मृत्यु क्या है? रहस्य और सच्चाई जरूर समझें

मृत्यु शब्द सुनते ही हम गम्भीर और थोडा खौफनाक भी महसूस करने लगते हैं, पर वास्तव में मृत्यु क्या है?  मृत्यु के बाद क्या होता है? कुछ ऐसे प्रश्न मन में चलते हैं जिनका सही और सटीक उत्तर मिलना थोडा मुश्किल हो जाता है!

मृत्यु क्या है

पर चूँकि हम जिज्ञासा रखते हैं, इसलिए मन को, आत्मा को, सत्य को समझना जीवन में बेहद जरूरी है, और इसके साथ ही मृत्यु को भी, अन्यथा मौत के रहस्य से हम कभी पर्दा नहीं उठा पाएंगे और एक अन्धविश्वास की तरह जैसा सुना बस उसी को सच मान बैठेंगे!

मृत्यु क्या है?

मृत्यु एक प्राक्रतिक घटना है, जो मानव हो या पदार्थ दोनों पर लागू होती है! इस पृथ्वी पर अनेकों अणु-परमाणु पदार्थ के रूप में बन रहे हैं, और नष्ट हो रहे हैं इसी तरह मनुष्य भी जन्म और मृत्यु के इस चक्र में आगे बढ़ रहा है!

जिस प्रकार प्राकृतिक क्रिया द्वारा बादल का निर्माण होता है, फिर वह बरसते हैं और अंततः कुछ समय बाद बादल बरसकर मिट जाते हैं!  इसी प्रकार भौतिक (फिजिकल) प्रक्रिया से हमारे शरीर का निर्माण होता है!

और जन्म के पश्चात कुछ वर्षों तक मनुष्य जीवन जीता है और अंततः मिट जाता है!

पर चूँकि बादल में कोई चेतना नहीं होती, अतः हम उन्हें अणु परमाणु की दृष्टि से देखते हैं! इसलिए उनके जाने का हमें कोई गम नहीं होता, लेकिन वहीँ चूँकि अहम (मैं भाव) का शरीर से सीधा सम्बन्ध होता है!

अतः जब कोई इन्सान मिटता है यानि मृत्यु को प्राप्त होता है तो हमें लगता है जरुर कोई रहस्य है, कोई भयंकर घटना घटी है!

नहीं, कुछ भी रहस्यमई नहीं है हमारी मौत भी एक प्राक्रतिक घटना है, इसलिए गीता में कृष्ण कह रहे हैं की मिटे तो हैं ही हम पहले से, जन्म से पहले न कोई हमारा अस्तित्व था न मौत के बाद रहेगा!

मृत्यु का रहस्य क्या है?

शरीर के प्रति हमारा मोह या आसक्ति ही मृत्य का रहस्य है, मृत्यु को हम विशेष इसलिए समझ पाते हैं क्योंकि अज्ञानतावश हमने शरीर को एक विशेष मशीन की तरह देखा है जो सदा हमारी इच्छाओं, कामनाओं को पूरा करने में मदद करता है!

और जब यह खत्म होने की कगार में होता है या फिर किसी और का शरीर मिट जाता है तो हम डर से सहम जाते हैं, पर ध्यान दें प्रकृति के लिए मानव शरीर हो या कोई निर्जीव वस्तु दोनों बराबर हैं!

 अतः वे लोग जो पूछते हैं की जन्म मरण क्यों है? उन्हें ये जानना चाहिए वास्तव में जन्म और मृत्यु हैं भी या यह एक कल्पना है!

मृत्यु तो सदा से ही है पैदा होने से पूर्व भी थी और इस शरीर के जाने के बाद भी वह रहेगी! लेकिन शरीर की मृत्यु का सच स्वीकार करने में हमें पीड़ा होती है!

 क्योंकि हमारी इच्छा है हमें शांति मिले, आनंद प्राप्त हो पर मन तो सदा बेचैन रहता है न और वह सोचता है शरीर ही है जिससे मैं कई तरह के सुख पा सकता हूँ!

पर जब तक इस चेतना का मिलन आत्मा से नहीं हो जाता वह संसार में दुखी ही रहता है!

मौत क्या है गीता के अनुसार?

गीता में कृष्ण परिवर्तन को संसार का नियम मानते हुए कहते हैं की हे अर्जुन शरीर जन्म लेते अवम मृत्यु को प्राप्त होते हैं, आत्मा तो सर्वस्व विद्धमान है, न कभी आत्मा ने अवतार लिया न कभी उसकी मृत्यु होगी!

मौत का सच

वह अजर है, अविनाशी है और हार काल में हैं तो तुम क्यों शोक मनाते हो अपने स्वजनों की मृत्यु का! मात्र आत्मा ही है जो सर्वदा है बाकी सभी पदार्थ और शरीर नष्ट होंगे, अतः स्वयं को आत्मा मानकर तुम धर्म के लिए लड़ो अर्जुन!

निराशी निर्ममो भव युद्धस्व विगतज्वर अर्थात अपनी सभी भावनाओं को जरा पीछे रखकर निर्मम हो जाओ, यहाँ कुछ अपना नहीं है तुम किस मोह में फंसे हुए हो! ठीक इस पल जो कर्म करना उचित है उसे करो, यही तुम्हारा धर्म है!

मौत का डर क्यों सताता है?

