सही कर्म करोगे तो इसका परिणाम अच्छा मिलेगा यह हम आमतौर पर सुनते हैं पर वास्तव में कर्म क्या है? कर्म का सिद्धांत क्या है? कर्म का चुनाव कैसे चुनें? हमें मालूम नहीं होता।
इसलिए आज हम कर्म के विषय पर जरा बारीकी से समझेंगे क्योंकि जब जीवन में कर्म तो निरंतर सभी को करने हैं तो क्यों न इस विषय पर जरा खुलकर बातचीत की जाए।
कई बार लोगों के मन में इस तरह के प्रश्न आते हैं की मुझे कौन सी नौकरी करनी चाहिए? या फिर अंधकार और पाप की इस दुनिया में जब सब लोग बुरे कामों की तरफ बढ़ रहे हैं तो ऐसे समय में मेरे लिए सही कर्म क्या है?
एक बार कर्म की पहले को ध्यान से समझ लें तो आपके लिए सही निर्णय लेना आसान हो जाएगा।
कर्म क्या है | What is Karma in Hindi
कर्ता द्वारा अपने उद्देश्य की पूर्ती हेतु लिया गया निर्णय कर्म कहलाता है। कर्म से आशय क्रिया/काम से है। चूँकि जीते जी कर्म करने के सिवा उसके पास कोई विल्कप नही होता अतः मनुष्य अपने जीवन में विभिन्न कर्म करता है लेकिन किसी भी कर्म को करने से पहले उसे करने वाला कर्ता पीछे उपस्तिथ रहता है।
उस कर्ता को हम सीधे तौर पर देख तो नहीं सकते, क्योंकि सीधे तौर पर हमें हमारे कर्मों से ही हमें जांचा परखा जाता है। लेकिन जैसा की हमने कहा जब भी कोई कर्म इंसान करता है उसके पीछे कर्ता का कोई न कोई मकसद जरुर होता है, इसलिए कर्म अच्छे या बुरे नहीं होते बल्कि कर्ता की नियत कैसी है ये महत्वपूर्ण होता है।
उदाहरण के लिए किसी गरीब को रोटी देना एक श्रेष्ठ कर्म माना जाता है, पर यदि कर्ता इस उद्देश्य से उसे रोटी दे रहा है की समाज में उसे प्रतिष्ठा मिले, उसे वोट मिले तो क्या आप तब भी कहेंगे की उस मनुष्य से ठीक कर्म किया?
नहीं न, पर हम बाहर से जांच लेते हैं की मनुष्य के कर्म क्या हैं? पर भीतर बैठे कर्ता की मंशा हम समझ नहीं पाते।
अतः कर्म से पहले आता है कर्ता, अगर कर्ता की नियत भलाई की है तो फिर यह इंसान जो भी कर्म करेगा वो निश्चित रूप से अच्छे ही होंगे।
इसलिए कहा गया की कर्मों से ज्यादा मन को देखो। एक स्वच्छ मन से व्यस्क इन्सान यदि बच्चों वाली हरकतें भी करता है तो ठीक है, लेकिन यदि कपटी इरादे से वो किसी की भलाई भी करता है तो वो बुरा कर्म कहलायेगा।
इसी तरह सम्भव है की कोई कहे मैं समाज सेवा करना चाहता हूँ, लेकिन उसके भीतर पैसे और पावर की भूख है तो ऐसा इन्सान फिर जो भी कर्म करेगा अपने गलत इरादों को पूरा करना कहलायेगा।
कर्म का सिद्धांत क्या है?
