प्यार और शादी में 10 बड़े अंतर | जानकार चौंक जायेंगे!

अधिकतर लोग यह मानते हैं की एक अच्छी प्रेम कहानी में शादी जरुर होती है, पर अगर हम कहें यह आवश्यक नहीं की जहाँ प्रेम हो, वहां शादी भी हो, जी हाँ आज हम समझेंगे प्यार और शादी में क्या अंतर है!

प्यार और शादी में अंतर

देखिये हम जिस समाज में रहते हैं वहां किसी लड़की से प्रेम होने का सीधा मतलब होता है की उसे अब जिन्दगी भर के लिए अपने साथ विवाह के बंधन में बाँध लें!

लेकिन क्या ऐसा भी हो सकता है की आप किसी से प्यार करें, और फिर उसपर छोड़ दें उसे आपसे शादी करनी है या नहीं, कई लोगों के तो प्यार की बुनियाद ही शादी से होती है!

वो किसी लड़की से प्रेम करते भी तब हैं जब उन्हें पता चल जाये फलानी लड़की खूबसूरत है , हमारी जाति की है, आकर्षक शरीर है! क्योंकि वो जानते हैं अगर यह जांचे बिना किसी से दिल लगा लिया तो फिर दिल टूटेगा! क्योंकि उससे शादी तो हो नहीं पायेगी!

प्यार और शादी में 10 बड़े अंतर

देखिये इस लेख को अगर आप ध्यानपूर्वक अंत तक पढेंगे तो शादी और प्रेम को लेकर आपके अनेक भ्रम टूटेंगे आप कहेंगे जिसे हम प्यार कहते हैं वो तो प्यार होता ही नहीं! और शादी करने का प्रेम से कोई संबध है ही नहीं!

जी हाँ, हम जिस समाज में रहते हैं वहां प्रेम शब्द को इतना मैला कर दिया है की हर कोई प्यार प्यार गा रहा है? प्यार इतनी हल्की और साधारण चीज़ नहीं होती, प्यार करना भी शूरमाओं का काम है! चलिए जानते हैं हम आखिर ऐसा क्यों कह रहे हैं!

सच्चे प्यार का क्या अर्थ है?

1. शादी जिम्मेदारी है लेकिन प्यार आजादी है।

सात फेरे लेते ही शादीशुदा जीवन में लड़के और लड़की दोनों को अलग-अलग कर्तव्य बता दिए जाते हैं। लड़कियों को क्या बिल्कुल नहीं करना और लड़कों को कौन सी जिम्मेदारी से बिल्कुल नहीं भागना इस बात की सारी जिम्मेदारियां एक शादीशुदा जीवन में होती है।

शादी जिम्मेदारी पर प्यार आजादी है

दूसरी तरफ प्यारा आपको स्वतंत्रता देता है क्योंकि किसी की भलाई चाहना ही प्रेम होता है इसलिए प्यार में आपको प्रेमी को अपने साथ रहने की शर्त रखकर बांधना नहीं पड़ता। आप उसे उसकी मर्जी से फैसला लेने के लिए छोड़ देते हैं।

2. शादी की उम्र होती है और प्यार ताउम्र रहता है।

लड़की हो या लड़कियां दोनों को एक निश्चित समय बाद शादी करने की सलाह दी जाती है जो की अमूमन 30 से 35 वर्ष होती है। दूसरी तरफ प्यार उम्र के आधार पर नहीं होता जिस उम्र में व्यक्ति का मन साफ हो जाए अर्थात उसके मन में प्रेमी से कोई लाभ लेने का इरादा नहीं होता, बस उसकी भलाई की इच्छा मन में हो वही से प्रेम शुरू हो जाता है। फिर चाहे वह 18 की उम्र हो या फिर 50 की उम्र हो।

