रजोगुण क्या होता है? रजोगुणी व्यक्ति का जीवन कैसा होता है?

संसार में सभी लोगों के मन या चेतना में हर पल तमोगुण, रजोगुण, सतोगुण तीनों में से किसी एक की प्रधानता रहती है। हम में से अधिकांश लोग रजोगुणी जीवन जीते हैं, व्यक्ति के व्यवहार, आचरण को देखकर यह बताया जा सकता है की वह किस तल का जीवन जीता है, आज हम समझेंगे राजसिक जीवन यानि रजोगुण क्या होता है?

रजोगुण क्या होता है

पिछले लेख में हमने समझा था की जीवन में जब पाशविक वृतियां हावी रहती हैं और हम आलस, नशे में डूबे रहते हैं वह तामसिक जीवन होता हैं। लेकिन इस निम्न्कोटी जीवन से जैसे ही हम थोडा ऊपर उठते हैं तो राजसिक जीवन आरम्भ हो जाता है! आइये विस्तार से यह समझते हैं की

रजोगुण क्या होता है? रजस क्या है?

तामसिक जीवन से ऊपर की अवस्था का नाम है राजसिक जीवन, प्रकृति में मौजूद तीनों गुणों में से मध्यम गुण है रजोगुण, एक राजसिक जीवन उस व्यक्ति की भांति होता है जिसके जीवन में सुख दुःख का संघर्ष अनवरत जारी है।

 दूसरे शब्दों में समझें तो रजोगुणी व्यक्ति का मन महत्वकांक्षी होता है। जो कुछ ऐसा पाना चाहता है जिससे उसके चित्त को शांति मिले।

 और इसलिए इस तल पर जीने वाले लोग बहुत भाग दौड़ करते हैं ताकि जीवन में जो अपूर्णता है उसके स्थान पर उन्हें पूर्णता मिल सके।

रजोगुण में व्यक्ति की बदहवासी की हालत रहती है अर्थात उसके जीवन में कभी बेशुमार सुख तो कभी घना दुःख छाया रहता है!

रजोगुणी व्यक्ति एक सत्यनिष्ठ जीवन नहीं जीता है, परन्तु उसे यह अहसास कई बार होता है की जीवन में अँधेरा है, अज्ञानता है और मुझे वह संतुष्टि आनंद नहीं मिल सकता जब तक मैं अपनी इस अवस्था से बाहर न आ जाऊं।

 परन्तु राजसिक जीवन में जहाँ बेचैनी, निराशा रहती है वहीँ अनेक तरह के सुख भोगने का भी अवसर होता है! ऐसे में अपनी सुविधापूर्ण जिन्दगी को त्यागने का विकल्प रजोगुणी व्यक्ति के लिए काफी कठिन रहता है।

रजोगुण के बाद का जीवन

रजोगुणी के बाद व्यक्ति सतोगुण में प्रवेश कर जाता है, यह प्रकृति के तीनों गुणों में से सबसे श्रेष्टतम अवस्था है। यहाँ पर आकर व्यक्ति को अपने दु:खो का कारण और निवारण प्राप्त हो जाता है।

 उसके जीवन में बोध और ज्ञान आ जाता है। अर्थात जब व्यक्ति का मान शांत और स्थिर हो जाता है तो इसका अर्थ है वह सतोगुगी हो चुका है।

अतः इस अवस्था में जीवन जीने वाला व्यक्ति आनंदमय जीवन जीता है! क्योंकि वह तामसिक और राजसिक प्रकृति के इन निम्न्कोटी के दोनों तलों को पार कर चुका होता है।

 तामसिक मन में आलस भरपूर रहता है! जबकि रजोगुणी मन कुछ पाने की लालसा में भागता है। और सतोगुण में ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात व्यक्ति की सारी भाग दौड़ समाप्त हो जाती है।

रजोगुण के आगे कैसे जाएँ?

