सच्चा प्यार क्या होता है? Meaning of True Love in Hindi

यूँ तो आजकल गानों में, रिश्तों में या परिवारों में प्रेम शब्द बहुत सुनने को मिलता है, और ख़ासकर इन्टरनेट और सोशल मीडिया के इस दौर में Love एक सामान्य शब्द हो चुका है, लेकिन अगर मैं कहूँ वास्तव में आपको पता ही नहीं है की सच्चा प्यार क्या होता है?

सच्चा प्यार क्या होता है

तो आपके लिए यकीं करना थोडा मुश्किल होगा आपको अभी तक लगता होगा प्यार करने का अर्थ दूसरों को खुश करना, दूसरे के साथ रहना होता है। लेकिन वास्तव में प्रेम कुछ और है, हम इस लेख में सच्चा प्यार क्या है ये तो समझेंगे ही साथ में जानेंगे क्या है? जिसे बिलकुल भी प्रेम नहीं कहा जा सकता।

सच्चा प्यार क्या होता है?

सच्चा प्यार मन की वो अवस्था है जब आपके लिए आपका निजी सुख दूसरे की भलाई के आगे बहुत छोटा हो जाता है,

सच्चे प्रेम में किसी से कुछ पाने की कोई कामना या उम्मीद नहीं रहती अतः सच्चे प्रेम को नि:स्वार्थ प्रेम भी कहा जाता है!

सच्चा प्यार कोई विरला ही कर सकता है, जो व्यक्ति बिना किसी से कुछ चाहे किसी इंसान को बेहतर बनाना चाहता हो, उसके जीवन में डर, लालच, निर्भरता को कम कर उसे ऊँची उड़ान देना चाहता हो अर्थात उसे वो सब कुछ देना चाहता हो जिससे वो एक बेहतर से बेहतर इंसान बने यही सच्चा प्यार है!

एक सच्चा प्रेमी दूसरों की नफरतों को झेलने के लिए भी तैयार रहता है क्योंकि चाहे उसका कोई मित्र हो, परिवार हो या कोई भी व्यक्ति हो जिसे वह प्रेम करता है। वो जानता है इसकी भलाई करने पर ये मुझे गालियाँ दे सकता है पर वह उन गालियों को भी सहन कर जाता है। क्योंकि प्रेम बड़ी निर्भयता देता है।

सच्चा प्यार क्या नहीं होता? इसे आप बिलकुल प्रेम नहीं कह सकते!

टीवी, सोशल मीडिया पर रोजाना हजारों विडियोस, फोटोज दिखाई देती है जो प्रेम पर आधारित होती है, लेकिन जैसा की सदियों पहले कबीर साहब ने कहा था प्रेम प्रेम हर कोई कहे प्रेम न जाने कोई” ये बात आज पूरी तरह लागू होती है, हम अनजान वश कई सारी बेवकूफियों को प्यार समझने लगते हैं आइये जानते हैं कौन सी वह चीजें हैं जिन्हें बिलकुल भी प्रेम नहीं समझना चाहिए!

#1. दूसरों को खुश करने का नाम प्रेम नहीं है!

सुना होगा जहाँ सच्चा प्यार होता है उसकी आँख में कभी आसूं नहीं आने देना चाहिए। या उसका दिल दुखाना नहीं चाहिए पर सोचिये अगर ये प्रेम है और आपका कोई मित्र है।

जिसे आप बेहद प्रेम करते हैं उसे नशा करने या कोई बुरा कार्य करके ख़ुशी मिलती है तो आप ये सोचेंगे की इसे रोकूंगा तो इसे बुरा लगेगा इसका दिल दुखेगा? 

नहीं न बल्कि आप कहेंगे चाहे मुझे गाली क्यों न दे दे, मुझसे लडे क्यों न पर मैं इसको बेहोशी का जीवन जीने से रोकूंगा।

#2.  दूसरों से आकर्षित होना प्रेम नहीं होता!

जैसे जैसे उम्र बढती है एक लड़का लडकी की तरफ या लड़की लड़के की तरफ आकर्षित होने लगती है, ये बात सामान्य है लेकिन हम इसे प्रेम का नाम देकर गलती कर देते हैं। हम समझ नहीं पाते की शरीर में कुछ हारमोंस बढने का मतलब यह नहीं होता की हमें आचानक किसी से प्यार हो जाता है।

 इसे हम वासना कह सकते हैं पर प्रेम ये बिलकुल नहीं होता की 16 साल के हो गए तो अचानक प्रेम आ गया, अगर यही प्रेम है तो ये आपको 8 साल की उम्र में क्यों नहीं हो गया!

