काल्पनिक भय को कैसे दूर करें? 100% गारंटी

कई बार यह जानते हुए की सब कुछ ठीक है इंसान के मन में अनहोनी होने के विचार आते हैं, और उठते सोते कुछ बुरा होने की आशंका बनी रहती है ऐसे में काल्पनिक भय को कैसे दूर करें? यह जानना जरूरी हो जाता है।

काल्पनिक भय कैसे दूर करें!

भाग दौड़ भरी इस जिन्दगी में बढ़ते तनाव की वजह से भारत ही नहीं दुनिया के विभिन्न देशों में आज काल्पनिक भय की यह समस्या बढती जा रही है, ऐसे में वे लोग जो अपने डर से छुटकारा पाना चाहते हैं उन्हें आज का यह लेख जरुर पढना चाहिए।

इस लेख में बताई गई बातों को ध्यानपूर्वक पालन करके आप मन में आने वाले बुरे विचारों पर आसानी से काबू पा सकते हैं।

काल्पनिक भय क्यों आता है? काल्पनिक भय का कारण

काल्पनिक भय हमेशा अज्ञान की कमी से उपजता है, जब मनुष्य को यह ज्ञात नहीं होता की जीवन कैसे जीना चाहिए, किन चीजों को महत्व देना चाहिए।

और किन चीजों की उपेक्षा कर आगे बढ़ना चाहिए। तो मनुष्य को उन चीजों से लगाव हो जाता है, जिनसे बाद में भय उत्पन्न होता है।

काल्पनिक भय से आशय मन में उठने वाले उन नकरात्मक ख्यालों (Negative Thoughts) से है जिससे मनुष्य निराश हताश रहता है।

इस तथ्य (फैक्ट) को जानते हुए की मेरे जीवन में सब सही है इसके बावजूद मन भयभीत होता है भविष्य में कुछ बुरा न हो जाए इस वजह से मन में बेचैनी और विचलन बढ़ता जाता है।

अतः संक्षेप में कहें तो कुछ बुरा हो जाने के विचारों को ही काल्पनिक भय कहा जाता है। आइये जानते हैं मनुष्य को मुख्यतया किन बातों का भय होता है।

#1. मान सम्मान खो जाने का भय

#2. पसंदीदा वस्तु के छिन जाने या टूट जाने का डर

#3. प्रिय इंसान से दूर हो जाने का डर

#4. नौकरी, पैसा खत्म हो जाने का डर

#5. शक्ति (पावर) का नाश होने का भय

#6. लोगों से सम्बन्ध खराब हो जाने का भय

#7. अपने या अपनों के प्रति अन्याय होने का डर

यह कुछ प्रमुख कारण हैं जिनकी वजह से मनुष्य का दिमाग हमेशा उसे डर के साए में जीने को विवश करता है, चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं

काल्पनिक भय को कैसे दूर करें? 10 कारगर टिप्स 

#1. डर को समझें।

डर अथवा काल्पनिक भय को मिटाने के लिए सबसे जरूरी और आवश्यक चीज है डर को समझना।

डर को समझें

कई बार हम अन्दर से इतने डरे हुए होते हैं की हम बिना अपने डर के कारण और समाधान को जाने बिना हड़बड़ी में कोई भी गलत फैसला कर लेते हैं।

तो अगर आप चाहते हैं मन काल्पनिक विचारों से,डर से दूर हो जाए तो सर्वप्रथम अपने डर को समझिये।

क्योंकी जो व्यक्ति अपने डर को समझ लेता है एक दिन डर पूरी तरह उसके जीवन से गायब हो जाता है।

#2. विचारों को नहीं तथ्य को देखें।

विचार तो बदलते रहते हैं लेकिन फैक्ट नहीं बदलता। विचार हो सकता है आपको अमेरिका ले जाएँ पर फैक्ट इन्सान को उसकी औकात/ हकीकत बता देता है।

तथ्य को देखें

तो जब किसी बात का डर मन में सताएं, आपको उस डर की हकीकत जानने के लिए खुद से पूछना होगा की जिस चीज को खोने को लेकर मैं इतना डरा हुआ रहता हूँ? क्या वाकई वो चीज इतनी आवश्यक है?