रजोगुणी जीवन से आगे बढ़ने के लिए मनुष्य को यह अहसास होना पड़ता है की जीवन में घोर दुःख, अशांति और बेचैनी है।

मै जिन कार्यों को कर रहा हूँ जिन विचारों और भ्रांतियों को लेकर जीवन जी रहा हूँ उनसे मेरे जीवन में अहंकार की समाप्ति नहीं हो सकती।

पर प्रायः रजोगुणी व्यक्ति के जीवन में वो गहरा दुःख कभी आता नहीं या उसे उस दुःख का अहसास नहीं होने पाता।

 जिस वजह से वह अपनी हालत से रूबरू नहीं हो पाता, उसके जीवन में कभी दुःख या बेचैनी होती भी है तो उसे बस जीवन का एक अभिन्न हिस्सा मानकर उस दुःख के विकल्प में सुख के खोजने लगता है।

और जो इच्छा या चेतना उसे आगे ले जा सकती थी वही बेचैनी उसके जीवन में बनी रहती है, अतः जो बेचैनी एक सन्देश की तरह उसके जीवन में आ रही थी।

जो बतला रही थी की जीवन व्यर्थ जा रहा है जीवन को सही दिशा देने की जरूरत है वही बेचैनी अज्ञान के कारण उसके जीवन में फिर स्थाई रह जाती है।

बहुत कम ऐसा हो पाता है की इंसान खड़े रहकर कुछ पल अपने भीतर चल क्या रहा है इसका विश्लेष्ण करे, अपनी भाग दौड़ भरी जिन्दगी में जो मूल सवाल उसे पूछने चाहिए वो कभी पूछ ही नहीं पाता!

जैसे क्यों मैं रोज ऑफिस जाता हूँ? क्यों मैं लोगों से दब जाता हूँ? उन्हें किसी भी काम के लिए मना नहीं कर पाता ?

तो इस तरह अधिकांश लोग जीवन भर प्रकृति के इसी गुण में जीवन जीते हैं!

सात्विक और रजोगुण में अंतर

जब व्यक्ति अपने खराब जीवन की हकीकत को समझते हुए अपनी यथा स्तिथि को बदलने का निर्णय लेता है वो ज्ञान की खोज में अध्यात्मिक ग्रन्थों या सच्चे गुरु के पास जाता है।

 और उसकी बुद्धि यह जानने में समर्थ हो जाती है की यह शरीर क्या है? मन क्या है? जीवन में दु:खों का कारण क्या है? एक गलत जीवन जीने का क्या परिणाम होता है?

अर्थात जब मनुष्य के जीवन में ज्ञान का प्रकाश फैलता है, उसके जीवन में बोध,शांति आती है और मन उसका अविचलित हो जाता है तो इसी आवस्था को सतोगुणी कहा गया है।

 सात्विक जीवन जीना सबसे श्रेष्ट माना गया है! एक रजोगुणी जीवन से सात्विक जीवन की तरफ बढ़ने की यात्रा सरल नहीं होती लेकिन अंततः मनुष्य सही चुनाव करे तो वह जरुर सफल होता है।

FAQ

रजोगुण से क्या उत्पन्न होता है?

रजोगुण व्यक्ति के जीवन जीने के तरीकों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर देता है? रजोगुणी व्यक्ति के जीवन में जीवन जीने हेतु सभी भौतिक चीज़ें पर्याप्त मात्र में होती है। लेकिन जीवन में संतुष्टि नहीं होती भीतर एक क्रोध उठता है जो उसे जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है।

रजोगुण के लक्षण

मन का विचलित रहना, मन की बेचैनी को शांत करने के लिए भांति भांति के उपाय करना, जीवन में कुछ पाने की महत्वकांक्षा रखना और दुखों को छुपाने के लिए मनोरंजन के साधन ढूंढना सभी रजोगुण के लक्षण है!
 

अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद रजोगुण क्या है? आपको इस प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा, अगर इस लेख को पढ़कर जीवन में कुछ स्पष्टता आई है तो कृपया इस लेख को अन्य लोगों के बीच जरूर सांझा कर दें!

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