रोजाना रामायण पढ़ने के 10 फायदे | ऐसे पढेंगे तो चमत्कार होगा

रामायण का पाठ करने का मतलब है आप राम के साथ हैं, आपके हृदय के निकट राम हैं। और राम जिसके साथ होंगे उसका बुरा कैसे हो सकता है? आइये जानते हैं रामायण पढ़ने के 10 फायदे इस लेख में।

रामायण पढ़ने के फायदे

रामायण में कुल सात काण्ड हैं जिनमें बालकाण्ड, अयोध्यकाण्ड, अरण्यकाण्ड, सुन्दरकाण्ड, किष्किन्धाकाण्ड, लङ्काकाण्ड और उत्तरकाण्ड शामिल हैं।

महर्षि वाल्मीकि द्वारा सर्वप्रथम संस्कृत भाषा में रामायण महाकाव्य जनमानस के लिए रचा गया और बाद में रामायण के मर्म को अधिक लोगों तक पहुँचाने के लिए हिंदी भाषा में गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस रचा।

और परिणाम यह है की आज अधिकांश घरों में रामचरितमानस का पाठ किया जाता है, यदि आप नित्य रामायण का पाठ करते हैं, और उनके एक एक श्लोकों को ध्यान से समझते हैं तो आपको इसके अनेक फायदे होंगे जो की निम्नलिखित हैं।

रामायण पढ़ने के 10 फायदे | अवश्य पता होने चाहिए!

#1. राम के महान जीवन से परिचित होंगे।

रामायण के श्लोकों को सिर्फ जपने की बजाय यदि आप एक-एक श्लोक या चौपाई को ध्यान से पढेंगे तो आप आप पाएंगे की श्री राम के जीवन में हमें त्याग, अनुशासन, धैर्य, वीरता का अनूठा उदाहरण देखने को मिलता है।

बाल्यकाल से लेकर युवावस्था और फिर आगे भी उनके जीवन में जिस तरह की चुनौतियां आईं और जिस तरह उनका उन्होंने सामना किया वह हमें सिखाता है की जीवन में परेशानियां सभी की आती है।

लेकिन हमें मुश्किल परिस्तिथियों में हिम्मत नहीं तोडनी चाहिए। असत्य के मार्ग पर चलने का क्या परिणाम होता है वह रामायण को पढने पर पता चलता है।

#2. राम जैसी ऊँचाइयाँ पाने के काबिल बनेंगे!

रामायण पढने का दूसरा बड़ा फायदा है की हमें उनके जीवन से नि:स्वार्थता सीखने को मिलती है, अपनी इच्छाओं, कामनाओं को पूरा करके जीवन में तमाम तरह के सुख भोगने से कहीं ज्यादा जरूरी है जीवन में उस कार्य को करना जिससे इस समाज और दुनिया की रक्षा होती हो और उनका भला होता हो।

श्री राम चाहते तो पिता के वचन को तोड़ सकते थे और महलों का सुख भोग सकते थे, और जाहिर है आम इन्सान की भाँती उनके भी मन में सुखों के प्रति मोह और लालच आया होगा पर अपनी भावनाओं से कहीं बेहतर उन्होंने उस कार्य को मूल्य दिया जिसे करना आवश्यक था।

इस तरह यदि हम झूठ, लालच से अधिक महत्व राम को देना शुरू कर दें तो निश्चित रूप से उनके आशीर्वाद से हम अपनी सीमित सामर्थ्य से ऐसे साहसिक और महान कार्यों को कर सकते हैं जिन्हें करने में ही जीवन की सार्थकता है।

#3. राम के प्रति फैले अन्धविश्वास को समझेंगे।

 रामायण पढने का तीसरा सबसे बड़ा फायदा यह है की राम के जीवन को वास्तव में समझ पाएंगे। आप जानेंगे वास्तव में श्री राम का सन्देश क्या था? आज हम जिस तरह राम के नाम पर हो-हल्ला करते हैं और नारेबाजी करते हैं, और जिस तरह दिवाली जैसे पर्व को मनाते हैं क्या वैसा हमें राम सिखा गए थे?

