यदि आपके बच्चे काबू से बाहर हो रहे हैं, आपकी बात नहीं सुनते तो उनके भविष्य की चिंता की वजह से यदि आप जिद्दी बच्चे को सुधारने का उपाय ढूंढ रहे हैं तो यह लेख आपके लिए है।
बच्चों की सही परवरिश वास्तव में एक बड़ी जिम्मेदारी होती है, कई माँ-बाप इस कर्तव्य को पूरा करने में असफल हो जाते हैं, परिणामस्वरुप उन्हें एक बिगडैल संतान मिलती है।
हालाँकि हमारा बच्चा स्मार्ट हो, वो हमारा नाम रोशन करे हर कोई चाहता है। पर जाने अनजाने मोह के कारण मां-बाप कई ऐसी गलतियाँ कर बैठते हैं जिनसे बच्चे पर दुर्प्रभाव पड़ता है।
और उनमें गुस्सा, तनाव और बात न मानने की आदत बढती जाती है। अगर आप वाकई बच्चे के बेहतर भविष्य की कामना रखते हैं तो आपको उनके बेहतर भविष्य की खातिर कुछ कदम उठाने बेहद जरूरी हैं।
चलिए जानते हैं।
जिद्दी बच्चे को सुधारने का उपाय
यूँ तो सभी बच्चों की आदतें और रवैया अलग अलग होता है लेकिन एक बात स्पष्ट है की बच्चे के जिद्दीपन को प्रेम पूर्वक बदला जा सकता है। थोडा सा खुद में और थोडा बच्चे में अगर बदलाव लाया जाए तो निश्चित तौर पर बच्चे की आदतों में परिवर्तन लाकर उसकी भलाई की जा सकती है।
#1. खुद सुधर जाएँ, बच्चा भी सुधरेगा।
माँ बाप जैसा व्यवहार घर में, समाज में लोगों के साथ करते हैं वैसा ही आचरण उनके बच्चों का भी हो जाता है। बतौर अभिभावक आप यदि सोचते हैं आप उम्र में बड़े हैं और वे आपसे नहीं बल्कि आपकी सलाह से सीखेंगे तो ऐसा नहीं होता।
जो माता पिता बच्चों को सुधारना चाहते हैं यदि पहले वह स्वयं खुद को सुधार लें तो इससे बच्चों के सुधरने की संभावना बेहद अधिक बढ़ जाती है। अगर आप में कई तरह की कमियां हैं।
आप अक्सर सच को छुपाने के लिए झूठ का सहारा लेते हैं, आपमें लालच बहुत है और छोटी छोटी बातों में आपको क्रोध आता है तो ऐसा नहीं हो पायेगा की आपकी इन हरकतों का बच्चे पर असर ध्यान दें बच्चा सिर्फ स्कूल से नहीं बल्कि अपने आसपास के माहौल से सबसे अधिक सीखता है।
#2. जबरदस्ती नहीं प्रेम से समझाएं।
अगर बच्चे को कण्ट्रोल करना है, खासकर जिद्दी बच्चे को किसी अच्छे कार्य को करने के लिए प्रेरित करना है तो उन पर अपनी बात थोपने के लिए जबरदस्ती करना बिलकुल भी ठीक नहीं है। ऐसा करके बच्चा अधिक गुस्सैल होगा और उसमें चिडचिडापन और बढ़ जायेगा।
अतः यह जरूरी है की जिस भी अच्छी आदत को आप उसके व्यवहार में शामिल करना चाहते हैं, पहले उसे प्यार से समझाएं की ये करना क्यों जरूरी है।
अगर आप चाहते हैं बच्चा सुबह जल्दी उठे तो उसे पहले जल्दी उठने के फायदे बताएं साथ ही आप खुद भी जल्दी उठें, इस तरह आप प्रेम पूर्वक उसे किसी भी अच्छी आदत को अपनाने में मदद कर सकते हैं।
#3. बेटे की तरह नहीं इन्सान की तरह देखें।
अगर आप एक पिता हैं और आपको लगता है की आपका बच्चा आपका अपना है इसलिए इसे मेरे मुताबिक ही जीवन जीना चाहिए, इसे भविष्य में मेरे ख्वाबों को पूरा करना चाहिए। तो आपको यह सोच न सिर्फ आपके लिए वरन बच्चे के लिए भी घातक सिद्ध होगी।
