कुंडलिनी जागरण के 7 बड़े नुकसान | सावधान हो जाइए।

इन दिनों अनेक ठग लोग कुंडलिनी चक्र जागृत करके लोगों को इससे होने वाले दिव्य चमत्कारों को बतलाकर लोगों के जज्बातों के साथ खेल रहे हैं हैं, तो इससे पहले की आप इस तरह की विधि के शिकार हो आपके लिए कुंडलिनी जागरण के नुकसान समझने जरूरी हो जाते हैं।

कुंडलिनी जागरण के नुकसान

हाल ही में ऐसे कई मामले आये हैं जहाँ कुंडलिनी योग के नियमित अभ्यास से फायदा होने के स्थान पर लोगों की मानसिक रूप से परेशानी बढ़ी है। लोगों में चक्कर आने, उलटी आने जैसे उनके मामले देखे गए हैं।

अतः बिना जाने समझें कुंडलिनी जागरण की इस विधि का उपयोग करना खतरनाक हो सकता है। तो इससे पहले की आप किसी बाबा, तांत्रिक या स्वयं को पंडित, ज्योतिष बताने वाले किसी व्यक्ति के सम्पर्क में आकर कोई कदम उठायें।

आपको सावधान हो जाना है, नीचे हमने कुंडलिनी जागरण के नुकसान की जानकारी दी है। ताकि आप अपनी समझ और बुद्धि से जीवन में सही फैसले ले सकें।

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कुंडलिनी जागरण के ये नुकसान जानकर दंग रह जायेंगे!

बहुत से लोग जीवन में परम आनंद, प्रेम, शांति और अनेक तरह के दिव्य अनुभवों को पाने की मंशा के साथ कुंडलिनी जागरण करने के लिए खास तरह के नियमों का पालन करते हैं वे किसी ख़ास मुद्रा में घंटों बैठे रहते हैं और विशेष दिशा की तरफ खड़े होकर श्वांस की तमाम विधियों को अपनाते हैं।

और कुंडलिनी शक्ति जागृत करने के लिए किसी भी अवस्था का आँख बंद कर पालन करने लगते हैं। यदि आप भी ऐसा ही करते हैं या करने की सोच रहे हैं तो आपको भयंकर नुकसान झेलने को मिल सकते हैं नीचे आपको कुंडलिनी जागरण के नुकसानों के बारे में बताया गया है।

#1. कुंडलिनी चक्र को योग या व्यायाम समझना।

सबसे बड़ी और जरूरी बात यह है की कुंडलिनी चक्र किसी ऊँची बात का प्रतीक है, पर हम इसे किसी शारीरिक योग या व्यायाम के तौर पर देखते हैं। और हमें लगता है किसी योग विधि का लगातार पालन करते रहने से हमें कुछ दिव्य लाभ हो जायेगा।

पर वास्तव में कुंडलिनी जागरण में मूलाधन चक्र से शुरू होकर सातवाँ सहस्रार चक्र हमारे शरीर को नहीं बल्कि हमारे जीवन की अवस्था को इंगित करता हैं।

मूलाधार चक्र हमारी प्राकृतिक अवस्था को इंगित करता है। प्राकृतिक रूप से आलस्य, मोह, लोभ, लालच जैसे गुण जो जानवरों में पाये जाते हैं वे एक इंसान में भी देखे जाते हैं।

इसलिए कुंडलिनी चक्र हमें इशारा देता है की तुम अपनी प्राकृतिक अवस्था से आगे बढ़ो तभी तो तुम इंसान बन पाओगे।

अतः जैसे जैसे इंसान अपने लोभ, लालच के आगे घुटने टेकना छोड़ देता है और जीवन में शांति, प्रेम, सच्चाई को महत्व देने लगता है वैसे वैसे उसका मन साफ़ होने लगता है तो इसी को कुंडलिनी चक्र कहता है की आप अब दूसरे चक्र में प्रवेश कर चुके हैं।

इस तरह अपनी कमियों को सुधारते हुए जब इन्सान का मन पूरी तरह साफ़ हो जाता है, अब व्यक्ति के मन में संसार का शोषण करने इससे किसी तरह का लाभ पाने की इच्छा खत्म हो जाती है।

और जिसके जीवन में सत्य के सिवा कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं होता ऐसा इन्सान फिर ब्रह्मलीन हो जाता है। अतः मूलाधार चक्र में सांतवा चक्र इसी बात का इशारा करता है की तुम ब्रह्म में लीं हो जाये।

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#2. शारीरिक तकलीफ झेलना।

आप भली जानते हैं की बाजार में कुंडलिनी चक्र जागृत करने के नाम पर कितना पाखंड हो रहा है। कोई बता रहा है की साधाना के नाम पर तुम किसी ख़ास दिशा में पैर खड़े करके 1 घंटे तक खड़े रहो तो कोई कह रहा है की सुबह नहाओ, स्वांस को इतनी देर तक मत छोडो इत्यादि।

अतः जाहिर है जब इंसान किसी ऊँची/पवित्र बात का टुच्चा सा अर्थ निकालेगा और इस तरह के कर्म करेगा उसे शारीरिक तकलीफ तो होगी ही न।

कौन है जिसे सर्दी में ठंड नहीं लगती, कौन है जिसे स्वांस को दबाए रखना पसंद है? कोई नहीं है। पर इन बातों को चूँकि बहुत से लोग नहीं जानते और ढोंगी बाबाओं के सम्पर्क में आ जाते हैं ऐसे लोगों को फिर इस तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करते हैं।

