पाप क्या होता है? पापकर्मों से छुटकारा कैसे पायें ~ Biosinhindi

लोग अक्सर कहते हैं की मैंने जाने अनजाने पाप कर दिया, पर वास्तव में पाप क्या होता है? पुराने पापों से मुक्ति कैसे मिलें? हम नहीं जानते। अतः इस लेख में हम इस विषय पर गम्भीरता से चर्चा करेंगे।

पाप क्या होता है

हालाँकि भिन्न भिन्न लोगों में पाप कर्म की धारणाएं अलग हैं, जैसे कही पर पशु की बलि देना सामान्य है तो कहीं पर यह एक जघन्य अपराध है। पर चूँकि मान्यताएं, रीति रिवाज तो बदलते रहते हैं।

इसलिए हम मान्यताओं के आधार पर नहीं बल्कि इस शब्द का जमीनी अर्थ देखेंगे इसलिए सर्वप्रथम हम यह समझेंगे की हम हैं कौन जिनके लिए पाप या दंड बनाया गया है।

हम कौन हैं?

सुबह से लेकर शाम तक हम जितने भी कार्य, योजनायें बनाते हैं इसलिए ताकि हमें शांति और ख़ुशी मिल सके। अतः हम एक अतृप्त चेतना है, जो शान्ति के लिए प्रयासरत है।

कोई भी व्यक्ति इसलिए कर्म नहीं करता ताकि उसका मन दुखी हो, इसलिए हमारे लिए उचित ये है की कोई भी कार्य जिससे हमें अशांति मिले उससे हम दूर रहे और जिस भी कार्य से मन शांति की तरफ, सत्य की तरफ जाए अर्थात मन तृप्त हो जाये वही कार्य हमारे लिए सही है।

जो कर्म तुम्हें शांति की तरफ ले जाए वही एकमात्र करने योग्य है। इसलिए अब इसी के आधार पर हम अपने मुख्य प्रश्न पर चलते हैं।

पाप क्या होता है? भूल और पाप में अंतर?

यह जानते हुए की जिस कार्य को कर रहा हूँ ये मुझे तृप्त नहीं कर पायेगा, उसके बावजूद उस कर्म को करना पाप है। दूसरे शब्दों में जानते बूझते गलत कर्म को करना ही पाप है।

यह जानते हुए की किसी व्यक्ति से आकर्षित होकर या किसी चीज़ को पाकर भी मेरे मन को शांति नहीं मिल पायेगी पर फिर भी उस व्यक्ति या वस्तु के पास जाना पाप कहलाता है।

भूल और पाप में विशेष अंतर हैं, आपको नहीं पता था किसी कर्म को करने के बाद आपका मन तृप्त होगा या नहीं पर फिर भी आपने वो कर दिया, यह भूल है।

पर आपने पहले यह अनुभव किया और जाना है की मन इस बात से पूर्णतया संतुष्ट नहीं होता पर फिर भी उस कार्य को करने में आपने श्रम, उर्जा और समय लगाया तो यह पापकर्म हो गया।

और भूल की तो माफ़ी मिल जाती है, पर पाप का सिर्फ दंड मिलता है। चलिए एक और उदाहरण से पाप और भूल को समझते हैं।

आपको पता है की इस समय क्या करना आपके लिए सबसे जरूरी है, लेकिन अपने डर, लालच या जिम्मेदारी के नाम पर आप उस कर्म को करने से बच रहे हैं तो समझ जाइए। यही पाप है।

और इस पाप का दंड यह मिलेगा की आपने जो सही काम की बजाय गलत कार्य में अपना समय लगाया उसका परिणाम भुगतना होगा।

आप भली भाँती जानते थे की आज परीक्षा दूंगा तो परिणाम भी आएगा पर आप नहीं गए परीक्षा देने तो दंड क्या मिला? आपने वर्ष भर की जो मेहनत की थी वो बर्बाद हो गयी और आपको दोबारा अभ्यास करना होगा।

पाप का प्रयाश्चित कैसे करें? पाप से छुटकारा कैसे पायें?

आपने पूर्व में होश में न रहकर अनाप शनाप कृत्य किये और आपको अपनी गलती का अहसास है यही पाप का प्रायश्चित है, और विशेष बात यह है की आप स्वयं को पापी मानकार अपने पाप कर्मों से भी छुटकारा पा सकते हैं।

परन्तु वे लोग जो खुद को निश्पापी, होशियार, अच्छे कर्म करने वाला व्यक्ति मानते हैं उनका जीवन बदलने का या उनके जीवन में कुछ बेहतर करने की समभावनाएँ वहीँ पर खत्म हो जाती हैं।

और पाप से पीछा छुडाने की एकमात्र विधि है स्वयं को वो नहीं रहने देना, जैसा आप पहले थे, मान लें आप शराबी थे जो शराब पीकर लोगों को तरह तरह की गालियाँ दिया करता था, और मारपीट जैसे कृत्यों को अंजाम दिया करता था।

पर एक दिन आपको होश आया और आपने शराब को छोड़ने का फैसला ले लिया अब दो साल बाद कोई पुराना मित्र या व्यक्ति मिले और वह आपको शराबी या पागल कहेगा तो आपको फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि आप पहले जैसे रहे नहीं।

बल्कि आप कहेंगे कोई बात नहीं, कहने दो इसे पता ही नहीं है मैंने अब बेहोशी को छोड़कर होश का रास्ता अपना लिया है।