क्योंकि पहली बात आपने बच्चे को उससे पूछ के जन्म नहीं दिया, दूसरी बात अब जन्म दे दिया है तो अब उसे पूरा अधिकार है की वह अपने मुताबिक जीवन जियें, अतः वाकई अगर बच्चे का भला चाहते हैं उसके
जिन्दगी में दुःख, तनाव कम करके उसे सच्चा और सुखी जीवन देना चाहते हैं तो आपको उसके करीब आना होगा।
और आप उसके दिल के करीब तभी आ पाओगे जब आपके बीच एक दोस्त का रिश्ता होगा न की मां-बाप का, तभी वह खुलकर अपने दिल की बात आपके साथ सांझा करेगा। दोस्त बनें, बच्चे का जिद्दीपन छूट जायेगा।
#4. उसे सही माहौल मुहैया कराएं।
अगर आप सोचते हैं बच्चा मोबाइल या टीवी देखकर शांत बैठा हुआ है और अपने आप में मस्त है, तो आवश्यक नहीं ये खबर आपके लिए अच्छी हो, क्योंकि इस बात में कोई दो राय नहीं की सोशल मीडिया और इन्टरनेट बच्चों की बर्बादी के बड़े कारण बन चुके हैं।
आज मोबाइल हमारी जरूरत बन चुके हैं, ऐसे में उनसे दूर तो नहीं रहा जा सकता। पर मोबाइल में बच्चा क्या देख रहा है, किन लोगों की बातें सुन रहा है। वह अपने दोस्तों के साथ क्या बातें कर रहा है, और घर में उसे क्या माहौल मिल रहा है। इन सब बातों पर ध्यान देना अभिभावकों की मुख्य जिम्मेदारी है।
बच्चा किताबों से नहीं बल्कि सबसे ज्यादा अपने माहौल से सीखता है।
#5. जानें जिद्दीपन कहाँ से बढ़ रहा है?
शुरुवात में तो माता पिता बच्चों को लाड प्यार में कोई भी चीज़ दे देते हैं जिनसे बच्चे शांत रहते हैं और खुश होते हैं पर समय के साथ जब बच्चों को कुछ खास चीजों की लत लग जाती है और वह चीज़ जिनसे उन्हें मजा आता है वो उन्हें न मिले तो वह जिद्दी हो जाते हैं।
तो अगर आप अपने जिद्दी बच्चे को सुधारना चाहते हैं तो देखिये किस चीज़ से उसे सबसे ज्यादा लगाव है, धीरे धीरे आप उस चीज़ के प्रति उसके आकर्षण को कम करने की कोशिश करें। ऐसा तब कर पायेंगे जब आप उसे उस वस्तु से बेहतर कोई और चीज़ मुहैया करवा पायेंगे।
उदाहरण के लिए बच्चे को मोबाइल गेम की लत लग चुकी है तो फिर आप उसे कोई खेल मुहैया करवा दीजिये, जिसमे ध्यान लगाने से उसका शारीरिक और मानसिक विकास हों।
#6. अच्छे कार्यों के लिए इनाम दें।
चाहे बच्चे का बर्थडे हो या फिर हमारा मूड अच्छा हो हम अक्सर बच्चों को ख़ुशी में चौकलेट या फिर उनकी कोई पसंदीदा चीज़ दे देते हैं, पर अगर वहीं बच्चा खेल में या फिर पढ़ाई में कुछ नया सीख लेता है तो हमारे लिए यह कुछ खास बात नहीं होती। अतः हम इस बात के लिए बच्चे को बधाई या इनाम नहीं देते।
लेकिन चाहते हैं अगर दिल से बच्चा तरक्की करें तो वह काम जिसमें हिम्मत और मेहनत लगे, अगर बच्चा उसे करने का प्रयास करता है भले ही उसमें वह फेल हो जाए। आप उसका हौसला बढ़ाएं यकीन मानिए आपके द्वारा बढ़ाये गए उत्साह की वजह से वो आगे और बेहतर कार्य करने की क्षमता रखेगा।
#7. बातें नहीं उदाहरण बनें।
