प्यार में तड़प क्यों होती है? ये है असली वजह

प्यार पाना या प्यार होना दोनों खूबसूरत चीजें हैं पर कहते हैं जो व्यक्ति किसी को दिल से प्यार करता है,अन्दर ही अन्दर वह बेचैन हो जाता है, बाकी सभी चीजें उसे छोटी लगने लगती है और सिर्फ प्यार उसके दिल और दिमाग में छाया होता है पर वास्तव में प्यार में तड़प क्यों होती है? हम नहीं जानते।

प्यार में तड़प क्यों होती है

लेकिन यह प्रश्न इतना रहस्यमई नहीं है, अगर आप जानते हैं पवित्र प्रेम क्या है? तो आपके लिए यह समझना और भी आसान हो जाता है की एक व्यक्ति प्यार में क्यों तडपता है! तो आइये इस प्रश्न का सीधा और स्पष्ट जवाब जानते हैं।

प्यार में तड़प क्यों होती है?

किसी को पाने की चाहत रखकर अगर हम उससे दूर रहते हैं तो दिल में पीड़ा, बेचैनी होना लाजिमी है, और कई बार यह जरूरी भी है क्योंकि अगर आप जीवन में किसी अच्छे इंसान या ऊँचे लक्ष्य से प्रेम करते हैं तो इस तरह की पीड़ा आपको इस काबिल बनने के लिए मदद करेगी जिससे आप अपने प्रेम को पा सको।

उदहारण के लिए आपको कृष्ण से प्रेम हो गया है, और आप उन्हें पाना चाहते हैं तो अब आपका प्रेम आपको आपकी पुरानी जिन्दगी को बदलने के लिए यानि आपकी उन सभी खराब आदतों और गलत चीजों को छोड़ने के लिए प्रेरित करेगा जिससे आप कृष्ण के करीब आने से बच सको।

इसलिए तो कहते हैं प्यार में आपके जीवन में बदलाव लाने की ताकत रहती है, इसी तरह अगर आप किसी श्रेष्ठ पुरुष या महिला से प्रेम करते हैं तो आपका प्रेम आपको प्यार में अन्दर से बदल देगा जैसे आप जो पहले छोटी छोटी बातों में गुस्सा करते थे तो वो गुस्सा खत्म हो जायेगा, डरते थे तो निडर हो जायेंगे, पैसे का प्रतिष्ट का लालच आता था वो भी नहीं रहेगा आप कहेंगे जीवन ही बदल दिया प्रेम ने।

उदाहरण स्वरूप में भारत में कई ऐसे महापुरुष और स्त्रियाँ रही हैं जिन्होंने प्रेम को पाने के लिए अपना जीवन न्योछावर कर दिया, प्रेम सीखना है तो मीरा बाई एक बेहतरीन उदाहरण है, प्रेम सीखना है बुद्ध, नानक, जैसे महापुरुषों के पास जाएँ! उनका प्रेम बहुत उच्चकोटि का था।

हमारी तरह नहीं किसी महिला या पुरुष की तरफ आकर्षित हुए और फिर इसे प्यार का नाम देकर जिस्मानी खेल खेल लिए! संभव है प्यार शब्द को आप ठीक से समझते भी नहीं होंगे अतः ये पोस्ट आपको जरुर पढने चाहिए।

प्यार में दु:ख क्यों होता है?

जब जिन लोगों से या चीजों से हम प्रेम करते हैं उस प्रेम में इच्छाएं होती है, और जब वह कामना या उम्मीद हमारी उस शख्स से, परिस्तिथि से या फिर लक्ष्य को पाने से पूरी नहीं हो पाती है तो हम दुखी हो जाते हैं।

उदाहरण के लिए कोई व्यक्ति किसी महिला से प्रेम करता है, और उनके बीच कुछ समय तक सम्बन्ध अच्छे रहते हैं लेकिन कुछ समय बाद वह महिला उस व्यक्ति से दूर चली जाती है या फिर उसे प्रेम के नाम पर बड़ी शर्त रख देती है तो ऐसी स्तिथि में जाहिर है प्रेमी को दुःख तो होगा ही।