3. शादी का रिश्ता खत्म हो सकता है लेकिन प्रेम का नहीं

पति पत्नी के बीच की अनबन की वजह से तलाक के कई मुद्दे अक्सर सामने आते हैं या कई परिवारों में तो लोग समाज में बेज्जती, डर की वजह से घुट घुट के जीते हैं लेकिन वह शादीशुदा रिश्ता खत्म नहीं करते।

शादी और प्यार में अंतर

दूसरी तरफ प्यार और शादी में अंतर यह है की प्यार मजबूरी का नाम नहीं है इसलिए प्यार किसी से भी हो सकता है, आपको किसी जाति, उम्र या देश, समुदाय की लड़की से या लड़की से प्रेम हुआ तो यह प्रेम खत्म नहीं हो सकता।

क्योंकि प्रेम जानता है मुझे किसी से कुछ पाना नहीं है बल्कि एकमात्र उद्देश्य दूसरे की भलाई है और जब सोच किसी का अच्छा चाहने की है तो फिर यह चाहत जीवन भर बरकरार रहती है इसलिए प्रेम का रिश्ता यूं ही टिका रहता है।

4. शादी आश्रित कर देगी और प्यार आत्मनिर्भर बनाएगा।

शादी के उपरांत जहां पति अपनी पत्नी पर घरेलू कार्यों और अपनी देखरेख के लिए आश्रित रहता है। जबकि पत्नियां पैसे और सुरक्षा के लिए अपने पति पर निर्भर रहती हैं।

प्यार इन्सान को आत्मनिर्भर बनाता है

दूसरी तरफ प्यार जानता है कि यदि मेरे स्वार्थ या जरूरतों के लिए मैं अपने प्रेमी पर निर्भर रहूंगा तो ये ना मेरे लिए अच्छा है न उसके लिए। प्यार आप को आत्मनिर्भर बना देगा ताकि आप अपने पैरों पर खड़े होकर दूसरे को सहारा दे सके ना कि अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए दूसरे का इस्तेमाल करें।

5. शादी से मोह और लगाव उत्पन्न होता है और प्रेम से निस्वार्थ भलाई

देखा है एक बार शादी हो जाए तो पति पत्नी को केवल उन कार्यों को करने की अनुमति देता है जिससे कि वह उसे छोड़कर न जा सके। इसी तरह बच्चों पर भी माता-पिता का मोह बहुत अधिक होता है। क्योंकि ममता आपको सिखाती है कैसे बच्चों के प्रति लगाव रखना है!

शादी से मोह उत्पन्न होता है

जबकि प्रेम कहता है इंसान की भलाई की खातिर जो कष्ट उठाना पड़े उठाने को तैयार रहूंगा, उदाहरण के लिए मेरी पत्नी या बच्चे की भलाई मुझसे दूर रहने में है तो प्रेम आपको यह बड़ा निर्णय लेने में भी मदद करेगा। प्रेम दूसरे की भलाई के लिए बड़ी से बड़ी कीमत चुकाने को तैयार रहता है लेकिन मोह अपने स्वार्थ के लिए दूसरे से चिपकने का नाम है।

6. शादी आकर्षण होती है, प्रेम नहीं!

शादी में यह नहीं देखा जाता लड़की और लड़की का मन कैसा है उसे सच्चाई पसंद है झूठ? उसके मन में लालच कितना है? इसके विपरीत देखा जाता है वह कितना खूबसूरत है, उसके पास पैसे कितने हैं, यानी शादी किसी से आकर्षित होकर की जाती है। सच्चाई को देखकर नहीं

शादी की वजह आकर्षण होती है

लेकिन प्रेम आकर्षण नहीं होता, प्रेम अगर हो जाए तो फिर वह ना उसका लिंग देखता ना, जात ना उसके हालात प्रेम में तो एक ही इच्छा और कामना रहती है की किसी तरह प्रेमी का भला हो!

