कलयुग में गुरु कैसे बनाएं? ऐसे ढूंढें सच्चे गुरु को

जीवन में गुरु की भूमिका क्या होती है? यह समझना हो तो भगवान राम, कबीर साहब, स्वामी विवेकानंद जैसी महान हस्तियों के जीवन को देख लीजिये। ऐसे में सवाल है कलयुग में गुरु कैसे बनाएं?

कलयुग में गुरु कैसे बनाएं

हमारे देश में प्राचीन समय से ही गुरु परम्परा रही है, गुरुओं के ज्ञान और आशीर्वाद को पाकर लोगों को अपने दुःख, बन्धनों से मुक्ति मिली और वे अपने जीवन को सार्थक बना पाए।

पर चूँकि समय बदल गया है, आज की शिक्षा व्यवस्था, सामजिक ढाँचे में काफी परिवर्तन आ चुका है। आज जितना ज्यादा सच्चे गुरु को ढूंढना मुश्किल है उतना ही जरूरी है ढोंगी गुरुओं से बचना।

एक सच्चे गुरु की संगती से एक इंसान भवसागर से अपनी नौका पार लगा सकता  है, तो वहीँ पाखंडी और तथाकथित धार्मिक गुरुओं की शरण में जाकर व्यक्ति और भी घटिया जीवन जीने के लिए मजबूर हो जाता है।

दुर्भाग्य से आज स्वयं को गुरु को बताने वाले अधिकांश लोग शिष्यों के माध्यम से ही अपनी जेब भर रहे हैं और अपने निजी स्वार्थों को पूरा कर रहे हैं। ऐसे विकट समय में आप सही निर्णय ले सकें और एक सच्चे गुरु की शरण में जा सके, इसके लिए आइये जानते हैं

आखिर कलयुग में गुरु कैसे बनाएं? 

किसी गुरु की शरण पाने से पहले एक सच्चे गुरु की पहचान करना बेहद आवश्यक है। कलयुग में सच्चे गुरु की पहचान करनी है तो बता दें सच्चे गुरु का एकमात्र लक्षण यह है की  एक सच्चा गुरु न तो आपको सच्चा लगेगा और न ही अच्छा।

जी हाँ अगर लगता है गुरु की बातें मीठी मीठी है, और उनकी बातों पर चलना उन्हें अपनाना बेहद आसान है तो समझ लीजियेगा अपने गुरु भी अपने ही जैसा चुन लिया है।

आप जैसे हैं आपने अपना गुरु भी वैसा ही चुन लिया तो फिर कोई लाभ होगा नही, उदाहरण के लिए आप लालची हैं और आपने गुरु ऐसा चुन लिया जो आपको धन, सम्मान इत्यादि जैसे लालचों की पूर्ती करने में मदद करता हो।

बस अब आपका बेडागर्क होना तय है, आजकल अधिकांश गुरु ऐसे ही तो हैं जो कहते हैं तुम्हारे जो भी दुःख, कामनाएं हैं वो सब पूरी हो जाएँगी हमारी शरण में आ जाओ। और ये एक ऐसा दलदल है जिसमें शिष्य जितना गुरु के नजदीक जाएगा उतना उस दलदल में धंसता चला जायेगा।

और अगर गुरु सच्चा होगा तो वो आपको सुहाएगा नहीं उसकी बातें, उसकी विधियाँ आपको उससे नफरत करने पर मजबूर कर देंगी। क्योंकी सच्चा गुरु आपकी दुखती नस पर हाथ रख देगा वो जान जायेगा शिष्य मेरा लालची है, डरा हुआ है, कपटी है इत्यादि।

और वो आपको पहले जैसा रहने नहीं देगा, इसलिए फिर वो आपको तुम्हारे ही दुखी और बद्दतर हाल से बेहतर बनाने के लिए हरसम्भव प्रयास करेगा। और मजेदार बात यह है की ऐसे गुरु के पास कोई टिकना नही चाहता।

मात्र हजार में से आमतौर पर 10 लोग ही होंगे जो ऐसे गुरु के पास रहने और जीवन में सच्चाई का साथ दने  का फैसला लेते हैं।

इसलिए ऐसे गुरुओं को आमतौर पर आसानी से लोकप्रियता भी नहीं मिलती। क्योंकि ऐसा गुरु तो हत्यारे की तरह होता है जो शिष्य के दुख, पीड़ा, लालच इत्यादि से भरी हुई उसकी घटिया जिन्दगी को ही खत्म कर देता है।

पर दूसरी तरफ वे लोग जो प्यारी और झूठी बातें करते हैं, उनके लिए लोगों को ठगना और अपना अनुयाई बनाना आसान हो जाता है। इसलिए कोई गुरु मिले जिनके करोड़ों followers हो तो जल्दी से उसके सामने झुक मत जाना।

बस चौकन्ने होकर देख लेना यहाँ चल क्या रहा है? आमतौर पर जिनको जितनी लोकप्रियता मिली होती है वो उतने ही ढोंगी, झूठे और स्वार्थी गुरु होते हैं। तो उनसे अपना शोषण होने से बचाना है तो फिर सच्चे गुरु को जानने की उपरोक्त विधि को जरुर आजमाइयेगा।

 पढ़ें:-  कलयुग में सच्चा गुरु कौन है?

