धर्म परिवर्तन क्यों होता है? असली कारण जानें

आये दिन सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में धर्म परिवर्तन की खबरें इन्सान को देश की वर्तमान हालत पर सोचने को मजबूर कर देती है पर क्या आप जानते हैं धर्म परिवर्तन क्यों होता है?

धर्म परिवर्तन क्यों होता है

भारत में विभिन्न धर्मो के लोग रहते हैं लेकिन सर्वाधिक संख्या में हिन्दू और मुसलमान जनता निवास करती है इसलिए अक्सर यही दोनों धर्मों के लोग अपना धर्म (जिसमें वे पैदा हुए हैं) छोड़कर दूसरे धर्म को स्वीकार कर लेते हैं

और लोगों को इस विषय पर बड़ी आपत्ति रहती है और वे इस समस्या का समाधान चाहते हैं क्योंकि बतौर हिन्दू या मुस्लिम कोई नहीं चाहता उनके धर्म को छोड़कर कोई अन्य धर्म को अपना लें।

और ये मामला लोगों के दिमाग में और छाया रहता है जब उनके धर्म की लड़की अपने धर्म को छोड़कर अन्य धर्म को अपना लेती है।

किसी ने क्या खूब कहा था की इन्सान मर सकता है लेकिन अपना धर्म नहीं त्याग सकता। तो ऐसा क्यों हो जाता है की इन्सान किसी के बहकाने से अपना धर्म छोड़ने को क्यों तैयार हो जाता है आइये जानते हैं

धर्म परिवर्तन क्यों होता है?  

यूँ तो इन्सान के द्वारा किये जाने वाले धर्म परिवर्तन के पीछे अनेक कारण हो सकते हैं, उनमें से जो सबसे सामान्य कारण हैं वो निम्नलिखित हैं।

#1. शिक्षित, नौकरी पेशा वर्ग जब धर्म परिवर्तन करता है तो उसे अपने धर्म में कुछ खोट या कमी दिखाई देती है।

#2. धर्म के नाम पर लोगों को सुख सुविधाओं का लालच दिखाकर किसी व्यक्ति या संघठन द्वारा धर्मान्तरण करवाया जा सकता है।

#3. किसी धर्म की स्त्री को प्रेमजाल में फंसा कर उससे दूसरा धर्म स्वीकार करने के लिए मजबूर किया जा सकता है।

#4. किसी धर्म की अच्छाइयों की तुलना अपने धर्म की कमियों से करने पर धर्म परिवर्तन किया जा सकता है।

यह कुछ सामान्य कारण हैं इसके अलावा राजनैतिक सामजिक अनेक कारण हो सकते हैं, पर अब हम आपको वो एकमात्र कारण और समाधान बताने जा रहे हैं जिससे हम धर्म परिवर्तन को रोक सकते हैं।

धर्म परिवर्तन का असली और मुख्य कारण

प्रेम की कमी के कारण इन्सान अपने धर्म को छोड़कर दूसरे धर्म को स्वीकार कर लेता है। धर्म माँ होती है इन्सान के लिए, कोई गर्दन पर तलवार रख दे, इन्सान उसे तब भी नहीं छोड़ सकता।

खासकर यदि आप हिन्दू धर्म के लोगों के नजरिये से प्रश्न पूछ रहे हैं तो हिन्दुओं का अपने धर्म को छोड़कर अन्य धर्म को अपनाने का एक ही कारण है प्रेम की कमी।

जब इन्सान को धर्म का ध नहीं मालूम होता जिसके लिए अपनी इच्छाएं, अपना स्वार्थ ही सबसे बड़ी चीज़ होती है ऐसे इन्सान का धर्म से कोई सरोकार नहीं होता।

अधिकांश लोग जिन्हें हम हिन्दू कहते हैं वे धार्मिक हैं ही नहीं। वरना जिसने राम को जाना है जो कृष्ण के आगे सर झुकाता है जो जानता है सनातन धर्म में क्या विशेष है? ऋषि मुनियों ने हमें उपनिषद, भगवद्गीता जैसे ग्रन्थों के माध्यम से कितनी विशेष बात समझाने की कोशिश की है।

वो तो मर जायेगा। पर अपने धर्म को नहीं छोड़ पायेगा। पर दुर्भाग्य से कागजों से और मुंह से कहने को तो हम हिन्दू हैं लेकिन अधिकतर लोगों से पूछें की अपने धर्मग्रन्थ पढ़ें हैं? वेदांत क्या है? भगवद्गीता पढ़ते हो?

तो जवाब उनका नहीं होगा। वो कहेंगे धर्म ग्रन्थ पढने से क्या होता है? हम सब जानते हैं, हमने रामायण पढ़ी थी बचपन में, हम सब जानते हैं धर्म क्या होता है?

इसके विपरीत अगर आप किसी मुस्लिम, सिक्ख, इसाई किसी से भी पूछें आप अपने धर्म ग्रन्थ को पढ़ते हैं तो उनका जवाब हाँ होगा? जबकी हिन्दूओं का अपने ग्रन्थों से कोई लेना देना नहीं, वो ग्रन्थ क्या सिखाना चाहते हैं हम उसे नहीं सीखना चाहते।

बस खुद को धार्मिक कहने पर तुले रहते हैं। यही कारण है की जब राम से हमारा कोई लेना देना नहीं होता तो बाहर से कोई थोडा भी पैसे का, पॉवर का लालच दे दे तो हम जल्दी से दूसरे धर्म की तरफ चले जाते हैं।

