हम सभी चाहते हैं की ईश्वर हमारी इच्छाएं (WISHES) पूरी करें ताकि हम जीवन में अधिक खुश रह सके और मौज मना सके, अगर आप इच्छा पूरी करने वाला पेड़ के बारे में जानना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए है।
हम सभी के जीवन में तमाम तरह की इच्छाएं होती हैं किसी के मन में घर, गाडी पाने की इच्छा होती है तो कोई अच्छी नौकरी पाने का सपना देखता है। और जैसे ही हमारे मन में एक इच्छा पूरी होती है तो तुरंत मन किसी नयी दिशा की तरफ भागने लगता है।
पर एक बात तय है की इन इच्छाओं का खेल समझे बिना हम जिन्दगी में कभी एक चीज़ के पीछे तो कभी किसी और चीज़ के पीछे भागते ही रहेंगे। इसलिए इच्छा पूरी करने वाले पेड़ के बारे में जानने के साथ साथ हमें इच्छा का जन्म कैसे होता है, इच्छा पूरी होने का परिणाम मालूम होना चाहिए।
इच्छा पूरी करने वाला पेड़ के पीछे का असली सच
मनुष्य इच्छाओं का पुतला होता है, जिस भी मार्ग या तरीके को अपनाकर उसे लगता है की मेरी इच्छाओं की पूर्ती होती है वह उसी को इच्छा पूर्ती का साधन बना लेता है।
प्राचीन समय से एक मान्यता है की बेल के पेड़ की पूजा करने पर मनुष्य की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पर इससे पहले की आप बेल के सामने विधिवत पूजा करें आपके लिए ये समझना जरूरी है की इच्छा कैसे जन्म लेती है।
देखिये जैसा व्यक्ति का मन होगा उसी तरह की इच्छा होगी, अगर इंसान लोभी लालची है तो जाहिर है उसकी इच्छा अधिक धन अर्जित करने की होगी, अगर व्यक्ति कामी है तो उसके मन में सुन्दर स्त्री या पुरुष पाने की इच्छा होगी। इसी तरह व्यक्ति शराबी है तो उसकी इच्छा शराब पाने की होगी।
आप देख पा रहे हैं जिस तल का इंसान होता है उसी तरह की उसकी इच्छाएं होती हैं, अब यदि किसी तरह उसकी इच्छाएं पूरी हो भी जाती हैं तो क्या इससे उसे फायदा होगा?
नहीं न, इसलिए अपनी इच्छा से ज्यादा जरूरी यह समझना की मेरी प्यास क्या है? हम न ये जानते की मैं कौन हूँ, ये शरीर क्या है, ये मन क्या है लेकिन बिना यह जाने हम जल्दी से अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए वो सभी हथकंडे अपनाते हैं।
एक शराबी की भाँती हमें नहीं पता हमारी इच्छा पूरी होने का परिणाम क्या होगा? यदि बिना यह समझें हम अपनी इच्छा को पूरा करने का कोई भी तरीका अपनाते हैं तो वह तरीका व्यर्थ साबित होगा।
भगवान इच्छा कैसे पूरी करते हैं?
हमें लगता है सुबह शाम भगवान की अराधना करने, उनके सामने सर झुकाने से वह हम पर प्रसन्न होंगे और हमारी इच्छाएं पूरी करेंगे और हमारे जीवन में सुख शान्ति आएगी।
पर वास्तव में आज तक देखिये आपने बचपन में जो भी ख्वाब देखे थे उनमें से बहुत सी इच्छाओं को आपने पूरा कर भी लिया होगा। पर सवाल है की क्या उससे आपके जीवन में शान्ति, बोध आया है नहीं न बल्कि जितनी इच्छा पूरी होती है वो बढती ही जाती है।
तो अगर आपको लगता है की आपकी इच्छाएं पूरी होने का मतलब है भगवान की आप पर अनुकम्पा है तो ऐसा नहीं है यदि एक आतंकवादी की इच्छा एक बम बनाने की है और उसने किसी तरह बम बना लिया तो अब बताइए क्या आप ये कहेंगे की भगवान ने उसे लोगों को जान से मारने का आशीर्वाद दिया है नहीं न।
अतः किसी की इच्छा पूरी हो जाए तो यह बिलकुल जरूरी नहीं की भगवान का उसपर आशीर्वाद ही हो।
वास्तव में भगवान का आशीर्वाद होता है तो वे इच्छा को नहीं बल्कि इच्छा करने वाले को ही बदल देते हैं।
जी हाँ, जब इन्सान को यह अहसास हो जाता है की मेरे जीवन में सारे दुःख मेरी इच्छाओं की वजह से ही तो हैं, ये इच्छाएं ही तो हैं जिन्होंने मेरा सुख चैन छीना हुआ तो फिर वह इच्छा करना ही छोड़ देता है।
इसका ये मतलब बिलकुल नहीं वो काम करना छोड़ देता है नहीं, वो काम करता है बहुत करता है पर इसलिए नहीं मेरी इच्छाएं पूरी होंगी बल्कि इसलिए क्योंकि कर्म करना उसका अधिकार है।
लेकिन जो लालची है जिसे अभी बहुत कुछ चाहिए जिसे लगता है मेरी इच्छा पूरी होकर ही मुझे शांति और मजे मिलेंगे फिर उस इंसान की किसी तरह इच्छा पूरी हो भी जाती है, तो वह फिर कोई नयी इच्छा लेकर भगवान के पास पहुँच जाता है, और इसी तरह इच्छाओं के खेल में फंसकर जिन्दगी गंवा बैठता है।
इच्छा पूरी करने के बाद उदास क्यों रहते हैं?