राम के नाम पर आज जिस तरह अंधविश्वास प्रचलन में है, उसी को आज हम भक्ति कहते हैं। कोई राम के नाम पर नदियों को प्रदूषित कर रहा है तो कोई राम के त्योहारों पर अपनी मनपसन्द चीज़ घर लाकर राम की अनुकम्पा की बात कर रहा है।

लेकिन अगर आप सुनी सुनाई बातों से ज्यादा सच जानने में दिलचस्पी रखते हैं तो आपको राम का जीवन जानने के लिए रामायण अवश्य पढनी चाहिए।

#4. अपनी ही कमियों के प्रति जागरूक होंगे।

राम का चरित्र दर्शाता है की यदि हमने प्रकृति में इन्सान के रूप में जन्म लिया है तो सब तरह के गुण दोष हममें होंगे। और यदि आप समझते थे की गलतियाँ मात्र इन्सान से होती है भगवान से नहीं, तो आप राम के किरदार को देखेंगे तो आप पाएंगे वे एक परफेक्ट इन्सान नहीं है।

बात चाहे सीता के अपहरण की हो या भाई लक्ष्मण के युद्ध में मूर्छित होने की हो, दुःख के समय उनके नयनों से भी आंसू झर झर बहते हैं। जो यह दर्शाता है की वो सभी गुण जो मानव में होते हैं वो राम के पास भी हैं, उनके पास कोई दिव्य शक्ति नहीं थी जिसका प्रयोग करके वह सीता को लंका से ले आते।

अतः यह समझना जरूरी है की कमियां, डर, मोह सभी में होता है लेकिन इसके बाद भी जो इन्सान सच्चाई को राम को चुन लेता है फिर राम उसके साथ हो लेते हैं।

एक बार यह जान लें की जीवन में क्या करना सही है तो फिर चाहे कितनी मुश्किलें आ जाए उस काम को समर्पित होने का अर्थ है की राम के साथ जीवन जियेंगे।

#5. अच्छी संगती का लाभ।

कहते हैं जैसी संगती वैसा फल, तो जाहिर है राम के साथ रहना है तो वे सीधा हमारे सपने में तो आयेंगे नहीं तो एकमात्र तरीका राम के साथ रहने का यही है की हम राम को सुनें, उनके बारे में पढ़ें और उनके द्वारा कही गई बातों को जीवन में उतारें।

अतः रामायण पढने का एक और बड़ा फायदा यह होता है की आप राम के करीब आने लगते हैं, और इस अच्छी संगती का फल यह मिलता है की आपका मन साफ़ होने लगता है।

आपका मन सही चीजों की तरफ जाने लगता है, आपके सोचने का तरीका बदल जाता है। लेकिन यदि रामायण पढ़ ली और जीवन पहले से बेहतर नहीं हुआ तो समझ लीजिये रामायण को आपने गुना नहीं, समझा नहीं बस शब्द पढ़ लिए।

#6. राम की महानता पर आधारित ग्रन्थ पढेंगे।

संत कबीर राम के बड़े भक्त थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन ही राम को समर्पित कर दिया उनके एक दोहे में वे स्वयं को राम का कुत्ता भी कहते हैं अर्थात वे अब अपने कहने पर नहीं राम के कहने पर चलते है।

अतः यदि आपको भी रामायण पढ़कर राम के चरित्र से प्रेम होने लगा तो आप पायेंगे आप राम को और करीब से जानने के लिए उनपर रचित अन्य ग्रन्थ पढने लगेंगे।

ठीक उसी तरह जैसे आपको कोई इंसान पसंद आये तो आपका मन उसके करीब जाने को करता है, उससे बातें करने में होता है ठीक इसी तरह रामायण पढ़कर सम्भव है आप प्रभु श्री राम के गुरु और उनके बीच हुई बातचीत को योगवशिष्ठ सार के रूप में पढेंगे।

#7. सर झुकेगा सिर्फ सत्य यानी राम के लिए।

कहते हैं जो राम का हो जाता है फिर उसे किसी के सामने सर झुकाने की जरूरत नहीं पड़ती, अर्थात जो सच्चाई या आत्मा के बल पर जीता है उसे कोई लालच दे दे, कोई डरा दे या कोई उसे आकर्षित करे। उसे फर्क ही नहीं पड़ता।

