धर्म और विज्ञान में क्या अंतर है? जानें इनके बीच सही सम्बन्ध

लोगों को लगता है धर्म तो परम्पराओं और मान्यताओं पर चलता है और विज्ञान हर बात का स्पष्ट प्रमाण देता है, इसलिए कई लोगों को यह लगता है, यह दोनों आपस में एक दूसरे के विपरीत हैं आइये समझते हैं धर्म और विज्ञान में क्या अंतर है?

धर्म और विज्ञान में क्या अंतर है

पर अगर मैं कहूँ की धर्म विज्ञान से भी आगे की बात है, और धर्म और विज्ञान एक दूसरे के पूरक हैं तो शायद आप पूछेंगे “कैसे”  इसी प्रश्न का जवाब इस लेख के माध्यम से आपको मिलने वाला है, अतः तैयार हो जाइए समझने के लिए की लेटेस्ट टेक्नोलोजी को पाने के साथ-साथ क्यों जरूरी है खुद को जानना।

धर्म और विज्ञान में क्या अंतर है?

इस संसार में मौजूद सजीव एवं सभी निर्जीव पदार्थों का गहराई से अध्ययन कर उनकी विशेषताएं, कमियां, बुराइयां उजागर करने की क्षमता विज्ञान के पास है, संक्षेप में कहें तो विज्ञान ऑब्जेक्ट्स के बारे में हर छोटी बड़ी व्याख्या करता है, दूसरी तरफ धर्म हमें सब्जेक्ट को जानने में मदद करता है।

उदाहरण के तौर पर एक गाडी है, अब विज्ञान गाडी कैसे बनती है, यह कैसे चलती है, कैसे इसका प्रयोग होना चाहिए, गाडी के छोटे से पार्ट से लेकर छोटे अणुओं के बारे में जानकारी दे देता है।

दूसरी तरफ धर्म एक कदम आगे बढ़ते हुए, उस गाडी की नहीं बल्कि सब्जेक्ट यानि उसे चलाने वाले व्यक्ति की भी बात करता है।

धर्म सब्जेक्ट की बात करते हुए कुछ प्रश्न पूछता है जैसे तुम गाडी की तरफ क्यों आकर्षित हुए, इस गाडी से क्या पाना चाहते हो, यानी धर्म मैं यानी सेल्फ के बारे में पूरी जांच पड़ताल करने का कार्य करता है।

विज्ञान को कोई फर्क नहीं पड़ता गाडी खरीदकर आप खुश होंगे या नहीं, आपको क्या महसूस होगा उसे इस बात से कोई प्रयोजन नहीं।

पर धर्म उत्सुकता से ये प्रश्न पूछता है गाडी को पाने का क्या कारण है, क्या इसे पाकर तुम्हें संतुष्टि मिलेगी, क्या वाकई इसकी जरूरत है या बस किसी से प्यार, सम्मान पाने के खातिर इस पर पैसा खर्च कर रहे हो।

धर्म और विज्ञान में विवाद

वास्तव में धर्म और विज्ञान के बीच मतभेद का कोई कारण नहीं है, दुनिया में यदि कोई धर्म विज्ञान का खंडन करता है, तो समझ लीजिये वह धर्म है ही नहीं, क्योंकि विज्ञान तो किसी भी ऑब्जेक्ट की सच्चाई बताने और मनुष्य की पुरानी मान्यताओं और अंधविश्वास को तोड़कर सच आँखों के सामने ले आता है।

और जैसा हमने जाना धर्म विज्ञान से आगे की बात है, इसलिए विज्ञान धर्म की एक शाखा है, धर्म बहुत बड़ा पेड़ है और उसकी एक छोटी सी शाखा है विज्ञान! अतः दोनों के बीच मतभेद होने का कोई कारण नहीं हो सकता।

ठीक इस तरह जैसे किसी इमारत की चौथी मंजिल, पांचवी मंजिल की विरोधी नहीं हो सकती, इसी प्रकार विज्ञान इमारत की चौथी मंजिल है, और धर्म उससे भी आगे यानी पांचवी मंजिल है।

धर्म और विज्ञान में कौन बड़ा है?

निश्चित रूप से धर्म विज्ञान से बड़ा है, हालंकि ये बात सच है धर्म आपको संसार की वस्तुओं के बारे में नहीं बता सकता उसके लिए आपको विज्ञान के पास आना ही होगा! किताबें पढनी होंगी,  चीजों को अच्छी तरह समझना होगा! तो विज्ञान बात करेगा पदार्थों की, चीजों की या फिर शरीर की।

लेकिन धर्म सीधे बात करेगा उस व्यक्ति के मन की जिसे इस संसार को जानने के बारे में उत्सुकता है, वो पूछेगा किसी विषय के बारे में जानने की, क्यों उसे देखने या पाने की तड़प हो रही है? क्योंकि इंसान जब भी किसी वस्तु को जानने या पाने का प्रयास करता है।

उसकी एक वजह जरुर होती है, हमें राह चलते हजारों लोग सडक पर दिखाई देते हैं पर हमारी नजर उन कुछ ख़ास चीजों पर या लोगों पर ही जाती हैं जिनसे हमारा मन आकर्षित होता है! जो हमारे मन के लिए ख़ास है

इसलिए धर्म सीधा मन की ही बात करता है उसे सांसारिक चीजों से कुछ ख़ास मतलब नहीं है, धर्म आपको बन्दूक, जहाज इत्यादि के बारे में कुछ नहीं बता सकता लेकिन धर्म अवश्य इन चीजों का प्रयोग करने से पहले इनके परिणाम, उद्देश्य और लाभ हानि के विषय में सोचने के लिए जागरूक करेगा।

दूसरे शब्दों कहें तो विज्ञान हमें तरह तरह की चीजें लाकर दे सकता है, लेकिन उन चीजों का मनुष्य सही उपयोग करें, इसके लिए आत्मज्ञान होना जरूरी है, और यह सिर्फ धर्म के माध्यम से हो सकता है।

क्या धर्म के बिना भी जीवन जिया जा सकता है?