उदाहरण के लिए आपने कोई कीमती समान खरीदा हुआ है वो गाडी, घर, जमीन इत्यादि हो सकता है और अब आपको ये डर सताता है की कहीं उस सामान में किसी तरह की हानि, टूट फूट न हो जाये।

और इस डर के कारण आप दिन रात उदास रहते हैं, आपकी नींद उड़ गयी है तो इस काल्पनिक भय से दूर होने के लिए सबसे पहले जाइए और पता करिए क्या वाकई वो चीज/सामान असुरक्षित है?

अगर फैक्ट ये है की ऐसा कुछ नहीं है मन का भ्रम है तो फिर डरने की कोई जरूरत नहीं है। और इसके बाद भी अगर डर सता रहा है तो डर से मुक्त होने के लिए आप उस कीमती सामान को बेच दीजिये।

क्योंकि याद रखें संसार में कोई भी चीज आपकी शांति, आपके सुकून से बड़ी हो ही नहीं सकती।

अगर कोई चीज आपके सर चढ़ रही है तो बोल दीजिये नहीं चाहिए तू।

जिस इन्सान के लिए जिन्दगी में शांति, प्रेम, सच्चाई सबसे बड़ी बात है तो फिर जो भी चीज आपको जिन्दगी में डराती है आप उसे छोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं।

#3. खुद को तोडिये।

अब तक हमने जिस वस्तु या सामान की बात की, उनका त्याग सम्भव है, क्योंकि अपने चैन के लिए व्यक्ति इन चीज़ों को छोड़ सकता है?

काल्पनिक भय दूर कैसे करें~ खुद को तोडिये

पर सोचिये अगर परिवार के किसी सदस्य को लेकर मन में आपके कोई काल्पनिक भय सताता है तो क्या करें? मान लीजिये आपका बच्चा दूर शहर अकेले पढ़ाई करने के लिए गया हुआ है।

और आपको ये चिंता रहती है की कहीं बच्चा बिगड़ न जाए, कहीं वो बुरी संगत में, बुरी आदतों में न फँस जाए।

तो ऐसी स्तिथी में चूँकि आप बच्चे को ये तो नहीं कह सकते की तू घर वापस आ जा। क्योंकि आप भली भाँती पढ़ाई की अहमियत जानते हैं।

तो सवाल आता है ऐसे में डर सताए तो क्या करें? जब ऐसी स्तिथि ऐसी हो तब जिन्दगी में फिर थोडा सा हिम्मत लानी होती है, तब स्वयं से कहना होता है की मैंने अपना धर्म निभाया है।

मैंने बच्चे के लिए वो किया है जिसमें उसकी भलाई है? अब बच्चा बिगड़ेगा या सुधरेगा ये मेरे हाथ में नहीं। बस मैं अपना कर्तव्य निभा रहा हूँ?

इस तरह जब आप अपना फर्ज निभाते हैं और भविष्य की चिंता राम को सौंप देते हैं तो आप अंत में पाते हैं की जो हुआ अच्छा हुआ।।

इसलिए अगर सही काम को करने में, डर लगे, जी घबराएं तो पीछे न हटें। दर्द होता है मन को तो सहें लेकिन जो सही है, सच्चा है जिन्दगी में वो करें।

#4. ईमानदारी से आगे बढ़ना।

अब हममें से लगभग सभी को भविष्य को लेकर कोई न कोई चिंता जरुर सताती है, अगर आप भी पाते हैं की कोई बात आपके जहन में छा गयी है, कोई विचार आपको दिन भर परेशान करता है।

ईमानदारी से आगे बढ़ना

तो सबसे पहले समझिये की जिस बात को लेकर आप डर रहे हैं उस बात में कितनी सच्चाई है।  और एक बार ये जान गए तो अब आपका काम है उस डर को खत्म करने की दिशा में प्रयास करना।

उदाहरण के लिए आप बेरोजगार युवा हैं और नौकरी की टेंशन है तो ऐसी स्तिथि में नौकरी पाने के लिए प्रयास करना ही आपका सबसे बड़ा दायित्व है।

धीरे धीरे जब आप प्रयास करेंगे तो आपको शुरुवात में छोटी ही सही नौकरी मिल जाएगी। और इस तरह जिन्दगी में आप फिर जो भी बेहतर काम करना चाहते हैं उस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।

असली बात है ईमानदारी से प्रयास करना।

#5. स्वयं को कमजोर न मानें।

दो व्यक्ति हैं इनमें से एक है जो व्यक्ति स्वयं को कमजोर, लाचार और नाकामयाब मानता है जबकि दूसरा व्यक्ति है जो खुद को सामर्थ्यवान, होशियार, भाग्यवान मानता है।

