कई बार यह जानते हुए की सब कुछ ठीक है इंसान के मन में अनहोनी होने के विचार आते हैं, और उठते सोते कुछ बुरा होने की आशंका बनी रहती है ऐसे में काल्पनिक भय को कैसे दूर करें? यह जानना जरूरी हो जाता है।
अधिकतर लोग वास्तविकता में नहीं कल्पना में जीते हैं, यानी वे वर्तमान में नहीं भविष्य में जीते हैं। और भविष्य में कहीं उनसे उनकी प्रिय वस्तु या व्यक्ति दूर न हो जाये इस बात का उन्हें बड़ा भय रहता है।
भाग दौड़ भरी इस जिन्दगी में बढ़ते तनाव की वजह से भारत ही नहीं दुनिया के विभिन्न देशों में आज काल्पनिक भय की यह समस्या बढती जा रही है, ऐसे में वे लोग जो अपने डर से छुटकारा पाना चाहते हैं उन्हें आज का यह लेख जरुर पढना चाहिए।
इस लेख में बताई गई बातों को ध्यानपूर्वक पालन करके आप मन में आने वाले बुरे विचारों पर आसानी से काबू पा सकते हैं।
काल्पनिक भय क्यों आता है? काल्पनिक भय का कारण
काल्पनिक भय हमेशा अज्ञान की कमी से उपजता है, जब मनुष्य को यह ज्ञात नहीं होता की जीवन कैसे जीना चाहिए, किन चीजों को महत्व देना चाहिए और किन चीजों की उपेक्षा कर आगे बढ़ना चाहिए। तो मनुष्य को उन चीजों से लगाव हो जाता है, जिनसे बाद में भय उत्पन्न होता है।
काल्पनिक भय से आशय मन में उठने वाले उन नकरात्मक ख्यालों (Negative Thoughts) से है जिससे मनुष्य निराश हताश रहता है।
इस तथ्य (फैक्ट) को जानते हुए की मेरे जीवन में सब सही है इसके बावजूद मन भयभीत होता है भविष्य में कुछ बुरा न हो जाए इस वजह से मन में बेचैनी और विचलन बढ़ता जाता है।
अतः संक्षेप में कहें तो कुछ बुरा हो जाने के विचारों को ही काल्पनिक भय कहा जाता है। आइये जानते हैं मनुष्य को मुख्यतया किन बातों का भय होता है।
#1. मान सम्मान खो जाने का भय
#2. पसंदीदा वस्तु के छिन जाने या टूट जाने का डर
#3. प्रिय इंसान से दूर हो जाने का डर
#4. नौकरी, पैसा खत्म हो जाने का डर
#5. शक्ति (पावर) का नाश होने का भय
#6. लोगों से सम्बन्ध खराब हो जाने का भय
#7. अपने या अपनों के प्रति अन्याय होने का डर
यह कुछ प्रमुख कारण हैं जिनकी वजह से मनुष्य का दिमाग हमेशा उसे डर के साए में जीने को विवश करता है, चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं
काल्पनिक भय को कैसे दूर करें?
#1. विचारों को नहीं तथ्य को देखें।
देखिये डर बुरा नहीं होता पर व्यर्थ बातों का डर बेहद घातक होता है। अतः सबसे पहले जो फ़ालतू विचार दिन रात आपके जहन पर छाकर आपको भय भीत कर रहा है, उस विचार को गौर से देखिये और समझिये कोई चीज़ क्यों आपके दिमाग और मन में घूम रही है?
