कुंडली में पितृ दोष होने पर इन्सान को स्वास्थ्य और जीवन सम्बन्धित अनेक परेशानियाँ झेलनी पड़ती है, जैसे परिवार में अशांति होना, अकारण तबियत बिगड़ जाना। पर आखिर यह पितृ दोष क्या होता है?
और पितृ दोष के कुप्रभावों से इन्सान कैसे बच सकता है? इस बारे में लोगों को कोई खास जानकारी नहीं होती। अगर आपको भी यह शक है की मेरी कुंडली में पितृ दोष है और मेरे सभी काम बिगड़ रहे हैं, मेरी जिन्दगी में कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
तो इस लेख को ध्यान से पढने पर आपको पितृ दोष सम्बन्धी समस्याओं का सरल और सबसे उपयोगी समाधान मिल जायेगा। आपसे निवेदन है इस लेख को अंत तक ध्यान से पढ़ें और मन में किसी तरह का प्रश्न आयें तो 8512820608 पर सांझा कर सकते हैं।
पितृ दोष क्या होता है?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन्सान की कुंडली में जब राहु और शनि सूर्य को प्रभावित करते हैं तो ऐसी स्तिथि में पितृ दोष का जन्म होता है, ऐसा होने पर इंसान के जीवन में अनायास ऐसी घटनाएँ घटती हैं जिससे उससे काफी नुकसान पहुँचता है।
इन्सान का लगातार बीमार रहना, संतानोपत्ति में बाधा आना, परिवार में अशांति और एक दूसरे को लेकर मनमुटाव होना ये सभी पितृ दोष के लक्षण माने जाते हैं।
वह इन्सान जिसने पितृ दोष के बारे में सुना होता है उसे लगने लगता है की उसके ग्रह ठीक नहीं चल रहे हैं और वह अपनी समस्या को लेकर फिर किसी पंडित या ज्योतिष के पास जाता है, वे पीड़ित व्यक्ति को कुछ उपाय सुझाते हैं और कहते हैं की इनका पालन करने पर पितृ दोष कुंडली से गायब हो जायेगा।
इस तरह पितृ दोष का प्रभाव और इस समस्या का निवारण किया जाता है, हालांकि अगर आपको भी लगता है आपके जीवन में कुछ ऐसी अजीब घटनाएँ हो रही हैं जो असमान्य हैं और पहले नहीं होती थी।
संक्षेप में कहें तो आपको भी अपने जीवन में पितृ दोष के लक्षण और पितृ दोष घटने की समस्या दिख रही है तो इससे बचने के लिए आपको अब आगे इस लेख में दी गई जानकारी को ध्यान से पढना चाहिए।
पितृ दोष क्यों होता है?
पंडितों और ज्योतिषियों की मानें तो ऐसे कर्म जिनसे माता पिता, वृद्ध लोगों का अपमान होता है और उनकी मृत्यु के पश्चात पिंडदान, श्राद्ध परम्परा का पालन नहीं किया जाता तो पितृ दोष की उत्पत्ति होती है।
पितृ दोष की उत्पत्ति से इन्सान के जीवन में अजीब सी घटनाएं जन्म लेती हैं, जो मन में कुविचार आते हैं वास्तव में वो सच होने लगते हैं। इंसान बड़ा भयभीत रहता है, हर समय कुछ बुरा होने के विचार उसके मन में आते रहते हैं।
हालाँकि पितृ दोष से होने वाले नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति पाई जा सकती है। यदि समय रहते इन्सान यह समझ ले की उसके जीवन में जो कुछ चल रहा है, उसका कारण क्या है तो फिर वो अपनी परेशानी से मुक्ति के लिए सही कदम उठा सकता है।
पितृ दोष कब खत्म होता है?