खुद को कमजोर न मानें

अब कहने की आवश्यकता नहीं की इन दोनों में से किस व्यक्ति को जीवन में ज्यादा डर सताएगा। जी हाँ कमजोरी निशानी होती है डर की।

जो व्यक्ति खुद को लाचार, दूसरे पर आश्रित मानता है वो कभी भी एक निडर जिन्दगी नहीं जी सकता।

तो अगर आप पाते हैं जिन्दगी में कुछ अनहोनी होने के विचार हमेशा दिमाग घूमते रहते हैं तो ये दर्शाता है की आप बलहीन हैं।

आप स्वयं को ये भी नहीं कह पा रहे हैं की जो होगा देख लेंगे, बस मैं सही काम, सही जिन्दगी जिऊंगा। और जो व्यक्ति ये कह देता है और जो सही है चुपचाप वर्तमान में करता है फिर ऐसा व्यक्ति निडर होकर जिन्दगी जीता है।

#6. डर से आगे मीठा है प्रेम!

जीवन में अगर आपको छोटी छोटी बातों का बेहद डर है तो समझ लीजिये जीवन में प्रेम की बेहद कमी है। प्रेम के बिना जीवन नीरस है, सूखा और बेजान है।

डर से सुन्दर है प्रेम

लेकिन प्रेम आते ही जीवन मानो बदल जाता है, इंसान पहले जैसा ही नहीं रहता। उसके जीवन में सच्चाई,शान्ति और समझ आ जाती है फिर ऐसे इंसान को छोटी छोटी बातें तो क्या अगर कोई मारने की भी धमकी दे तो वह नहीं डरता।

तो अगर जीवन में निडरता चाहिए तो ऐसा प्रेम अकस्मात नहीं आएगा, बल्कि प्रेम सीखना पड़ता है। जो चीज़ जिन्दगी में करने लायक है, महत्वपूर्ण है उसे निष्काम भाव से करना ही प्रेम का सूचक है।

जब आपके लिए कोई चीज़ इतनी जरूरी हो जाती है जिसके लिए आप अपना सब कुछ सौंपने के लिए तैयार हो जाएँ तो समझ लीजियेगा वास्तव में प्रेम हुआ है।

#7. जो चीज़ असली है उसका डर नहीं।

इंसान जीवन में कई तरह की नकली चीजों को इक्कट्ठा करता है और उनको बचाए फिरता है फिर चाहे वो घर हो, जमीन हो, परिवार और सगे सम्बन्धी हो।

काल्पनिक भय कैसे दूर करें~ जो चीज असली है उसका डर नहीं

लेकिन कितना ही वह उन्हें बचा ले एक समय बाद सब कुछ नष्ट हो जाता है। यहाँ तक की वह खुद भी खत्म हो जाता है।

लेकिन जीवन में जितनी भी असली चीजें है जैसे शांति, बोध, सच्चाई, प्रेम इन्हें बचाने की आवश्यकता नही पड़ती।

और यही चीजें वास्तविक धन हैं इन्हें आप जितना बांटते हैं उतना आपके पास बढती जाती हैं। इसलिए कबीर साहब कहते हैं वो धन संचय करें जो आगे काम आये

अब आप खुद अपनी जिन्दगी को देख लीजिये आप असली को बचा रहे हैं या फिर नकली को बचाने के प्रयास में जीवन गंवा रहे हैं।

#8. जिसे समय छीन ले, उसको बचाना का प्रयास ठीक नहीं।

कई बार हमें अपनी किसी प्रिय वस्तु के खो जाने का भय होता है, वहीं दूसरी तरफ मन का एक कोना उस चीज़ को खुद से दूर न होने देने के लिए संघर्ष करता रहता है।

जिसे समय छीन ले उसे बचाना ठीक नहीं

अतः मन में एक ऐसा द्वंद (युद्ध) खड़ा होता है जिसमें इंसान के लिए फैसला कर पाना मुश्किल होता है।

अगर आपकी जिन्दगी में भी जब ऐसी स्तिथि आती है जब आपको दिन रात किसी चीज़ के खो जाने का या किसी इंसान के दूर हो जाने का डर लगा ही रहता है।

तो समझ जाइएगा आप मोह और लगाव के कारण किसी ऐसी चीज़ को बचाने का प्रयास कर रहे हैं जो आपके हाथ में ही नहीं है।

