मन को खुश कैसे रखें? जीवन भर खुश रहना है तो ये जाने

कहा जाता है मन खुश तो सब खुश, इसलिए इसी मन को खुश करने के खातिर इंसान जीवन में क्या कुछ नहीं करता। कभी पैसे के पीछे तो कभी इंसान के पीछे भागता ही रहता है लेकिन वो ख़ुशी पल भर के लिए टिकती है आइये जानते हैं मन को खुश कैसे रखें?

मन को खुश कैसे रखें

जी हाँ, आज हम उस ख़ुशी की बात करेंगे जो सुख से भी ऊपर है, क्योंकि छोटा मोटा सुख पाना है तो आसानी से पार्टी करके, नशा करके, सेक्स करके हो सकता है लेकिन ये मजा बहुत छोटा होता है।

आज हम ऐसी ख़ुशी की बात करेंगे जिसे परमसुख या आनन्द कहते हैं। जब मन आनंद की अवस्था में होता है तो सुख और दुःख बहुत छोटी बात हो जाती हैं, इंसान के लिए। लेकिन क्या आनन्द किसी वस्तु को खरीदने से या किसी इन्सान के साथ शारीरक समबन्ध बनाने से आता है?

आखिर यह आनंद मिलता कैसे है, जो इंसान की हर परिस्तिथि में उसे एक मंद ख़ुशी देता है आइये जरा समझते हैं।

मन को खुश कैसे रखें? खुशहाल रहने का तरीका

मन को आनंद तक ले जाना ही हमारा ध्येय (लक्ष्य) होना चाहिए। और उस आनन्द तक पहुंचे बगैर मन को तृप्ति मिलेगी नहीं, देखा है मन को खुश करने के लिए हम जीवन में तरह तरह के प्रयास करते हैं जैसे किसी यात्रा में जाना, या पार्टी करना इत्यादि।

dance party to feel happy

पर इन सभी क्रियाओं से मन थोड़ी देर के लिए राहत तो पा लेता है, ठीक उसी तरह जैसे किसी के दांत में दर्द हो और वह जब जब ठंडा पानी पीता है, इससे थोड़ी देर के लिए उसे दांत में दर्द से छुटकारा मिलता है।

ठीक इसी प्रकार हमारा मन है, जो दिन रात व्याकुल है मानो किसी चीज़ के लिए, देखा है लोग जो नौकरी करते हैं वो इन्तेजार में रहते हैं सैलरी के लिए।

ताकि महीने भर मन में जो बेचैनी थी, बैंक में पैसा देखकर थोडा पार्टी करके, घूम करके वो खुद को एक दो दिन राहत दे सके।

और लगभग सभी की यही कहानी है, हम सुख के पीछे भागते हैं मेहनत करते हैं लेकिन सुख हमें मात्र थोड़ी देर के लिए मिलता है और बदले में ढेर सारा दुःख।

जैसे 9 घंटे हम दुःख से परेशान हैं और एक घंटा हमें सुख मिलता है तो हमारे मन में फिर से सुख को पाने की आस उठती है और हम फिर 9 घंटे उस सुख के लिए बेकरार रहते हैं।

यह हमारे मन का ख्याल है तो अगर आप चाहते हैं जीवन में दुःख कम हो, आनन्द ज्यादा हो तो आइये समझते हैं।

आनंद क्या है? मन को आनंदित कैसे रखें?

निष्काम भाव से खुद को किसी जरुरी और सार्थक कार्य में लगाना और उस कार्य में मिली चुनौतियों से लड़ना ही आनन्द है।

मन को खुश रखने के लिए चुनौती से लड़ो

सरल शब्दों में समझें तो अपने स्वार्थ के बिना यदि हम किसी ऐसे कार्य को करने का बीड़ा उठाये जो इस समय हमारे लिए और पूरी दुनिया के लिए करना सबसे उचित है, अब चाहे उस कार्य को करने में कितना ही कष्ट आपको झेलना पड़े आप अपने कार्य से पीछे नहीं हटोगे इसी में आनद है।

निष्काम कर्म क्या है?

