जीवन क्या है? क्यों मिला है? सच्चाई जानें

जीवन या Life कहने को तो एक शब्द है, लेकिन किसी के लिए ये बेचैनी, परेशानियों से भरा समय है, तो किसी के लिए मेहनत और संघर्ष से भरा एक सफ़र। जी हाँ आज हम जरा स्पष्ट शब्दों में समझेंगे की यह जीवन क्या है? इसका उद्देश्य और परिभाषा क्या है?

जीवन खुशियों से भरा रहे, हम सभी यह कामना रखते हैं। लेकिन जीवन से किसी भी तरह की उम्मीद रखने से पूर्व यह जरूरी हो जाता है की हम लाइफ को समझें, अन्यथा एक इंसान की दौड़ कभी खत्म नहीं होती।

कभी धन के लालच में तो कभी किसी इंसान को पाने की चाह में वह दौड़ता है।

जीवन क्या है

आखिर जीवन क्या है? जीवन की परिभाषा

जन्म से लेकर मृत्यु के आखिरी क्षण के बीच का समय ही जीवन है। दूसरे शब्दों में इस पल आप जिन विचारों, उद्देश्य के साथ जी रहे हो यही जीवन है।

और हर इंसान की जीवन स्तिथि भिन्न भिन्न होती है।

अगर वर्तमान में आपके जीवन में दुःख ही दुःख है और आप शांति की तलाश में हैं तो आपकी यही मनोस्तिथि आपके जीवन की दशा या स्तिथि को प्रकट करती है।

वहीँ अगर आप किसी लक्ष्य को पाने की खातिर जीवन जी रह हो तो यही आपका जीवन है।

लेकिन चूँकि प्रश्न बड़ा यह नहीं है की जीवन क्या है? या जीवन के बाद क्या होगा? जरूरी प्रश्न यह है की जीवन जी कैसे रहे हैं हम?

क्या आप भय में, दुःख में और तमाम तरह की परेशानियों में जी रहे हैं या फिर आपके जीवन में शांति है, बोध है?

क्योंकि जीवन की परिभाषा जानकार या जीवन के बारे में जानकार हमारा जीवन बदल नहीं जायेगा।

जीवन अगर बेहतर बनाना है तो फिर अपने जीवन को बड़े ध्यान से समझना होगा और इमानदारी से देखना होगा की जीवन का सही उपयोग हो रहा है या फिर एक जानवर की भांति बस खाने पीने और सोने में गुजर रहा है।

मनुष्य जीवन का सच क्या है ?

जीवन का सबसे बड़ा सत्य यह है की मनुष्य अपने जीवन में कुछ वृतियां लेकर पैदा होता है, और जैसे जैसे जीवन बीतता है यह वृतियां उसके सर पर चढ़ कर नंगा नाच दिखाती हैं, और फिर इंसान हर एक क्षण डर जीवन बिताता है।

लालच:- संसार में तरह तरह की चीज़ें मनुष्य को आकर्षित करती हैं, और मनुष्य उन्हें पाने और उनका भोग करने के लिए फिर उनकी तरफ बढ़ता है।

पर वह पाता है धन हो या कोई भौतिक वस्तु वह जितना उन्हें भोगता है उसकी प्यास और बढ़ रही है, और फिर और ज्यादा और ज्यादा पाने की इसी सोच को हम लालच कहते हैं।

डर:- कोई भी निर्भय पैदा नही होता, एक बच्चे में जहाँ खिलौने टूटने का डर होता है वहीँ अधेड़ व्यक्ति को पैसे का या परिवार का या किसी और वजह से डर होता है, दुर्भाग्यवश इस डर के करीब आने से हर कोई भागता है।

जीवन में डर

और फिर परिणाम यह होता है की डर भूत की तरह हावी रहता है यह डर मनुष्य की आँखों में और चेहरे पर खूब झलकता है। बिना आत्मज्ञान के डर से पार पाना लगभग नामुमकिन है।

