मृत्यु के बाद हमारे पितृ आसमान में बैठकर भी हमारे कर्मों पर हमारी समस्याओं पर नजर रखते हैं, ऐसे में यदि आप उनका आशीर्वाद पाने हेतु पितरों को बुलाने का मन्त्र जानना चाहते हैं तो यह लेख आपके लिए है।
देखिये हिन्दू धर्म की कुछ परम्पराएं आज भी श्रेष्ठ हैं जो हमें इस धर्म के प्रति गौरवान्वित करती हैं उन्हीं में से एक है पितरों के सम्मान में श्राद्ध जैसी महत्वपूर्ण प्रथाएं।
यह प्रथाएं महज कुछ रस्मों रिवाजों को निभाने का नाम नहीं हैं बल्कि ये हमें बताती हैं की आज हमारे जीवन में जितना भी ज्ञान, धन और जीवन के अमूल्य संसाधन हैं वो सभी पितरों की ही देन हैं।
और पितरों के प्रति इसी सम्मान और आदर को व्यक्त करने के लिए श्राद्ध जैसी परम्पराएँ हजारों वर्षों से चली आ रही हैं।
अगर आप भी अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाने और पितरों को खुश करने की इच्छा के साथ उन्हें घर बुलाना चाहते हैं तो आगे इस लेख में कुछ महत्वपूर्ण बातें साँझा की गई हैं।
पितरों को बुलाने का मन्त्र जान लें!
जैसा की हम जानते हैं किसी भी दिवंगत इन्सान को पुनः उसी शरीर में नहीं पाया जा सकता। अतः जाहिर है की वे लोग जो पितरों को बुलाने का मन्त्र या कोई विधि ढूंढ रहे हैं वो चाहते हैं किसी रूप में, किसी इशारे से पितृ हमारे घर चले आये।
उदाहरण के लिए श्राद्ध के दिनों में यदि कौवा आपके घर के बाहर बैठता है या वह कांव कांव करता है तो मान्यता रहती है की हमारे पितृ कौवे के रूप में हमारे घर आए हैं।
तो इस प्रकार यदि आप पितरों की आत्मा को तृप्त करके उनके आशीर्वाद से घर में सुख समृद्धि पाना चाहते हैं तो हम आपको पितरों को बुलाने का एक ऐसा उपाय बताने जा रहे हैं जिससे की पितृ आपके सदा खुश रहेंगे।
और आपके पितृ इस संसार में आज भी जिस भी रूप में होंगे उन्हें आपसे किसी तरह की समस्या नहीं होगी बल्कि आपके कर्मों को देखकर आप पर गर्व होगा।
#1. श्राद्ध का वास्तविक महत्व जानें और करें कुछ पुण्य कार्य।
वास्तव में श्राद्ध की परम्परा इसीलिए शुरू की गई थी ताकि हम पितरों को सच्ची श्रदांजलि दे सके। जो काम पितृ न कर सके वो उनके बच्चे जीते जी कर सके।
और भारत में हमेशा कर्म से आशय पुण्य कर्मों से रहा है। तो अगर आप पितरों को बुलाने का मन्त्र या कोई आसान उपाय ढूंढ रहे हैं तो समझिएगा श्राद्ध के मौके पर कुछ ऐसे कर्म करें जिससे वास्तव में किसी प्राणी का भला होता हो।
आमतौर पर लोग श्राद्ध के दिन चावल, इत्यादि चीजें दान में दे देते हैं। और दुखद है पर सच है की उनका उद्देश्य किसी का कल्याण करना नहीं अपितु बस किसी प्रथा को किसी तरह आगे बढ़ाना होता है ताकि पितृ नाराज न हो सके।
तो जो परम्परा इसलिए बनाई गई थी ताकि हम पितरों की याद में कुछ अच्छे कर्म कर सके और हमारे लिए मुक्ति का रास्ता आसान हो। वहीं प्रथा ऐसे ही रस्म रिवाज बनकर रह जाती है।
आप ऐसा न करें, आप समझें की श्राद्ध की सफल बनाने और पितरों को खुश करने का एक ही तरीका है कोई ऐसा पुण्य कर्म करना जिससे किसी के जीवन में सुधार हो।
हालाँकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो वाकई अच्छी नियत के साथ श्राद्ध के मौके पर पुण्य कार्य करते हैं जैसे वह किसी गरीब बच्चे की शिक्षा की जिम्मेदारी लेते हैं। कुछ लोग जिनके पास बहुत आर्थिक संसाधन नहीं होते वे असहाय लोगों की मदद कर देते हैं।
तो अगर आपकी नियत साफ़ है तो इस उद्देश्य से आपसे जितना बन पड़ता है यदि आप श्राद्ध के मौके पर कोई ऐसा पुण्य कर्म करते हैं तो यकीन मानिए पितरों को आप पर गर्व होगा।
#2. पितरों की याद में करें कोई महान कार्य।
पितरों को घर बुलाने या उन्हें खुश करने का इससे बढ़िया तरीका क्या होगा की आप पितरों की याद में ही कोई ऐसा महान काम कर दें जिससे की आपको भी खुद पर गर्व हो जाएँ।
हम सभी को एक जिन्दगी मिली है, विचार कीजियेगा क्या हमें सिर्फ यह खाने पीने, बच्चे पैदा करने और सोने में बितानी है या फिर जीते जी कुछ ऐसा कर दिखाना है जिससे हमारे पूर्वजों को हम पर और हमें खुद पर गर्व हो सके।
समाज में बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ सुधार की सम्भावना है, तो कोई ऐसा बीड़ा उठाइये जिससे की लोगों की जिन्दगी में परिवर्तन आयें। यकीन मानिए जब आप अपने लिए नही दूसरों के लिए कुछ अच्छा करने का प्रयास करते हैं जो आनंद मिलता है वो कहीं और नहीं मिल सकता।
बहुत से लोग स्कूल खोलते हैं, कोई NGO चलाते हैं ताकि लोगों की मदद हो सके। इसी तरह आप देखिये जीवन में क्या श्रेष्ठ कर सकते हैं।
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#3. आपकी सही जिन्दगी होगी सच्ची श्रदांजली।
अभी तक हमने समझा की हमारे द्वारा किये गये कर्मों को देखकर पितृ खुश होते हैं। पर सवाल आता है साल में एक दिन श्राद्ध के मौके पर पुण्य कर्म कर देना ज्यादा उचित है या फिर साल का प्रत्येक दिन ही पुण्य कर्म में लगा देना?