उदाहरण के लिए आप एक app डेवलपर हैं, और आपको यह बात स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रही है की एक ख़ास App बनाने से समाज का, लोगों का कल्याण हो सकता है।

और उस एप को बनाने में यदि आप अपनी उर्जा, पैसा और समय खर्च करने के लिए भी तैयार हैं और कुछ नुकसान झेलने को भी तैयार हैं, इसी को निष्कामता कहा गया है।

इसी तरह एक लेखक के लिए निष्काम कर्म वही है, जिसके लेख (आर्टिकल) को पढने से उसके, समाज के और देश के लोगों का कल्याण होता हो।

क्या हंसने और खुश रहने का नाम आनन्द है?

जी नहीं, ठहाका मारकर हंसने और हर समय दांत दिखाने या मुस्कुराने को ख़ुशी नहीं कहा जा सकता, विशेष तौर पर आज के युग में तो लोग नकली हंसी चेहरे पर रखते हैं, इसका यह अर्थ तो नहीं की लोग खुश हैं।

आपके पसंदीदा बॉलीवुड एक्टर्स, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स को ही देख लीजिये जब भी वह लोगों के सामने आते हैं तो वे हंसते हुए फोटोज क्लिक करते नजर आते हैं, क्या इसका अर्थ यह है की जीवन में उनके कोई गम नहीं है।

जी नहीं, आम लोगों की भांति आत्महत्या, ड्रग्स का सेवन ये लोग भी करते हैं।

दूसरी तरफ आप हमारे देश के उन ज्ञानी जनों की तस्वीर देखिये जैसे संत कबीर दास, गुरु नानक, मीरा बाई, कृष्णमूर्ति, स्वामी विवेकानन्द इत्यादि।

ये आपको हंसते खिलखिलाते हुए नहीं दिखेंगे, इनके चेहरे पर एक गम्भीरता, तेज, होता है और इसी को आनंद कहा गया है।

किसी भी फूहडपन में व्यक्ति हंस सकता है, लेकिन मन को गहन शांति और स्थिरता देने के लिए मन का आनन्दित होना जरूरी है।

मन को खुश रखने के तरीके-

अगर आप भी सुख दुःख यानि कभी हंसी, कभी मन के परेशान होने की इस स्तिथि से बाहर आना चाहते हैं तो आपको अपना जीवन अलग तरह से जीना होगा, यदि आप काम बाकी सभी लोगों की तरह करते हैं तो आपको भी जीवन वैसा ही मिलेगा जैसा दूसरों को मिल रहा है।

आप भी थोड़े से सुख के लिए इधर उधर भागते रहोगे जैसे एक भिखारी की हालत होती है की कहीं से थोडा कुछ मिल जाये।

अगर आप हर समय आनन्दित रहना चाहते हैं, अपना जीवन अन्य लोगों से हटकर जीना चाहते हैं और मन को आनंद से भरना चाहते हैं तो मन को खुश कैसे रखें? इन तरीकों को आपको जरुर गौर करना चाहिए।

#1. एक सार्थक लक्ष्य बनाएं।

जीवन में सही लक्ष्य क्या होना चाहिए? यह जानना बेहद जरूरी है। अन्यथा व्यक्ति अपनी सूझ बूझ का इस्तेमाल किये बगैर अपने पारिवारिक सदस्यों, दोस्तों या किसी की राय पर लक्ष्य बना लेता है।

और फिर उन्हीं लक्ष्यों को पाने के खातिर वह खुद को घिसता है और अंत में बस उसके निराशा हाथ आती है, अतः चाहे बात हो करियर की, नौकरी की, विवाह की या कोई और स्तिथि पहले पूछिए खुद से की जो मैं कर रहा हूँ? क्या उससे मुझे वो मिल जायेगा जिसे मैं पाना चाहता हूँ।

एक व्यक्ति की अंतिम चाह होती है शांति, सतुष्टि पर क्या उसे नौकरी, पैसे या शादी करके वो मिल पाती है?

