रामायण के 5 बड़े झूठ | सुनकर दंग रह जाओगे

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मुझे सुनना है

रामायण की कहानियां कितनी सार्थक और सच्ची हैं, इस बात को लेकर अक्सर लोगों के मन में अनेक प्रश्न होते हैं, इस लेख में रामायण के 5 बड़े झूठ और उनका सही अर्थ बताया गया है।

रामायण के 5 बड़े झूठ

रामायण में प्रभु श्री राम जी का चरित्र हमें सिखाता है की किस तरह अगर इन्सान लालच और झूठे जीवन की अपेक्षा सच्चाई भरा जीवन जिए तो वह इसी जन्म को सार्थक बना सकता है।

पर चूँकि हम राम के जीवन और उनकी कही गई बातों से सीख लेने की बजाय उनकी मूर्ती को पूजने में अधिक ध्यान लगाते हैं, ऐसी स्तिथि में हमें कोई विशेष लाभ नहीं मिल पाता।

कई लोग रामायण की कहानियों को भी पारलौकिक समझते हैं। उन्हें लगता है की ये ऐतिहासिक घटना तो प्राचीन समय की है आज तो समय बदल गया है, जो चुनौतियाँ राम के सामने थी वो हमारे सामने नहीं है।

पर यदि हम ध्यान से अपने जीवन को देखें तो पाएंगे की जो स्तिथि राम के जीवन में आई वो अक्सर हमारे जीवन में भी आती है, राम की भाँती मुसीबत, सुख-दुःख, आनन्द के पल हमारी जिन्दगी में भी आती है, पर  चूँकि हम राम के निकट नहीं होते इसलिए हम अक्सर गलत फैसले ले लेते हैं।

रामायण के 5 बड़े झूठ | जानना बेहद जरूरी 

#1. रामायण एक ऐतिहासिक ग्रन्थ है।

जैसा की हमने आरम्भ में ही जाना की राम जी के जीवन की भाँती हमारे जीवन में कभी सुख तो कभी विप्पत्ति आती रहती है, आज भी झूठ और असत्य की लड़ाई जारी है।

आज भी व्यक्ति रावण की भाँती अपने ज्ञान और ताकत के बल पर दुनिया को झुकाकर राज करना चाहता है, इस प्रकार रामायण की घटनाएँ ऐसी नहीं है जो समय के साथ बीत जाए।

अतः रामायण एक एतिहासिक ग्रन्थ होता तो रामायण और रामचरितमानस में ये भी उल्लेख किया जाता की ये घटनाएँ कौन सी शताब्दी या इसवी में हुई थी। राम की आयु कितनी थी और रावण ने कितने वर्ष में इस संसार को अलविदा कहा?

पर चूँकि इन काव्यों के रचियता अपना मकसद भली भांति जानते थे, अतः इस महाग्रंथ में उन्होंने कुछ भी ऐसा वर्णन नहीं किया जिससे यह बात किसी समय विशेष की लगे।

उनका एक ही उद्देश्य था लोगों की भलाई करना अतः उन्होंने यह महाकाव्य इस तरह रचा जिससे की इसका लाभ हजारों वर्ष बीतने के बावजूद आज भी हो रहा है।

अगर हम अपनी जिन्दगी को सच्चाई की दृष्ठि से देखें तो आज भी सत्य और असत्य की लड़ाई जारी है, जिस तरह असुर पहले साधू और देवताओं के अच्छे कार्यों में बाधा डालते थे ऐसे असुर आज नए रूप में हमारे सामने हैं और आम लोगों को लूट रहे हैं। तो रामायण की घटनाएँ पुरानी नहीं है आज की हैं।

#2. कुम्भकरण की निद्रा

रामायण की कथा के अनुसार कुम्भकरण को नींद इतनी प्यारी थी की वह 6 महीनों तक बेसुध होकर सोता था। अब कई लोगों को इस बात में शंका होती है और कहते हैं ये रामायण का सबसे बड़ा झूठ है।

देखिये अगर हम रामायण में मौजूद कुम्भकरण के पात्र और इस घटना को सिर्फ इस तरह देखें की कोई असुर है जिसे नींद बहुत आती है तो हमें इससे कोई लाभ नहीं मिलेगा। यह बच्चों वाली बात हो जाएगी।

पर इसी को अध्यात्मिक नजरिये से देखा जाए तो सवाल आता है हमारी आँखें खुली रहती हुए भी हमारा जीवन कुम्भकरण की भाँती नहीं गुजरता? ये जानते हुए भी की सही काम कौन सा है, हम उसे टालते रहते हैं।

ये जानते हुए भी की इस संसार और प्राणियों के लिए इस समय क्या हितकर है, उसे करने की बजाय हम तब भी अपने सुख की खातिर गलत काम को भी करने का निर्णय लेते हैं।

क्या हमारा जीवन सालभर बेहोशी में नहीं बीतता, अगर आपका जीवन राम जैसा बोधयुक्त नहीं है तो निश्चित रूप से आप भी कुम्भकरण की भाँती बेहोश होंगे।