देखिये अगर आप स्वयं नशे के शिकार हैं, और घर में गाली गलौज करते हैं और अक्सर झूठ बोलते हैं तो आप बच्चे से यह उम्मीद नहीं रख सकते की वह नशे से दूर रहें, गाली न दें और सच्चाई का सम्मान दें।
पर आम भारतीय परिवारों में ऐसा खूब होता की अभिभावक स्वयं कुछ और होते हैं और बच्चों के कुछ और होने की अपेक्षा रखते हैं।
अगर आप वाकई बच्चों में बेहतर बदलाव देखना चाहते हैं तो यह आपकी बातों से सम्भव नहीं होगा, आपको उनके समक्ष उदाहरण बनना होगा क्योंकि बच्चे आपकी बातों से नहीं आपकी जिन्दगी को देखकर सीखते हैं।
#8. पढ़ाई के लिए मारपीट न करें।
आमतौर पर देखा जाता है कि जिद्दी बच्चों का पढ़ाई की अपेक्षा खेलने कूदने और तमाम तरह की चीजों में ध्यान रहता है ऐसे में मां-बाप कई बार बच्चे के इस व्यवहार के प्रति चिंतित हो जाते हैं और उनमें गुस्सा भी बढ़ जाता है।
परिणाम स्वरूप वह बच्चों को मारने पीटने लगते हैं जिससे बच्चे जिद्दी और ढीट बन जाते हैं तो यहां पर दो बातें समझने वाली हैं, पहला हर बच्चा टॉपर नहीं बन सकता, इसके अलावा अगर वह घर में पढ़ाई नहीं करता तो आप उसके स्कूल और ट्यूशन टीचर को बच्चे के प्रति ध्यान देने की बात कर सकते हैं।
#9. खाली समय को सही चीज़ से भर दें।
खाली दिमाग शैतान का घर होता है इस बात का उदाहरण संडे या फिर छुट्टियों के दिनों में देखने को मिलता है जब बच्चे बिल्कुल फ्री रहते हैं, तो वह घर में कितना बवाल मचा देते हैं।
अगर आप चाहते हैं बच्चा कम से कम शैतानी करें तो आपको इसके लिए बच्चे की दिनचर्या को देखना होगा, और जहां भी बच्चे को खाली समय मिल रहा है, उस समय का उपयोग उसे नई चीज सिखाने, कोई भाषा, कोई नई स्किल सीखने में करवाएं।
अगर बच्चे का खेल में इंटरेस्ट है तो उस समय को खेल में बिता सकते हैं यकीन मानिए ऐसा करने पर एक तो बच्चा सही चीजों को करने में थकेगा, उसे अच्छी नींद आएगी और साथ में वह व्यर्थ की आदतों से भी बचेगा।
बेटे को सुधारने का उपाय
#1. बेटे को बैल नहीं सांड बनाएं।
माँ-बाप का दायित्व होता है बच्चे को एक शेर बनाना, यानी एक बहादुर पुरुष बनाना जो एक शेर की भाँती अपनी जिन्दगी में सही फैसले ले सकें, सही बातों को सच्चा कहने का जिगरा रख सके। पर चूँकि अधिकतर माँ बाप भली भाँती जानते हैं हमने इसको पैदा ही इसलिए किया था ताकि भविष्य में ये हमारे काम आ सके।
ठीक वैसे जैसे एक बैल को पाला जाता है ताकि वो किसान के खेत में भरपूर काम कर सके। इसी प्रकार अधिकतर मां बाप बच्चों के प्रति इतना लगाव रखते हैं ताकि बुढापे में या भविष्य में वो उनकी सेवा कर सके।
और ऐसा हो इसके लिए जरूरी है उसे बचपन से ही इस तरह शिक्षित करना ताकि वो तुम्हारे आगे सर झुकाए, तुम्हारी हर बात को माने। क्योंकी तुम जानते हो अगर ये ज्ञानी बन गया तो ये हमें थोड़ी पूछेगा।
अतः इसके पुरुषार्थ को कमजोर बना दिया जाए। इसको सच्चाई से दूर रखा जाये, ताकि ये हमारे ऊपर निर्भर हो जाए। जब सोच ऐसी होती है तो जिस तरह एक पालतू जानवर होता है वैसी ही स्तिथि एक बच्चे की हो जाती है। इसलिए अगर बेटे को जन्म दिया है तो उसपर दया करें।