ऐसा लक्ष्य बिलकुल मत बना लेना की भैया की तरह मैं भी सरकारी नौकरी किसी तरह हासिल करूँ, फिर बस खूब पैसा कमाऊं, उन्हें खर्च करूँ और मजे करूँ। नहीं ऐसा करने से जिन्दगी बर्बाद हो सकती है।

इसलिए, जीवन जीने का एक उद्देश्य बनाइए, एक ऐसा काम/प्रोजेक्ट चुनें जिसे करना इस समय सबसे जरूरी है। ऐसा काम जिसके होने से समाज, देश पर अच्छा प्रभाव पड़े। और यदि उस काम को करने के खातिर आपको कुछ सीखना पड़े या पैसे कमाने पड़े तो आप पूरी तरह खुद को तैयार करें।

लक्ष्य ऊँचा होना चाहिए कठिन होना चाहिए, क्योंकि लक्ष्य अगर छोटा बनाओगे तो जल्दी पूरा हो जायेगा, और हमारा मन छोटी चीजें पाने से कभी खुश होता नहीं है। इसलिए लक्ष्य ऊँचा, बड़ा, विराट होना चाहिए।

#2. पैसा कमाने और आत्मनिर्भर बनने की कला सीखें।

पहले बिंदु में जैसा हमने जाना की जीवन में एक सही लक्ष्य होना चाहिए।

self dependent

पर बिना पैसे के जब आजकल पानी मुफ्त नहीं मिलता तो जाहिर सी बात है आपको अपने लक्ष्य को पाने के लिए समय, मेहनत के साथ साथ पैसों की भी जरूरत पड़ेगी।

अब आप सोचिये किस तरह मुझे पैसे जुटाने हैं ताकि मेरी जरूरतें और खर्चे पूरे हों, साथ में जो मेरा लक्ष्य है उसमें भी मैं आगे बढ़ता रहूँ।

ये आपकी काबिलेतारीफ होगी यदि आप अपने लक्ष्य पर काम भी करें, और उसी काम से पैसे कमाना भी सीख लें।

हालाँकि ये काम जल्दी नहीं होगा, इसमें श्रम और समय दोनों लगेगा। और साथ ही अपने लक्ष्य के प्रति आपका प्रेम आपको उस दिशा में आगे ले जाने के लिए प्रेरित करेगा।

#3. जीवन में प्रयोग करें, नयी नयी चीजों का।

अब उपर दो बिन्दुओं को पढने के बाद यह बात जाहिर है की लक्ष्य की तरफ़ बढ़ने के दौरान आपको कई चीजें बाधित करेंगी।

कई बार सम्भव है लोग आपके लक्ष्य का मजाक उड़ायें, या फिर आपका शरीर ही आलस्य, वासना, मोह जैसी वृतियों के चलते आपको अपनी लक्ष्य की तरफ बढ़ने से रोके।

ऐसी स्तिथि में कई बार कोई नौकरी, स्त्री/पुरुष या कोई जगह, वस्तु इत्यादि बहुत कुछ ऐसा हो सकता है जो आपको अपनी तरफ आकर्षित करे।

तो ऐसी स्तिथि में आपको मन की इच्छाओं का दमन नहीं करना है, बल्कि विवेक और निडरता के साथ उस चीज़ के पास जाना है जो आपके मन पर दिन रात छाई रहती है।

आप कहिये उससे जरा दिखाइए क्या है? आपके पास जिसे पाकर मन मेरा शांत हो जाये, इस तरह जब आप उस चीज़ को भोग लेंगे तो आप पाएंगे कुछ ऐसा था नहीं यूँ ही मन को आकर्षित कर रहा था।

इस तरह कभी किसी जगह पर जाने का मन हो सकता है, किसी स्त्री के साथ सम्बन्ध बनाने का हो सकता है या फिर कोई वस्तु खरीदने का हो सकता है आप उसे अपनी समझदारी से पा लें।