फिर देखिये आप इस समस्या को हटाने के लिए क्या उपाय कर सकते हैं, अगर स्तिथि आपके हाथों से बाहर है तो फिर आप थोडा रुकिए।
उदाहरण के लिए आपकी नजर में आपने अतीत में कोई ऐसा कार्य किया जिसकी वजह से आपको लगता है की भविष्य में आपका मान सम्मान और इज्जत घट जाएगी।
तो इस डर से बाहर आने के लिए आपको न तो यह स्वीकार कर लेना है की भविष्य में बुरा होगा और न ही खुद को यह झूठी दिलासा देनी है की कुछ बुरा नहीं होगा।
#2. खुद को सही कार्य में झोंक दें।
अगर आप गौर करें तो पाएंगे जब आप फ्री रहते हैं तो खाली दिमाग में तरह तरह के विचार आते हैं। यही नहीं आप अपने वर्क प्लेस में या ऑफिस में किसी ऐसे काम को करते हैं।
जिसे करते हुए आपको ज्यादा ध्यान मग्न होने की जरूरत नहीं पड़ती तो ऐसी स्तिथि में उस काम को करते रहने के बावजूद फ़ालतू के विचार घूमते रहते हैं।
लेकिन कभी देखा है किसान को, जो दिन भर भरपूर मेहनत करता है और शाम को जैसे ही वह बिस्तर पर जाता है तो गहरी नींद आती है। पर आम लोगों की जिन्दगी ऐसी नहीं होती, कई लोगों को तो गोलियां लेकर नींद आती है।
अतः अगर किसी फ़ालतू के विचार से भयभीत हैं तो आपके एक ही उपाय काम आयगा वह यह है की खुद को किसी ऊँचे काम में समर्पित कर दें। खुद को बेहतर बनाने में कुछ नया सीखने में, खेलने में अपना समय खर्च कर दीजिये ताकि आपके पास फालतू का समय न रहें।
फिर देखिये जो भी छोटे मोटे विचार या कुछ खो जाने के ख्याल आपके दिमाग में आते थे, वह सब बातें बेहद छोटी जायेगी।
#3. जिसे छिन जाने का डर हो, उसका मूल्य नहीं।
कई बार हमें अपनी किसी प्रिय वस्तु के खो जाने का भय होता है, वहीं दूसरी तरफ मन का एक कोना उस चीज़ को खुद से दूर न होने देने के लिए संघर्ष करता रहता है।
अतः मन में एक ऐसा द्वंद (युद्ध) खड़ा होता है जिसमें इंसान के लिए फैसला कर पाना मुश्किल होता है। अगर आपकी जिन्दगी में भी जब ऐसी स्तिथि आती है जब आपको दिन रात किसी चीज़ के खो जाने का या किसी इंसान के दूर हो जाने का डर लगा ही रहता है।
तो समझ जाइएगा आप मोह और लगाव के कारण किसी ऐसी चीज़ को बचाने का प्रयास कर रहे हैं जो आपके हाथ में ही नहीं है।
उदाहरण के लिए आपकी पसंदीदा बाइक के खो जाने या नष्ट हो जाने का भय आपके दिमाग में हर दम घूमता है तो समझ लीजिये आपने गलत चीज़ को महत्व दे दिया है।
अगर आपको जीवन में शांति मंजूर है तो बाइक को या तो आप बेच दीजिये या फिर उस चीज़ को इतना भाव मत दीजिये की वो आपके सिर चढ़ जाए।
#4. जो चीज़ असली है उसका डर नहीं।
परमात्मा ने हर इन्सान को धरती में पूर्ण करके भेजा है, लेकिन इन्सान पूरी जिन्दगी शांति, चैन उन चीजों में खोजता है जहाँ से उसे कभी संतुष्टि मिल ही नहीं सकती।
इंसान जीवन में कई तरह की नकली चीजों को इक्कट्ठा करता है और उनको बचाए फिरता है फिर चाहे वो घर हो, जमीन हो, परिवार और सगे सम्बन्धी हो लेकिन कितना ही वह उन्हें बचा ले एक समय बाद सब कुछ नष्ट हो जाता है। यहाँ तक की वह खुद भी खत्म हो जाता है।
लेकिन जीवन में जितनी भी असली चीजें है जैसे शांति, बोध, सच्चाई, प्रेम इन्हें बचाने की आवश्यकता नही पड़ती।
और यही चीजें वास्तविक धन हैं इन्हें आप जितना बांटते हैं उतना आपके पास बढती जाती हैं। इसलिए कबीर साहब कहते हैं वो धन संचय करें जो आगे काम आये।
अब आप खुद अपनी जिन्दगी को देख लीजिये आप असली को बचा रहे हैं या फिर नकली को बचाने के प्रयास में जीवन गंवा रहे हैं।
#5. डर से आगे मीठा है प्रेम
जीवन में अगर आपको छोटी छोटी बातों का बेहद डर है तो समझ लीजिये जीवन में प्रेम की बेहद कमी है। प्रेम के बिना जीवन नीरस है, सूखा और बेजान है।
लेकिन प्रेम आते ही जीवन मानो बदल जाता है, इंसान पहले जैसा ही नहीं रहता। उसके जीवन में सच्चाई,शान्ति और समझ आ जाती है फिर ऐसे इंसान को छोटी छोटी बातें तो क्या अगर कोई मारने की भी धमकी दे तो वह नहीं डरता।
तो अगर जीवन में निडरता चाहिए तो ऐसा प्रेम अकस्मात नहीं आएगा, बल्कि करना पड़ता है। जो चीज़ जिन्दगी में करने लायक है, महत्वपूर्ण है उसे निष्काम भाव से करना ही प्रेम का सूचक है।
जब आपके लिए कोई चीज़ इतनी जरूरी हो जाती है जिसके लिए आप अपना सब कुछ सौंपने के लिए तैयार हो जाएँ तो समझ लीजियेगा वास्तव में प्रेम हुआ है।
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अंतिम शब्द
तो साथियों इस पोस्ट को पढने के बाद काल्पनिक भय को कैसे दूर करें? अब आप भली भाँती समझ गए होंगे, अगर इस लेख को पढ़कर जीवन में कुछ स्पष्टता और रोशनी आई है तो कृपया इसे अधिक से अधिक लेख को शेयर करना मत भूलियेगा।