उसे पढ़ाएं लिखायें, जीवन में वो सबकुछ दें जो उसको वास्तव में एक ऊँचा इन्सान बनने में मदद करेगा। इसलिए नहीं ताकि वो आपकी सेवा करें। अन्यथा एक पालतू जानवर में और बेटे में कोई फर्क नहीं है।
#2. उससे दोस्ती करें। सलाह दें, आदेश नही।
बेटा अगर बिगड़ रहा है, या बिगड़ चुका है तो अब सम्भव है वो पहले की तरह आपके आदेश नहीं मानेगा। अतः ज्यादा उसपर बंदिशें लगाना उसपर अपनी मनमर्जी थोपना उसके लिए ही नहीं आपकी शांति में भी खलल डाल सकता है।
तो एक अच्छे माता पिता का कर्तव्य है की उम्र बढ़ने के साथ उससे दोस्ती करें, तभी तो आप उसके दिल का हाल, उसकी परेशानियों को समझ पायेंगे न। उससे अच्छे से बात करें, उसकी छोटी मोटी ख्वाहिशों को पूरा करने की कोशिश करें।
भले ऐसा करने में आपको शर्म आये पर बेटे से यदि प्रेम होगा तो आपको ये प्रयास करना ही होगा। वे लोग जो बाप बेटे के रिश्ते को एक दूरी का रिश्ता मानते हैं वो वास्तव में अपने बच्चों के दिल का हाल नहीं समझ पाते।
#3. जीवन में अच्छी चीजें मुहैया करवाएं।
अगर बेटा बिगड़ रहा है तो देखिये दिन उसका किन लोगों के साथ किन कामों में बीत रहा है। अगर आप पायें बेटा बिगडैल दोस्तों के साथ मटरगस्ती करने में, नशा करने या व्यर्थ के कामों में बिता रहा है।
तो सच्चाई देखने के बाद आपको मालूम होगा की जीवन में जब इसके पास कुछ अच्छा करने के लिए है ही नहीं तो ये तो फ़ालतू के काम करके बिगड़ेगा ही।
अतः एक मां बाप होने के नाते आपका फर्ज है, बच्चे से पूछें बेटा क्या तुझे करना पसंद है। कौन सा स्पोर्ट्स तुझे खेलना है, कहाँ कहाँ यात्रा करनी है, कौन सी किताबें पढनी है।
अर्थात कोई भी चीज़ जिससे उसकी जिन्दगी वास्तव में बेहतर बनती हो। जिसे करके उसे जिन्दगी में परिश्रम, अनुशासन, हार/जीत की कीमत पता चलती हो अर्थात वो पहले से एक बेहतर इन्सान बनता हो। वो काम उसे करने दीजिये, सपोर्ट कीजिये।
अधिकतर माँ बाप बच्चों को स्कूल, कॉलेज की पढ़ाई के अलावा कुछ दे ही नहीं पाते। स्विमिंग, डांसिंग, स्पोर्ट्स, ऊँची शिक्षा न जाने क्या क्या चीजें हैं जो एक बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास कर सकती हैं।
पर नहीं चूँकि हम भीतर ही भीतर अज्ञानी हैं, और हमारी मंशा ही उनको सीमित और एक छोटा जीवन जीने की होती है तो हम उन्हें बड़ा करने ही नहीं देते।
और जब कुछ जिन्दगी में बेटे के कुछ ऐसा नहीं होगा जिसमें जान लगाईं जा सके, जिसको सीखा जा सके, जिसके लिए एशो आराम छोड़ना पड़े तो निश्चित है बच्चा गलत दिशा में जायेगा ही।
#4. प्रेम में उम्मीदें नहीं भलाई देखें।
दुःखद है पर ये सच है अधिकतर माँ बाप के लिए बच्चे भविष्य के निवेश की तरह होते हैं। वे उन्हें पालते पोषते इसलिए हैं ताकि भविष्य में वह उनकी मदद कर सके।