बेचैनी:- डर हो या लालच दोनों इंसान को अंत में बेचैन छोड़ जाते हैं, और मन की इस दुःख भरी अवस्था को ही बेचैनी कहा जाता है, मन में यह बेचैनी हर उम्र के व्यक्ति में पाई जाती है यही बेचैनी मनुष्य को इस सुन्दर जीवन को जीने से वंचित रखती है।

तो यह कुछ वृतियां हम सभी के भीतर हमारा ही मानो नुकसान करने के लिए बैठी हुई हैं, अब जानते हैं इन वृतियों को वास्तव में क्या चीजें मिटा सकती हैं।

सत्य:- किसी भी तरह का डर हो या शक को दूर करने की मात्र एक दवाई है सच्चाई। इसलिए उपनिषदों में सत्य को ब्रह्मा भी कहा गया है, सनातन धर्म में सत्य का स्थान सर्वोपरी है। यही वजह है न आदमी अक्सर कहता है बताओ न सच क्या है?  मुझे सच जानना है! सत्य मनुष्य को शांति, निर्भयता की तरफ ले जाता है।

मुक्ति:- अपने दुखों से आजाद हुए बिना कैसे व्यक्ति चैन पा सकता है? इसलिए हर वह व्यक्ति या कारण जिससे तुम जीवन में कुछ सुन्दर पाने से और बेहतर करने से वंचित हो, यही तुम्हारे बंधन हैं।

और बिना इन बन्धनों को छोड़े तुम खुलकर जीवन नहीं जी सकते, इसलिए मुक्त होना तुम्हारा स्वभाव है आज ही पूछें खुद से की क्या है जिसे मैं मजबूरी का नाम देता हूँ और दबा सहमा रहता हूँ।

आनंद:- देखिये न मनुष्य सुख पाने के लिए क्या नहीं करता सुबह से शाम तक मेहनत करता है, रिश्ते बनाता है, चीजें खरीदता है, कई बार तो दूसरे की हानि के लिए भी तैयार रहता है.. ताकि थोड़ी देर के लिए मजे मिल जाये।

 पर संसार में सारी चीजें पलभर का आनन्द देती है। इसलिए वे लोग जो संसार से उब चुके हैं और परम आनंद पाना चाहते हैं अध्यात्म उनके लिये है।

हमें मनुष्य जीवन क्यों मिला है? उद्देश्य क्या है?

अपने सभी दुखों, बन्धनों, अशांति, बेचैनी से मुक्ति पाने के लिए ही हमें इस पृथ्वी पर जन्म मिला है, आप अपने जीवन को देखिये आप किन-किन परेशानियों या मजबूरीयों से गुजर रहे हैं यही आपका दुःख है।

यह दुःख पैदा होने से लगातार हमारे साथ बरकरार है लेकिन हम इसे टालते हुए कहते हैं की आज नहीं तो कल यह दुःख समाप्त हो जायेगा।

इसलिए चेतना यानि मन की इस तडपती हुई हालत को शान्ति देना ही इस जीवन का उद्देश्य है।

जीवन को किसी श्रेष्ट कार्य में समर्पित कर देना ही जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। दूसरे शब्दों में कहें तो जीवन का उद्देश्य खाने पीने सोने, शिशु पैदा करने, घर खरीदना नहीं है।

 बल्कि जीवन में ऊँचे से ऊँचा कार्य जो सही है, उचित है उसे करने में अपनी पूरी ताकत, समय, संसाधन झोंक देना ही मनुष्य जीवन का लक्ष्य होना चाहिए।

और विशेष बात यह है की उस कार्य को करने में किसी तरह का व्यक्तिगत लाभ पाने की इच्छा न हों, इसी को गीता में निष्कामता कहा गया है।

अर्थात आप जीवन में सुन्दर से सुन्दर ऊँचे से ऊँचा काम कीजिये पर मन में आशा न रखें की इससे मुझे लाभ होगा या हानि होगी।

जो मनुष्य जीवन में श्रेष्ट कार्य का चुनाव करते हैं उन्हें सबसे बड़ा लाभ यही होता है की उन्हें परिणाम की चिंता नहीं करनी पड़ती।

लेकिन दुर्भाग्यवश हमें समाज और पूरी शिक्षा व्यवस्था सिर्फ जीवन में पैसा कमाने के लिए ही शिक्षित करती है, अतः इस रास्ते पर हमें सिवाय डर,लालच और दुःख के सिवा कुछ नहीं मिलता।

जीवन में तीन सबसे महत्वपूर्ण चीजें कौन सी हैं?

