क्रोध कम हो जायेगा?

भूलिए मत एक इंसान के मन में और भी इच्छाएं होती है और उन बेकार की इच्छाओं का त्याग तभी संभव है जब उसे जीवन में कुछ बेहतर, सुन्दर मिल जाये।

ब्रहमचर्य धारण करने पर चमत्कार

कई लोग अध्यात्म और ब्रहमचर्य जीवन को एक चमत्कार की भांति देखते हैं उन्हें लगता है जीवन में ब्रहमचर्य आने पर शरीर बलिष्ट हो जायेगा, उन्हें दिव्य अनुभव होने लगेंगे, जीवन में कुछ चमत्कार या जादू होने लगेगा! लेकिन वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता।

ब्रहमचर्य में उठने के फायदे

चूँकि अब तक हमने ब्रह्मचर्य का वास्तविक अर्थ समझा है तो जाहिर सी बात है समाज में जो ब्रहमचर्य के नाम पर मान्यताएं हैं नियम हैं वो भी बिलकुल अलग होंगे।

तो अगर आप एक ब्रहमचारी व्यक्ति हैं जिन्हें लगता है ब्रहमचर्य में सुबह 3 बजे उठने पर कुछ खास होता है, दैवियता के अनुभव होते हैं तो ऐसा कुछ नहीं है।

ब्रहमचारी व्यक्ति के पास कोई आलौकिक शक्ति नहीं होती जिससे प्रातः काल उठने पर कुछ चमत्कार हो जाये हालाँकि इतना जरुर है अगर आप सुबह जल्दी उठते हैं तो पर्यावरण शांत रहता है।

और सुबह कसरत करने से शरीर में स्फूर्ति आती है, स्वास्थ्य ठीक रहता है और बड़ी बात आपका ध्यान किसी एक चीज़ पर केन्द्रित होना सरल होता है।

पर यह सभी फायदे सामान्य लोग यानी जो ब्रहमचर्य का पालन नहीं करते हैं उन्हें भी होते हैं।

क्या स्त्री ब्रहमचर्य का पालन कर सकती है?

जी हाँ बिलकुल पुरुष हो या स्त्री दोनों सच्चाई जान सकते हैं, सच्चाई पर चलकर जी सकते हैं! क्योंकि चेतना पुरुष हो या स्त्री सभी में होती है इसलिए हर व्यक्ति ब्रहमचारी हो सकता है।

ब्रह्मचर्य अच्छा है या बुरा?

ब्रह्मचर्य निश्चित रूप से अच्छा है बशर्ते हम यह जानें की हम कौन हैं, शरीर क्या है, ब्रह्मा क्या है और चेतना क्या है?

जब मनुष्य का आचरण ब्रह्म के केंद (यानी आत्मा) से संचालित होता है तो इसे ब्रह्मचारी जीवन कहा जाता है।

परन्तु चूँकि हमें लगता है ब्रह्मचर्य का सम्बन्ध वीर्य की रक्षा से है या विवाह से है अतः हम ब्रह्मचर्य की इस गलत मान्यता को जीवन का आधार बनाकर जीते हैं।

ब्रह्मचर्य के नियम

ब्रह्मचारी होने का निर्णय लेने का अर्थ है की अब आपके जीवन में सच्चाई, प्रेम, इमानदारी इतनी बड़ी चीज़े हो गई हैं की अब बाकी सभी चीजें आपके लिए बहुत छोटी और व्यर्थ हो गई हैं।

परन्तु हमें लगता है ब्रह्मचर्य योग तथा व्यायाम की तरह है जिसमें कुछ क्रियाओं का होना आवश्यक है! नीचे आपको ब्रह्मचर्य के विषय पर फैली हुई कुछ भ्रांतियों के विषय में बताया गया है।

  • एक ब्रह्मचारी होने का अर्थ यह कतई नहीं की आप पेड़ के नीचे बैठकर साधना तप करें।
  • जो व्यक्ति विवाह नहीं करता यह आवश्यक नहीं की वह ब्रह्मचारी हो।
  • एक ब्रह्मचारी का मुख्य उद्देश्य वीर्य की रक्षा करना होता है।
  • ब्रह्मचारी होने के लिए नित सुबह जल्दी उठकर ध्यान करना होता है।

तो यह कुछ प्रमुख भ्रांतियां हमारे मन में ब्रह्मचर्य को लेकर होती है।

तो यह कुछ सामान्य प्रश्न हैं जो अक्सर पाठकों द्वारा गूगल पर ब्रह्मचर्य के विषय पर पूछे जाते हैं, लेकिन अध्यात्म के विषय पर सटीक और सही जानकारी न होने की वजह से वह अक्सर भ्रम में रहते है।

हमें उम्मीद है अगर आपने ब्रह्मचर्य का अर्थ समझा होगा तो आपके लिए इन प्रश्नों का उत्तर पाना भी आसान होगा।