ठीक इसी तरह जैसे आपको पहले पैसों का बहुत लालच था आप लोभी किस्म के आदमी थे, और पैसों के कारण कई सारे गलत काम भी किये।

अब आप एक दिन होश में आये और आप अपने लोभ को त्यागने का फैसला कर लेते हैं, फिर कुछ समय बाद ऐसी स्तिथि आती है।

 जब आपको कोई पैसे का लालच देकर ललचाये तो आप उसे इग्नोर कर आगे बढ़ जाओगे क्योंकि अब आपके मन से पैसों का लोभ खत्म हो चुका है।

पर प्रायः लोगों को अपनी गलतियों, पाप कर्मों का अहसास तो हो जाता है लेकिन वे फिर भी वैसे ही बने रहते हैं जैसा वे गलती करने के समय थे।

न वे अपने विचारों में न अपने कार्यो में बदलाव ला पाते हैं जिसकी वजह से उन्हें फिर अपने पाप कर्मों का फल भी भुगतना पड़ता है।

पाप और अपराध में क्या अंतर है?

वे सभी कर्म जिन्हें सामजिक व्यवस्था, कानून उचित नहीं मानता पर किसी व्यक्ति द्वारा ऐसे कर्मों को अंजाम दिया जाता है तो यह अपराध की श्रेणी में आते हैं।

अपराधिक कार्यों की सजा निश्चित रूप से समाज और कानूनी प्रशासन द्वारा दी जाती है, इस सजा के अंतर्गत कारावास में रहना, जुर्माना भरना इत्यादि शामिल हो सकता है।

विशेष बात यह है की समाज में कई ऐसे लोग हैं जो महापापी है, लेकिन उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है इसलिए वे मुक्त घूम रहे हैं, और ऐसा भी सम्भव है कोई व्यक्ति समाज की नजर में अपराधी हो पर भीतर से एकदम स्वच्छ हो, निर्मल हो।

भले ही मन में मेरे जहर हो पर समाज के समक्ष में मीठा मीठा बोलूं, ये अपराध नहीं हो सकता। पर मन ही मन में किसी का अहित चाहता हूँ ये अवश्य ही पाप होगा।

तो आप भली भांति समझ गये होंगे की पाप और अपराधी में क्या होना ज्यादा बुरा है? इतिहास में कई ऐसे लोग रहे हैं जिन्हें सत्य की राह पर चलते हुए अपराधी घोषित कर मार दिया गया पर ऐसे लोगों ने अपराधी होना स्वीकार कर लिया पर पापी होना नहीं।

सबसे बड़ा पाप किसे कहते हैं?

सबसे बड़ा पाप मजबूरी है, जी हाँ विवशता से बड़ा पाप कुछ नहीं होता। मद मोह, लालच, कामवासना, डर इत्यादि जीवन में कुछ भी भयंकर नहीं होता मजबूरी के।

हर पल हर समय जीवन में हमारे पास चुनाव का विकल्प होता है, तो कोई भी स्तिथि मजबूरी कैसे हो सकती है। देखिये बाहरी जीवन में कुछ भी अच्छा या बुरा घट सकता है, आपके हाथों में चोट आ सकती है, शरीर बीमार हो सकता है पर इससे आपका मन निराश या उदास नहीं हो सकता।

मन सिर्फ तभी कमजोर हो सकता है, जब आप खुद को कमजोर मानें।

यही वजह है की शरीर को तुम्हारे कोई बेडी पहना सकता है, शरीर को कोई गोली से छलनी कर सकता है पर बताइए न सच्चाई को कौन छलनी कर सकता है, कौन तुम्हारे मन को किसी हथियार से घायल कर सकता है?

नहीं कर सकता, बाहर से आपको कोई सौ गाली दे सकता है, लेकिन उस गाली का प्रभाव आप में पड़े या न पड़े इसका चुनाव आपके पास होता है।

पर चूँकि हमें दी गई इस चुनाव की शक्ति का हम गलत प्रयोग ही करते हैं, हमेशा बुरा ही चुनते हैं और फिर बाद में कहते हैं क्या करूँ मजबूरी है।

जैसे कोई पहले शादी का निर्णय ले, और बच्चे पैदा करे और फिर कहे क्या करें साहब अब मजबूरी है।

मजबूरी नहीं यह चुनाव है आपका। इसलिए मजबूरी पाप है, महापाप है, जीवन में अभी भी आपके पास सही चुनाव की शक्ति है।

कलयुग में सबसे बड़ा पाप क्या होता है?

अपने स्वाद हेतु बेजुबान जानवरों की हत्या करना, पर्यावरण और हरे भरे जंगलों को नष्ट करना, पैसों या वस्तुओं कोई भोगने की अनंत प्यास,  यही मानव की सबसे बड़ी विडंबना और कलयुग के पाप है।

किसी इंसान के कार्य तो नहीं हो सकते, पर इसके बावजूद बड़े पैमाने पर आज यह हो रहा है। और दुर्भाग्यवश कोई नहीं इसके खिलाफ अआवाज उठा रहा, आज बड़े पैमाने पर इस कृत्य को रोकने की आवश्यकता है।

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के पश्चात पाप क्या होता है? इस विषय पर उपरोक्त लेख आपको इस जीवन को करीब से समझने में मदद करेगा, कृपया इस लेख को अन्य लोगों के साथ भी अवश्य शेयर करें!

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