7. शादी व्यक्ति विशेष से होती है प्रेम बहुतों से हो सकता है।

शादी का बंधन आपको उम्र भर के लिए किसी एक व्यक्ति पर या अपने परिवार पर अपना जीवन समर्पित करने के लिए मजबूर कर देता हैं। आप चाह कर भी फिर किसी नेक महिला या पुरुष को प्रेम नहीं कर पाते।

प्रेम अनेकों से हो सकता है

क्योंकि आपके लिए आपका पार्टनर भी सब कुछ होता है जबकि प्रेम आपको जिंदगी भर यह आजादी देता है कि आप कभी भी किसी से प्रेम कर सकते हैं।

प्रेम ना तो किसी से शारीरिक सुख मांगता है, ना ही उसमें किसी और तरह का कोई स्वार्थ होता है। इसलिए जो ज्ञानी, संत हुए हैं उनके मन में एक व्यक्ति विशेष के लिए बल्कि हजारों लाखों लोगों के लिए प्रेम था।

8. शादी होना प्राकृतिक है, प्रेम प्राकृतिक नहीं होता।

देखिए प्रकृति में एक व्यवस्था बनाई गई है जिससे कि मनुष्य जीवन निर्वाह के लिए कर्म करे, बच्चे पैदा करें और हजारों सालों से यह प्रक्रिया चलती आ रही है इसलिए शादी होना बिल्कुल एक प्राकृतिक बात है।

शादी प्राकृतिक होती है

क्योंकि शरीर में आपके हार्मोन उठ रहे हैं और उन्हीं से आपने किसी महिला से संबंध बनाए और फिर उनसे आपको नवजात शिशु, पैदा हुए यह प्रक्रिया जानवर भी करते हैं इसलिए शादी बिल्कुल प्राकृतिक होती है।

जबकि प्रेम तो मन की शुद्धि है, यानी जब मन लालच, कपट, धूर्तता को त्याग दें और बस मन में मात्र एक चाहत हो की किसी तरह इंसान के दुखों से इसको मुक्ति दूं। आमतौर पर प्रेम न हमारे मन में होता है और ना ही हम प्रेम दूसरों को दे पाते हैं। इसीलिए तो कहा गया कि प्रेम सीखने में बड़ी साधना और नियत होनी चाहिए।

9. शादी सुरक्षा मांगती है प्रेम सुरक्षा देता है।

शादी के उपरांत घर, पैसा सगे संबंधी यह सभी कहीं ना कहीं इसीलिए होते हैं ताकि इनसे हमें आवश्यकता पड़ने पर किसी तरह की सुरक्षा मिल सके। दूसरी तरफ प्रेम बड़ा आजाद पंछी है वह तो जरूरतमंदों को सुरक्षा देता है।

शादी सुरक्षा खोजती है

इसलिए वह किसी अपने स्वार्थ के लिए किसी इंसान को शादी के बंधन में नहीं बांधता, क्योंकि वो जानता है मैं खुली हवा में जिस तरह मौज कर रहा हूं, उसी तरह दूसरा भी यह आजादी महसूस करे।

10. शादी तय शुदा जीवन है, प्रेम के खुले पंख होते हैं।

30 की उम्र में शादी 35 में 2 बच्चे फिर बच्चों की पढ़ाई और फिर नौकरी और फिर उनकी शादी और फिर आपका आ जाता है बुढ़ापा और फिर हो जाती है मृत्यु अब इस जीवन में कहीं भी कुछ नया नहीं है। क्योंकि आप जानते हैं कि जिंदगी में अब आगे क्या होने वाला है? और आपको आगे क्या करना है?

शादी शुदा जीवन तय होता है

पर प्रेम कहता है इस समय जो करना सही है उसे कीजिए। इसलिए प्रेम को भविष्य की कामना नहीं होती प्रेम बड़े आनंद में जीता है।

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस पोस्ट को पढ़ने के बाद प्यार और शादी में अंतर अब आपको भली भांति मालूम हो चुका होगा। अगर आपको यह लेख पसंद है तो कृपया इसको अन्य मित्रों के बीच जरूर साझा कर दें।

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