पढ़ाई के लिए मोटिवेशन कहाँ से लायें? 100% मोटिवेटिड रहोगे  

अगर आप स्कूल, कॉलेज में या किसी परीक्षा में सफल होना चाहते हैं पर आपका पढ़ाई में जी नहीं लगता तो इस पोस्ट में जानें पढ़ाई के लिए मोटिवेशन कहाँ से लायें?

पढ़ाई के लिए मोटीवेशन

बेशक आज इन्टरनेट की मदद से हम जनरल नॉलेज या किसी भी विषय की जानकारी पल भर में प्राप्त कर लेते हैं लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं की आज छात्रों की पढ़ाई में सबसे बड़ी बाधा इन्टरनेट है।

क्योंकि Youtube, सोशल मीडिया में मौजूद कंटेंट आपका ध्यान खींचने के लिए काफी है अतः अगर आप आलस, मोबाइल या किसी भी अन्य वजह से दिल लगाकर पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं।

तो आज हम आपको ऐसा फार्मूला बताने जा रहे हैं जिससे आप 8 घंटे तक की पढ़ाई कर सकते हैं, यानि आपको पढने के लिए समय देखने की आवश्यकता नहीं आप बिना बोरियत के लम्बे समय तक किताबों में अपना मन लगा सकते हैं।

पढ़ाई के लिए मोटिवेशन | मौज में पढना है तो ये जान लीजिये

अगर आपको अक्सर ध्यान की कमी और आलस के चलते पढ़ाई के लिए मोटीवेशनल कहानियां, वीडियोस देखने की जरूरत पड़ती है, तो नीचे बताये गए टिप्स को ध्यानपूर्वक समझने के बाद दोबारा आपको मोटिवेशन कंटेंट देखने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

आप जब भी पढ़ाई करेंगे, मौज में करेंगे और आज तक आपको जो पढ़ाई बोझ लगती थी वही आपके लिए अब आनन्द बन जायेगी। आप कहेंगे काश। ये तरीका पहले पता होता। तो चलिए इस लेख को पढना शुरू करते हैं।

#1. पढ़ाई के पीछे कारण/आशा मत रखिये।

हम में से अधिकांश छात्र यह सोचकर किताबों के करीब आते हैं क्योंकि हमें कोई परीक्षा पास करनी होती है या किसी विषय पर रिसर्च करनी होती है। देखा होगा, साल भर जो छात्र कभी पढ़ाई नहीं करते वे भी परीक्षा के समय किताबें खोलकर बैठ जाते हैं।

बेवजह पढ़ें

अतः भले आप UPSC क्रैक करना चाहते हो या अन्य किसी competitive परीक्षा की तयारी कर रहे हैं अगर आप यह सोचकर पढेंगे की मुझे पढ़ाई करके किसी तरह इस परीक्षा को क्लियर करना है।

तो ध्यान दें की आपके एग्जाम क्लियर करने की संभावना तो कम होगी ही क्योंकि प्रतियोगी परीक्षाओं में 1 हजार में से मात्र 1 छात्र चयनित हो पाता है। और जैसे जैसे आपको ये सच्चाई मालूम होने लगती है तो आपकी उम्मीदें टूटेंगी और जब आपको मालूम होगा की मेरे पास होने के चांस कम हैं तो फिर आप पढाई करना छोड़ देंगे।

#2. मौज में सिर्फ बेवजह पढ़ सकते हैं।

दो स्तिथियाँ है पहली स्तिथि में एक छात्र इसलिए पढाई कर रहा है क्योंकी कल परीक्षा है, सिर पर उसके तनाव और चिंता है और उसे परीक्षा को न सिर्फ पास करना है बल्कि उसे टॉप करना है।

मौज में पढ़ें

दूसरी स्तिथि में, एक छात्र की परीक्षाएं अभी दूर है लेकिन फिर भी वह गणित के सवालों को इसलिए हल कर रहा है क्योंकि वो एक चैलेन्ज की तरह उसके सामने है या इतिहास की किसी घटना को इसलिए पढ़ रहा है क्योंकि उसे जानना है की अतीत में कब क्या हुआ था?

