हमारी जिन्दगी में कुछ लोग बेहद खास होते हैं, कई बार हम उनकी मदद भी करना चाहते हैं दिल से, परन्तु बदले में आभार व्यक्त करने की बजाय हमें उनसे नफरत मिलती है।
इसलिए इस अध्याय में प्रश्नकर्ता आचार्य जी से इस विषय पर बातचीत करते हैं, जिसमें हमें पता चलता है की आखिर मदद हमें कब और किस उद्देश्य से करनी चाहए! ताकि हमें दूसरों से निराशा न मिल सके।
स्वस्थ्य सम्बन्ध बेहद जरूरी हैं जीवन में
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी पिछले कुछ समय से मैं अपने जीवन में किसी रिश्ते को विशेष महत्व नहीं दे पाती, जिससे मुझे लगता है हमारे रिश्ते बिगड़ने लगे हैं।
आचार्य जी:- तीन बातें हैं पहली अपने रिश्ते में किसी को ख़ास न बनाइए, ऐसा करके आप दूसरे का ही नुकसान कर देते हैं।
दूसरा आपकी जिन्दगी में जो नए लोग आये हैं उनसे आपका रिश्ता कैसा बना है? आप उन पांच ख़ास प्रेमी जनों को छोडिये जो 45 नए लोग आपकी जिन्दगी में आये हैं उनकी बात कर रहा हूँ! क्या उन्हें भी आपसे शिकायत रहती है या वो आभार व्यक्त करते हैं?
तीसरा अब जब आप किसी को विशेष महत्व ही नहीं देते, तो उन लोगों से रिश्ता खराब होने से इतना फर्क क्यों पड़ रहा है।
मदद करें, बिना आशा के
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी, कई बार हमारा प्रिय व्यक्ति किसी बीमारी से ग्रस्त हैं हम उसका इलाज करवाना चाहते हैं, पर वो कहता है मै ठीक हूँ तुम जाओ, तो ऐसे में कभी उसकी मदद ही न करने का मन करता है।
आचार्य जी: ठीक है, तो इसमें क्या दिक्कत हुई ? आपके अंहकार को चोट पहुंची आपका अपमान हुआ यही न?
प्रश्नकर्ता: आचार्य जी अतीत में कुछ लोगों से मेरा गहरा प्रेम था बस इसलिए पूछा..
आचार्य जी: अब तो सभी लोग बराबर होंगे न, तो अब किसी की मदद करने पर उनसे मिली हुई पीड़ा से आपको इतना फर्क नहीं पड़ना चाहिए।
आप वाकई उनका भला करना चाहती हैं तो बस इस बात पर ध्यान लगाइए की कैसे उनकी मदद की जा सकती है, उनसे मिली निराशा या गले सिकवों से नहीं।
अगर एक सड़क दुर्घटना में कुत्ता घायल हो जाता है, और आप उसके घाव में मरहम लगाना चाहते हैं तो देखा है कैसे वो तुम्हें ही काटने आता है, लेकिन उसकी परवाह किये बगैर उसके मुंह को बाधकर उसको दवा पट्टी करानी होती है।
भला करने के लिए ये सोचा नहीं जाता की कहीं सामने वाला व्यक्ति मुझसे बुरा बर्ताव तो नहीं करेगा। देखिये, मदद करने के लिए बहुत बड़ा दिल चाहिए, वे लोग बिलकुल मदद नहीं कर सकते जो किसी की मदद करने के बदले धन्यवाद चाहते हैं, नहीं बिलकुल नहीं।
सहायता का आभार व्यक्त करने में लगता है समय
सड़क पर घायल कुत्ता जो अपने इलाज के दौरान आपको काटने ही आ रहा था, एक समय बाद जब वह ठीक हो जाता है तो फिर आपके ही आगे पीछे पूँछ फहराता है, लोटता है, निहारता है लेकिन ये सब तुरंत नहीं हो जाता इसके लिए समय लगता है।
इसी तरह इंसान की मदद होती है तो कई बार उस व्यक्ति को मदद का अहसास होने में उम्र बीत जाती है, और फिर वो इन्सान आपका आभार व्यक्त करता है, इसलिए बिना परवाह किये की प्रेम से की गई मदद के बदले क्या मिलेगा? छोड़ दीजिये।
इसलिए तो कबीर साहब कहते हैं, यह संसार काली कुतिया है इसको छेड़ने पर काटने लगती है, कहीं पर कबीर ये भी कहते हैं की झूठे के पीछे सभी चले और सच्चे इन्सान को दुनिया मारने चलती है, तो इसका मतलब यह नहीं की सच्चा भी झूठा हो जाता है, नहीं सच्चे लोग अपना काम करते हैं धन्यवाद मिले तो भी ठीक न मिले तो भी।
आचार्य जी कह रहे हैं इसी में प्यार की आबरू वो जफा करें मैं वफा करूं! अंत में आचार्य जी इसी समबन्ध में ओशो के जीवन में घटित एक महत्वपूर्ण घटना का वर्णन करते हैं जिसे जानकार लोगों को समझ में आता है की प्रेम में कोई बेवफाई करे तो भी उसका सिला वफ़ा से दिया जाता है।
तो साथियों ओशो के जीवन में घटी उस घटना को आप आचार्य जी के शब्दों में पढना चाहते हैं तो आप इस अध्याय को पूरा पढने के लिए Amazon से हजारों लोगों द्वारा पसंद की गई इस पुस्तक को आर्डर कर सकते हैं, धन्यवाद|
अंतिम शब्द
तो साथियों इसी के साथ यह अध्याय ( क्या ख़ास लोगों से ख़ास प्रेम होता है ) समाप्त होता है, इस लेख को अपने प्रेमीजनों के बीच अवश्य सांझा करें! धन्यवाद|
पिछले अध्याय पढ़ें:-👇
« प्रेम और मोह में ये फर्क है | अध्याय 16 Full Summary in Hindi