पर याद रखना प्रेम का अर्थ होता है भलाई। जो इन्सान प्रेम करेगा वो अपने बच्चों की भलाई करेगा। उन्हें अच्छी से अच्छी शिक्षा देगा, खेलों में भाग लेने, बढ़िया कौशल सीखने में मदद करेगा। और उसे जिन्दगी में अच्छे से अच्छा इंसान बनने में मदद करेगा।
पर मन में उसके ये भाव बिलकुल नहीं होगा की ये सब करके मुझे भविष्य में कुछ मिलेगा। प्रेम की बात ही शानदार होती है, आप किसी पर करोड़ों लुटा देते हो और बदले में ये भी नहीं सोचते की मुझे वापस मिलेगा की नही।
#5. भविष्य को देखें। अतीत को नहीं।
बेटा बिगड़ चुका है, जिद्दी है और उसने अतीत में बहुत गलतियाँ की हैं तो अब समय पछताने का रहा नहीं। एक जिम्मेदार अभिभावक, माता पिता होने के नाते आपका कर्तव्य अपने बच्चे की सच्चाई जानकार उसकी स्तिथि को बेहतर करने की दिशा में कदम होना चाहिए।
आपको हर वो प्रयास, हर वो हथकंडा अपनाना चाहिए जिससे बच्चे की तरक्की होती हो, जिससे उसकी कमियों में सुधार हो। अतः कोशिश करते रहें, प्रेम में की गई कोशिश का अपना मजा है। और इस काम में अगर कोई मदद चाहिए तो आपकी साहयता के लिए हम बैठे हैं आप इस whatsapp नंबर 8512820608 बेझिझक सम्पर्क करें।
जिद्दी बच्चे के लिए टोटका
जिद्दी बच्चे को सुधारने के लिए अपनाए जाने वाले टोटके का नाम है प्रेम, अगर प्रेम है बच्चे से उसकी वास्तव में भलाई चाहते हो तो फिर आप हर सम्भव वो प्रयास करोगे जिससे उसकी तरक्की होगी। फिर चाहे इसके लिए आपको खुद को तकलीफ क्यों न देनी पड़े, आप करेंगे।
अगर बच्चे की रूचि किसी खेल में है तो उसके लिए आप सुबह 5 बजे भी उठने के लिए तैयार रहेंगे।
पर आमतौर बच्चे से प्रेम कम उम्मीदें ज्यादा होती हैं, हम सोचते हैं बच्चा हमारे हिसाब से चले, हमारी उम्मीदों को पूरा करे। जब जन्म हमने दिया है तो इसका जीवन हमारी सेवा में बीतना चाहिए। और दुर्भाग्य से इसी सोच के साथ हम बच्चे की भलाई के स्थान पर उसके साथ अन्याय करते हैं।
वो बड़ा डरा सहमा सा रहता है, वो फिर माता पिता से अपने दिल की बात भी नहीं कह पाता। तो वाकई अगर जिद्दी बच्चे से अपनी बात मनवाना चाहते हैं तो समझें पहले ये प्रेम क्या होता है?
प्रेम का अर्थ होता है भलाई, अगर इरादा निस्वार्थ भाव से सिर्फ बच्चे की भलाई करना है तो फिर निश्चित रूप से आप उससे प्यार से बात करोगे, उसकी हर उस चीज़ में साहयता करोगे जिससे की वो बेहतर बने।
खेल में, पढ़ाई में सहयोग करोगे ताकि शारीरिक और मानसिक रूप से एक अच्छा इनान बने। और मुझे लगता है यही आपका फर्ज है, ये नहीं की अपनी इच्छाएं, अपनी उम्मीदों को बच्चे पर लादकर उसकी जिन्दगी को नर्क बना देना।
और ध्यान दें इसके अतरिक्त अगर समाज में कोई कहे की जिद्दी बच्चे को सुधारने के लिए किसी तरह जादू टोना, झाड फूँक या कोई उपाय करना है। तो सतर्क हो जाइएगा। इससे आपका समय, पैसा दोनों की बर्बादी होगी।
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अंतिम शब्द
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