कुंडलिनी शक्ति क्या है? जानें अफवाह और सच्चाई!

कुंडलिनी शक्ति: मनुष्य को मिली सर्वश्रेष्ठ शक्तियों में से एक है, पर आखिर कुंडलिनी शक्ति क्या है? जिसका लाभ तभी उठाया जा सकता है जब इसे जागृत किया जाता है।

कुंडलिनी शक्ति क्या है

जी हाँ, आज भी कई लोगों के लिए कुंडलिनी शक्ति एक रहस्य है, जिसे अद्भुत मानवीय शक्ति के रूप में देखा जाता है।

कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कहते हैं की कुंडलिनी शक्ति सिर्फ अनुभव और महसूस की जा सकती है अतः इस विषय पर ज्यादा बातचीत करना उन्हें पसंद नहीं होता।

तो आखिर क्या है पूरा मामला? इस उद्देश्य के साथ की पाठकों को सच्चाई से रूबरू करवाया जा सके, आज हम इस ख़ास लेख में कुंडलिनी शक्ति का पूरा सच लेकर आये हैं।

कुंडलिनी शक्ति क्या है? कुंडलिनी योग की हकीकत!

कुंडलिनी शक्ति मनुष्य द्वारा हासिल की गई वह बोध शक्ति है, जिसको प्राप्त कर व्यक्ति जीवन के दु:खों से मुक्ति पाकर परम आनन्द की अवस्था में चला जाता है।

हालाँकि आनन्द की उस अवस्था तक पहुँचने से पहले चेतना (मन) को लम्बी यात्रा करनी होती है। जी हाँ, अगर आप ध्यान से इस चित्र में देखें तो कुंडलिनी योग में 7 चक्रों को दर्शाया गया है।

कुंडलिनी चक्र
  • मूलाधार
  • स्वाधिष्ठान
  • मणिपुर
  • अनाहत
  • विशुद्ध
  •  आज्ञा
  • सहस्त्रार

ये सभी चक्र हमें बताते हैं की हमारी चेतना अर्थात हमारा मन सबसे निचले तल पर यानी मूलाधार चक्र पर निवास करता है।

लेकिन मन को शान्ति तक, सच्चाई तक ले जाने के लिए इसका मूलाधार चक्र से अंतिम सांतवे सहस्त्रार चक्र तक पहुंचना जरूरी है।

जो व्यक्ति अपनी चेतना को इतना ऊपर उठाने में सक्षम हो जाता है फिर वह सभी दुखों से मुक्त होकर आनन्द का अहसास करता है।

कुंडलिनी शक्ति की जरूरत क्यों पड़ी? इसका महत्व क्या है?

बहुत से लोगों के मन में ये सवाल आता है आखिर कुंडलिनी शक्ति की क्या उपयोगिता है? क्या जरूरत है चेतना को बेहतर बनाने की, अर्थात मन को साफ़ करने की।

बात समझिये हम इन्सान जानवरों की भाँती शरीर से नहीं बल्कि मन से जीते हैं! शरीर भले ही स्वस्थ्य हो, पेट भरा हुआ हो पर आप पाएंगे मनुष्य तब भी बेचैन होता है।

जो ये दर्शाता है की मनुष्य को सुकून मन से ही मिलता है, मन अगर शांत है तो इन्सान कर्म भी अच्छे करता है और मन में ही अगर बेचैनी है तो कर्म भी खराब होते हैं।

तो फिर इसी मन को बेहतर बनाने के लिए इसी को ऊपर उठाने के लिए कुंडलिनी योग की पूरी प्रक्रिया को बनाया गया है।

ठीक वैसे जैसे मन को पवित्र रखने के लिए मन्दिर बनाये गए, इसी तरह मन को साधना के माध्यम से ऊँचा उठाने के लिए कुंडलिनी योग विधि का उपयोग किया गया।

कुंडलिनी शक्ति का झूठ| कुंडलिनी शक्ति के बारे में अफवाह क्या है?

अब बहुत से लोग ये सोचने लगते हैं की कुंडलिनी शक्ति में जिन 7 चक्रों की बात कही गई है? वो सभी चक्र मनुष्य के शरीर के अन्दर हैं।

कुंडलिनी चक्र से जुड़ा झूठ

पर सच तो ये है कुंडलिनी शक्ति में मूलाधार चक्र से सहस्रार चक्र तक जो 7 चक्र बताये गए हैं, वो भौतिक रूप से शरीर में कहीं मौजूद नहीं है।

रीढ़ की हड्डी में कोई ऐसी नली नहीं है, अन्दर कहीं ऐसी नाड़ियाँ और गले में ऐसा कुछ तत्व नहीं है, जिसमें कुछ समा जाए या अटक जाए।

माने ये कहना की कुंडलनी जगाने के दौरान रीढ़ की हड्डी से ऊपर की तरफ कुछ हो गया, या फिर अजीब सी आवाजें आने लगी हैं! ये सारी बातें कहना व्यर्थ है।

पर बाजार में बहुत लोग इसी बात का धंधा कर रहे हैं और लोगों को ध्यान की विधियाँ बतलाकर उन्हें ठग रहे हैं।

और इस उम्मीद के साथ की कभी तो हमें हमारी साधना का फल मिलेगा, लोग कुंडलिनी जागरण के इस खेल में फंसे रहकर मानसिक और शारीरक दर्द तो झेलते ही हैं बल्कि घोर अन्धविश्वासी भी हो जाते हैं।

वाकई कुंडलिनी शक्ति जागृत हो सकती है, इंसान की पर ध्यान और तमाम तरह की चीजों को करके नहीं जागृत होगी।

ठीक वैसे जैसे कोई कहे तेरा दिमाग घुटने पर है, तो क्या बेवकूफी करने वाले इंसान का दिमाग घुटने में चला जाता है?