कर्म के सिद्धांत के अनुसार कर्म अच्छे हो या बुरे दोनों का फल तत्काल मिलता है, अर्थात इन्सान को अच्छे कर्म करने के लिए पहले अच्छा बनना पड़ता है।
अतः अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति को परिणाम का इन्तेजार नहीं करना पड़ता, बल्कि सही काम से पहले उसके विचार शुद्ध हो गए, उसका मन साफ़ हो गया अतः उस नेक मन से वो जो भी करेगा वह शुभ होगा।
दूसरी तरफ आप कोई बुरा कर्म करते हैं तो आप उसी पल बुरे हो गये जिस पल आपने बुरा करने का फैसला लिया था अतः अब आप जो भी बुरा कार्य करोगे आप गलत इरादे से ही कर पाओगे। क्योंकि आप मन में बुरा सोचकर कोई भी अच्छा कर्म नहीं कर सकते।
उदाहरण के लिए किसी की हत्या करने से पहले इन्सान को भीतर से हत्यारा बनना पड़ेगा उसी तरह चोरी करने से पहले उसे मन में चोर बनना होगा तभी वह चोरी कर पायेगा।
अतः इस बात से आप समझ सकते हैं की कर्म का सिद्धांत यह बिलकुल नहीं कहता की आपके शुभ या अशुभ कर्मों का फल आपको अगले जन्म में मृत्यु के पश्चात मिलेगा।
जैसा की हमारे समाज में प्रचलित है यह एक झूठी अवधारणा है आपको इससे बचना चाहिए। आपको अच्छे कर्म इसलिए करना चाहिए क्योंकि इसी जीवन में इसी पल आप बुरे न बन सके।
अच्छे कर्म किसका प्रतीक हैं?
अच्छे कर्म देवत्व का प्रतीक हैं, हमारे ही भीतर राक्षस भी बैठा है जो अपने फायदे के लिए लोगों से, प्रकृति से भी खिलवाड़ करना चाहता है वहीं हमारे अन्दर देवता भी विराजमान हैं जो हमें झूठ, असत्य के आगे न झुकने के लिए बल देते हैं।
पर आमतौर पर हमारे भीतर झूठ, अशांति के रूप में राक्षस हम पर हावी रहता है, यह जानते हुए भी क्या बुरा है, किस चीज़ से हमारे जीवन में सच्चाई, शान्ति नहीं आ सकती।
उस काम को भी हम बार बार करते हैं जो ये दर्शाता है की भीतर का राक्षस हमें बुरे कर्म को करने के लिए प्रेरित करता है। और हम 100 में से 90 मामलों में उस राक्षस के सामने हार जाते हैं।
लेकिन कभी ऐसा भी होता है की हम किसी चीज़ के लिए किसी भी कीमत पर पीछे नही हट सकते यही बात दर्शाता है की भीतर देवत्व है।
उदाहरण के लिए आप यह जान गए की जानवरों की हत्या करना ठीक नहीं है, और उन्हें अपना भोजन बनाने का कोई अधिकार मनुष्य के पास नहीं है। अब आप भले ही कितने भूखे हों आप कह रहे हैं की जान चली जाए पर दूसरे प्राणी का खून पीकर मैं जिन्दा होना नहीं चाहता।
इसी तरह जब आप जीवन में सच्चाई को इतना सम्मान देते हैं और किसी सही चीज़ के लिए अडिग रहते हैं तो समझ लीजियेगा की आपके भीतर राम हैं जो आपको झूठ के आगे झुकने से बचाते हैं।