शिव को गुरु कैसे बनाएं?

अगर आप किसी भौतिक इन्सान को गुरु नहीं बनाना चाहते, आपको जीवन में कोई ऐसा नहीं मिला जिसकी शरण में जाकर आप खुद को समर्पित कर दें जो भरोसे के काबिल हों तो आपके लिए शिव से बड़ा गुरु कौन हो सकता है।

शिव वे हैं जो सदा मौन रहते हैं जिन्हें विनाश का देवता कहा जाता है। दूर पर्वत में कहीं बैठकर जो लगातार प्रकृति को देख रहे हैं लेकिन शांत हैं, ध्यान में बैठे हुए हैं।

ऐसे शिव को यदि आप अपना गुरु मानकर उनके महत्व को समझते हुए जीवन जीते हैं तो यकीन मानिए आपके सब दुखों का नाश होना तय है। शिव कहते हैं जो मुझपे लीन हो गया वो स्वयं भी शिव हो जाता है।

जी हाँ बात आपको सुनने में आसान लग रही हो और आप ये भी सोच सकते हैं की सुबह सुबह बैठकर ॐ नमः शिवाय इत्यादि मन्त्र जाप करने से शिव का आशीर्वाद मिल जायेगा।

तो ये सम्भव नहीं है, वास्तव में चाहते हैं शिव का आशीर्वाद आपके जीवन में दिखाई दे तो आपको पहले शिव को समझना होगा। आपको जानकार हैरानी होगी अधिकांश हिन्दू शिव के बारे में बस मनगढ़ंत बातों के सिवा कुछ नहीं जानते।

वाकई शिव से सीखना उनका सच्चा भक्त है तो पहले आपको उन्हें जानना होगा।

पढ़ें:- शिव जी के तीसरे नेत्र के रहस्य को जानकर चौंक जायेंगे! 

ॐ नमः शिवाय पुस्तक पढ़ें और जानें भगवान शिव को

गुरु कब बनाना चाहिए?

यूँ तो बाल्यकाल की अवस्था में ही गुरु का सानिध्य पाना सबसे उत्तम होता है, क्योंकि यह वह उम्र है जब बालक जैसा सीखता और देखता है उसी दिशा की तरफ बढ़ना उसका आसान हो जाता है। पर चूँकि सबका ऐसा सौभाग्य नहीं होता की उन्हें सच्चे गुरु की प्राप्ति बचपन में ही हो जाए

अतः यह कहा जा सकता है संयोग से या तुम्हारी खोज के परिणामस्वरुप जिस उम्र में आपको गुरु का साथ मिल जाये वही समय आपके लिए उत्तम है।

जैसे एक बेहोश व्यक्ति को जिस पल होश आ जाये, जब उसको अपनी सच्चाई का अहसास हो जाए वही समय उसके लिए श्रेष्ठ हो जाता है उसी प्रकार आपको भी जितना जल्दी हो जाये सत्य की दिशा की तरफ आगे बढ़ना चाहिए।

गुरु बनाने से क्या होता है?

गुरु बनाने से इन्सान का जीवन बदलता है, गुरु एक डॉक्टर की भाँती होता है जो शिष्य की इच्छाओं को और उसके जीवन की सच्चाई को उघेडकर सामने रख देता है। गुरु शिष्य को उसकी खराब हालत से परिचित करवाता है ताकि वह एक सही जीवन जी कर अपने जन्म को सार्थक कर सके।

प्रायः हम जैसे होते हैं हमारी हालत बहुत दयनीय होती है, हम अपने रिश्तों में, जिन्दगी में बार बार एक ही गलती बार दोहराते हैं और अफ़सोस की बात है कोई हमें बताने वाला भी नहीं होता।

जिसकी बात हम सुन सके और बार बार धोखा खाने से बच सके। ऐसी स्तिथि में गुरु हमारे लिए वह माध्यम बनकर उभरता है जो हमें हमारी मंजिल तक पहुंचाने में सहायता करता है।

सम्बन्धित पोस्ट जरुर पढ़ें:-

सांच बराबर तप नहीं झूठ बराबर पाप | दोहे का सच्चा अर्थ

उपनिषद क्या है? महत्व, प्रकार और महत्वपूर्ण सूत्र

ध्यान के चमत्कारिक अनुभव पाने हैं? तो ये विधि जानिए।

अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के पश्चात कलयुग में गुरु कैसे बनाएं? इस प्रश्न का सीधा और सटीक जवाब आपको इस लेख में मिल गया होगा। उम्मीद है आप एक सच्चे गुरु की सानिध्य में जीवन में सही दिशा पर आगे बढ़ पाएंगे। अगर यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित हुआ है तो कृपया इस लेख को सोशल मीडिया पर भी जरुर शेयर करें।

Leave a Comment