पुनर्जन्म क्या होता है? ये सिद्धांत आप भी जानिये

2
मुझे सुनना है

पुनर्जन्म को लेकर हिन्दू धर्म में अनेकों मान्यताएं हैं, और पुनर्जन्म के विषय पर तो श्रीमद्भागवत गीता में भी विस्तार से वर्णन हुआ है! पर वास्तव में पुनर्जन्म का अर्थ क्या है? आज हम इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़कर जानेंगे।

पुनर्जन्म क्या है?

पुनर्जन्म का मुद्दा इतना रहस्यमई और रोचक रहा है की इस विषय पर लोगों को रोमांचित करने वाली कई तरह की फिल्मों, कहानियो को भी लोगों द्वारा खूब पसंद किया जाता है! पर आज हम इस बात का स्पष्ट प्रमाण देंगे ताकि आप लॉजिक के साथ समझ सके, पुनर्जन्म क्या है?

पुनर्जन्म क्या होता है? पुनर्जन्म का सिद्धांत

मनुष्य के जन्म लेने के पश्चात म्रत्यु की अवस्था को प्राप्त करने के बाद किसी अन्य योनी में जन्म लेने के इस सिद्धांत को पुनर्जन्म कहा गया है।

परन्तु रोचक तथ्य यह है की हम ये जिज्ञासा रखें की मरने के बाद मनुष्य को कौन सा शरीर या किस योनी में जन्म मिलता है? या फिर ये समझें की यह पुनर्जन्म होता है या बस एक अफवाह है एक रहस्यमई तथ्य है जिसको लेकर समाज में अन्धविश्वास और सिर्फ झूठ ही व्याप्त है।

बता दें पुनर्जन्म का यह सिद्धांत पूरी तरह गलत है, जो कहता है की मरने के बाद मनुष्य दोबारा जन्म लेता है और व्यक्ति को अपने पूर्व जन्म की सभी पुरानी बातें याद होती हैं।

पर थोडा सा बुद्धि का इस्तेमाल करें तो आप पाएंगे हमारे जीवन में अच्छी बुरी सभी स्मृतियाँ (यादें) हमारे माइंड में होती हैं,और सोचिये जब इस दिमाग को बीते कुछ दिनों की याद नहीं रहती,

इसे मालूम नहीं होगा की पिछले हफ्ते आपने रात में क्या खाया, या कौन से कपडे पहने थे तो भला मरने के बाद जब यह दिमाग शरीर के साथ पूरी तरह जल जायेगा तो इसे अगले जन्मे में बीते जन्म की याद कैसे हो सकती है?

कोई व्यक्ति कैसे कह सकता है पिछले जन्म में वो मेरी पत्नी थी, या मेरा घर वह था जब उसके दिमाग की क्षमता बेहद सीमित है, जिसमें अगर अधिक जोर डाला जाये तो उसमें दर्द होने लगता है।

वहीँ बात की जाये आत्मा के पुनर्जन्म की तो, आत्मा अजर है, अमर है उसका न कभी जन्म हुआ था और न ही वह मर सकती है, वो सदा से थी, है और रहेगी।

अतः इस प्रकार लॉजीकली यह समझा जा सकता है की मनुष्य का पुनर्जन्म होना संभव नहीं है, याद रखें जन्म मात्र एक है जो इस समय है और इस जीवन को सभी को सार्थक बनाना चाहिए।

मनुष्य का पुनर्जन्म कैसे होता है?

मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता, कोई भी विधि, मन्त्र या जाप करने से मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता, सनातन धर्म के शीर्ष ग्रन्थ उपनिषद, गीता, वेदों में पुनर्जन्म की इस झूठी धारणा को स्वीकार नहीं करते।

पुनर्जन्म कितने दिन बाद होता है?

मनुष्य के शरीर को त्यागने के बाद पिछले कुल में, उसी नाम और पहचान के साथ जन्म होना सम्भव नहीं है, अतः पुनर्जन्म कितने समय बाद, किस पल होता है? ये प्रश्न ही व्यर्थ है, वे लोग जो इस तरह के प्रश्नों में अधिक रूचि और गम्भीरता रखते हैं वे सच्चाई से दूर होकर पुनर्जन्म की इस गलत धारणा से खुद को संतुष्ट रखना चाहते हैं।

मनुष्य का जन्म कितनी बार होता है?

