शादी के समय कुंडली मिलान के दौरान लड़का या लड़की मांगलिक है या नही इस बात पर खास ध्यान रखा जाता है पर क्या वाकई मांगलिक होना शुभ है या अशुभ? आइये जानें हकीकत क्या है?
इन्सान की कुंडली में जब मंगल ग्रह भारी होता है तो इससे मांगलिक दोष उत्पन्न होते हैं, जिसके प्रभाव से इन्सान की या तो शादी बड़ी मुश्किल से होती है, और अगर किसी तरह विवाह हो जाए तो रिश्ते में खटपट,अनबन बनी रहती है।
अतः मांगलिक व्यक्ति की शादी अक्सर दूसरी किसी मांगलिक इन्सान से की जाती है, हालाँकि मांगलिक लोगों के विषय में कई सारी बातें जो हम सुनते हैं उनमें कोई सच्चाई नहीं होती और इस बात का सबूत भी हमारे पास है तो अगर आपको लगता है धर्म का सम्बन्ध सत्य से है।
और सच्चाई से बड़ा कुछ नहीं होता तो आपको ये सच जरुर जानना चहिये। हो सकता है आपके लिए कुछ बातें बिलकुल नयी हो पर आप समझ जायेंगे तो एक बेहतर साथी और बेहतर जिन्दगी जी पाएंगे।
मांगलिक होना शुभ है या अशुभ? जानें हकीकत
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति की कुंडली में 1, 4, 7, 8, 12वें स्थान पर मंगल ग्रह विद्यमान रहता है ऐसे व्यक्ति को मांगलिक कहकर सम्बोधित किया जाता है। और इनके विषय में तमाम तरह की मान्यताएं लोगों के बीच प्रचलित हैं जैसे कहा जाता है की मांगलिक व्यक्ति गुस्सैल और चिडचिडे स्वभाव के होते हैं।
पर जरा मान्यताओं के चश्मे को हटाकर आप सच्चाई को देखें तो पाएंगे मांगलिक लोगों के विरोध में जितनी भी बातें कही जाती है वो सब झूठी हैं, उनमें कोई सच्चाई नहीं है। उदाहरण के लिए जो लोग कहते हैं की मांगलिक लोगों को गुस्सा ज्यादा आता है।
उनसे हमारा प्रश्न है बताइए, किस इन्सान को गुस्सा नहीं आता है? अगर कोई बात व्यक्ति को बुरी लगेगी तो चाहे वो मांगलिक हो या गैर मांगलिक इंसान गुस्सा तो दोनों को आएगा न, हाँ भले ही गुस्सा करने का तरीका अलग अलग हो।
और जो कहता है मुझे गुस्सा नहीं आता उसे गाली देकर देख लीजिये, तो ये बात साबित करती है की मांगलिक लोगों में कुछ विशेष नहीं होता, गुस्सा कम या अधिक हर इन्सान को आता है। बात जैसी होगी, गुस्सा भी उसी तरह का होगा।
इसी तरह बहुत से लोग मांगलिक लोगों को यह कहकर पनौती कह देते हैं क्योंकी माना जाता है उनके दाम्त्प्य जीवन में लगातार कुछ खटपट बनी रहती है। और बहुत से लोग बस इसलिए सर्व गुण सपन्न इन्सान से शादी करने से बचते हैं क्योंकी वो मांगलिक होता है।
पर सच्चाई तो ये है न की दुनिया में पति-पत्नी के रिश्ते में अनबन होना सामान्य सी बात है, बताओ किस घर में लड़ाइयाँ, क्लेश नहीं होता। मैंने तो बहुत से घर देखें हैं जहाँ कुंडली को अच्छी तरह मिलाने के बाद भी शादी के बाद लोगों में अनबन बनी रहती है। यहां तक की मामले तलाक के लिए चले जाते हैं।
तो बताइए दो इन्सान अगर शादी के बाद लड़ रहे हैं तो परेशानी की वजह उनकी कुंडली है या फिर दो लोगों की बेईमानी और गलतफहमी। हम बेईमान होते हैं हम अपनी जिद पर अड़े रहना जानते हैं और फिर लड़ाई होती है और उसकी जिम्मेदारी हम धर्म को या कुंडली इत्यादि को दे देते हैं।
क्या ये ठीक बात है नहीं न, दो लोगों के बीच रिश्ता खराब है तो कुछ वजह हो सकती हैं, कुछ गलतियाँ हो सकती हैं जो सुधारी जा सकती हैं, ये थोड़ी की हम कह दें नहीं कुंडली में ग्रह खराब हैं।
