आत्मा शब्द सुनते ही कई लोगों का दिमाग सुन्न हो जाता है तो कुछ लोगों के मन में कहानियां आने लगती हैं। आत्मा के विषय पर लोग अक्सर पूछते हैं की क्या आत्मा बदला लेती है? आइये प्रूफ के साथ सच्चाई जानते हैं।
आत्मा के बारे में जितने विचार, कहानियां इस देश में बनाई गई हैं उतना शायद विश्व में कहीं भी नहीं, कोई कहता है मरने के बाद आत्मा शरीर से उड़ जाती है तो कुछ ये भी मानते हैं की आत्मा से इन्सान का पुनर्जन्म होता है।
अब होता ये है की किसी विषय पर जब हम सुनी सुनाई बातों को मान लेते हैं तो हम सच्चाई से दूर हो जाते हैं।
तो आज हम आत्मा से जुडी कोई नयी कहानी आपको नहीं बतायेंगे बल्कि प्रूफ के साथ बतलायेंगे आखिर आत्मा का सच क्या है?
लेख में आगे बढ़ें उससे पहले एक छोटी सी प्रार्थना है संभव है कुछ बातें आपके लिए नयी और अजीब हो सकती हैं, ऐसे में बेहतर होगा की आप लेख को अंत तक पढ़ें आपको अवश्य कुछ सीखने को मिलेगा।
आत्मा से जुडी ख़ास बात जो लोग नहीं जानते।
इन्सान के जीते जी अथवा मृत्यु के बाद आत्मा दुश्मन से बदला लेती है की नहीं ये समझने के लिए सबसे पहले आत्मा क्या है? ये पोस्ट पढ़ लीजिए।
देखिये, आत्मा शब्द हमें वेदों से मिला है, विशेषकर उपनिषदों में आत्मा की बात सबसे पहले की गई है।
और चूँकि उपनिषद सनातन धर्म की मुख्य पुस्तक भी है तो अगर आप उपनिषद पढेंगे तो आपको मालूम हो जायेगा की वहां आत्मा के बारे में क्या लिखा हुआ है?
पर यहाँ प्रश्न आता है की आखिर आत्मा शब्द इस्तेमाल करने की जरूरत क्यों पड़ी?
देखिये जिस तरह आज मनुष्य बेचैन होता है, दुखी रहता है उसी तरह प्राचीन समय में भी इन्सान व्यथित होता था।
और ऋषि जिन्होंने उपनिषदों की रचना की वो बड़े खोजी, जिज्ञासु किस्म के इन्सान थे उन्होंने कहा प्रकृति में बाकी सब तो ठीक है, लेकिन हमें उसका पता करना है जिसके कारण इन्सान का जीवन दुःख में बीतता है?
कौन है आखिर इन्सान के भीतर जो उसे कभी यहाँ तो कभी वहां ले जाता है, कौन है इन्सान के अन्दर जो लालच और डर से भरा है। दूसरे शब्दों में ऋषियों ने यह जानने का प्रयास किया की आखिर जिसे हम “मैं” बोलते हैं।
पता तो करें वो है कौन, तो जब खोज आरम्भ हुई तो यह कुछ प्रश्न पूछे गए।
प्रश्न: क्या मैं एक शरीर है?
जवाब: नहीं शरीर में कुछ भी हलचल होती है और मन उस हलचल को देख लेता है तो ये बात है की मैं कोई शरीर तो नहीं है।
प्र: क्या मैं एक जाति है?
जवाब: नहीं जाति तो कई सारी होती हैं।
प्र: क्या मैं विचार है?
जवाब: प्रतिपल विचार तो बदलते रहते हैं मैं विचार नहीं हूँ।
तो इस तरह जब सवाल जवाब हुए तो मालूम हुआ की जिस भी विषय के बारे में बात की जा सकती है, जिस भी वस्तु को देखा जा सकता है, सुना जा सकता है वो सब तो मैं नहीं है।
तो फिर सवाल आया की आखिर मैं कौन है? तो ऋषि कहते हैं की मैं वो है जिसकी न कोई जात, न कोई लिंग, न कोई धर्म है, वो असीम है, अनंत है। वो अजन्मा है, अविनाशी है, अकल्पित है मन की सभी कल्पनाओं से बाहर है।
इसी मैं को ऋषियों ने कभी आत्मा, कभी ब्रह्म, कभी सत्य, तो कभी शून्य कह दिया।
तो ये है आत्मा, इस विषय पर और बारिकी से समझने के लिए आपको ये विडियो देखना चाहिए। ध्यान दें अगर आपने समझ लिया आत्मा क्या है? तो आपको आत्मा बदला लेती है या फिर नहीं ये भी समझ आ जायेगा।
क्या आत्मा बदला लेती है?