इस प्रथ्वी पर जन्म मरण का चक्र तो चलता रहता है, लेकिन एक मनुष्य कितनी बार प्रथ्वी में जन्म लेता है इसका सटीक जवाब बता पाना मुश्किल है, हालाँकि 84 लाख योनी के बाद मनुष्य योनी प्राप्त होने की जो बात कही जाती है हम इसका समर्थन नहीं करते हैं क्योंकि जन्म मात्र एक है और वो इस पल में है।

एक ही परिवार में पुनर्जन्म संभव है?

जी नहीं एक व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका उसी परिवार में, उसी पहचान के साथ जन्म लेना संभव नहीं है, इस तरह की सभी काल्पनिक धारणाएं मनुष्य को सच से दूर करने के लिए कही जाती रही हैं।

पुनर्जन्म की सच्ची घटनाएं इन हिंदी

आंठ्वी कक्षा में एक छात्र था जिसे सब बुढउ कहकर बुलाते थे, इसकी दो वजह थी एक तो परीक्षा में फेल होने की वजह से उसकी उम्र बाकी अन्य छात्रों की तुलना में ज्यादा थी दूसरा उसने जीवन कुछ इस तरह जिया था की 15 वर्ष की छोटी आयु में ही उसके बाल सफेद होने लगे थे।

हाफ इयरली (अर्द्ध वार्षिक) परीक्षाएं होती हैं,  बुढउ के लिए नतीजे इस बार भी वैसे ही आते हैं जैसे पिछले वर्ष आये थे, अब बुढउ यह जान चुके थे की इस वर्ष भी उनका पत्ता कटने वाला है तो देखा जाता है की वो सांतवी के लड़के लड़कियों से मेलजोल बढ़ा रहे हैं, उन्हें बतौर सीनियर टिप्स दे रहे हैं।

और एक दिन तो हद्द हो गयी आंठ्वी कक्षा में पढने वाला बुढउ असेम्बली में सांतवी की कक्षा में लग जाता है, यह देखकर मॉनिटर द्वारा उसे अपनी कक्षा की पंक्ति में लगने के लिए कहा जाता है! तो बुढउ चिढ़े हुए स्वरों में कहते हैं छोड़ों हमें, तुम्हारा क्या तुम तो बीत जाओगे!…

अतः बजाय आने वाले अंतिम चरण की परीक्षाओं की तैयारी में डूब जाने के, बुढउ यह उम्मीद ही छोड़ देते हैं की अभी भी कुछ समय बाकी है और परीक्षा पास कर अगली कक्षा में प्रवेश किया जा सकता है।

हमारी भी कहानी बुढउ की तरह ही है, हमें लगता है आधा जीवन तो व्यर्थ जा चुका है, अब जो कुछ अच्छा हो सकता है वो अगले जन्म में होगा! इसलिए तो 25-35 की उम्र में ही लोगों के चेहरे में थकान वो उबाउपन बताता है की जीवन से उनके प्रेम, करुणा गायब हो चुकी है और वो कम उम्र में ही बुड्ढे हो चुके हैं।

हमारे जो बंधन हैं, खराब स्तिथि है वो तो इस उम्र में अब ठीक होने से रही तो लोग तैयारी करने लगते हैं अगले जन्म की वो कहते हैं मुक्ति, आत्मज्ञान, ये सब अब होने से रहा तो कहते हैं अगले जन्म में ही होगा।

और फिर ऐसे ही आलसी, अयोग्य, डरपोक लोगों द्वारा पुनर्जन्म के सिद्धांत रचे जाते हैं, भूलिए मत जन्म मात्र एक है अभी समय है जो करना है अभी करना है, जन्म भी है इसी पल मृत्यु भी है, बंधन भी है और मुक्ति भी है, अज्ञान भी और आत्मज्ञान भी है।

आने वाले समय का इन्तेजार न करो | अभी उठो और अपना जीवन बदलने की तैयारी करो।

पुनर्जन्म का वास्तविक अर्थ क्या है?