क्योंकि आम इन्सान अपनी निजी इच्छाओं के खातिर जीता है, और कोई उसकी छोटी भी इच्छा पूरी करने में मदद करे तो वह झट से उसके सामने झुक जाता है। पर जो अपनी इच्छाओं की खातिर नहीं बल्कि राम के लिए जीवन जी रहा है उसके सुख दुःख सब राम के हाथों सौंप दिए जाते हैं।

#8. जीवन का लक्ष्य अय्याशी नहीं आनन्द होगा।

वह व्यक्ति जो राम के प्रेम में है जिसने सच्चाई को अपना लक्ष्य बनाया हुआ है वह अपने लिए नहीं जी रहा बल्कि किसी ऐसे मिशन के खातिर जी रहा है!

जिससे इस देश, समाज और दुनिया का कल्याण होता है। अब ऐसा इन्सान सुख की परवाह या दुःख से चिंतित नहीं होगा क्योंकि पता है अब तो जीवन सच्चाई को समर्पित कर दिया तो अब भला उससे कैसे पीछे हटा जाये।

लेकिन आम संसारिक व्यक्ति जो सुख के पीछे भागता है, उसके पीछे हमेशा दुःख छाया के रूप में पीछे पीछे चलता है। और इससे भी बड़ी बात अगर कई तरह के सुख भोगकर अय्याशी करके उसका मन शांत नहीं होता तो फिर उसकी प्यास इतनी बढ़ जाती है की उसका जीवन सुख की तरफ भागते भागते खत्म हो जाता है।

#9. सुख दुःख से महत्व ज्यादा सच्चाई को दोगे।

अब जब इन्सान का तन और मन दोनों ही सच्चाई को समर्पित हो गए तो फिर क्या फर्क पड़ता है सुख मिल रहा है की दुःख, अब तो राम के खातिर जीवन जिया जा रहा है। तो सम्भव है कभी रास्ते में फूल भी मिलेंगे, तो कभी काँटों से भी गुजरकर जाना होगा।

कभी हो सकता है सच्चाई के रास्ते पर चलकर ठंडी हवा मिले, तो कभी कड़ी धूप में भी तपना पड़ेगा। लेकिन इन्सान का लक्ष्य सुख पाना, मजे मारना नहीं रहेगा।

जिसे राम से प्रेम होगा वो राम के लिए संघर्ष करेगा, जब आप अपने लिए नहीं दूसरों की भलाई के लिए कोई कर्म कर रहे हैं तो समझ लीजिये आप राम के लिए कर्म कर रहे हैं।

#10. निडर, आनंदित होकर जीवन जिओगे।

राम की निडरता और बहादुरी का प्रमाण हमें रामायण में बखूबी मिलता है, भयंकर राक्षसों के सामने तनिक भी विचलित न होकर डटकर उन्हें पराजित करने वाले श्री राम के जीवन की सम्पूर्ण गाथा हमें सिखाती है की अपने लिए नहीं सच्चाई की खातिर जीवन जीने का इनाम यह मिलता है की आप में प्रेम इतनी शक्ति दे देता है की आपमें बड़ी से बड़ी ताकत के विरुद्ध लड़ने की शक्ति आ जाती है।

इसलिए फिर कहा गया की राम भरोसे जो जीता है उसे न कुछ पाने की चिंता होती है और न खोने का डर सताता है इसलिए रामायण पढ़ने का एक और बड़ा लाभ पाठकों को मिलता है।

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अंतिम शब्द

तो साथियों रामायण पढ़ने के यह फायदे आपकोमिलते हैं, लेकिन एक बात ज्ञात रहे की रामायण के संस्कृत श्लोक या रामचरित मानस की चौपाइयों का अध्ययन करने के दौरान किसी तरह की समस्या आती है तो आप पहले उसे समझ लें, अन्यथा उस शब्द का अर्थ ज्ञात हुए बिना आप आगे बढ़ेंगे तो आप जो बात कही जा रही है उससे चूक जायेंगे।

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