देखिये, एक आदमी जो भीतर से लालची है, डरपोक है यदि उसे कोई पैसा दे दे या सुरक्षा देने की बात कहे तो वो तो झट से उस इन्सान के पास जायेगा न जिस चीज़ की उसे चाहत है। इसी तरह धर्म के नाम पर हमें कोई कुछ देने को तैयार हो जाये तो हम कपड़ों की तरह धर्म भी बदलने को तैयार हो जाते हैं।

धर्म से हमारा कोई लेना देना नहीं

और हमें दुःख वास्तव में उस दिन पहुँचता है, उस दिन हम अपना सिर पीटते हैं जिस दिन हमारे कानों तक ये खबर पहुँचती है की किसी ने धर्म परिवर्तन कर लिया है। हम जानते ही नहीं की वो तो भीतर से कबका अपना धर्म त्याग चुका था।

आज भी आप देखें तो इन्सान के जीवन में धर्म जैसा क्या है?  जिसे आप हिन्दू कहते हैं जरा उस इन्सान को गौर से देखिये क्या उसके भीतर ऐसा कुछ है जिसे देखकर हमें राम की, कृष्ण की याद आ जाये।

उसके भीतर क्या वाकई वो गुण हैं जिसे देखकर आप कहें हाँ इसके जीवन में रामायण, भगवदगीता की छाप दिखाई देती है।

धर्म तो बचा ही नहीं है आज के युवाओं में जिसका नाम मनोज है उसका नाम maddy हो चुका है, उसका खाना पीना, उसकी बातें, उसके कपडे, उसकी सोच सब पश्चिमी सोच से प्रभावित है। और वेस्ट के लोग या तो क्रिस्टियन हैं या फिर अन्य धर्म के।

तो धर्म तो हमारे दिमाग से कबका निकल चुका है अब किसी दिन कोई धर्म परिवर्तन कर ले उसमें क्या चौंकना?

धर्म परिवर्तन के लिए जरूरी है लोगों को धार्मिक बनाना 

अगर आप चाहते हैं कोई भी इन्सान हिन्दू धर्म को त्यागकर अन्य धर्मों में प्रवेश न करें, अपने धर्म को छोड़कर जाने की नौबत उसके पास न आये तो ये प्रयास आपको खुद से करना होगा।

आप खुद धार्मिक बनें, जब हर परिवार में प्रत्येक मुखिया धार्मिक होगा और उसके द्वारा परिवार के अन्य सदस्यों को धर्म का वास्तविक अर्थ बतलाया जाएगा।

उस दिन सही मायनों में भारत एक धार्मिक देश होगा, और यहाँ जितने भी हिन्दू रहते हैं वो अगर धार्मिक हो गए उनका धर्म परिवर्तन लगभग असम्भव हो जायेगा।

वर्तमान में धर्म का जो स्वरुप हम देखते हैं उसका सच्चाई से दूर दूर तक कोई लेना देना नहीं है, अधिकांश लोग बस धर्म के नाम पर अंधविश्वास और तमाम तरह की व्यर्थ की चीजें कर रहे हैं। जो मूर्तियाँ जो मंदिर धर्म को जीवित रखने के लिए बनाई गई थी।

उन्हीं का इस्तेमाल आज लोग व्यापार के लिए या फिर अपनी इच्छाओं की पूर्ती के लिए कर रहे हैं।

अतः हमें वास्तविक रूप से यदि लोगों को धर्म की तरफ लाना है उन्हें धार्मिक बनाना है तो इसके लिए हमें धर्मग्रन्थों से उनका परिचय करवाना होगा।

हमें पुरानी वह सभी खोखली मान्यताएं, विचार त्यागने होंगे और सिर्फ उन सच्ची बातो को मानना पड़ेगा जो धर्मग्रन्थ में लिखा हुआ है। अगर हम ऐसा करते हैं तभी वास्तव में सच्चा और विशुद्ध धर्म लोगों तक पहुंच पायेगा।

धर्मग्रन्थ पढने क्यों जरूरी है? 

हम सभी प्राकृतिक रूप से एक ऐसे जीव होते हैं जो हमेशा अपने लाभ हेतु जीवन में तमाम तरह के कर्म करते हैं, लेकिन हम कर्म तो इस सोच के साथ करते हैं न की फलाने काम को करके मुझे ख़ुशी मिलेगी आनंद मिलेगा।

पर हम पाते हैं जिस तरह की हम जिन्दगी जी रहे हैं जिन कर्मों को करके हम ख़ुशी पाना चाहते थे उसने तो हमें और ज्यादा दुःख में डाल दिया।

इसलिए धर्मग्रन्थ हमें बताते हैं की सच क्या है? आनन्द क्या है? मन क्या है? मुक्ति क्या है? लोभ, लालच, ईर्ष्या क्या है? भगवान क्या है? इत्यादि।

जब हम इन बातों को समझते हैं तो हमें फिर अपनी ही हकीकत मालूम होती है। फिर हम जान पाते हैं की मेरे दुखी होने की क्या वजह थी।

और उस वजह को जान लेने के बाद फिर हम एक सही और सच्ची जिन्दगी जीते हैं, यही कारण है की हर धर्म के कुछ विशेष धर्म ग्रन्थ हैं। जिन्हें पढने, जिनका मनन करने की सीख दी जाती है।

कुछ प्रमुख हिन्दू धर्मग्रन्थ

  1. भगवदगीता पढ़ें।
  2. उपनिषद पढ़ें।
  3. रामायण

 

अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद धर्म परिवर्तन क्यों होता है? असली कारण? आप भली भाँती जान गये होंगे, इस लेख को पढने के बाद मन में कोई प्रश्न है तो आप 8512820608 इस whatsapp नम्बर अपने सवालों को बेझिझक सांझा कर सकते हैं।

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