चूँकि आत्मा अमर है और शरीर मृत्यु प्राप्त करने के बाद उसी अवस्था में वापस आता नहीं अतः समय में होने वाला हर छोटा बड़ा बदलाव ही पुनर्जन्म है।

देखिये मनुष्य का प्रतिपल पुनर्जन्म हो रहा है, आज से 5 साल पहले जो आप थे वैसे आप अब नहीं हैं, ये आपका नया जन्म है।

पर समझने वाली बात है की यह पुनर्जन्म आत्मा का नहीं है बल्कि हम सभी के अन्दर एक अहम वृति यानि मैं है जिसका पुनर्जन्म होता है।

बाकी आपके शरीर की सभी चीजें, कपडे, इत्यादि सब कुछ बदल जाता है लेकिन जो अहम भाव है उसका जन्म निरंतर होता रहता है, 10 साल पहले आप कहते थे मैं ये हूँ, आज आप कहेंगे मै कुछ और हूँ तो सब कुछ बदल रहा है बस अहम भाव का पुनर्जन्म हो रहा है।

अहम् भाव गुड की भाँती है, जिससे हम सभी लोग एक मक्खी की भांति चिपके रहते हैं, मजेदार बात यह है की न तो असली होता है और न ही यह हमारा अपना होता है पर फिर भी हम इसको अपना मान बैठते हैं।

यह अहम भाव क्योंकि सत्य से दूर रहता है, अज्ञानता में जीता है इसलिए इसे दुःख भी खूब होते हैं, यह तडपता रहता है शांति के लिए, क्योंकि जो अनंत है, असीम है पूर्ण है यह उससे दूर है! और आत्मा उस अनंतता, असीमता और पूर्णता का दूसरा नाम है।

पिछले जन्म को याद कैसे करें?

पिछले जन्म को याद करने की कोई भौतिक विधि या कृत्रिम तरीका नहीं है, हम मनुष्य अपनी सीमित बुद्धि के फलस्वरूप पिछले जन्म को याद नहीं कर सकते, अगर कोई आपके पिछले जन्म को याद करके आपके पिछले जन्म को लेकर टिप्पणी करता है और आपको पूर्वजन्म की रहस्यमई घटनाएँ सुनाता है तो इसका अर्थ है यह मनुष्य खतरनाक है और आपको उससे दूरी बनानी चाहिए।

FAQ

क्या एक ही परिवार में पुनर्जन्म संभव है?

जी नहीं एक ही व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त करने के पश्चात वापस उसी परिवार में उसी अवस्था में दोबारा जन्म नहीं ले सकता! पुनर्जन्म निश्चित रूप से होता है प्रकृति में लगातार कुछ मिट रहा है, जन्म ले रहा है! पर व्यक्ति का पुनर्जन्म नहीं होता उसकी चेतना का होता है!

पुनर्जन्म कितने समय बाद होता है?

पुनर्जन्म कभी नहीं होगा, अर्थात आप इसी शरीर और जाति के साथ दोबारा पैदा नहीं होंगे! एक ही जन्म है इसको व्यर्थ मत गवाइए! इसी में जीवन की सार्थकता है 7 जन्मों का इन्तेजार न करें, इस एकमात्र जीवन का सदुपयोग करें!

पुनर्जन्म का इतिहास क्या है?

पुनर्जन्म या पुनचक्रण का सिद्धांत बहुत पुराना है, वास्तव में प्रकृति के आरम्भ से ही पुनर्जन्म की प्रक्रिया आगे बढ़ रही है! लाखों वर्षों से लगातार कुछ बन रहा है, कुछ मिट रहा है! रोजाना नए जन्म हो रहे हैं और मिट रहे हैं लेकिन किसी व्यक्तिगत इन्सान का जन्म लेकर दोबारा मरना सम्भव नहीं होता!

सम्बन्धित पोस्ट पढ़ें:

पाप क्या होता है? पापकर्मों से छुटकारा कैसे पायें

शिव कौन हैं? जानिए भोले बाबा और शिव में अंतर 

अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के पश्चात पुनर्जन्म क्या है? इस विषय पर पूर्ण जानकारी हासिल हुई होगी, पुनर्जन्म के विषय पर मन में उठ रहे हैं प्रश्नों और विचारों को कमेन्ट बॉक्स के माध्यम से जरुर बताएं साथ ही इस जानकारी को सोशल मीडिया पर भी अवश्य शेयर करें!

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here