हम यूँ ही जाने अनजाने में किसी को भी कह देते हैं मैं तुमसे प्यार करता हूँ या love you इत्यादि लेकिन प्यार इतनी हल्की चीज़ नहीं है। जी हाँ और ये बात हम तभी समझ पाएंगे जब हमें मालूम होगा प्यार का दूसरा नाम क्या है?

प्यार होना जीवन में अनमोल है, पैसा देकर किसी को डराकर, लालच देकर प्रेम नहीं हो सकता। इसलिए बेहद कम लोग होते हैं वास्तव में जिन्हें किसी से प्रेम होता है वरना लोग प्यार शब्द का अर्थ तक नहीं जानते तो सोचो वो प्यार किसी से कैसे कर सकते हैं! आइये जानते हैं!
प्यार का दूसरा नाम क्या है? Second Meaning of Love in Hindi
प्यार का दूसरा नाम भलाई है, अर्थात किसी इंसान की तरक्की को लक्ष्य बनाना ही प्रेम है! प्यार वो नहीं जो हमें कहानियों, और समाज द्वारा बता दिया गया है। किसी इंसान की वास्तविक स्तिथि को स्वीकार करके उसे चाहना ही प्रेम है!
प्यार यह नहीं देखता किसी इंसान की स्तिथि कैसी है? उसका रंग क्या है, जाति क्या है, लिंग क्या है, सुख समृद्धि कितनी है और मुझे इस इसांन से क्या फयदा होगा इत्यादि।
क्योंकि प्रेम नि:स्वार्थ भाव यानी बिना कुछ प्राप्त करने की इच्छा से होता है!
इसलिए प्यार को फर्क नहीं पड़ता दूसरा इन्सान है कौन? उससे मेरा सम्बन्ध क्या था? उसने मेरे साथ अच्छा किया या बुरा किया?
बस वो जिस इन्सान को प्रेम करता है उसको एक बेहतर इंसान बनाना चाहता है, उसको निर्भयता, आत्मनिर्भर बनाकर उसे एक आजादी भरा जीवन जीने में मदद करता है!
इसलिए प्रेम करने वाले बहुत कम लोग होते हैं, क्योंकि हमें तो लगता है प्रेम तो किसी जवान स्त्री या पुरुष से होता है या अपने परिवार से हो सकता है।
नहीं प्रेम होना वास्तव में आसान नहीं होता है सोचो कौन सा इन्सान आज के समय में बिना कुछ पाने की इच्छा के किसी से बात तक करना पसंद करता है?
हम जीवन में मित्रता या शादी का या कोई भी रिश्ता बनाते हैं इसलिए ताकि उस रिश्ते से मुझे कुछ लाभ मिले और कुछ उसे मिल जाये, जैसे बिजनेस में लेना और देना चलता है! पर प्यार में तो इंसान सिर्फ देता है लेने की उम्मीद नहीं रखता।
इसलिए जीवन में किसी को प्यार करने के लिए पहले प्रेम सीखना पड़ता है प्रेम कोई शरीर में हार्मोन या फीलिंग तो नहीं है जो अचानक एक उम्र के बाद आ जाये और हम कहें की प्रेम हमें भी हुआ है।
प्यार है आजादी
जी हाँ प्यार का एक और नाम है जिसे हम आजादी या स्वतंत्रता कह सकते हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि जैसा हमने जाना की किसी को दिल से चाहने का अर्थ है आप उसके शरीर या सम्पति को नहीं बल्कि उसकी भलाई को चाहते हैं।
अतः जब किसी इंसान का भला होना ही आपका लक्ष्य होता है तो फिर जाहिर सी बात है। ऐसा करके उस इंसान को पहले जिन बुराइयों, कमियों ने जकड़ा हुआ था वो बुराइयां छूट जाएँगी तो वो एक आजादी वाला जीवन जियेगा।
उदाहरण के लिए आपका कोई पुरुष या महिला मित्र है, जिसे आप बेहद चाहते हैं तो उसे प्रेम करने का मतलब होगा की आप देखेंगे की आपके मित्र में कौन कौन सी कमियां हैं?