तो संक्षेप में कहें मांगलिक होना न तो अशुभ है और न ही शुभ, अगर आप इन्सान अच्छे हैं तो आप सही जीवन संगिनी को चुनते हैं तो आपकी जिन्दगी अच्छी होगी। वहीं अगर आप इन्सान बुरे हैं तो भले आप मांगलिक न हो तब भी आपकी शादी शुभ कभी नहीं हो सकती।
कुंडली और मांगलिक होने का सच
अब तक हमने जाना की मांगलिक होने में कुछ विशेष नहीं होता पर आपके मन में ये संशय उठ सकता है की कहीं हमारे कहने का अर्थ यह तो नहीं की कुंडली और ये मांगलिक जैसी चीजें वास्तव में कुछ होती ही नहीं।
सच्चाई तो यही है, पर लोगों के लिए यकीन करना थोडा मुश्किल है। लोग कहेंगे सनातन धर्म में तो कुंडली, ज्योतिष शास्त्र का विशेष महत्व है।
तो आपको समझना होगा की सनातन धर्म क्या है? और ये जवाब हमें भगवद्गीता और उपनिषद ही दे सकते हैं क्योंकी यही हमारे पुराने और उच्चतम धर्मग्रन्थ हैं।
और इन ग्रन्थों को पढने पर आप पाएंगे की सत्य की राह पर चलना ही धर्म है। तो सब सत्य ही सर्वोपरी है और सच्चाई की तरह बढ़ना ही इन्सान का धर्म है।
तो फिर जीवन में एक समझदार इन्सान बनना और सही जीवन जीना इन्सान का लक्ष्य होना चाहिए या फिर कुंडली, किस्मत और तमाम तरह के टोने टोटके पर यकीन करना चाहिए।
अगर आप जरा भी समझदार होंगे तो आप कहेंगे की जीवन में अच्छा इंसान बनना ही मनुष्य का लक्ष्य होना चाहिए, सही कर्म करने चाहिए। तो बताइए सनातन धर्म का वास्तविक अर्थ जानने के बाद कोई आपको कहे की इन्सान सब ठीक होते हैं, सब बुरे काम उपरवाला करवाता या किस्मत करवाती है।
तो जाहिर हैं आप कहेंगे क्या बेवकूफी भरी बातें हो रही है?
तो ठीक इसी तरह जब कोई कहता है मांगलिक और कुंडली में दोष के कारण किसी इन्सान को गुस्सा आ रहा है, या उसके घर में लड़ाई हो रही है तो आप कहेंगे नहीं भाई।
गुस्से और घर में अशांति का कारण ये नहीं है की कुंडली में दोष है बल्कि कुछ और वजह है।
उदाहरण के लिए मैं लालची हूँ मुझे करोड़ों रूपये चाहिए और अपने इस लक्ष्य को पूरा न करने की वजह से मुझे गुस्सा आ रहा है मैं घर के सदस्यों के साथ ठीक से बात नही कर रहा हूँ। तो बताइए समस्या कुंडली में है या मेरी घटिया सोच में है।
इसी तरह जब आप जान लेते हैं की असली धर्म क्या है? और लोग अपनी बेवकूफियों को सहारे देने के लिए किस तरह धर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं तो आप पायेंगे की कुंडली और ज्योतिषियों से जुडी लगभग सभी बातें झूठी हैं या फिर जो वो समझाना चाह रहे हैं उस बात को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
इसलिए किसी भी मान्यता या परम्परा का पालन करने से पहले बहुत जरूरी है हम अपने धर्मग्रन्थों को पढ़ें, जब बात होती है धर्म ग्रन्थों की तो वेदान्त हमारा सबसे पूजनीय ग्रन्थ है, तो उसमें भगवान और इस पृथ्वी के विषय में क्या लिखा है? ये सब बातें हमें पढनी चाहिए।
और न पढने का नुकसान ये होगा जो धर्म के नाम पर सौ फालतू की चीजें बताई जा रही हैं उनको ही आप धर्म मानकर पूजने लगेंगे।
पढ़ें: वेदांत क्या है?
पढ़ें: उपनिषद क्या है?
अंतिम शब्द
तो साथियों मांगलिक होना शुभ है या अशुभ? ये अब आप खुद ही निर्धारित कर सकते हैं, हमें आशा है मांगलिक इन्सान को लेकर इस सच्चाई को अपनाना अब आसान रहेगा। अगर अभी भी इस विषय से जुड़ा मन में कोई सवाल है तो बेझिझक आप 8512820608 whatsapp नम्बर पर सांझा कर सकते हैं, साथ ही लेख उपयोगी साबित हुआ है तो इसे शेयर भी कर दें।