आत्मा का सच्चा अर्थ समझ आने के बाद अब सम्भव है आत्मा के नाम पर तमाम तरह की बातें जो कहीं जाती हैं उनमे कितनी सच्चाई है ये अब आप जान चुके होंगे।
तो ये कहना की इन्सान के मरने के बाद उसकी आत्मा उसके विरोधी से, दुश्मन से बदला लेती है? तो देखिये ऐसा बिलकुल नहीं है, आत्मा कोई आकाश में उडती शक्ति नहीं है जो किसी पर हमला कर दे।
ये सब बातें फ़िल्मी हैं। हकीकत ये है की आत्मा का दूसरा नाम ही सत्य है, तो बताइए सत्य किसी पर हमला क्या करेगा? दो लोग आपस में लड़ रहे हैं उनमें से कोई किसी को मार दे या किसी को बचा दे।
इससे आत्मा को भला क्या प्रभाव पड़ेगा। तो ये कहना की आत्मा एक शरीर से उड़कर दूसरे शरीर में जाकर किसी को वश में कर लेती है या किसी पर अटैक कर देती है।
तो ये बातें अज्ञानता का तो सूचक हैं ये बड़ी मूर्खतापूर्ण बातें भी हैं। अगर कोई ऐसी बातें करता दिखाई दे तो आपको उसे सावधान करना चाहिए? उपनिषदों में जहाँ से ये शब्द आया है वो बात बतानी चाहिए।
आत्मा अशांत कब होती है?
आत्मा कभी अशांत या भटकती नहीं है, मन है जिसमें समय के साथ परिवर्तन होता रहता है। तो जो लोग कहते हैं की मेरी आत्मा को शांति नहीं मिल रही है? उन्होंने समझा ही नहीं है की आत्मा क्या है?
आत्मा तो सत्य है, और सच्चाई कभी शांत या गुस्सैल नहीं होती। और लोगों में ये बड़ी गलतफहमी रहती है की उन्हें मन और आत्मा एक ही लगती है।
वो सोचते हैं अगर मन को कोई बात बुरी लगी है, उनके अंहकार पर चोट पड़ी है तो इसका अर्थ है उनकी आत्मा को ठेस पहुंची है। अरे नहीं भाई आत्मा और मन दोनों अलग अलग हैं।
मन में लालच आता है, आत्मा में नहीं, मन डरपोक होता है, आत्मा नहीं। मन में बुरे विचार आते हैं, आत्मा में नहीं, मन दूषित होता है, आत्मा नहीं, मन आकर्षित होता है, आत्मा नहीं।
मन को घूमना है, आत्मा को नहीं।
पर नासमझी के कारण लोग अपनी गलत धारणा के कारण वो सच्चाई जैसी पवित्र चीज़ को भी गंदा कर बैठते हैं। अरे भाई कोई सच्ची बात पता लगने पर मन विरोध करता है, आत्मा नहीं।
सच्चाई तो हमें सही जीवन जीने की प्रेरणा देती है, वो भला नाराज या फिर खुश क्यों होगी।
आत्मा शरीर में कब प्रवेश करती है?
|
आत्मा से बात करने वाली मशीन| सीधे होगी बातचीत
|
आत्मा और परमात्मा का मिलन कैसे होता है? जानें सच्चाई!
|
मसान हटाने का मन्त्र | भटकती आत्मा से पायें मुक्ति
|
अंतिम शब्द
तो साथियों इस लेख को पढने के बाद क्या आत्मा बदला लेती है? अब आप अच्छी तरह जान गए होंगे। इस लेख को पढने के बाद आत्मा से जुड़ा कोई सवाल है तो बेझिझक कमेन्ट बॉक्स में बताएं, साथ ही लेख पसंद आया है तो इसे अधिक से अधिक शेयर कर दें।
This is a fascinating question that delves into the mysteries of the afterlife and the concept of the soul seeking revenge. Various cultures and religions have different beliefs about whether a soul can take revenge after death. Some people believe it’s just a myth or a way to explain unexplainable events, while others hold firm in their faith that spirits can influence the living world. Whether it’s reality or rumor, the idea certainly sparks deep conversations and curiosity. What do you all think? Do you have any personal experiences or stories that support or refute this idea?
i think you need to read again this content, seems like i have clearly written in a detail way to make people understood.