कुण्डलिनी जागरण के समय शरीर में दर्द क्यों होता है? 100% समाधान

कुंडलिनी जागरण के विशेष लाभों को पाकर एक सुखी और स्वस्थ्य जीवन जीने की आशा के साथ हर साल लाखों लोग भारत में कुंडलिनी जागरण का अभ्यास करते हैं, ऐसे में आज हम कुण्डलिनी जागरण के समय शरीर में दर्द क्यों होता है? जानेंगे।

कुंडलिनी जागरण के समय शरीर में दर्द क्यों होता है

गुरु के सानिध्य में लोग कुंडलिनी शक्ति जागरण की प्रक्रिया को शुरू तो कर देते हैं, पर वास्तव में इसका लाभ कितने लोगों को हुआ है? यह आज तक कोई नहीं जान पाया है। क्योंकि मामला पूरी तरह व्यक्तिगत है।

हालाँकि एक बात पूरी तरह तय है की अधिकांश लोगों को कुंडलिनी जागरण की विधियों का पालन करने के दौरान न सिर्फ मानसिक बल्कि शारीरिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।

क्योंकि ध्यान की विधि में लम्बे समय तक एक ही दिशा में बैठकर या उठकर ध्यान केन्द्रित करना आसान नहीं होता। लेकिन साधक इस आशा के साथ की भविष्य में कभी तो उनकी यह तपस्या और त्याग उन्हें फल देगा।

वे पूरे विश्वास के साथ लगे रहते हैं, तो चलिए अब हम जानते हैं वह मुख्य कारण जिसकी वजह से कुंडलिनी जागरण के समय शरीर में तकलीफ होती है।

कुण्डलिनी जागरण के समय शरीर में दर्द क्यों होता है?

कुंडलिनी शक्ति जागृत करने की विधि को गौर से यदि आप समझें तो आप पाएंगे की ये पूरी प्रक्रिया ही इस तरह बनाई गई है जिससे साधक का ध्यान उसके जीवन की बाकी सभी गतिविधियों से हट जाये।

उसे भीतर मौजूद इस आंतरिक शक्ति को जगाने के लिए जो अभ्यास बताये जाते हैं वो इस कदर तैयार किये जाते हैं जिससे की वो इस काम में मशगूल हो जाये।

उदाहरण के लिए कुंडलिनी शक्ति में मूलाधार चक्र को जागृत करने के लिए लम्बे समय तक रीढ़ की हड्डी के बल पर सीधा बैठना होता है। आँख बंदकर जब साधक इस विधि का पालन करता है तो उसे बाहरी चीजें तो दिखनी बंद ही हो जाती हैं।

इसके साथ साथ उसे भीतर से अपने गुदा और जननेन्द्रियों के बीच के स्थान पर ध्यान केन्द्रित करने की सलाह दी जाती है। ताकि उसका ध्यान अपने परिवार, दोस्त, नौकरी इत्यादि से पूरी तरह हटकर इस कार्य में लग जाये।

साथ ही ध्यान को और गहरा बनाने के लिए साधक को कहा जाता है सुबह शाम 2-2 घंटे इस विधि का प्रयास करें। अब आप बताइए जब हम मात्र 5 मिनट भी बिना हिले डुले नहीं रह सकते तो फिर दो घंटे तक एक ही मुद्रा में बैठे रहना आसान है?

ठीक इसी तरह जैसे बिना हिले 1 घंटे लगातार खड़े रहने से पैरों में दर्द होता है इसी प्रकार 2 घंटे एक ही दिशा में बैठने से शरीर तो जवाब देगा ही न। आप भले शारीरिक रूप से स्वस्थ्य हो पर भाई। शरीर में दर्द तो सभी को होता है।

तो कुंडलिनी जागरण के समय शरीर में दर्द होने के पीछे कोई गुप्त रहस्य नहीं है, ये बात स्पष्ट है की जिन विधियों का अभ्यास साधक करता है वही विधियाँ उसके शरीर में पीड़ा उत्पन्न करती है।

क्या कुंडलिनी दर्द पैदा कर सकती है?