ब्रह्मचर्य के नुकसान

ब्रह्मचर्य यानि सत्य के पथ पर चलना अतिशुभ है। पर वे लोग जिन्हें लगता है ब्रह्मचर्य का अर्थ है अपने वीर्य की रक्षा करना, शरीर को बलवान  बनाना। ऐसे लोगों को ब्रह्मचर्य से बड़ा नुकसान झेलना पड़ सकता है। आइये जानते हैं ब्रह्मचर्य के दुष्प्रभाव कौन कौन से हैं।

#1. इन्सान को भ्रमित कर देता है।

समाज में आजकल ब्रह्मचर्य के नाम पर जितना पाखंड और झूठ फैलाया जा रहा है, उतना शायद कभी नहीं रहा।

इसलिए वे लोग जो ब्रह्मचर्य के फायदों को जानकर रोजाना कुछ खास विधियों का पालन करते हैं उन्हें यह झूठा आत्मविश्वास हो जाता है की इससे उन्हें कोई चमत्कारिक शक्ति मिलेगी।

उनके मुख पर तेज आएगा, उम्र बढ़ेगी, कार्यक्षेत्र में आप बेहद प्रदर्शन कर पायेंगे। कुछ इस तरह के विशेष फायदे ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले व्यक्ति को गिनाये जाते हैं।

पर जैसा की हमने जाना की ब्रह्मचारी वो इन्सान नहीं होता जो योगा ध्यान करें जी नहीं वास्तव में ब्रह्मचारी वो है जो सच्चाई का प्रेमी हो, जो सच जानने में, सच को जीने में रूचि रखता हो।

#2. समय की बर्बादी होती है।

अधिकांश लोग ब्रह्मचर्य को एक ट्रेनिंग के तौर पर देखते हैं वे 1 साल, 2 साल तक सात्विक भोजन करते हैं, हस्तमैथुन करना छोड़ देते हैं, गाली गलौज करना छोड़ देते हैं।

रोजाना सुबह उठकर ध्यान करते हैं। वास्तव में वे अपने ऊपर इतनी सारी बंदिशें इसलिए लगाते हैं ताकि वो एक दिन ब्रह्मचर्य में लीन हो जाये।

पर सच्चाई ये है की ब्रह्मचर्य कोई साल दो साल की क्रिया नहीं है, ब्रह्म अर्थात सत्य में जीना तो मनुष्य का स्वाभाव है क्योंकी उसके बिना उसे आनन्द और शांति नहीं मिल सकती।

अतः जानने वालों ने कहा अगर जीवन सार्थक करना है तो जब तक सांस है तब तक ब्रह्म  में यानी सच्चाई में जीना ही पड़ेगा। अधिकांश लोग इस बात को नहीं समझते और वे इन क्रियाओं में उलझकर रह जाते हैं।

जिससे अंततः उन्हें कोई दिव्य शक्ति तो मिलती नहीं, उल्टा जीवन का कीमती समय फ़ालतू की चीजों में खराब करके वो समय की बर्बादी कर लेते हैं।

#3. शारीरिक और मानसिक कष्ट होते हैं।

निश्चित रूप से ब्रह्मचर्य को लेकर जो समाज में मान्यता फैली हुई है उसका पालन करना आसान तो नहीं है।

क्योंकी जब आप कहते हैं मैं ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए अब अपनी पूरानी गंदी आदतों का त्याग कर दूंगा और सर्दी हो या गर्मी हर मौसम में इस क्रिया का पालन करूँगा।

तो निश्चित रूप से अपना जीवन बदलने में मन विरोध तो करता ही है, मन लगातार आपको पुरानी चीजों की तरफ आकर्षित करता है साथ ही शरीर भी कई बार आपका साथ नही देता।

उदाहरण के लिए आप पहले 5 मिनट शांत नहीं रह पाते थे तो जब आपको 1 घंटा ध्यान लगाने को कहा जायेगा तो जाहिर है मुश्किल तो होगा ही।

ऐसा करने के दौरान शारीरक और मानसिक कष्ट से तो आपको गुजरना पड़ेगा। और ये बात तय है इस कष्ट को सहने के बाद भी ये बिलकुल सम्भव नहीं है की आपने जो उम्मीदें ब्रह्मचारी बनने पर लगाईं हुई थी वो पूरी हो पाएंगी या नहीं।

#4. झूठ का प्रचार होता है।

जब समाज में युवा,बच्चे, बड़े सब लोगों को ब्रह्मचर्य का अर्थ ही स्पष्ट न हो और लोग किसी झूठ को सच मान बैठे तो इसका दुष्प्रभाव यह होता है की लोगों को झूठ भी सच लगने लगता है।

उन्हें लगता है जैसा हम बचपन से सुनते आये हैं और जो ये तथाकथित बाबा या गुरु बोल रहे हैं इस बात में भी तो कोई सच्चाई होगी न।

तो जब ऐसी सोच इन्सान में आ जाये तो फिर वो अपने धर्म ग्रन्थों में लिखी हुई बातों को पढना क्यों पसंद करेगा?