जो व्यक्ति मौत से जितना अधिक डरता है, समझ लीजिये उतने खराब रिश्ते उसने बनाएं होंगे, तुमने अपनी मर्जी से चुन चुनकर उन चीजों से रिश्ता बनाया है जो एक दिन खत्म हो जाएँगी! और फिर जब वह व्यक्ति या चीज़ खत्म हो जाती है तो फिर रोते हैं, बिलबिलाते हैं!

जीवन रहते तुम उस चीज़ से रिश्ता क्यों नहीं बना रहे जो कभी खत्म नहीं हो सकती! मौत तुम्हारे विचार, बातें, व्यक्तित्व सब छीन ले जायेगी सिवाए आत्मा के,  पर हम सब पकडे रहते हैं सिवाय आत्मा के!

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अपनों की मृत्यु का डर हो तो ?

परिवार का कोई सदस्य हो या दोस्त या किसी भी प्रिय व्यक्ति के चले जाने पर सबसे बड़ा दुःख मनुष्य को इसी बात का होता है की बहुत कुछ था जो हो सकता था हमारे रिश्ते में, पर हो नहीं पाया, यही सबसे बड़ा दुःख है!

अतः जितना जीवन बाकी है जितने भी सम्बन्ध बनाएं हैं आपने लोगों के साथ प्रयास कीजिये उनके लिए वह सब कुछ करने का जिससे मृत्यु के समय पश्चाताप ना हो की कुछ छूट गया!

क्या मृत्यु का समय टल सकता है?

जी नहीं, ऐसी कोई भी विधि नहीं है जिससे आप अपने जीवनकाल को विस्तृत कर सके, आज भले ही विज्ञान ने बहुत से आविष्कार कर लिए हैं, लेकिन मनुष्य की जीवन अवधि को के बढाने के अपने मकसद में अभी भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाया है!

किस पल किस जगह मनुष्य की मृत्यु हो सकती है यह जानने की बात कहने वाले लोग भी अपनी मृत्यु के समय को कुछ मिनट भी नहीं बढ़ा सकते हैं!

मनुष्य जन्म मौत की सजा है? या फिर मुक्ति के लिए ?

एक तरफ संत, महापुरुषों ने कहा है की मानुष जन्म अनमोल है तो वहीँ दूसरी तरफ हम पाते हैं की जीवन पल पल हमें दुख देकर मानो जगा रहा हो की कितना भी भाग लें सुख के पीछे मिलेगा तो दुःख ही!

देखिये इस बात में कोई दो राय नहीं की मनुष्य जन्म मिलता तो करोड़ों लोगों को है लेकिन उसमें से चुनिन्दा लोग ही होते हैं जो इस जन्म की सार्थकता को जान पाते हैं!

कुछ ही लोग होते हैं जो वास्तव में मुक्त हो पाते हैं, संत कबीर, स्वामी विवेकानन्द, कृष्णमूर्ति, जैसे कुछ नाम हैं जो इस जीवन में भय, लालच और तमाम तरह के बन्धनों से दूर हो पाते हैं!

 इसलिए जो व्यक्ति अपने जीवन का हर फैसला फिर चाहे वो शिक्षा का हो या जीवन साथी सुनने का हो, सभी निर्णय यदि वह सामजिक मान्यताओं के दम पर लेते हैं!

और कभी विचार नहीं कर पाते की जीवन में क्या सही है और क्या गलत, ऐसे लोग फिर जिम्मेदारी, मजबूरी के नाम पर कई तरह के व्यर्थ के कार्य करने पर मजबूर होते हैं!

इसलिए ऐसे लोगों को मृत्यु मिल जाती है पर मुक्ति नहीं! यही वजह है की कोई इस जीवन को मौत की सजा मानता है तो कई लोगों के लिए यह अपने कर्मों से, बन्धनों से मुक्ति का रास्ता है!

क्या मुर्दे जिन्दा होते हैं?

अक्सर सोशल मीडिया, समाचारों में खबरें छाई रहती हैं जिनमें दावा किया जाता है की किसी आदमी की मृत्यु हुई और कुछ दिनों बाद वही आदमी किसी दूसरी जगह पर जिन्दा चलता हुआ दिखाई दिया, पर इन ख़बरों की वजह से हिन्दू धर्म के अन्धविश्वासी, पाखंडी लोगों की मान्यताओं के प्रमाण के सिवा कुछ नहीं मिलता!

सोचिये न शरीर के जलने पर वह दोबारा कैसे उसी अवस्था में आ सकता है, कुछ कहते हैं आत्मा होती है जो मरने के बाद फुर्र से उड़ जाती है और फिर दूसरे के शरीर में चली जाती है! आत्मा क्या कोई हवा है, जादू है?

आत्मा का न रंग होता है न रूप, न कोई आकार, न उसे देखा जा सकता है न पकड़ा जा सकता है! आत्मा कोई शरीर में पाए जाने वाला अंग थोड़ी है जिसे पकड़ा जा सके!

लेकिन चूँकि हम ऐसे लोग हैं जिन्होंने गीता नहीं पढ़ी हमने आत्मा के बारे में नहीं जाना,  और इसी अज्ञान के कारण भारत का फायदा खूब अंग्रेजों, विदेशियों ने किया और हमारी यह दुर्दशा हुई!

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के पश्चात मृत्यु क्या है? अब इस प्रश्न का स्पष्ट उत्तर आपको मिल गया होगा, इस विषय पर आपके विचारों को कृपया कमेन्ट में बताएं और इस जानकारी को सांझा भी अवश्य करें!

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