पर वे लोग जो प्यार का वास्तविक अर्थ जानते हैं जिन्हें मालूम होता है प्यार का नाम दूसरे की भलाई है और प्रेम का अर्थ दूसरे से पाना नहीं दूसरे को देना है।

वे जानते हैं जिस इंसान या लक्ष्य से हम प्रेम कर रहे हैं वो हमें मिले या न मिले हम उसकी तरक्की के लिए वो सब कुछ करेंगे जो संभव है, इस प्रकार उनके मन में अपने प्रेमी से कुछ पाने की या फिर उनके साथ तक रहने की उम्मीद नहीं होती अतः उन्हें फर्क नहीं पड़ता वे बेझिझक, निडर और बिना लालच के निर्भय होकर प्रेम करते हैं।

पर हम लोग समझते हैं प्यार का अर्थ है किसी की भलाई करना और फिर बदले में भलाई पाना, जैसे आपने अपने प्रेमी की मुसीबत में बहुत मदद की क्योंकी आप उसे प्रेम करते थे तो जाहिर है आपके मन में ये कामना भी होगा की वो भी मदद करेगी!

ऐसा है तो समझ लीजियेगा ये न तो दोस्ती है न प्रेम है पर खैर हम लोग जिन्दगी में प्यार के नाम पर ऐसे ही रिश्ते बनाते हैं! याद रखें जहाँ प्यार हैं वहा कुछ पाने की उम्मीद नहीं होती, प्यार में तो दिल खोलकर बस दुसरे को दिया जाता है।

प्यार होने के बाद क्या होता है?

प्यार होने पर इन्सान जैसे पूरा बदल ही जाता है क्योंकि प्यार के पास आपके जीवन को बदल देने की क्षमता होती है, जिस व्यक्ति के जीवन में प्रेम आता है उसका मन निर्मल हो जाता है, डर, लालच, क्रोध इत्यादि से जो इंसान पहले झूझता दिखाई देता था छोटी छोटी बातों पर गलत प्रतिक्रिया देता था।

वो इंसान अब इन छोटी छोटी बातों पर ध्यान ही नहीं देता, उसका लक्ष्य सिर्फ उसका प्रेम होता है और उस प्रेम को पाने की खातिर वह हर संभव प्रयास करता है।

अगर कोई इंसान अपनी जिन्दगी से उदास हो, काम करने से जी चुराता हो, डर लालच उसके मन पर हावी हो समझ लीजियेगा प्रेम उसके जीवन से गायब है।

 प्यार में इन्सान का स्वार्थ हित बहुत छोटा होता है जिस व्यक्ति या लक्ष्य से उसे प्रेम है उसके खातिर वह अपने पैसे, उर्जा, समय सब खर्च करने को तैयार रहता है!

पर ध्यान देने योग्य बात है की प्यार वो नहीं जो हम किसी पुरुष या महिला की तरफ आकर्षित होकर करते हैं, प्यार बहुत ऊँची चीज़ है! प्यार स्त्री, पुरुष ही नहीं अपितु जानवर, या किसी लक्ष्य से हो सकता है, इंसान को केंद्र बनाकर प्यार होना विशेष बात नहीं है!

किसी को देखकर दिल क्यों धडकता है?

जब एक व्यक्ति दुसरे व्यक्ति से आकर्षित होता है, या उससे उसकी किसी तरह की उम्मीदें जुडी होती हैं तो उस व्यक्ति के सामने आते ही दिल धडकने लगता है! जैसे अगर किसी लड़की की तरफ आप आकर्षित हैं और आपको शक है की कहीं यह लड़की मेरे दोस्ती करने या प्यार के प्रस्ताव को न ठुकरा दे तो उसके सामने आने पर आपका दिल जोरों से धडकने लगता है।

हालांकि यह आवश्यक नहीं की जब सम्बन्ध अच्छे हों तभी दिल धडकता है अगर उस इंसान के लिए आपके मन में किसी तरह का डर, लालच हो तब भी दिल जोरों से धडकने लगता है!

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस पोस्ट को पढने के पश्चात प्यार में तड़प क्यों होती है? आप भली भाँती जान गए होंगे, इस ब्लॉग पोस्ट के समबन्ध में कोई राय है तो कमेन्ट बॉक्स में बताएं साथ ही इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करना तो बनता है!

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