पितृ दोष की समाप्ति आपके भीतर बैठे अज्ञान और डर से होती है। चूँकि हम नामसझ और बेईमान होते हैं हम अपनी जिन्दगी की दशा सुधारने की हिम्मत नहीं उठाते। इसलिए हमें लगता है हमारे जीवन में जो कुछ अनिष्ट हो रहा है उसके जिम्मेदार हमारे पूर्वज हैं।
पर भीतर यदि हमारे जरा ईमानदारी हो, सच जानने और उसे स्वीकार करने की नियत हो तो हम पाएंगे की जो कुछ भी हमारी जिन्दगी में बुरा चल रहा है उसके जिम्मेदार हम सभी जीवित लोग हैं या फिर जो भी हमें सपने में बुरा होने की आशंका हो रही है वो हमारा भ्रम है।
आप एक बार अपनी परेशानियों को किनारे रखकर दुनिया में चल रही तकलीफों पर गौर कीजिये। बेजुबानों जानवरों के साथ हो रहा अत्याचार हो, या फिर नदियों और पहाड़ों के साथ हो रहा गलत व्यवहार हो।
ये सब कौन कर रहा है? क्या कोई अदृश्य शक्ति है, हमारे पूर्वज हैं जो ये कर रहे हैं या फिर हम सभी जीवित मानव हैं जिन्होंने अपने सुख के लिए प्रकृति के साथ खिलवाड़ करके आज पूरी दुनिया को परेशानी में डाला है।
जवाब आप भी जानते है, इसी तरह अपने घर की समस्या को देखिये जो हालत आज बिगड़े हुए आपको नजर आ रहे हैं वो करतूतें उन बिचारे पितरों की है या आपकी है? जरा भी आपके भीतर सच्चाई को लेकर प्रेम होगा तो आप कहेंगे की हाँ ये गलती हमारी ही है।
और एक बार जिसने गलती स्वीकार कर ली वो अब उस समस्या को ठीक करने के लिए कदम उठाएगा। और इस तरह जिन्दगी में जो कुछ बुरा है, जो पितृ दोष के कारण हो रहा था वो आपकी जिन्दगी से गायब हो जायेगा।
पितृ दोष की पूजा कहां पर होती है?
पितृ दोष की पूजा आपके आंतरिक जगत यानी मन में होती है। अगर मन में ये भाव है की पितरों का आशीर्वाद हमारे साथ हर पल है, पितृ चाहते हैं की हम जीते जी अच्छे कर्म करें तो समझ लीजिये आपने उनकी पूजा कर ली।
पर यदि मन में ये भाव है की पितृ तो कहीं उपर आसमान में बैठे हैं जो मेरे दिया जलाने से प्रसन्न हो जायेंगे। चाहे मेरे कर्म कैसे हों, तो समझ लीजिये पितरों की पूजा सफल नहीं हुई है। लालच,स्वार्थ और डर से भरी जिन्दगी जीकर आप यदि उन्हें दिया अर्पित कर रहे हैं।
तो आप ये संदेश दे रहे हैं की मैं तो अच्छा इंसान हूँ, मुझे सुधरने की, मेरे बेहतर होने की संभावना नहीं है। तो इसी भ्रम में जीने वाला व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त हो जाता है पर जिन्दगी में अच्छे कर्मों से वंचित रह जाता है।
और ऐसा इन्सान दुःख में खुद तो तडपते हुए मरता ही है, साथ में वह पितरों की इच्छा को भी पूरा नहीं कर पाता।
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अंतिम शब्द
तो साथियों इस लेख को पढने के बाद पितृ दोष क्या होता है? इस प्रश्न का जवाब आपको मिल गया होगा। इस लेख को पढने के बाद पितृ दोष होता क्या है? पितृ दोष से जुडी अनेक भ्रान्तियों को समझने में आसानी रही होगी।
अभी भी पितृ दोष के समबन्ध में कोई प्रश्न है तो आप बेझिझक इस whatsapp नम्बर 8512820608 पर पर अपने विचारों को सांझा कर सकते हैं। साथ ही लेख उपयोगी साबित हुआ है तो इसे शेयर भी कर दें। याद रखें आपका एक शेयर किसी की जिन्दगी बदल सकता है।