आज की पीढ़ी का धर्म के प्रति कुछ ख़ास रुझान नहीं है, उसे लगता है धर्म नहीं है तब भी तो भांति भाँती के सुख मिल रहे हैं, संसार में कई चीजें भोगने के लिए है तो भला धर्म की जरूरत क्या है?

और दुर्भाग्यवश पश्चिम से आई यह विचारधारा आज भारत के युवाओं को भी प्रभावित कर रही है।

विकास और टेक्नोलॉजी के नाम पर जिस तरह हमने अपनी सुविधा के लिए चीजों को भोगा है, आइये उसके भयंकर परिणाम जानते हैं!

  • आज पृथ्वी का औसत तापमान सामान्य से कहीं ज्यादा पहुचं चूका है,
  • कई तरह के वन्य प्राणी रोजाना विलुप हो रहे हैं, और जो बचे हैं उन्हें स्वाद हेतु काटा जा रहा है
  • जंगल और पेड़ों के ह्रांस के कारण दिल्ली जैसे अधिकाँश शहरों में शुद्ध हवा में सांस लेना मुश्किल हो चुका है!
  • मर्डर, क्राइम, बालात्कार जैसी जघन्य घटनाएँ आये दिन सुनने को मिलती हैं!

यह सभी स्तिथियाँ इसी भोगी मन का परिणाम है जो अपने फायदे के लिए प्रक्रति हो या व्यक्ति सभी को नोंच लेना चाहता है!

बताइए इन सब का जिम्मेदार धर्म है? या फिर विज्ञान

वास्तव में विज्ञान आपको एक से बढ़कर एक गैजेट्स, उपकरण दे सकता है लेकिन यदि बिना आत्मज्ञान के किसी भी टेक्नोलॉजी का उपयोग मनुष्य करता है तो उसके परिणाम घातक होते हैं।

बताइए न अगर संसार का भला विज्ञान से ही होता, तो कौन सी ऐसी मशीन है जिससे इन्सान का लालच कम जो जाए, डर कम हो जाए, और उसके मन में दया, करुणा आ जाये, सारे शक दूर हो जाये?

है क्या कोई ऐसी टेक्नोलॉजी? नहीं न, इसलिए यदि आप एक बेहतर संसार, समाज देखना चाहते हैं जहाँ वातावरण ठीक हो, जीवों के प्रति दया हो, प्रक्रति के साथ खिलवाड़ न हो तो ऐसा व्यक्ति होने के लिए आपको अध्यात्मिक होना ही पड़ेगा।

अन्यथा विकास के नाम पर की गई बेवकूफियों से प्रथ्वी को नष्ट होने में अब अधिक समय नहीं बचा है! सुधर जाइए!!

धर्म क्या है?

सत्य क्या है?

धर्म और विज्ञान में सम्बन्ध

धर्म और विज्ञान दोनों में एक बात समान है “जानना”, विज्ञान जहाँ वस्तुओं के बारे में जानने में मदद करता है वहीँ धर्म “मन” यानि खुद को जानने के लिए प्रेरित करता है।

इस मामले में सदा से धर्म की विशेषता रही है की धर्म पूर्ण रूप से जानने की बात करता है, विज्ञान चाहे शरीर हो या कोई निर्जीव वस्तु सिर्फ उसके गुण दोष सब बता देगा, बस विज्ञान का खेल यही तक है।

 पर धर्म उससे भी एक चरण आगे निकलते हुए बाहरी ही नहीं अपितु आंतरिक जांच पड़ताल करने में सहायकमंद साबित होता है।

धर्म आपसे पूछेगा की क्या कारण है आप उसी वस्तु की तरफ आकर्षित हुए, उदाहरण के लिए आपको ज्यादा पैसा चाहिए तो आपको किसी भी पैसा बनाने वाली मशीन में फायदा दिखेगा आप उसे पाने की कोशिश करेंगे।

तो जब आप खुद के बारे में जानेंगे तो आप पाएंगे उस मशीन को लेने वाला मैं लोभी हूँ, मुझे जहाँ कही पैसा दिखता है, मैं टूट पड़ता हूँ।

इस तरह धर्म एक आईने की भाँती हमारी आंतरिक हकीकत से हमें रूबरू करवाता है, इसलिए धर्म को बड़ा खोजी माना गया है! हमें लगता है संसार की चीजों को पाकर हम खुश हो जायेंगे।

लेकिन धर्म कहता है तुम जरा पाओ तो सही और देखो क्या वास्तव में खुशी मिलती है या सिर्फ आपका भ्रम था जानो जानो जानो….!!

जहाँ विज्ञान समाप्त होता है अध्यात्म शुरू होता है?

जानिए अध्यात्म क्या है? अध्यात्मिक जीवन कैसा होता है?

अंतिम शब्द

तो साथियों हमेशा की तरह हमारा प्रयास रहा है आपको धर्म और जीवन सम्बन्धी अहम मुद्दों पर बातचीत कर आपको जागरूक करना, हमें आशा है धर्म और विज्ञान में अंतर जानकार इस लेख से आपको अपने जीवन में स्पष्टता मिली होगी और आप इस लेख को शेयर भी जरुर करेंगे।

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