वो उपनिषदों में, ऋषियों ने ब्रह्मचर्य का जो सही अर्थ बताया है? उसे जानने की चेष्टा क्यों करेगा। तो परिणाम यह होता ही की आम लोगों के बीच सिर्फ झूठ और भ्रम फैलता है।

#5. कोई विशेष लाभ नहीं मिल पाता।

निश्चित रूप से आजकल ब्रह्मचर्य का पालन करने के जो तौर तरीके बताये जाते हैं जैसे की सात्विक भोजन करना, मौन रहना, लडकियों से दूर रहना, ध्यान इत्यादि से मनुष्य खुद को कण्ट्रोल कर पाता है।

और जो बुरी आदतें हैं उनमे लगाम लगाकर पहले से बेहतर इन्सान बन जाता है। लेकिन इन क्रियाओं को करने से आप सच्चाई के करीब नहीं आ पाते।

आप आँखें बंद करके अपनी समस्याओं का समाधान नहीं पता कर सकते, आप वीर्य की रक्षा करके अपने जीवन का उद्देश्य मालूम नहीं कर सकते।

अर्थात अगर आपको स्वयं को या अपने जीवन को समझना है तो इसके लिए आपको आत्मज्ञान की शिक्षा हासिल करनी ही होगी।

तभी आपको वास्तव में ब्रह्मचर्य का लाभ मिल पायेगा। अन्यथा जो भी आप विधियाँ बताएं उससे थोडा बहुत आपके शरीर को या मन को लाभ मिल जायेगा।

ठीक वैसे जैसे दांत दर्द से पीड़ित व्यक्ति के लिए बर्फ का टुकड़ा थोड़ी देर का राहत दे देता है उसी तरह इन क्रियाओं से आपको अधिक लम्बे समय तक लाभ नहीं मिल पायेगा।

उसके लिए आपको वास्तव में ब्रह्मचर्य को समझना ही पड़ेगा।

ब्रह्मचर्य का तेज

जब इंसान सच्चाई के केंद्र से जीवन जीता है तो उसके चेहरे पर एक तेज होता है, आखों में निडरता होती है, बातों में एक आत्मविश्वास होता है, वो शेर की तरह चलता है।

और यह तभी संभव हो पाता है जब आप पूरी निष्ठा के साथ एक सही काम का चुनाव जिन्दगी में करते हो।

ब्रह्मचर्य का वास्तविक तेज अगर देखना हो तो सुबह शाम आँख बंद करने ध्यानी व्यक्ति की तरफ मत जाना।

आप जाना उस शख्स के पास जो आँख खुली रहने पर भी ध्यानस्थ हो। जो प्रतिपल सजग रहकर जिन्दगी में सही फैसले ले रहा हो। सही जिन्दगी जी रहा हो, वास्तव में उसके मुख का तेज देखने लायक होता है।

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ब्रह्मचर्य की प्रचंड शक्ति

हम जैसे हैं वास्तव में वैसा रहते हुए ब्रह्मचर्य की अद्भुत शक्ति का अनुभव नहीं कर सकते। क्योंकि ब्रह्म में लीन यानी सच्चाई के बल पर जीवन जीने वाले इंसान के भीतर की शांति तो वही जान सकता है न जो ऐसा जीवन जी रहा हो।

अभी तो हमारे भीतर जो कमियां हैं जो डर, लालच हमारी जिन्दगी में हावी रहते हैं जिसकी वजह से हमें तमाम दुःख झेलने पड़ते हैं पहले हमें वो चीजें जीवन से खत्म करनी होगी।

अपने जीवन की जब हम सफाई करेंगे जब हम जो कुछ गंदा और त्याज्य है उसे जीवन से हटायेंगे तब जाकर हम जीवन में जो कुछ पूजनीय है जो सच्चा है, सुन्दर है उसे स्थान देंगे।

और ऐसा करने पर जीवन कैसा होता है? जीवन में कितनी शांति, स्थिरता और प्रेम आता है ये हम तभी जान पाएंगे जब हम वैसा जियेंगे।

अखंड ब्रह्मचर्य क्या है?

बाजार में अखंड ब्रह्मचारी की परिभाषा कहती है की जो व्यक्ति जीवित रहते हुए अपने वीर्य का संरक्षण करे वो ब्रह्मचारी कहलाने का अधिकारी है।

लेकिन हमारी नजर में ब्रह्मचारी कहलाने का वास्तविक अधिकारी वो इन्सान है जिसने जीवन में राम की भाँती सच्चाई को स्थान देकर एक सच्ची जिन्दगी जी हो।

जिसने जीवन में लालच, झूठ,डर के सामने घुटने टेकने की बजाय सच्चाई के आगे समर्पण किया।

जिसने सत्य को जाना, सत्य के सामने सर झुकाया और सत्य पर आधारित जीवन जिया वास्तव में वही मनुष्य अखंड ब्रह्मचारी है। अन्यथा करोड़ों लोग पैदा होते हैं, मर जाते हैं किसने वीर्य की रक्षा की ये बात कोई विशेष मायने नहीं रखती!

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस पोस्ट को पढने के बाद ब्रह्मचर्य क्या है? इसका वास्तविक अर्थ आप भली भाँती जान गए होंगे, अगर आपको दी गई जानकारी पसंद आई है तो कृपया इस लेख को सोशल मीडिया पर सांझा करना मत भूलियेगा!

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