प्यार है या कारोबार – अध्याय 14 | Full Summary in Hindi

प्यार और कारोबार दो अलग-अलग चीजें हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश प्रेम में हम भावनाओं का इस्तेमाल कर कारोबार कर लेते हैं और फिर प्रेम नहीं मिला इसकी शिकायत करते रहते हैं।

प्यार है या कारोबार

लेकिन प्यार और व्यापार दोंनों को किस तल पर रखना चाहिए? और क्या हम इन मामलों में गलती कर बैठते हैं यह समझने के लिए हमें इस अध्याय को पढना होगा! आइये जानते हैं।

आचार्य जी: व्यापार का नियम है कुछ लिया है तो लौटाना पड़ेगा, जबकि प्रेम कहता है जो दिया है गिनो मत बस देते रहो बिलकुल अपेक्षा मत रखना।

तो अगर तुम्हारे साथ किसी का रिश्ता कारोबारी है तो जितना आपको मिला है, उतना ही लौटा दीजिये। अन्यथा बेईमानी होगी, लेकिन हाँ अगर किसी से सच्चा प्रेम है तो फिर ये मत सोचिये कितना दिया, देते रहिये, देते रहिये.. क्योंकि प्रेम गिनता नहीं है और यही सच्चा आत्मिक प्रेम कह्लाता है।

तो पहले रिश्ता कारोबारी है या आत्मिक इसका निर्धारण कर लीजिये।

हम प्रेम में कर देते हैं कारोबार | प्यार है या कारोबार

आचार्य जी कह रहे हैं लेकिन हम बिलकुल उल्टा कर देते हैं जिनके साथ तुम्हें लगता है प्रेम के रिश्ते हैं उन्हें आप व्यापार में कह देते हैं ले जाइए! अपनी ही दुकान है, और देते समय ठीक ठीक यह भी नही पूछते की कितना ले जा रहे हैं कब लौटायेंगे?

तो इस तरह कारोबार में हम भावना घुसेड देते हैं, और नतीजा खुद को घाटा और कई बार तो व्यापार ही बंद हो जाता है।

प्रेम में नुकसान हुआ

कई लोगों की ये शिकायत रहती है प्यार तो किया था हमने पर बदले में मिला नहीं। तुम ये प्यार कर रहे हो की तराजू लेकर तोल रहे हो, एक किलो मैंने दिया सिर्फ उसने आधा किलो दिया.. नहीं ऐसा मत करिये।

अरे प्रेम करने का मतलब धंधा करना होता है क्या? प्रेम तो नि:स्वार्थ होता है दुनिया की चीजें धूल-मिटटी हैं। इन्हें आसानी से नापा जा सकता है लेकिन प्रेम वस्तु नहीं है, उसका मापतोल बिलकुल नहीं किया जा सकेगा।

पिछले अध्याय पढ़ें:-

« हम जिनसे प्रेम करते हैं, वो हमसे नफरत क्यों करते हैं? Chapter 13

« राधा- कृष्ण में भी प्रेम था, पर हमारे प्रेम को सम्मान क्यों नहीं Chapter 11

अंतिम शब्द

तो साथियों इस तरह अध्याय में आचार्य जी समझाते है की प्यार और कारोबार दोनों के नियम मूलभूत रूप से अलग हैं। तो अगर इन दोनों चीजों में गलतफहमी से खुद को बचाना है तो कृपया एक के नियमों को दूसरों पर आरोपित मत कीजिये। तो साथियों अगर आपको इस पुस्तक का यह अध्याय पसंद आया है तो इस पुस्तक को आप Amazon से ऑर्डर कर सकते हैं।

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