#3. निर्भरता का अर्थ प्रेम नहीं होता!

जी हाँ हम में से कई लोग मित्रता का या कोई भी रिश्ता इसलिए आगे बढाते हैं ताकि मुसीबत के समय एक दूसरे के काम आयें, पर वास्तव में ये भी सच्चा प्यार नहीं होता।

 क्योंकि जैसा हमने जाना की प्रेम देने का नाम है प्रेम बदले में कुछ मांगता नहीं है, अगर आप किसी से प्रेम करते हैं तो उससे बदले में कुछ मांगने की उम्मीद बिलकुल नहीं कर सकते।

#4. मोह और ममता का अर्थ प्रेम नहीं

जानने वाले कह गये हैं मोह भय में मरता है और प्रेम में कोई चिंता नहीं सताती, लेकिन हमारे परिवारों में आप पायेंगे मोह ममता बहुत होती है। इस वजह से कई बार बच्चे के विकास में माता पिता बाधा बन जाते हैं, एक माँ का बच्चे से लगाव होना ममता या मोह कहलाता है।

इसलिए बचपन से ही हमें प्रेम प्रेम नहीं, मोह और ममता सिखाई जाती है। लेकिन ऐसे में व्यक्ति का परिवार और कुछ गिने चुने लोग ही उसके लिए सब कुछ हो जाते हैं अतः उनके लिए अगर दुनिया में किसी का शोषण करना पड़े तो वह इसके लिए भी तैयार रहता है।

#5. प्रेम कोई रोमांचक कथा नहीं है।

प्रेम आशिकी जैसे शब्दों को याद करने से दिमाग में फ़िल्मी प्रेमियों की कहानियां आने लगती है पर वास्तव में प्रेम कोई रोमांचक कथा नहीं है न ही यह कोई परिकथा है जैसे हम अक्सर सोचने लगते हैं, प्रेम एक अहसास है हाथों में हाथ डालकर घूमना, नाचना गाना ये सब प्रेम नहीं होता।

तो साथियों यह समझने के बाद की जीवन में प्रेम क्या नहीं होता? अब जाहिर है आपके दिमाग में बहुत से प्रश्न होंगे और आप ये समझना चाहते होंगे की प्रेम की परिभाषा क्या है? हमें किस को सच्चा प्रेमी मानना चाहिए?

सच्चे प्रेम की परिभाषा | Definition of True Love in Hindi

आपके ह्रदय या मन की पूर्णता की अवस्था ही सच्चा प्यार है, यानी किसी से कुछ पाने की इच्छा न रखते हुए भी उसकी मदद करना उसके साथ रिश्ता रखना ही सच्चा प्यार होता है!

सच्चे प्रेम में आप किसी भी इंसान से रिश्ता बिना किसी इच्छा या कामना के बनाते हैं, अतः सच्चा प्यार व्यक्ति इस संसार में किसी भी व्यक्ति चाहे अपने मा बाप, दोस्त या किसी अजनबी इंसान से कर सकता है।

सच्चे प्रेम में बड़ी ताकत होती है, कोई भी आपको सच्चा प्यार करने से रोक नहीं सकता। क्योंकि कोई व्यक्ति आपको तभी किसी कार्य को करने से रोक सकता है जब पता हो आपके काम की वजह क्या है? लेकिन चूँकि सच्चा प्यार नि:स्वार्थ होता है अतः जब इंसान बेवजह किसी से प्रेम करता है वही सच्चा प्यार है।

इसलिए वास्तव में किसी भी रिश्ते में प्रेम तभी हो सकता है जब वहां किसी के एक दुसरे से कुछ पाने की इच्छा न हो।

एक सच्चा प्रेमी कौन हो सकता है?

