न सामजिक न पशु | अध्याय 12 सम्बन्ध पुस्तक सारांश

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मुझे सुनना है

हम, हमारे परिवारों से मिलकर बनता है एक समाज, और इसी समाज के बीच रहकर हमारा बचपन शुरू होकर बुढ़ापे तक गुजरता है, इसलिए हम अक्सर कहा करते हैं मनुष्य एक सामाजिक पशु है? (न सामजिक न पशु ~ अध्याय 12)

न सामजिक न पशु

क्या वाकई इस बात में सच्चाई है इस बात को हम तभी समझेंगे जब हम पशु और सामाजिक होने का सही अर्थ समझेंगे, तो अगर आप भी मानते हैं मनुष्य का समाजिक पशु होना स्वभाव है तो इस लेख में आपको आचार्य जी की बातों को जरुर समझना चाहिए।

क्या मनुष्य एक सामजिक पशु है?

आचार्य जी प्रश्नकर्ता को संबोधित करते हुए कहते हैं जैसे ही आपने ये कहा और मान लिया की मनुष्य एक सामाजिक पशु है तो तुमने अपने आपको बहुत नीचे गिरा दिया, अब तुम्हारे ऊँचा उठने की संभावनाएं बहुत कम हो जाएगी।

बचपन से ही तुम्हें तुम्हारे शिक्षकों, समाज के लोगों द्वारा ये बात कह दी गई है की मनुष्य एक सामाजिक पशु है, पर कभी आपने ये समझने का यत्न किया की सामजिक और पशु होने का वास्तव में अर्थ क्या है?

हिंदी में पशु शब्द का धातु होता है पाश यानी गुलाम होना, इसलिए पशु का गुलामी भरा जीवन जीना स्वाभाविक हो सकता है। पर जब तुम खुद को एक सामाजिक पशु कहते हो तो इसका अर्थ है तुम्हें भी पशुता यानि दासता स्वीकार है। तुम जवान लोग यहाँ बैठे हो क्या किसी की गुलामी स्वीकार करोगे?

श्रोता: नहीं

आचार्य जी: दूसरा सामजिक होने का अर्थ क्या है? अभी आप यहाँ बैठे हो ये भी एक समाज है, और समाज के बीच सम्बन्ध आपका दो ही कारणों से हो सकता है एक डर की वजह से दूसरा प्रेम की वजह से!

तो तुम किस समाज की बात कर रहे हो? तुमने अभी तक उसी समाज को जाना है जो पुरानी मान्यताओं, डर के आधार पर चलता है जिसका तुम अभी हिस्सा हो, पर उसी समाज के साथ प्रेम के भी सम्बन्ध बन सकते हैं, जब उनसे आपको किसी तरह का स्वार्थ या कुछ पाने की इच्छा न हो!

तो बचपन में अगर पढ़ लिया था की मनुष्य एक सामजिक पशु है, कोई बात नहीं अब बड़े हो गए हो इस बात को जरा प्रयोग करके देखो सिर्फ तोते की तरह बात मत रटो!

इस पुस्तक के पिछले अध्याय 👇

« प्रेम क्या है और क्या नहीं? अध्याय 11

« Chapter 10 | प्रेम बेहोशी का सम्बन्ध नहीं

« साथ हैं, क्योंकि प्रेम है, या आदत है? Chapter 9

अंतिम शब्द

तो साथियों इस वार्ता के साथ यह अध्याय 12 ( न सामजिक न पशु) समाप्त होता है, अगर आप सम्बन्ध पुस्तक के इस सम्पूर्ण अध्याय को पढना चाहते हैं तो इस आप इस पुस्तक को Amazon से ऑर्डर कर सकते हैं! और इस अध्याय ने आपको थोड़ी भी स्पस्टता जीवन में दी है तो इस जानकारी को सोशल मीडिया पर अवश्य शेयर करें!

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