प्रेम, लक्ष्य, धन यह तीनों का होना जीवन में परम आवश्यक है, ऐसा कहने के पीछे कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं।

1. जीवन से यदि प्रेम नहीं होगा तो इन्सान समाज से क्या अपने परिवार के साथ भी अच्छे सम्बन्ध नहीं बना पायेगा, इसलिए जो लोग जीवन में शांति, आनंद पाना चाहते हैं और बिना कुछ पाने की लालसा के भलाई करना छाते हैं, उनके जीवन में प्रेम होना अत्यंत आवश्यक है।

2. हर इन्सान के पास जीवन में एक उद्देश्य होता है, और उसे पाने के लिए मनुष्य मेहनत भी करता है, कोई दो वक्त की रोटी के लिए तो कोई गाडी या घर पाने के लिए। लेकिन मनुष्य जीवन तभी सार्थक है जब आप जीवन में ऐसे कार्य का चुनाव करें जो श्रेष्ट है, उत्तम है।

3. धन, जीवन में जब फालतू की चीजों को पाने के लिए भी आवश्यक श्रम और धन की जरूरत पड़ती है तो भला एक ऊँचे लक्ष्य को पाने के लिए भी श्रम और संसाधन चाहिए इसलिए धन बेहद आवश्यक माना गया है।

मनुष्य के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण क्या है?

जीवन को सही ढंग से जीना ही महत्वपूर्ण है, और इस कार्य के लिए व्यक्ति के अन्दर इमानदारी होना बहुत जरूरी है, जो व्यक्ति यह नहीं जानता उसके अन्दर क्या कमियां हैं, बुराइयाँ हैं और उन कमियों पर पर्दा डालकर जो जीवन में सुख पाने की सोचता है वह दुःख ही पाता है, उदाहरण के लिए यदि किसी युवक में धन का लोभ बहुत हावी है।

अब इसी वृति के साथ भविष्य में वह धन पाने हेतु कोई नौकरी या व्यवसाय करता है तो जाहिर है उसके मन का लोभ उसे और ज्यादा और ज्यादा कमाने के लिए प्रेरित करेगा फिर चाहे उसके लिए उसे किसी तरह की हानि क्यों न हो जाये।

 ऐसा इंसान पर्याप्त धन होने के बावजूद इस बात से चिंताग्रस्त रहेगा की रुपया पैसा कहीं कम न पड़ जाये। इसी तरह हम सभी के अन्दर जीवन में कुछ भय होते हैं, हम यहाँ मौत का भय, गिरने का भय, कुछ खोने की भय की बात नहीं कर रहे हैं।

 क्योंकि इन्सान को ज्यादातर समय इतने बड़े डर नहीं सताते, उसे डर सताता है अपने पैसे न खोने का, इज्जत-प्रतिष्ठा को बचाए रखने का, उसे डर इस बात से नहीं सताता गलत कार्य कर रहा हूँ, बल्कि इस बात से सताता है की कहीं पकडे न जाऊं।

अतः जो व्यक्ति यह देख पा रहा है की उसके अन्दर यह छोटे छोटे भय उसके जीवन को दीमक की भांति खा रहे हैं, तो वह अपनी हालत का संज्ञान लेता है और उस डर की जो भी वजह है उसे जानते हुए खुद को दूर रखता है।

लेकिन वे लोग जो भीतर डर, लालच, बेईमानी होते हुए भी जीवन को सुधारने का प्रयास नहीं करते और बेहोशी के साथ आगे बढ़ते हैं ऐसे लोग जीवन पर्यन्त घोर अंधकार में दुःख में जीवन बिताते हैं।

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के पश्चात जीवन क्या है? आप भली भाँती समझ चुके होंगे, इस लेख के प्रति आप अपने विचारों को कृपया कमेन्ट सेक्शन में बताएं, साथ ही इस पोस्ट को शेयर करना बिलकुल न भूलें।

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