लेकिन अगर भीतर ऐसा कुछ नहीं है जिससे आपको प्रेम हो तो और जिसकी रक्षा के लिए आप कुछ भी कर सकते हैं तो समझ लीजियेगा आपने अपने हृदय में राम की जगह राक्षस को दी है।
कर्म की विशेषताएं
जंगलों में आप जायेंगे तो कोई भी जानवर काम नहीं करता वो सिर्फ अपना पेट चलाने के लिये इधर से उधर घूमते फिरते हैं, इन्सान ही है।
एकमात्र इस पृथ्वी में जिसके लिए पेट भरने से भी ज्यादा कुछ और जरूरी है। इन्सान ही हैं जो शांति और तृप्ति की तलाश में कई कर्म करता है, तो आइये जानते हैं मनुष्य को मिले इस उपहार का उसे कैसे फायदा होता है।
#1. सही कर्म, सही जिन्दगी।
कर्म की सबसे बड़ी विशेषता यही है की यह हमारी जिन्दगी को सार्थक बना देते हैं, इंसान बेहद कम समय के लिए इस पृथ्वी में आता है और यही चार दिन का जीवन उसके लिए मौका होता है की या तो वह इस जिन्दगी को अय्याशी करने में, मजे मारने में, भोग में गवा दे।
या फिर इसी जिन्दगी में अपने तमाम तरह के दुखों से, अपनी ही बेड़ियों को काटकार मुक्त हो सके।
अगर आप ऐसे कर्म कर रहे हैं जिससे आपकी जेब ही नहीं भर रही बल्कि इस समाज, दुनिया का भला होता है तो ये शुभ कर्म यानी सही कर्म हैं लेकिन अगर कोई जिन्दगी अपना ही पेट चलाने के लिए और सुख भोगने के लिए जी जा रहा है तो इस अनमोल जीवन को गंवा बैठोगे।
सही जिन्दगी जीना थोडा मुश्किल और अलग जरूर है पर इस जिन्दगी को जीने का बड़ा लाभ होता है की आपको किसी से बेवजह डरना नही पड़ता, दुनिया के इशारों पर चलना नहीं पड़ता। आपको किसी की गुलामी नहीं सहनी पड़ती। किसी को धोखा नहीं देना पड़ता ऐसा जीवन जीना भी कोई आम बात है क्या?
#2. चुनाव का अधिकार
कृष्ण भगवान गीता में अर्जुन को स्पष्ट कह रहे हैं की देख अर्जुन कर्म से तो तू बच नहीं सकता, कर्म तो करने होंगे ही। लेकिन कर्म कैसे करने हैं ये चुनाव सदा हमारे पास मौजूद है। हम जैसे कर्म करने का चुनाव करेंगे वैसा ही हमें फल भुगतने के लिए तैयार रहना होगा
हम चाहे तो कृष्ण को पाने के लिए भी कर्म कर सकते हैं, वहीँ हम चाहे तो भीतर के रावण को खुश करने के लिए भी कर्म कर सकते हैं।
एक बात तय है जो भी चुनाव हम करेंगे उसी के अनुरूप हमें फल चखने को मिलगा। अतः आज ही देखिये अपनी जिन्दगी को क्या आप कृष्ण के साथ हैं या फिर रावण के।
#3. कर्म आपको दुखों से आजाद करते हैं।
कर्म ही इंसान को परेशानी में डालते हैं, उसे गलत रिश्ते, गलत नौकरी चुनने के लिए मजबूर करते हैं। लेकिन यही कर्म उसे उसके जीवन में मौजूद तमाम तरह के दुखों से आजाद कर सकते हैं। तो जरा खुद से पूछिए क्या आपके कर्मों से आपके जीवन में शान्ति आ रही है, प्रेम बढ़ रहा है या फिर इर्ष्या और द्वेष बढ़ रहा है?