#3. मन में भ्रम होना।

बहुत लोग घूम रहे हैं जो कहते हैं कुंडलिनी चक्र जागृत करने के लिए इतने महीने की साधना करो, ये विधि अपनाओ और फिर आपको दिव्य अनुभव होंगे, ऐसी आवाजें सुनाई देंगी जो आम इंसान कभी नहीं सुन सकता, तुम हर दम प्रसन्न रहोगे। इत्यादि।

जब मैं जानता नहीं की कुंडलिनी चक्र की सच्चाई क्या है? और मैं किसी बाबा की बातों में आकर किसी विधि का पालन कर रहा हूँ तो अगर कोई मुझे कोई इंसान कुंडलिनी चक्र की सच्चाई समझाने का प्रयत्न करेगा तो क्या मैं उसकी सच्ची बातों को सम्मान दे पाऊंगा।

मैं सच सुनके भी अपनी बात पर अडा रहूँगा और कहूँगा 6 महीने से मैं अपनी साधना में लीन हूँ। और ये आकर मुझे कह रहा है की तू छलावा कर रहा है।

इस तरह एक आम इंसान अन्धविश्वासी और भ्रमित हो जाता है। वो उन चीजों पर यकीन करने लगता है जो कभी सम्भव होगी ही नहीं, वह चाहता है रेत की मिटटी से महल बन जाये। क्या ऐसा सम्भव हो सकता है?

#4. समय नष्ट करना।

इस बात में कोई दो राय नहीं की जब आप अन्धविश्वासी बनकर किसी चीज़ को वर्षों से मानते हैं और उसका पालन करते हैं तो आपने अपना वो कीमती समय खो दिया होता है जिससे आप जीवन में कुछ अच्छा कर सकते थे।

इसी प्रकार बहुत से लोग होते हैं जो वर्षों से कुंडलिनी चक्र की साधना पर यकीन रखते हुए कई तरह के बाबा,तांत्रिकों के पास जाते हैं उनकी बताई गई बातों का यथावत पालन करते हैं।

इससे एक तरफ तो उसके मन में झूठा आत्मविश्ववास हो जाता है। दूसरा जो उन्होंने अमूल्य समय गवाया होता है उसकी भरपाई तो कभी हो ही नहीं सकती।

#5. मानसिक समस्याएं होना।

जब साधक कुंडलिनी चक्र की विधियाँ अपनाते हैं तो माइंड और बॉडी को प्रेशर देने के बाद उन्हें कई तरह की मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है जैसे सिर में दर्द होना, किसी विषय पर सोचते रहना इत्यादि।

जिसका परिणाम यह होता है की व्यक्ति के व्यवहार में बदलाव आ जाता है, और वह अजीब अजीब सी हरकतें करने लगता है।

हालाँकि कई सारे साधक इस बात को छुपा देते हैं तो वहीँ दूसरी तरफ कुछ लोग इसे सामान्य मानकर अपनी इस खराब हालत के प्रति सचेत नही होते जो वास्तव में एक बड़ी समस्या है, जिससे बाकी लोगों के बीच भी भ्रम फैलता है।

#6. झूठ और अन्धविश्वास फैलाना

देखिये कुंडलिनी जागरण को लेकर जितना झूठ बाजार में फैला है उससे किसी आम व्यक्ति के लिए सच्चाई तक पहुँचना लगभग नामुमकिन दिखाई देता है। क्योंकि हर चीज़ की सच्चाई जानी जा सकती है लेकिन किसी के मुंह से सच उगलवाना शेर के मुंह में हाथ देने जैसा होता है।

उदाहरण के लिए एक व्यक्ति 6 महीने से कुंडलिनी जागरण हेतु ख़ास विधि को अपना रहा है। अब भले उसे कोई लाभ न हो रहा है वो भीतर से व्यथित हो लेकिन जब उससे कोई पूछेगा आप का चक्र जागृत हुआ या नहीं? वो तो कहेगा हाँ बिलकुल मुझे फायदा हो रहा है।

अब ऐसी स्तिथि में जो व्यक्ति कुंडलिनी जागरण का सच जानता है वो भी उस व्यक्ति को झूठा साबित नहीं कर सकता। इस तरह यह अन्धविश्वास समाज में अनेक लोगों तक फैलता रहता है।

#7. पैसे की बर्बादी होना।

कुंडलिनी चक्र जागरण के नाम पर समाज में हो रहे अन्धविश्वास से कई तथाकथित धार्मिक गुरुओं की और ज्योतिषियों को मोटी कमाई हो रही है।

क्योंकि वो चाहते हैं लोगों को कुछ ऐसा बताया जाए जो वास्तव में मुमकिन हैं नहीं, पर जो दुःख जो परेशानी आज वो झेल रहे हैं उनमें भ्रम और झूठ का विश्वास पैदा कर उनकी परेशानी का हल उन्हें भविष्य में बताया जाए।

और इसी झूठी उम्मीद में की कभी तो हमारा भला भविष्य में जाकर होगा। वे इन झूठे प्रयासों में लगे रहते हैं और अंततः समय, उर्जा तो बर्बादी होती ही है अपने डर की वजह से वह मेहनत से कमाया पैसा भी गवा बैठते हैं।

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस पोस्ट को पढने के बाद कुंडलिनी जागरण के नुकसान आप समझ गए होंगे। और जान गए होंगे की किस तरह लोगों को कभी न घटने वाली घटना के बारे में बताकर कैसे उन्हें बर्बाद किया जाता है। यदि इस प्रश्न के विषय में आपका कोई सवाल है या राय है तो बेझिझक अपने विचारों को whatsapp नम्बर 8512820608 पर सांझा कर सकते हैं।

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