बिलकुल, वे लोग जो कुंडलिनी शक्ति जागृत करने का प्रयास रोजाना करते हैं उन्होंने कई बार इस बात का दावा किया है की पीठ और गर्दन में दर्द की भारी समस्या देखने को मिलती है। साथ ही उन्होंने माना है की साधना में लीन होने से उनके कई अंग सुन्न हो जाते हैं, वे काम करना बंद कर देते हैं।

तो निश्चित रूप से कुंडलिनी जागरण का कार्य सरल तो बिलकुल भी नहीं है, अतः जो इंसान पूरी तरह स्वस्थ्य और तन्दुरुस्त नहीं है उसके लिए कुंडलिनी शक्ति जागृत करना बेहद हानिकारक साबित हो सकता है। इस बात की चेतावनी स्वयं वह बाबा या पंडित भी देते हैं जो इस तरह के कोर्स बेचते हैं।

कुण्डलिनी जागरण के समय शरीर में दर्द का 100% उपाय 

इस समस्या का एकमात्र उपाय है समझ, और जब तक वह समझदारी जीवन में आयेगी नहीं आपके इस दर्द को कम करने से कोई नहीं रोक पायेगा।

यदि आप वाकई अपने शरीर को इस तकलीफ से बचाना चाहते हैं तो हमारा आपसे एक ही मूल प्रश्न है की आपको इस बात पर कैसे इतना पक्का यकीन है की कुंडलिनी शक्ति ऐसा करने पर जागृत हो जाएगी?

यदि हाँ तो क्या आप उन लोगों के नाम बता सकते हैं जिन्होंने आज तक ठीक इसी विधि से अपनी कुंडलिनी शक्ति जागृत की है? और दुनिया का भला किया है?

महात्मा गांधी, स्वामी विवेकानन्द, संत कबीर और जितने भी महापुरुष भारत की धरती पर पैदा हुए यहाँ तक की प्रभु श्री राम और कृष्ण जो अपने महान कर्मों से इस पृथ्वी पर अमर हो गए।

क्या उन्होंने कभी कुंडलिनी शक्ति और इन विधियों का पालन किया? अगर ये बात इतनी उपयोगी होती तो श्रीमदभगवद गीता जिसमें पूरा जीवन का शाश्त्र है उसमें तो कहीं इस बात को अर्जुन पूछते और कृष्ण बताते।

ये कैसी मायावी चीज़ है जिसका वर्णन हमें हमारे उच्चतम धर्म ग्रन्थ उपनिषद, गीता, वेदांत में नहीं मिलता लेकिन आजकल के पाखंडी इसके बारे में बहुत जानते हैं।

देखो, बात इतनी सी है एक सच्ची और सही जिन्दगी जीना आपका अधिकार है और यही आपका लक्ष्य होना चाहिए। पर जीवन में इस समय जो आपके दुःख हैं, कष्ट हैं और तमाम तरह की परेशानियां हैं उनका हल आप इस तरह की विधियों को करके करेंगे।

तो न तो वो पुरानी परेशानी ठीक होगी और जो आप जबरदस्ती अपने शरीर को तकलीफ दिए जा रहे हो वो और बढ़ जाएगी।

इसलिए प्रिय पाठक आपकी समस्या का एकमात्र उपाय है खुद से पूछना की क्या ये मैं जो कर रहा हूँ? वाकई करने लायक है? पैसे की कमी, घर में अशांति, परिवार की चिंता जैसी जिस भी समस्या से आप जूझ रहे हैं इसका उपाय तब होगा जब आप धन कमाने का प्रयास करेंगे, और दुःख और चिंता की वजह जानकार उसे सुलझाएंगे।

इसके बजाय घंटों ध्यान करके आपकी समस्या सुलझेगी? ये तो वही बात है बाहर लड़ाई हो रही है और आप कह रहे हैं ये लड़ाई शांत हो जाएगी यदि मैं घर में ॐ नमः शिवाय कहूँगा।

जिन्दगी ऐसे नहीं चलती भाई।। जीवन में जिम्मेदारी लेनी पड़ती है, इस तरह के अंधविश्वासों से बचो। और जो आप कह रहे हैं ये पूरी तरह अन्धविश्वास है ऐसा हम क्यों कह रहे हैं? इसके पीछे खास वजह समझनी है तो निम्नलिखित पोस्ट पढ़ें!

कुंडलिनी जागरण का रहस्य | पूरा सच

कुंडलिनी जागरण के 7 बड़े नुकसान

अंतिम शब्द 

तो साथियों इस पोस्ट को पढने के बाद कुण्डलिनी जागरण के समय शरीर में दर्द क्यों होता है? आप भली भाँती समझ गये होंगे। इस पोस्ट को पढ़कर यदि आपके जीवन में कुछ स्पष्टता आई है और आपको सच्चाई मालूम हुई है तो कृपया इस लेख को अधिक से अधिक सोशल मीडिया पर शेयर कर अन्य लोगों तक भी जरुर शेयर कर दें।

2 thoughts on “कुण्डलिनी जागरण के समय शरीर में दर्द क्यों होता है? 100% समाधान”

Leave a Comment