जी हाँ कर्म की बड़ी विशेषता यह है की यह आपको साफ साफ़ बता देते हैं की जीवन दुःख और बन्धनों में बीत रहा है या फिर आजादी और प्रेम में। आप अगर फैसला ले लें की जीवन में कुछ हो जाए शांति, सच्चाई और आजादी के साथ समझौता नहीं करूंगा तो फिर आपके कर्म भी वैसे ही हो जायेंगे।
लेकिन अगर लालच और डर ज्यादा हावी हो गए तो समझ लीजियेगा अब आपके ही कर्म आपको और ज्यादा तकलीफ देंगे।
#4. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
इस बात में कोई दो राय नहीं आपके कर्मों का प्रभाव आपके मन और शरीर दोनों पर पड़ता है। यदि इन्सान के कर्मों में हिंसा, द्वेष शामिल है।
तो जाहिर है उस काम को करके मन भी गंदा होगा। दूसरी तरफ यदि कर्म का उद्देश्य दूसरे की भलाई और बेहतरी है तो आपके मन पर उसका अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
तो इसलिए जब भी कोई नौकरी, व्यापार चुनें खुद से जरूर पूछियेगा की इससे मन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। साथ ही शरीर पर भी कर्मों का प्रभाव पड़ता है।
सही काम करने का बड़ा फायदा यह रहता है आप उसमें भरपूर उर्जा लगा पाते हैं, अतः आपको अच्छी नींद आती है, अच्छे काम से आने वाले आत्मविश्वास से आँखे चमकती है और तनाव और बीमारियाँ कम होती हैं।
#5. कर्म अनुभव देते हैं।
देखा है बुजुर्ग लोग अक्सर कहते पाए जाते हैं की देखो बेटा हमने अपनी जिन्दगी ऐसे जी, ऐसे कार्य किये इत्यादि। तो चाहे आप जीवन में अच्छे कर्म करें या फिर फालतू के कार्यों में ही जिन्दगी गुजार दें, दोनों ही परिस्तिथियों में एक बात निश्चित है की आपके पास अनुभव जरुर होंगे।
हालाँकि बुरे कार्य करने पर इंसान को जो अनुभव होते हैं उससे उसे अपनी गलती पर पछतावा होता है, और अगर आपने बहुत देर नहीं की हो तो सम्भव है आप अपनी गलतियों को भी सुधार लें।
इसी तरह अगर आपने अच्छे काम किये हैं तो जाहिर हैं उसका अच्छा परिणाम भी हुआ होगा और आप उसी अनुभव को फिर आप दूसरों के साथ भी सांझा करेंगे।
हमारे लिए सही कर्म क्या है? कैसे चुनें?
अगर आप जानना चाहते हैं की जिन्दगी में सही काम या सही नौकरी का चयन कैसे करें, तो देखिये दो तरीके हैं सही कार्य का चयन करने के, पहला अपने आंतरिक जगत को देखिये।
और जानिये कौन सी आपकी कमजोरियां हैं, जिनके आगे आप घुटने टेक देते हैं। तो आपके लिए सही कार्य वह है जिस काम को करने से आपकी यह कमजोरी टूटे।
उदाहरण के लिए आपके मन में पैसों के प्रति अधिक मोह और लालच है तो ऐसी नौकरी पकडिये जिसमें काम अच्छा हो लोगों की भलाई होती हो अब भले इस काम में पैसा कम मिले।
इसी तरह अगर आपको लोगो से बातचीत करने में डर लगता है तो काम ऐसा चुनिए जिसमें आप ज्यादा से ज्यादा लोगों से बातचीत कर सके।
दूसरा, अगर आप पाते हैं आपके मन में न लालच है और न कोई अधिक कमजोरी है और आप बस एक सही काम को चुनना चाहते हैं जिसे करके जिन्दगी जीना सार्थक हो तो देखिये दुनिया में बहुत से ऐसे काम हैं जिन्हें करके प्रकृति और दुनिया का भला होता है। पर ऐसे काम आपको नौकरी डॉट कॉम में नहीं मिलेंगे।
आपका प्रेम ही आपको रास्ता बतायेगा जिससे आप उस काम को करने के तरीके तलाशेंगे। मन में अगर प्रेम है तो आप उस काम को करने का तरीका ढूंढ ही निकालेंगे। इस तरह का काम करने का बड़ा फायदा यह होता है की आपको काम से फुर्सत नहीं मिलती आप खाली नहीं बैठे रहते।
क्योंकि काम से जब आपको प्रेम हो जाता है तो फिर आप घड़ी में समय नहीं देखते आप फिर उस काम को करते रहते हैं।
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अंतिम शब्द
तो साथियों इस पोस्ट को पढने के बाद कर्म क्या है? कौन सा कर्म चुनें? अब आपको भली भाँती मालूम हो चुका होगा, इस लेख के समबन्ध में आप अपने विचारों को कमेन्ट बॉक्स में बता सकते हैं, साथ ही इस पोस्ट को शेयर भी कर दें।