बचपन से ही हमें ईश्वरीय शक्तियों से जुडी कहानियां और घटनाओं का जिक्र देखने को मिलता है, ऐसे में आखिर ईश्वर की शक्ति का सच क्या है? वो कभी सामने नहीं आने पाता।
वैदिक धर्म में ईश्वर पर लोगों की आस्था सदा से ही रही है, वेदों के आरम्भ में मनुष्य द्वारा इंद्र, सूर्य, इत्यादि जैसे देवताओं की पूजा की जाती थी।
लेकिन समय में परिवर्तन हुआ आज इंद्र, सूर्यदेव के मंदिर लगभ विलुप्त हो चुके हैं और लोग भगवान शिव, श्री कृष्ण, श्री राम जैसे अवतारों को पूजते हैं।
बाल कथाओं और धार्मिक किताबों को पढने पर हमें ईश्वर के चमत्कारों की कहानियां सुनने को मिलती हैं, यही नहीं आज भी मनुष्य के जीवन में कभी कभी कुछ ऐसा घटित हो जाता है जिसकी उसे उम्मीद ही नहीं थी।
तो इन्सान कह उठता है की ये ईश्वर का चमत्कार है, ये ईश्वर के होने का सबूत है। तो आज हम जरा बारीकी से समझेंगे की क्या ऐसा वास्तव में होता है? या इसके पीछे कोई और राज छुपा हुआ है।
ईश्वर क्या है?
ईश्वर जिन्हें प्रायः गॉड या भगवान कहा जाता है, मनुष्य के मन द्वारा रचित एक काल्पनिक छवि है जिसे मनुष्य नमन करता है, और उसे इस दुनिया का रचियता मानता है।
वास्तव में ईश्वर कोई भौतिक पदार्थ नहीं है जिसको छुआ या देखा जा सके। पर मनुष्य को उसके होने का अहसास होता है क्योंकी उसे लगता है मैं हूँ इसलिए भगवान भी जरुर होगा।
हर इन्सान के मन में ईश्वर को लेकर भिन्न भिन्न धारणाएं हैं कोई ईश्वर को समस्त ब्रह्मांड का रक्षक मानता है तो किसी के लिए ईश्वर अपनी मनोकामनाओं को पूर्ण करने के साधन हैं।
वेदों में सूर्य, अग्नि, इंद्र देव इत्यादि को ईश्वर माना गया है, आरम्भ में मनुष्य के पास शिक्षा तक पहुँच होने की वजह से सीमित ज्ञान था अतः वह प्रकृतिक घटनाओं को दैवीय शक्ति मानकर उनका पूजन करता था।
उदाहरण के लिए आरम्भ में मनुष्य की आजीविका का एकमात्र स्त्रोत कृषि था, अतः जब कभी बिजली कडकती और भारी वर्षा से फसल बर्बाद होती। तो मनुष्य को लगता आसमान में कोई दैवीय शक्ति है जो अगर कुपित हो जाए तो भारी वर्षा कर देती है।
और अगर खुश हो जाये तो फसल अच्छी होती है, अतः इस तरह मनुष्य ने इंद्र, सूर्य, अग्नि इत्यादि को प्रसन्न करने के लिए यज्ञ-हवन इत्यादि से उन्हें पूजना शुरू किया।
उसके बाद समय बदला और श्री राम और कृष्ण ने इस पृथ्वी में जन्म लिया, उनके महान जीवन को देखकर लोगों ने उन्हें अवतार माना, और हजारों वर्षों से आज भी लोगों द्वारा उन्हें पूजा जाता है।
इसी तरह हर धर्म का अपना एक भगवान गॉड है, जिसे लोग नमन करते हैं। और इस उम्मीद के साथ की वो हमारी रक्षा करेगा,साथ देगा प्रत्येक पंथ और मजहब के लोग अपने अपने ईश्वर को पूजते हैं।
ईश्वर की शक्ति का क्या है?
