चिंता करते रहने को प्रेम नहीं कहते! Chapter 5 | Full Book Summary in Hindi

आज हम प्रेम सीखना पड़ता है नामक इस पुस्तक के अध्याय 5 का सारांश पढेंगे, जिसका शीर्षक है दूसरे की चिंता करते रहने को प्रेम नहीं कहते!

दूसरे की चिंता करते रहने को प्रेम नहीं कहते!

इस पुस्तक का यह अध्याय मेरे सबसे प्रिय और परिचित अध्यायों में से एक है, क्योंकि अक्सर मैं अपने परिवार में, आस-पड़ोस में इस तरह की घटनाओं को देखता हूँ, जिससे साबित होता है की आचार्य जी की बात पूरी तरह सत्य है।

अध्याय में आचार्य जी हमें बड़े रोचक ढंग से बेहतरीन उदाहरणों के जरिये समझाना चाह रहे हैं की दूसरों के बारे में व्यर्थ की टेंशन करके हम खुद ही अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारते हैं, आइये विस्तार से इस लेख का अध्याय करते हैं।

अध्याय की शुरुवात में प्रश्नकर्ता पूछते हैं ” आचार्य जी मैं दिन भर अपने पति और बच्चों का अनिष्ट न हो जाये, कहीं कुछ दुर्घटना न हो जाये इन ख्यालों से परेशान होती रहती हूँ, कृपया उचित समाधान बताएं”

बेवजह परेशान होने की हमारी आदत

आचार्य जी उदाहरण के साथ अपनी बात आरम्भ करते हैं।

आपने सुना होगा यूरोप में एक फुटबॉल मैच में दो टीमों के समर्थकों के बीच हुए दंगों में 5-10 लोग मारे गए, या भारत – पाकिस्तान मैच हुआ, और कई लोगों ने घर के टीवी फोड़ दिए, इस तरह की घटनाएँ अक्सर सुनने को मिलती है।

लेकिन गौर करने पर आप पाएंगे ये हरकतें खिलाडी नहीं बल्कि जिन्हें खेलने से कोई मतलब नहीं, यानि दर्शकों द्वारा की जाती है।

ये वही लोग होते हैं जिनकी खुद 200 किलो की तोंद निकली होती है, लेकिन अगर मैदान में उनकी पसंदीदा टीम हार जाए तो ये बवाल मचा देंगे।

खिलाडी कभी आपस में मारपीट नहीं करेंगे, उन्हें मैदान में खेल से मतलब है पर ये लोग अपनी टीम के लिए एक दुसरे को मारने पर उतारू हो जायेंगे।

प्रेम के नाम पर आप करें चिंता और वो करें मौज | Prem:Sikhna Padta hai Book Summary in Hindi

इसके बाद आचार्य जी प्रश्नकर्ता के प्रश्न पर आते हैं और कहते हैं “आपके पास कोई काम करने को है या नहीं, या आप दिन भर बस कभी बेटे की, कभी पति की चिंता ही करती रहती हैं, आपके पास इतनी व्यर्थ की चिंताएं करने का समय बच कैसे जाता है? “

आचार्य जी कहते हैं रात के बार बज चुके हैं, लेकिन बेटी घर नहीं पहुंची है! वहां माँ का रो-रोकर बुरा हाल हो चुका है, जितने देवी देवता थे, सब जप लिए कह रही हैं “प्रभु बस आज बचा दो उसे, कहीं अनर्थ न हो गया हो”

और बेटी यहाँ पब में व्यस्त है दोस्तों के साथ पार्टी करने में, और जब किसी तरह सभी देवी देवताओं की शक्ति से सुबह 4 बजे पब बंद होता है, तो बिटिया बहके-बहके कदमों से घर पहुँचती है तब तक माँ आंसुओं से 1 बाल्टी भर चुकी हैं”

तो ये हाल होते हैं, प्रायः हमारी चिंता के, बेटा वहां खेल रहा है मस्त, दोस्तों के साथ सुबह से शाम तक और यहाँ मां परशान है और कह रही हैं आज तो मर ही गया होगा, अब तक नहीं आया।

स्वयं को सही कार्य में व्यस्त रखना ही प्रेम है| दूसरे की चिंता करते रहने को प्रेम नहीं कहते

आगे आचार्य जी कहते हैं जहाँ तक मैं आपके प्रश्न को समझ रहा हूँ पति घर चलाने के लिए आपके कोई काम धंधा करते होंगे, कभी उनसे पूछिए जितनी चिंता आप उनकी करती हैं क्या वे भी आपकी करते हैं?

अरे इतना टाइम है किसके पास भाई, वो चिंता करें आपकी या फिर काम करें दफ्तर का, अगर किसी दिन वो चिंता करने के लिए महीना 2 महीने घर ही बैठ जाये और वो कहे

सुनो जी, मुझे तुम्हारी बड़ी फ़िक्र हो रही है तो फिर जवाब होगा आपका “की तुम इस लायक नहीं की हम तुम्हारी चिंता करें”

सुनो, वो अगर काम करना बंद कर दें तो घर में रोटी पानी कैसे चलेगी…!! इसलिए बेहतर यही है की अपने जीवन को आप किसी सार्थक काम में लगाओ, इतना टाइम जो आपको फ्री मिलता है इसमें क्यों आप कोई उचित काम नहीं करती?

जब काम में व्यस्त होंगी आप तो चिंता का भी समय नहीं होगा।

बेवजह याद करना, गिराता है दूसरों की नजरों से

और ये ध्यान रखना! कल्पना कीजिये आप किसी जरुरी काम में व्यस्त हो और आपको बार बार कोई फोन करके कहे, मुझे तुम्हारी चिंता हो रही है!

इतना सुनने पर तो उसका भी मन कहेगा यह कहने को की मर गए हैं हम… और दोबारा फ़ोन मत करना हमें।

तो जो लोग जीवन में व्यस्तता जानते हैं वो बखूभी जानते हैं की कितनी चिढ़ होती है जब कोई बार बार फोन करके टोके और फ़ालतू के प्रश्न करे!

इसलिए आपकी, आपके बेटे और पति की भलाई इसी में हैं की आप स्वयं को किसी सुन्दर कार्य में व्यस्त रखें!

पुस्तक के पिछले अध्याय 👇

« प्रेम- सीखना पड़ता है| Chapter1 Summary in Hindi

« अध्याय -2 क्या प्रेम किसी से भी हो सकता है?

« अध्याय 3 ~ कौन है प्रेम के काबिल ?

अंतिम शब्द

तो साथियों अब आप भी यह जान चुके होंगे की “दूसरे की चिंता करते रहने को प्रेम नहीं कहते” इस अध्याय को बड़े मजेदार अंदाज में आचार्य जी समझाते हैं अगर आप इस पूरे अध्याय को पढना चाहते हैं तो Amazon से अभी आप इस पुस्तक को आर्डर कर सकते है! पोस्ट अच्छा लगा हो तो इसे शेयर भी कर दें!

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