तो निश्चित तौर पर दूसरे छात्र की स्तिथि ज्यादा बढ़िया है क्योंकि पहला छात्र मजबूरी में पढ़ाई कर रहा है जबकि दूसरा मौज में कर रहा है। तो अगर आप भी चाहते हैं पढ़ाई से आपको प्रेम हो आप, जबरदस्ती नहीं बल्कि खुश होकर उसके करीब आये तो ऐसा आप बिना किसी वजह के ही कर सकते हैं।

क्योंकि अगर पढाई की वजह होगी, तो जिस दिन मालूम होगा की वो कारण या उम्मीद अब पढ़ाई से नहीं पूरा होगा तो आप पढ़ाई करना बंद कर देंगे। यही एक मुख्य वजह है जिसकी वजह से छात्र अक्सर पढ़ाई से चिढ़े रहते हैं क्योंकि वो किताबों को एक अपनी कामनाओं और इच्छाओं को पूरा करने का साधन समझते हैं।

#3. किताबें सीखने का माध्यम है, नौकरी या व्यापार का नहीं।

हमारी शिक्षा व्यवस्था कुछ ऐसी है जहाँ छात्रों को स्कूल, कॉलेज में शिक्षकों द्वारा पढाई करने के लिए इसी लिए जोर दिया जाता है ताकि हम किसी MNC कम्पनी में प्रोफेशनल वर्कर बन सकें। और माता पिता भी हमसे यही उम्मीद रखते हैं और इसलिए पढ़ाई पर वो खूब खर्च भी करते हैं।

किताबें सीखने का माध्यम हैं

लेकिन इसका दुप्रभाव छात्रों पर पड़ता है, वे भी पढ़ाई इसलिए करते हैं ताकि भविष्य में नौकरी मिले और सुख सुविधाएं हासिल कर मौज मना सके। यही सच्चाई है न।

लेकिन ऐसा करके हम किताबों के साथ खिलवाड़ करते हैं, जो किताबें हमारे ज्ञान का सूचक हो सकती थी जिससे इन्सान की समझ विकसित हो सकती थी। और उसे इस समाज में अंधविश्वासों से दूर रहकर नेक इन्सान बना सकती थी।

वही किताबें मात्र रोजगार का जरिया बन जाती है। अतः परिणाम यह होता है की छात्र उन किताबों में अपना रोजगार और पैसा देखते हैं।

और जब उसे कहीं से ये मालूम होता है की बिना पढाई के भी पैसा कमाया जा सकता है, बिना कॉलेज जाए बिना भी बिजनेस किया जा सकता है तो फिर पढ़ाई से उसका मन टूट जाता है। और किताबों को वह हमेशा अलविदा कह देता है। तो बताइए क्या हमने ऐसा करके किताबों को अपना स्वार्थ पूरा करने का साधन बना लिया की नहीं?

#4. जीवन में पात्रता बढ़ाइए

यहाँ पात्रता बढाने से आशय जिन्दगी में कुछ कमाने से है, जिस छात्र ने जीवन के किसी भी क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन नहीं किया। उसने खेलों में भाग नहीं लिया, जिसने हमेशा पढ़ाई इसलिए की भविष्य में वह नौकरी करके एक मोटी तनख्वाह पाने वाला इन्सान बने।

पात्रता बढाइये

तो बताइए ऐसा छात्र जब किसी ऊँचे पद पर नौकरी पा भी लेता है तो उसके लिए जाहिर है दूसरे की भलाई से पहले अपना स्वार्थ पहले होगा न।

अतः अगर वाकई भविष्य में पढ़ाई करके भलाई करनी है तो इस छात्र जीवन का सदुपयोग यही होगा की आप अपनी क्षमताओं का उपयोग करके जीवन में जो कुछ संभव है अर्जित करने लायक है उसे कमायें ताकि पढ़ाई को आप ज्ञान पाने के लिए उपयोग करें। भविष्य में सुख बटोरने के लिए नहीं।

#5. व्यक्तित्व का विकास करें।

छात्र जीवन में बहुत कुछ ऐसा है जो सीखने लायक होता है, आप भाषा सीख सकते हैं, कोई कला सीख सकते हैं या किसी खेल के माहिर खिलाड़ी बन सकते हैं।

व्यक्तित्व का विकास करें

ऐसा करके छात्र का मानसिक और शारीरिक तौर पर आत्मविश्वास बढ़ता है। इससे जीवन के प्रति आपका नजरिया सकरात्मक होता है। जो की आपको बतौर व्यक्तिगत रूप से और देश के नागरिक के तौर पर अच्छे संकेत हैं।

विदेशों में यह बात भली भाँती उनके माता पिता समझते हैं लेकिन भारत जैसे विकासशील देशों में पढ़ाई का स्तर इसलिए घट रहा है क्योंकि पढ़ाई छात्रों के लिए एक बोझ के समान है। यहाँ पढ़ाई वास्तव में वर्तमान के अपने सपनों को भविष्य में पूरा करने का माध्यम बन चुकी है।

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के पश्चात पढ़ाई के लिए मोटिवेशन कहाँ से लायें? अब आप भली भाँती समझ चुके होंगे, आशा है आपके लिए यह लेख उपयोगी साबित होगा और आप इसे ज्यादा से ज्यादा दोस्तों के बीच शेयर भी करेंगे।

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