और जब आप उसे पाकर जान लेंगे, तो आप कहेंगे धत्त.. इसमें कुछ था नहीं, ताकि दूसरी बार फिर आपके विचार मन पर हावी हो तो आप कह सके कुछ नहीं है उसमें हमने पहले भी ये किया था कुछ आनंद नहीं आया।

इसी तरह माया के प्रभाव से बचकर आप अपने लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ सकते हैं।

#4. अपने सभी बन्धनों, दुखों को जानें और काटें।

महात्मा बुद्ध ने कहा था ये जीवन दुःख है, और पैदा होने के बाद जैसे जैसे व्यक्ति की उम्र बढती है वह दुःख इंसान में और गहराता जाता है।

इसलिए अध्यात्म हमें सिखाता है की जीवन में आपने जिन चीजों को अपनी मजबूरियां माना है, जिनकी वजह से आप बेचैन रहते हैं, आप बेहतर नहीं हो पा रहे हैं उन रिश्तों से, वस्तुओं से अभी दूरी बनाइए।

दुखी होने का कारण जानें

प्रायः जवान लोग जो जानते हैं की क्या करना सही है, किस चीज़ से जीवन बेहतर होगा वो ये कहते पाए जाते हैं की कर तो लूँ लेकिन परिवार की जिम्मेदारी है।

उदाहरण के लिए कोई अपनी बिटिया की शादी के लिए बीस साल पहले से ही पैसे जोड़े जा रहा हो, और बजाय बिटिया के अच्छे स्वास्थ्य, भोजन और शिक्षा पर पैसा खर्च कर उसे एक शिक्षित योग्य लड़की बनाने के वह सिर्फ पैसा कमाने में और उसे बचाने में घिस रहा हो।

और फिर वह कहे की जिम्मेदारी है न… तो ये तो झूठ है न, अध्यात्म कहता है किसे बुद्धू बना रहे हो?

या फिर कुछ लोग जो किसी चीज़ से जुड़ गये हैं वो कहते हैं छोड़ तो दूं ये गलत चीज़ पर बिना इसके दिल नहीं लगता।

अध्यात्म कहता है तुम ऊँचे सुख के अधिकारी हो, आनंद तुम्हारा स्वाभाव है जिन भी मजबूरियों को तुमने माना हुआ है उन्हें अभी तोड़ दो सही जीवन जिओ।

क्योंकि वाकई अगर आप मन को खुश कैसे रखें? जानना चाहते हैं और आपको ऊँचा सुख यानी आनंद पाना है तो आपको अपना संसार ऐसा बना लेना होगा जिससे आपको ज्यादा बाहर की चीजों से फर्क ही न पड़े।

#5. लक्ष्य में खुद को पूरी तरह झोंक दें। परिणाम की आशा न रखें।

अपने लक्ष्य पर चलने के दौरान कई बार आपका मन कई चीजों से आकर्षित होगा, लेकिन आपको जीवन का एक-एक समय कीमती मानकर सिर्फ उस कार्य में अपना समय देना है जिससे आपको अपना लक्ष्य पाने में सहायता हो।

लक्ष्य में डूबे रहने का एक बड़ा फायदा होगा की आप जीवन में व्यर्थ के कामों को करने से बचोगे,दूसरा आपके दिल में एक ठसक रहेगी की हाँ, मैंने अपना काम ईमानदारी से किया अब बाकी परमात्मा के हाथ में है परिणाम कैसा भी आये।

मुझे फर्क नहीं पड़ता। उसी तरह जैसे खेल में खिलाड़ी का लक्ष्य बस अपना शत प्रतिशत देना होता है, फिर चाहे हार मिले या जीत किसे प्रवाह है।

जो हमारे हाथ में था वो हमने पूरी ताकत से कर दिया, सारा पसीना झोंक दिया अब परिणाम चाहे हार हो या जीत क्या फर्क पड़ता है।

#6. जीवन की गुणवत्ता क्या है?