निश्चित रूप से जवाब होगा की वो जिन्दगी ज्यादा बेहतर होगी जिसका प्रत्येक दिन अच्छे कार्यों को करते हुए गुजरे।
तो अब आपके मन में यहाँ सवाल आ रहा होगा की सच्चे और पुण्य का कार्य अगर हम रोज करेंगे तो इसके लिए पर्याप्त धन कहाँ से आयगा। हम खुद का और अपने परिवार का खर्च कैसे चलाएंगे?
देखिये, आप ये चिंता न करें की भविष्य में क्या होगा? बस आज जितना आप कर सकते हैं वो कीजिये। जो भी महान कार्य आप करना चाहते हैं उस दिशा में एक कदम बढ़ाइए। आप जैसे जैसे आगे बढ़ेंगे आप पाएंगे आपको वहां से इतनी मदद मिलनी लगेगी जिससे की आप अपने खर्चे चला सकें।
उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति अपनी नौकरी करते हुए बाकी बचे समय में गंगा नदी साफ़ करने का अभियान शुरू करता है और कुछ हफ्ते या महीने बाद सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को उसके काम के बारे में पता चलता है तो जाहिर सी बात है लोग अच्छे काम के लिए उसे सपोर्ट भी करेंगे।
यकीन मानिये दुनिया इतनी बुरी भी नहीं है की आप कुछ अच्छा करने निकलें और आपको कोई सपोर्ट न करें। अब आप देखिये जीवन में कोई ऊँचा काम कैसे कर सकते हैं।
#4. पितरों का आशीर्वाद सदा आपके साथ है।
जब जीते जी माँ बाप अपने बच्चों से ये उम्मीद रखते हैं की वो जिन्दगी में कुछ ऐसा करे जो वो नहीं कर पाए तो उनकी मृत्यु के बाद हमारे पितरों की भी इससे बड़ी इच्छा क्या होगी।
है न, हम उनको जल दें, भोजन दें इससे कहीं अधिक जरूरी है की हम वो करें जिसकी उनकी अभिलाषा है। माँ बाप को बच्चों से कुछ नहीं चाहिए बस वो चाहते हैं उनके बच्चे कुछ ऐसा करें जिनसे हमें और सब लोगों को उनपर गर्व हो।
तो जिस इन्सान ने ये बात समझ ली और जिसने अपने डर और लालच से ज्यादा महत्व किसी ऐसे काम को दे दिया है जो सच्चा और सुन्दर है तो पितरों को इससे बड़ी तृप्ति क्या मिलेगी की आपने वो काम कर दिखाया जो उन्होंने कभी नहीं किया।
संक्षेप में कहें तो सच्चे कार्य को करते रहिये, पितृ कभी आपसे नाराज नहीं होंगे। और इस बात का सबूत ये रहेगा की हालात चाहे कैसे भी हों मन आपका कहेगा की सच्चाई को नहीं छोड़ सकता मैं।
#5. पितरों को खुश करने हेतु मन्त्र उच्चारण का अर्थ जानें।
पितरों की तृप्ति के लिए हिन्दू धर्म में जिन परम्पराओं का पालन किया जाता है उनमें हवन, पूजा और मंत्रोच्चारण भी शामिल है। तो जब भी आप इस प्रकार की किसी विधि का पालन करें तो जाननें का प्रयास करें की इन मन्त्रों के माध्यम से पितृ हमें क्या संदेश देना चाहते हैं।
पर सामान्यतया हम देखते हैं की घर में संस्कृत में मन्त्र का जाप हो रहा है पर उन मन्त्रों का हिंदी में अर्थ क्या है? हमें बिलकुल मालूम नहीं होता। सच्चाई के खोजी बनें, थोडा जिज्ञासु बनें हर बात को सिर्फ मानें नहीं उसकी हकीकत जानने का प्रयास करें और यही सनातन धर्म हमें सीख देता है।
पढ़ें: सनातन धर्म क्या है?
अंतिम शब्द
तो साथियों पितरों को बुलाने का मन्त्र और उपाय जानकर जिन्दगी को देखने का एक नया नजरिया आपको मिल गया होगा। इस लेख को पढने के बाद अभी भी मन में कोई सवाल है तो बेझिझक आप 8512820608 नम्बर पर पूछ सकते हैं। साथ ही लेख आपके लिए उपयोगी साबित हुआ है तो याद रखें आपका एक शेयर किसी की पूरी जिन्दगी बदल सकता है।