जब बात होती है ईश्वरीय शक्ति की तो हमारे मन में अलौकिक शक्तियों का ख्याल आने लगता है, हमें लगता है भगवान के पास कुछ ऐसी दिव्य शक्तियाँ होती है जो आम इंसान के पहुँच से बाहर हैं। यही कारण है की बहुत से लोग उन शक्तियों को पाने के लिए साधना भी करते हैं।
भले ही विज्ञान ने तरक्की कर ली हो, आज हमारे पास हर वो साधन उपलब्ध है जिससे हम किसी विषय का सच पता कर सके।
इसके बावजूद लोगों को लगता है की ईश्वर के पास जो चमत्कारिक शक्तियाँ हैं, जिनकी वह जरुरत पड़ने पर उपयोग भी करता है, उसके बारे में आपका विज्ञान कोई जानकारी नहीं इक्कठा कर सकता।
पर ईश्वर की शक्तियों का सच यह है की इस संसार में जो कुछ भौतिक है, जिसे देखा और महसूस किया जा सकता है उस विषय पर शोध करने और उसका पूरा सच सामने लाने की काबिलियत विज्ञान के पास होती है।
अतः वे लोग जिन्हें लगता है ऊपर कोई गॉड है जो जरूरत पड़ने पर कुछ ऐसा कमाल करता है जो कभी सम्भव नही हो सकता, कोई है जो विज्ञान के नियमों पर भी भारी पड़ जाता है। उन लोगों को बता देना चाहते हैं की संसार में जो कुछ भी घटित होता है उसके पीछे कोई कार्य-कारण का नियम लागू होता है।
कोई चीज़ यदि आपको दिखाई दे रही है, जो आपके लिए रहस्यमई है उसका कारण आपको साफ़ साफ पता नहीं है, तो इसका यह अर्थ नहीं है की उसके पीछे कोई आलौकिक शक्ति छिपी हुई है।
जी नहीं, उसके पीछे आपका अज्ञान है, अगर विज्ञान उस चीज़ को करीब से देखेगा, शोध करेगा तो वो बता देगा वो चीज़ ऐसी क्यों है? और ऐसे आपको क्यों दिखाई दे रही है।
ठीक वैसे जैसे पेड़ से एक पत्ता भी गिरता है तो भी साइंस का नियम उसपर लागू होता है, उसी प्रकार इस पृथ्वी में जितने भी भौतिक पदार्थ हैं उन सभी की सच्चाई विज्ञान बताने में सक्षम होता है।
क्या ईश्वर होता है या नहीं?
अब ईश्वरीय शक्ति का यह सच जानने के बाद सवाल आता है की क्या दुनिया में जो कुछ होता है वो भगवान की मर्जी से नहीं होता? क्या भगवान् होते ही नहीं है?
देखिये पहली बात संसार में जो कुछ होता है वो प्रकृति के नियमों के तहत होता है, एक बच्चा पैदा होता है मनुष्य के सम्भोग से और फिर एक दिन उसे मरना है ये भी तय है? तो बताइए क्या इसमें भगवान का कोई लेना देना है?
नहीं न ठीक ऐसे जैसे इंसान ने अपने फायदे के लिए पहले जंगल काटे,नदिया दूषित की और पर्यावरण का नाश किया। और आज हम उसका फल भुगत रहे हैं। तो क्या इसमें भगवान ने हमें पहले ऐसा करने को कहा होगा?
नहीं न, वास्तव में जैसा इन्सान करेगा वैसा उसे परिणाम मिलेगा। ठीक ये प्रकृति का नियम है।
ईश्वर की शक्ति कैसे प्राप्त करें?