बचपन से लेकर अब तक के जीवन काल में आपने बहुत कुछ पाया होगा, एक समय ऐसा भी होगा जब आपने सोचा होगा की काश ये चीज़ मिल जाती तो मजे आ जाते। पर आज आपकी इच्छाओं की सूची (wishlist) में से कई चीज़े ऐसी होंगी जो आपको मिल भी गई होंगी।
पर हम चाहे कुछ भी पा लें, लेकिन उस चीज़ से मिलने वाली ख़ुशी बहुत छोटी होती है। वास्तव में इच्छा पूर्ती के बाद भी हमारे दुखी होना यही दर्शाता है की हम जो पाना चाहते हैं उसे पाने की बजाय व्यर्थ की चीजों को इक्कट्ठा कर रहे हैं।
उदाहरण के लिए एक बीमार व्यक्ति दवाई खाने की बजाय अपने दर्द को शांत करने के लिए शराब का सेवन कर रहा है तो क्या इससे बीमारी जड़ से खत्म होगी या और बढ़ेगी। निश्चित रूप से बढ़ेगी।
इसी तरह जीवन में हमें शान्ति, सुकून चाहिए पर जिन चीजों की तरफ हम भागते हैं उन्हें पाने के बाद हमें बस दो पल का सुख मिलता है। और फिर हम पहले की तरह बेचैन हो जाते हैं।
इसी तरह एक व्यक्ति किसी ऐसी नौकरी में है जहाँ उसे अच्छे पैसे मिल रहे हैं लेकिन काम ऐसा है की बिलकुल करने का मन नहीं लगता, किसी तरह 8 घंटे बीते और मैं घर की तरफ जाऊं यही ख्याल रहता है।
अब ऐसी स्तिथि में अपने इस दुःख को शांत करने के लिए वह कोई पसंदीदा वस्तु खरीदने का मन बनाता है। ताकि उसकी इच्छा पूरी हो, जैसा की बहुत से लोग करते हैं उन्हें अपने काम से कुछ प्यार नहीं होता बस पैसे के खातिर करते हैं।
पर क्या घर या गाडी खरीद लेने से उसे जिन्दगी में वो सुख और चैन मिल जायगा, जिसकी तलाश में उसने कार ली थी। शान्ति तो उसे तभी मिलेगी न जब वो उस जॉब को छोड़कर किसी ऐसे कार्य को करने का मन बनाए जिसमें उसका प्रेम हो जिससे दूसरे की भलाई हो।
पर हम में अधिकतर लोग घटिया नौकरी करते हैं और फिर सोचते हैं किसी तरह उस घटिया नौकरी को करके अपनी इच्छा पूरी कर जिन्दगी में सुकून पा लें।
भाई। सुकून इतनी सस्ती चीज़ नहीं होती। सही जिन्दगी जीनी पड़ती है, सही काम में समय और उर्जा लगानी पड़ती है तब जाकर मन शांत होता है, दो पल की इच्छा पूरी कर लेने से शान्ति नहीं मिलती।
अतः आपसे निवेदन है जो भी प्रेमपूर्ण, निडर, सच्चाई से भरा जीवन जीना चाहते हैं उन्हें पैसे के आधार पर नही होश के आधार पर काम का चयन करना चाहिए।
इच्छा पूरी करने वाला मोटिवेशन
इंसान की असीम इच्छाओं की वजह से आजकल इच्छा पूरी करने वाला पेड़ और बाजार में मोटिवेशन बहुत फ़ैल रहा है, कई सारे व्यापारी और तथाकथित गुरु लोगों को उनकी इच्छाएं पूरी करने के रास्ते बता रहे हैं।
वे कह रहे हैं लोगों को, तुम सोचो जितना सोच सकते हो तुम्हारी हर ईच्छा पूरी होगी और जीवन में तुम्हें वो सब मजे मिलेंगे जिनका एक आम आदमी सपना देखता है, बस तुम ये विधि अपना लो आपका काम हो जायेंगा।