नहीं न ठीक इसी तरह कुंडलिनी चक्र में जितने चक्र बताये गए हैं वो एक प्रतीक है बात को समझाने के की हम सभी जीते तो अपनी प्राकृतिक अवस्था यानी मूलाधार चक्र में हैं लेकिन हम उस सहस्रार चक्र यानी परमात्मा/ सत्य तक भी पहुँच सकते हैं।

कुंडलिनी जागृत कैसे होती है?

अब प्रश्न आता है जब ध्यान करके, सुबह उठकर साधना और व्यायाम करके कुंडलिनी जागृत नहीं होती तो फिर ये जागृत कब और कैसे होती है?

कुंडलिनी जागने पर क्या होता है

देखिये जवाब बेहद सरल है जो यह है की सत्य जानने की आपकी नियत हो तो कुंडलिनी शक्ति पल भर में जागृत हो सकती है। या फिर इसे जागृत होने में कुछ महीने या साल भी लग सकते हैं।

और सत्य को बर्दाश्त करने की आपकी नियत न हो तो फिर कुछ भी कर लीजिये नहीं हो पायेगा। हमने शुरुवात में जाना था की कुंडलिनी शक्ति क्या है? कुंडलिनी शक्ति आपकी आंतरिक समझ है।

समझ किसकी? अपने मन, संसार, और आत्मा की। क्योंकी हम जिन्दगी में सारे दुःख, यातनाएं, कष्ट क्यों झेलते हैं क्योंकी हम समझते नहीं हैं और गलतियाँ करते रहते हैं।

फिर इसलिए जीवन में समझदारी/ बोध आये इसके लिए हमें जानना होता है की जीवन में सच क्या है और झूठ क्या है?

जब हम ये जान लेते हैं की ये मन क्या चीज़ है? और संसार क्या फ़साना है? और ये आत्मा क्या चीज़ होती है? तो फिर हमारे सामने सारा रहस्य खुल जाता है।

हम जान लेते हैं की मेरा दुःख कहाँ से आ रहा है और मेरी परेशानी का समाधान क्या है?

यह जानकर हमें ये भी अहसास हो जाता ही की सही जिन्दगी जीने का क्या अर्थ है? जिन्दगी में क्या पाने लायक है और हमें किन चीजों की फ़िक्र नही करनी चाहिए?

कुंडलिनी जागती है तब क्या होता है?

कुंडलिनी जागृत होने का अर्थ है आपके जीवन में बोध है, और बोधवान/ समझदार व्यक्ति जीवन में जो कुछ करेगा वो अच्छा ही होगा।

कुंडलिनी जागरण का दूसरे शब्दों में अर्थ यही है की अब आप जीवन में समझदारी के इस शिखर तक पहुँच चुके हैं और जीवन ऐसे जीने लग गए हैं जब आपके लिए दुनियादारी छोटी और सत्य बड़ा हो गया है।

अब आप कहेंगे की संसार में बहुत कुछ लुभावना है, बहुत कुछ है जो दुःख देता है, बहुत कुछ है जिससे ख़ुशी मिलती है पर मुझे इन सबकी परवाह नहीं रही क्योंकी मुझे हकीकत/सत्य मालूम हो चुका है।

दूसरे शब्दों में कहें तो वो व्यक्ति जिसे अपना और दुनिया का सच मालूम हो गया है, और वो अब सच्चाई में जीने लग गया है जान लीजिये उसे आत्मा मिल गई।

ऐसा इन्सान बेख़ौफ़, निडर, निर्भय, हो जाता है, क्योंकि पहले जो डर, जो लालच, जो मोह उसके दुःख का कारण थे उन सबसे वो आगे निकल जाता है।

इस लेख को पढ़कर अभी भी कुंडलिनी शक्ति से जुडी कोई बात मन में बाकी है तो आप whatsapp नम्बर 8512820608 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

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FAQ~ कुंडलिनी शक्ति से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

कुंडलिनी चक्र क्या है?

कुंडलिनी चक्र चेतना की अवस्था को प्रकट करने का सूचक है, जिसका इस्तेमाल कर मन को अंधकार से दिव्य प्रकाश तक ले जाया जा सकता है और अपना जीवन बदला जा सकता है।

 कुंडलिनी जागृत होने पर क्या अनुभव होता है?

कुंडलिनी जागृत होने पर व्यक्ति के जीवन में बहुत से बदलाव आते है, उसके व्यवहार में, उसके काम काज में, उसकी सोच में आये परिवर्तन उसे एक बेहतर और अलग इन्सान बनाते हैं।

क्या कुंडलिनी चिंता का कारण बन सकती है?

अगर आप गलत तरीकों से, किसी की गलत बातों से भ्रमित होकर कुंडलनी जागृत करने की विधि का गलत इस्तेमाल करते हैं तो आपको कोई लाभ नही मिलेगा जिससे आप चिंता और अवसाद में डूब सकते हैं।

अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के पश्चात कुंडलिनी शक्ति क्या है? अब आप भली भाँती इस विषय को समझ गए होंगे, लेख को पढ़कर जीवन में बोध स्पष्टता आई है तो इस लेख को शेयर कीजिये। साथ ही इस लेख में दी गई जानकरी से सतुष्ट हैं तो इस लेख को अधिक से अधिक शेयर करना मत भूलियेगा।

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