देखिये भगवान और गॉड होते हैं और ईश्वरीय शक्ति होती है। और वो शक्ति हमें प्राप्त हो सकती है, पर ऐसे नहीं जैसा हमें लगता है भजन कीर्तन करने से, मंदिरों में जाने से कभी भगवान हमसे प्रसन्न होकर हमें दर्शन देंगे।
जी नहीं, ऐसा सोचते हुए इंसान को मौत आ जाती है पर ऐसा हो पाता नहीं। भगवान दर्शन देते हैं जब हम उनकी कही बातों को जीवन में उतारते हैं और हमे उनका आशीर्वाद मिलता है।
उदारहण के लिए यदि आपकी प्रभु श्री राम में गहरी आस्था है, आपको लगता है सुबह शाम उनका ध्यान करने से वो जिन्दगी में आएँगे तो ऐसा सम्भव नहीं है। यह संभव तब होगा जब हम उनकी कही बातों का पालन करेंगे।
जब हम भगवान राम की तरह अपने सुख और मजे से ज्यादा सच्चाई को महत्व देंगे, जब हम अपने फायदे से अधिक दूसरे की भलाई करेंगे। संक्षेप में कहें तो ऐसा जीवन जियेंगे जिसमें राम की भाँती प्रेम हो, अनुशाशन हो तथा उद्देश्य दूसरे की भलाई हो।
तो जब हम इस तरह का जीवन जियेंगे तो हमारे अंदर राम की भाँती एक निडरता होगी, आँखों में तेज होगा, दिल में प्रेम होगा। और यही वास्तव में राम जी का आशीर्वाद होगा।
अब और बताइए जिसके जीवन में प्रेम है, शांति है, उसे भला और क्या चाहिए होगा।
तो चाहे आप किसी भी धर्म को क्यों न मानते हो, यदि आप अपने गॉड का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो मात्र उनके आगे सर झुकाने से और झूठी, लालची, और डर से भरी हुई जिन्दगी जीने से काम नहीं चलेगा।
अगर उन्हें पाना है तो उनकी कही गई बातों पर अमल भी करना होगा। तब जाकर राम तुम्हारे दिल में सदा उपस्तिथ रहेंगे।
ईश्वर की शक्ति की कहानियों का सच क्या है?
हिन्दू धर्म में रामायण, महाभारत इत्यादि किसी भी धर्म ग्रन्थ का अध्ययन करने पर आप पायेंगे वहां हमें देवी देवताओं और राक्षसों के युद्ध की अनेक कथाएं देखने को मिलती हैं।
उन कहानियों में बहुत कुछ ऐसा होता है जिसे हकीकत मानना लगभग असम्भव प्रतीत होता है। उदाहरण के लिए रामायण में कुम्भकरण के 6 महीनों तक निद्रा में रहने की बात गले नहीं उतरती।
देखिये धर्मग्रन्थों में मौजूद कथाएं किसी ऊँची बात की ओर इशारा करती हैं, यदि आप इन घटनाओं को बच्चों की तरह पढेंगे तो ये काल्पनिक लगेगी।
लेकिन अगर आपने वेदांत पढ़ा है तो आप पाएंगे अज्ञानी व्यक्ति के लिए ये संसार उस बुरे सपने की तरह है जिसका सामना करने से वो कतराता है।
और कुम्भकरण की इतनी लम्बी नींद लेना ये बताता है की खुद को न समझने की वजह से वह अपने जन्म का उदेश्य ही नहीं जान पाया।
इसलिए उसके लिए इसी दुनिया में समझदारी और होश के साथ रहना मुश्किल पड़ गया अतः वह महीनों तक मदहोशी में सोया रहता।
और देखा जाये तो हम भी कुम्भकरण की भांति सोये ही रहते हैं, हमारी आँखें भले खुली हों लेकिन डर,लालच, मोह भीतर इस कदर पड़ा रहता है।
की अगर यदा कदा हमें कोई पुस्तक या इंसान हमें हमारी ही असलियत बताने आ जाये तो हम सच्चाई के सामने खड़े होने की बजाय बेहोश होकर सोना अधिक पंसद करते हैं।
अर्थात हमारे लिए सच के रास्ते पर चलने की बजाय अपने झूठ, कपटी मन के आगे झुकना अधिक आसान हो जाता है।
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अंतिम शब्द
तो साथियों इस पोस्ट को पढने के बाद ईश्वर की शक्ति का क्या है? इसका पूरा सच आपको मालूम हो चुका होगा। इस लेख को पढने से जीवन में सच्चाई और स्पष्टता आई है तो इसे अधिक से अधिक शेयर करना बिलकुल मत भूलियेगा।