#3. पुष्पक विमान का आज भी मौजूद होना।

कई लोग यह दावा करते हैं की जिस पुष्पक विमान में बैठकर रावण ने सीता माता का अपहरण किया था वो पुष्पक विमान आज भी उपलब्ध है या फिर जिन हवाई जहाज़ों में आज हम बैठते हैं, हमारी संस्कृति में तो ऐसे विमान की खोज तो हजारों वर्ष पहले हो गई।

पर यदि आप वास्तव में हिन्दू हैं तो आपको इन बचकानी बातों से परहेज करना चाहिए, देखिये रामायण में पुष्पक विमान का जिक्र सिर्फ प्रतीक (इशारे) के लिए किया गया था।

अब हमें नहीं मालूम की वास्तव में वो विमान कैसा था? कैसे बनाया गया था पर यदि आप इस बात का उल्टा अर्थ करें और कहें की पुष्पक विमान यानी हवाई जहाज हमारी देन है तो इससे न सिर्फ आपको झूठ साबित किया जा सकता है बल्कि इससे धर्मग्रन्थ का अपमान होगा।

रामायण हमें क्या सिखाना चाह रही है और हम किस चीज़ को पकड़ कर बैठे हैं?

#4. हनुमान जी के पास दिव्य शक्ति होना।

कई लोग हनुमान जी को एक विशेष बंदर के रूप में देखते हैं। उनका आसमान में उड़ना, द्रोणागिरी पर्वत उठाना और जड़ी बूटी लाना, प्रभु श्री राम और मा सीता की भक्ति का प्रमाण सीना फाड़कर देना इत्यादि यह सभी घटनाएँ वास्तव में हमें किसी अलौकिक शकित की नहीं बल्कि किसी विशेष बात की ओर ईशारा करती हैं।

पर अगर सच्चाई और अध्यात्मिक नजरिये से देखा जाए तो हम और वानर में कई समानताएं हैं, हम भी एक तरह से वानर ही हैं।

लेकिन वानर होते हुए भी यानी हमारी सीमित सामर्थ्य होते हुए भी हम प्रभु श्री राम यानि सत्य की सेवा कर सकते हैं। वानर तो अनेक थे पर हनुमान ही क्यों विशेष थे क्योकि अपना जीवन उन्होंने जो सबसे बड़ा है, परम सत्य है उसकी सेवा में समर्पित कर दिया था।

आप अपनी जिन्दगी को देखिये और बताइए आप किसकी सेवा में हाजिर हैं? क्या आप उन लोगों के सामने तो नहीं झुक रहे जो रावण की भान्ति इस दुनिया पर लोगों पर छा जाना चाहते हैं या फिर आप सत्य की सेवा में हैं जिससे दूसरों का कल्याण होता है।

#5. रामायण के सबूत आज भी होना।

जब जब रामायण की घटना की सत्यता पर प्रश्न खड़े किये जाते हैं तो रामसेतु का मुद्दा हो या फिर लंका में हनुमान जी के बड़े बड़े पैरों के निशान हो या रावण के महलों की बात हो,  ये बातें खूब मीडिया में और लोगों के बीच चर्चा का विषय बन जाती हैं।

सिर्फ इसलिए ताकि जो लोग नास्तिक हैं जिनकी धार्मिक ग्रन्थ पढने में रूचि नहीं है उन्हें ये साबित किया जाए की आप गलत हैं और मैं सही हूँ। देखो न, राम जिस जगह से गुजरे थे वो जगह आज भी मौजूद हैं, हनुमान जी के पैरों की छाप देखो आज भी श्री लंका में मिल जायगी और ये गिलहरी के पीठ पर जो हाथों के निशान भी राम के हैं।

तो अगर आप इस तरह सबूत खोजने में लग जायेंगे तो ये बात तो जाहिर है की आपका समय खराब होगा और संभव है कोई आपको फिर भी गलत साबित कर दें, लेकिन यदि आप राम जी के चरित्र को उनके सामने आई चुनौतियों को अपने जीवन से जोड़कर देखेंगे तो पायेंगे जो राम जी के साथ हुआ वैसा कई बार हमारे साथ भी होता है।

राम जी ने तो लंका को छोड दिया और हम कैसे कुछ रुपयों को छोड़ने में निराश हो जाते हैं। राम जी ने तो सुख के खातिर राजमहल त्याग दिया और हम अपने सुख के लिए छोटे छोटी चीजों को भी त्याग नहीं पाते।

जब हम जानेंगे की राम जी हमें सिखा रहे हैं की जीवन में क्या पकड़ने लायक है और जीवन सही कैसे जिया जाये और हम किन चीजों में उलझे हुए हैं।

तो मात्र ऐसा करके ही राम हमारे काम आयेंगे, लेकिन यदि राम को हमने किसी स्थान विशेष का बना दिया तो हम उनसे वो सीखने से वंचित रह जायेंगे जो सीखने के लिए इस धर्मग्रन्थ को रचा गया।

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 अंतिम शब्द

तो साथियों इस पोस्ट को पढने के बाद रामायण के 5 बड़े झूठ और उनका वास्तविक अर्थ मालूम हो गया होगा, हमें उम्मीद है एक ख़ास नजरिये से आप रामायण की इन घटनाओं को देखेंगे और इससे आपको जीवन में विशेष लाभ होगा। यदि आपको प्रस्तुत लेख में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इसे शेयर भी कर दें।

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