बहुत लोग पैसों से बेहद अमीर होते हैं लेकिन जीवन उनका सपाट जिसमें न कोई रंग है, न कोई मिठास, क्योंकि पूरा जीवन उन्होंने खचाखच पैसे कमाने में बिताया होता है। ऐसे लोगों को प्रायः कंजूस भी कहा जाता है।

life quality

या फिर एक तरफ ऐसे सम्पन्न शाली व्यक्ति होते हैं जो अपना पैसा बिना समझ के खर्च करते हैं, ऐसे लोग फिर पैसों से अय्यासी करते हैं, नशा करते हैं, वासना में लिप्त रहते हैं। और हर वो चीज़ भोगने की कोशिश करते हैं जो पैसों से पाई जाती है।

लेकिन दोनों अमीर वर्ग के लोगों की लाइफ की क्वालिटी जीरो है।

तो सवाल है फिर जीवन की गुणवता उच्चतम कैसे होती है?

जवाब है अगर आपके जीवन में बच्चों की भाँती खेल है, आप कुछ नया सीख रहे हैं, कुछ कठिन चीजों को ट्राई कर रहे हैं, यात्रा करते हैं, भाषाएँ सीखते हैं, बेहतर काम करते हैं अर्थात वो सब कुछ सीखते और करते हैं जिससे जीवन बेहतर होता हो तो आपकी लाइफ क्वालिटी बेस्ट है।

इसी को जीवन का ऐश्वर्य कहा गया है।

इसलिए पैसा कम होना या ज्यादा होना समस्या नहीं है, निर्भर करता है आप उस पैसे का क्या उपयोग कर रहे हैं?

#7. जो जाना है, उसे बांटो

अब इन चीजों को जानने के बाद और जीवन में अपनाने के बाद खुश रहने का एक मूल मन्त्र यह है की लोगों की परेशान हालत के प्रति खुद में करुणा जागृत कर उन्हें प्रेम पूर्वक अपने कष्ट कम करने और सही जीवन जीने के लिए आप प्रेरित करें, यही सही जीवन है।

और वाकई ऊपर के 6 बिन्दुओं में जिस व्यक्ति ने जीवन जिया होता है उसके अन्दर फिर प्रेम होता है लोगों के प्रति, जानवरों के प्रति, इस विश्व के कल्याण के प्रति और वह फिर खुद का ही नहीं दूसरे का कल्याण करने का हर सम्भव प्रयास करता है।

क्योंकि जो रस, आनंद आपको मिला है आप चाहोगे दूसरे को भी मिले।

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मन को खुश रखने से जुड़े प्रश्न -FAQ

अकेले खुश रहने का तरीका?

एकांत में खुश रहने के लिए आपको अपने जीवन की राह खुद बनानी होगी, क्योंकि यदि आप अपने कार्य, शिक्षा, उसी तरह हासिल करेंगे जैसे बाकी अन्य लोग करते हैं तो जाहिर है जीवन भी आपका ऐसे ही चलेगा।

खुश रहने के मूल मंत्र

एकांत में खुश रहना जो व्यक्ति सीख जाता है उसे अब खुश रहने के लिए दूसरे की आवश्यकता नहीं। अतः उस व्यक्ति के सम्बन्ध जिसके साथ भी होंगे वह मधुर ही होंगे।

दिन भर खुश रहने का तरीका

सही कार्य चुनें, और उसमें पूरे ध्यान और श्रम के साथ डूब जाएँ, फिर आपके पास दुखी या खुश होने का समय ही नहीं बचेगा।

एक व्यक्ति को खुश और व्यस्त कौन रखता है?

व्यक्ति का सार्थक (उचित) कर्म ही उसे सुख दुःख के बंधन से दूर ले जाता है जिसमें वह व्यस्त होने के साथ साथ आनंदित भी रहता है।

अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद मन को खुश कैसे रखें? आप भली भाँती समझ गए होंगे, यह लेख बेहतर लगा हो तो कृपया इस जानकारी को सोशल मीडिया पर सांझा करना तो बनता है न।

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