उदाहरण के लिए आपकी पसंदीदा बाइक के खो जाने या नष्ट हो जाने का भय आपके दिमाग में हर दम घूमता है तो समझ लीजिये आपने गलत चीज़ को महत्व दे दिया है।

#9. खुद को सही कार्य में झोंक दें।

अगर किसी फ़ालतू के विचार से भयभीत हैं तो आपके एक ही उपाय काम आयगा वह यह है की खुद को किसी ऊँचे काम में समर्पित कर दें। जब आप खुद को किसी बड़े मिशन में समर्पित कर देते हैं तो फिर ये चीजें आपको परेशान नहीं करती।

खुद को सही काम में झोंक दें

कल्पना कीजिये बॉर्डर में कोई युद्ध छिड़ा हुआ है और आप एक सैनिक हैं तो बताइए युद्ध के दौरान आप लड़ाई करेंगे या फिर रणभूमि में इस बात की परवाह करेंगे की मेरे दिमाग में क्या विचार आया?

पर चूँकि हम सब जिन्दगी में कुछ ऐसा महत्वपूर्ण, जरूरी काम नहीं करते जिसमें हम पूरी तरह डूब सके, जिसके आगे हम सब चीजों को, विचारों को छोड़ सके।

यही कारण है की जरा सी हलचल हमारे दिमाग में होती है और हम भयभीत हो जाते हैं।

पढ़ें: जिन्दगी में क्या काम करना चाहिए?

#10. मात्र सच्चाई में है निडरता।

वे लोग जो एक निर्भीक जिन्दगी जीना चाहते हैं उन्हें सच की तरफ आना ही होगा। बिना अपनी और इस संसार की हकीकत जाने संसार में एक अच्छी जिन्दगी जीना लगभग नामुमकिन है।

सच्चाई में है निडरता

और इस बात का उदाहरण आपको सामान्य जिन्दगी में भी देखने को मिल जायेगा। दो लोग जो शौपिंग कर रहे हैं उनमें से एक व्यक्ति जो जानता है की कपड़े की क्वालिटी कैसी है और सही दाम क्या है?

वो उस बंदे से बेहतर खरीदारी करेगा जिसको कपड़ों का कोई ज्ञान नहीं। तो सोचिये जब संसार में छोटी छोटी चीजों में अच्छे फैसले लेने के लिए ज्ञान होना जरूरी है।

तो उसी तरह अगर आप चाहते हैं दुनिया में सही जिन्दगी जी सके, पल पल ठोकरें खाने से बच सकें तो आपके लिए ये जीवन क्या है? जीने का उद्देश्य क्या है? संसार क्या है? माया क्या है? दुःख का कारण क्या है?

सुख किस चीज़ में है? ये सारी बातें पता होनी चाहिए। क्योंकि जिस तरह खेल को समझे बिना आप अच्छी तरह खेल नहीं सकते उसी तरह लाइफ को समझे बिना आप लाइफ जी नहीं सकते।

#11. डर एक विचार है! आपकी पहचान नहीं!

चाहे इन्सान किसी भी बात या घटना को लेकर चिंता में पड़ जाए लेकिन एक बात जिससे वो इंकार नहीं कर सकता वो ये है की डर महज एक थॉट है, विचार है।

डर एक विचार है!

और जो ये जान लेता है की विचार में कोई सच्चाई नहीं होती! विचारों का काम है आते रहना जाते रहना और जो इन्सान अच्छे और बुरे विचार दोनों की परवाह किये बिना चुपचाप सही कर्म करता है।

ऐसे व्यक्ति का डर कुछ नहीं बिगाड़ पाता! तो जिन्दगी में किसी भी तरह के डर से मुक्ति चाहिए तो विचारों की परवाह करना छोडिये सही काम, सही संगती की परवाह करें।

एक बार आपने खुद को सही लाइफ जीने के लिए तैयार कर लिया तो आप पाएंगे बुरे ख्याल आपका कुछ नहीं बिगाड़ पायेंगे।

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस पोस्ट को पढने के बाद काल्पनिक भय को कैसे दूर करें? अब आप भली भाँती समझ गए होंगे, अगर इस लेख को पढ़कर जीवन में कुछ स्पष्टता और रोशनी आई है तो कृपया इसे अधिक से अधिक लेख को शेयर करना मत भूलियेगा।

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