जी हाँ देखिये मोटिवेशन किस तरह एक इन्सान को गलत रास्ते पर बढ़ने का हौसला देता है इसे हम एक कहानी के माध्यम से समझते हैं।
एक इंसान जो की लालची है, पैसे का बड़ा भूखा है और पैसा पाने के लिए उसे ये भी फर्क नहीं पड़ता की मैं कौन सा काम कर रहा हूँ। वो पैसे पाने के लिए दिन रात एक कर देता है, वो अपने स्वास्थ्य पर और परिवार पर भी ध्यान नही देता।
अब यदि खूब मेहनत के बाद जब उसे अहसास होता है की इस रास्ते पर चलकर कुछ पैसा आ जायेगा लेकिन जो कीमती समय मुझे अभी परिवार को और अपने स्वास्थ्य पर देना चाहिए वो नहीं दे पाउँगा।
तो फिर इस निराशा की हालत में उसके पास एक विडियो आता है जिसमें बताया जाता है की जिन्दगी में जब तक तुम अपने लक्ष्य को न पा लो रुकना मत।
अब ये बात सुनकर जो लालची इंसान थोडा होश में आया था वो फिर से पैसे की तरफ अंधाधुंध भागने लगता है। इस तरह मोटिवेशन आज इंसान को होश में लाने उसे सच्चाई की तरफ प्रेरित करने की बजाय उसे और गंदा जीवन जीने को मजबूर कर रहा है।
देखिये पैसा कमाने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन यदि हम बिना यह जाने की मैं कौन हूँ,मुझे जीवन में क्या काम चुनना चाहिए, पैसा क्यों और कितना जरूरी है ये जाने बिना अगर हम पैसे कमाने शुरू कर दें तो फिर वही पेट्रोल जो गाडी चला सकता था वही घर में आग भी लगा सकता है। ये बात समझनी बेहद जरूरी है।
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इच्छा पूरी करने वाला मन्त्र
मन्त्र को समझकर जाप करने से हमारे भीतर किसी कार्य को करने के लिये प्रेरित होते हैं, लेकिन इसका अर्थ कदापि नहीं की मन्त्र का जाप कर लेने मात्र से हमारी इच्छा पूरी हो जाए।
इस संसार में आप जिस भी वस्तु को या व्यक्ति को पाना चाहते हैं, आप उसके लिए भरसक प्रयत्न कीजिये यही इच्छा पूरी करने का एकमात्र सहारा है।
यदि आपकी कोई छोटी इच्छा है, जिसे कम समय में पूरा किया जा सकता है तो आप एक दिन में भी इच्छापूर्ति कर सकते हैं।
किसी चीज़ को पाने के लिए यदि हम उतनी कीमत देने के लिए तैयार हो जाते हैं, तो एक समय बाद हमारी वही इच्छा पूरी हो जाती है।
जैसा व्यक्ति का मन होता है उसी के अनुरूप वह भगवान भी चुन लेता है, इच्छा करने वाला मन होता है, भगवान नहीं, पर जैसा मन चाहता है वैसा भगवान नहीं चाहते।
अंतिम शब्द
तो साथियों इस लेख को पढने के पश्चात इच्छा पूरी करने वाला पेड़ कौन सा है आप भली भाँती समझ चुके होंगे, उम्मीद है मनुष्य की इस इच्छा का खेल कैसे जन्म लेता है और उसका परिणाम क्या होता है अब आपको समझ आ गया होगा। यदि इस लेख को पढ़कर आपको इस विषय पर और भी विस्तार से जानना है तो आप कमेंट सेक्शन में बता सकते हैं, साथ ही जानकारी पसंद आये तो इसे शेयर भी कर दें।