किन चीजों से उसे डर लगता है,कौन सी चीजें उसे अपनी जिन्दगी में सीखनी चाहिए, कौन सी बुरी आदतें हैं जो उसे आज ही त्यागनी चाहिए।
जब आप ये जान जायेंगे तो अब आपको ये तो मालूम हो गया की वाकई आपके मित्र की हालत खराब है और इसे सुधरना चाहिए।
तो अब आप वो हर सम्भव प्रयास करेंगे जिससे की वह एक बेहतर इंसान बने! फिर चाहे इसके लिए आपको अपना समय, पैसा खर्च क्यों न करना पड़े।
क्योंकि जहाँ प्रेम है वहां पर इंसान के लिए अपने से अधिक दूसरा हो जाता है, पर जो बात यहाँ हो रही है आमतौर पर समाज में ऐसा होता नहीं! बल्कि उसका उल्टा हो जाता है, जिस इन्सान से हम कहते हैं प्रेम है उसी इंसान से हम सुख भोगते हैं।
जैसे दो लोगों का आपस में प्रेम के नाम पर शारीरिक सम्बन्ध बनाना या दो दोस्तों का प्यार के नाम पर नशा करना, गलत चीज़ों में समय बर्बादी करना इत्यादि!
तो अब आप समझ गए होंगे की प्यार करना और प्यार पाना दोनों चीजें वास्तव में क्या हैं? और इस संसार में हर किसी के बस का नहीं किसी को प्रेम करना।
प्यार करने के लिए प्यार सीखना पड़ता है।
प्यार क्या होता है ये तो आप जान गए हैं। लेकिन दूसरे को प्यार करने से पहले आपके खुद के जीवन में प्रेम होना चाहिए!
उदाहरण के लिए आप किसी इंसान को प्यार यानि दुसरे का भला कैसे कर सकते हैं? जब आप अभी खुद का ही भला नहीं कर पाए हैं!
अगर आपके अन्दर ही अभी सौ कमियां हैं आपको लोगों से बात करना नहीं आता, आप आज भी पैसों के लिए मम्मी पापा पर निर्भर है, आपको नशे की या कुछ और चीजों की गलत आदत है, आपको सही काम में आलस और नींद बहुत आती है तो फिर क्या आप दुसरे का भला करने के योग्य हैं?
इसलिए अगर जीवन में किसी को प्यार करना है तो पहले स्वयं का विकास कीजिये एक बेहतर इंसान बनिए। और बेहतरी का मतलब सिर्फ यह नहीं है की सिर्फ खूब रूपया पैसा कमाईये बल्कि पैसा कमाने के साथ साथ खुद को शिक्षित करने में सही जगह उस पैसे को खर्च कीजिये।
और फिर जब आपको लगे मैं अब आत्मनिर्भर हूँ, निडर हूँ, मुझे आत्मज्ञान है तो अब आप दूसरे से प्रेम कर सकते हैं।
एक प्रेमी होने का मतलब है की आप खुद में ही संतुष्ट इतने हैं की अब आपको खुश रहने के लिए किसी और पर आश्रित होने की जरूरत नहीं है।
आप भिखारी नहीं होते जो किसी से कहे कृपया थोड़ी देर ही सही बात करो मुझसे ताकि मुझे शांति और चैन मिले जैसा की आमतौर पर प्रेमियों द्वारा किया जाता ही।
बल्कि वास्तव में जब व्यक्ति के जीवन में प्रेम होता है, तो वो शांत, स्थिर हो जाता है। उसके जीवन में प्रेम का कटोरा भरा होता है और प्रेम की बूंदें उस पात्र से छलकती हुई दूसरो तक पहुचती है!
इसलिए एक मुक्त और प्रेमी परुष फिर जिस किसी से भी संबंध बनाता है, तो इस इच्छा से नहीं की मुझे कुछ मिल जायेगा बल्कि इसलिए ताकि दूसरे का भला हो सके।
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अंतिम शब्द
तो साथियों इस पोस्ट को पढने के पश्चात प्यार का दूसरा नाम क्या है? अब आप भली भाँती जान गए होंगे, पोस्ट अच्छा लगा हो तो कृपया इसे शेयर करना तो बनता है! ताकि और लोगों तक भी प्यार का सही अर्थ पहुँच सके।