एक सच्चा प्रेमी वही व्यक्ति हो सकता है जो पहले से ही अपने आप में पूर्ण हो, वह व्यक्ति जो स्वयं में ही संतुष्ट है आनन्दित है जिसे खुश रहने के लिए किसी दुसरे की आवश्यकता नहीं।

वही मात्र एक सच्चा प्रेमी हो सकता है! ऐसा इंसान जब किसी से भी सम्बन्ध बनाएगा तो वो सम्बन्ध शानदार होते हैं चूँकि उसके अन्दर प्रेम का पात्र पहले से ही भरा हुआ है अतः जिस किसी के साथ वो रिश्ता बनाता है प्रेम की बूंदे दूसरे इंसान तक भी पहुँचती है।

प्रायः हमारे जीवन में ऐसा नहीं होता, हम सांसारिक लोग जो रिश्ते बनाते हैं वो प्रेम के नहीं होते बल्कि उनमें कहीं न कहीं स्वार्थ होता है।

 हमारे प्रेम करने की कोई वजह होती है फिर चाहे आर्थिक लाभ की हो, शारीरक सुरक्षा की हो, या किसी तरह के सुख की हो इत्यादि! पर धयान दें जब भी हम कोई रिश्ता किसी ख़ास वजह से बनाते है यानी हमारे रिश्ते में अगर कोई फायदा छुपा होता है तो वह फिर सच्चा प्यार नहीं हो सकता,!

सामान्यतया जीवन में हम किसी से कोई रिश्ता बनाते हैं क्योंकि हम अन्दर ही अन्दर बेचैन, बड़े सूखे से रहते हैं और हमें लगता है किसी ख़ास इंसान के आने से जीवन में बहार आ जाएगी, जीवन खुशहाल हो जायेगा।

हालाँकि हमारी यह सारी कल्पनाएँ गलत साबित हो जाती हैं क्योंकी अगर वो इंसान हमारी जिन्दगी में आ भी जाये तो कुछ समय बाद हमारा जीवन फिर रुखा होने लगता है! जैसे की एक पति पत्नी के रिश्ते में होता है जो शादी से पहले एक दुसरे को जिन्दगी समझ बैठते हैं और शादी के बाद फिर वही जोड़ा आपस में लड़ाई करता है।

सच्चा प्रेम कैसे किया जा सकता है| सच्चा प्यार कब होता है?

जैसा अब तक हमने सच्चे प्रेम की परिभाषा को समझा है उसे देखते हुए आप समझ गए होंगे की एक इन्सान जो आत्मस्थ है जो अब अपने आनंन्द के लिए दूसरे शख्स पर निर्भर नहीं है मात्र वही सच्चे प्रेम के योग्य है, अतः आप वाकई किसी से सच्चा प्यार बिना किसी कामना के करना चाहते है तो पहले आपको अपने जीवन में प्रेम लाना होगा, अगर आपके जीवन में ही प्रेम नहीं है तो आप दूसरे को नहीं दे सकते।

और प्रेम चूँकि कोई रसायन या हार्मोन नहीं होता जो हमारे अन्दर स्वयं आ जाये, प्रेम तो सीखना पड़ता है। साइंस में भी ऑक्सीटोसिन जिसे हम लव हारमोन, हैप्पी हार्मोन कह देते हैं वो हारमोन जब बूस्ट होता है तो कुछ देर की ख़ुशी तुम्हारे अन्दर जाग्रत कर सकता है लेकिन कुछ समय बाद जैसे ही वह हार्मोन्स ठंडा होता है तो हम वापस अपनी अवस्था में आ जाते हैं!

तो ऐसा नहीं है की आपके शरीर में प्रेम स्वतः आ जायेगा, बल्कि आपको प्रेम सीखना पड़ता है, उम्र बढ़ने के साथ प्रेम में गहराई आती है, प्रेम और मीठा होता जाता है, अगर वाकई जीवन में प्रेम सीखना और जीवन में सच्चा प्यार लाना चाहते हैं तो आपको आचार्य प्रशांत द्वारा रचित यह प्रेम सीखना पड़ता है नामक पुस्तक जरुर पढनी चाहिए!

इस पुस्तक के बीसों अध्याय का सारांश आप यहाँ पढ़ सकते हैं!

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद सच्चा प्यार क्या होता है? समझ गए होंगे साथ ही सच्चा प्यार क्या नहीं होता यह भी समझने में मदद मिली होगी। अगर इस लेख में दी गयी जानकारी पसंद आई है तो इसे शेयर भी कर दें।

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