अगर आप शिव जी के भक्त हैं तो सम्भव है हर सोमवार आप उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत लेते होंगे या फिर सुबह सुबह शिवलिंग में दूध या जल चढाते होंगे। पर सवाल है शिवलिंग पर दूध क्यों चढ़ाया जाता है?
क्योंकि जैसे ही ये प्रश्न सामने आता है तो शिव भक्त चुप हो जाते हैं या फिर लोग इस बारे में अलग अलग पौराणिक कथाएं बताने लगते हैं। कोई कहता है दूध चढाने से शिवलिंग मजबूत होता है तो कोई कहता है भोले बाबा को दूध बढ़ा पसंद है।
पर आज हम आपको इसके पीछे का असली सच बतायेंगे जिसके बाद से आपके सामने शिवलिंग पर दूध चढाने के सभी रहस्य खुल जायेंगे और आप किसी की फ़ालतू की बातों में आने की बजाय उसे भी इसका सही अर्थ बतलाकर उसके भी जीवन में प्रकाश डालेंगे। तो सबसे पहले समझते हैं की
शिवलिंग पर दूध क्यों चढ़ाया जाता है?
शिवलिंग में दूध चढाने की परम्परा आज से सैकड़ों वर्ष पूर्व शुरू हुई जब हमारा समाज पूरी तरह कृषि पर आधारित था। अतः कृषि हेतु गाय बैल इत्यादि का उपयोग किया जाता था। अतः संसाधन सीमित थे आज के जैसी न जीवनशैली थी और न ही कमाई के साधन तो उस समय लोगों के पास मूल्यवान से मूल्यवान वस्तु थी दूध।
अतः शिवलिंग पर इस भाव से दूध अर्पित किया गया की हे भोले बाबा हमारे पास मौजूद जो सबसे मूल्यवान वस्तु है हम उसे आपको अर्पित कर रहे हैं। तो इस तरह शिवलिंग में दूध चढाने की मान्यता शुरू हुई और आज भी उसी प्रथा का निर्वाह किया जा रहा है।
इसी तरह बाद में फिर लोगों के पास धन एकत्रित होने लगा तो मन्दिरों में फिर सोने चांदी इत्यादि का दान किया गया, उसके पीछे भी एक ही बात थी जो ऊँची से ऊँची वस्तु हमारे पास है उसे हम आपको समर्पित करते हैं।
संक्षेप में कहें तो शिव जी को दूध चढाने के पीछे एकमात्र कारण यही था की जो कुछ भी आपके पास सर्वोच्च है उसे आप शिव को दान कर दें।
पर जब हम बिना जानें बूझे आज भी शिव जी को जल या दूध अर्पित करने लगते हैं, तो इससे यह बड़ा प्रश्न खड़ा हो जाता है की क्या आपके पास दूध से अधिक महत्वपूर्ण जीवन में कुछ नहीं है?
क्योंकि कायदे से तो यह होना चाहिए था आपके पास जो कुछ भी अधिक है फिर चाहे वो पैसा हो, बल हो, ज्ञान हो उसे आप शिव यानी सत्य को समर्पित कर दें।
पर जब हम अन्धविश्वास के रूप में इस प्रथा का पालन करते हैं कुछ समझते बूझते नहीं तो फिर शिव हमारे क्या काम आयेंगे?
शिवलिंग पर दूध कैसे चढ़ाएं?
शिवलिंग पर दूध चढ़ाना एक प्रतीक है, एक इशारा है जो किसी ऊँची बात का संकेत देता है। यह मान्यता संकेत देती है की अपने पास जो कुछ भी सबसे प्रिय है उसे सत्य की सेवा में समर्पित कर दो यही शिव की भक्ति है।
तो अगर आप वाकई चाहते हैं भोलेनाथ प्रसन्न हो तो सबसे जरूरी है अपने जीवन को देखना और जानना की मेरे मन में और जीवन में कितना लालच, डर, कपट और छल है अर्थात कितना झूठ है और फिर ईमानदारी से यह भी देखना की सच्चाई अर्थात प्रेम, करुणा, बोध कितना है।
फिर यह जानने के बाद की जीवन में सत्य से ज्यादा महत्व में झूठ को दे रहा हूँ तो अब शिव की भक्ति करने का मतलब यही होगा की आप अपने जीवन से वो सभी झूठ हटायें। और मन में सत्य को विराजमान करें।
ये जानते हुए भी की मुझे किन चीजों से दुःख मिलता है, मेरे मन में लालच बढ़ता है, डर आता है, और होश में होने की बजाय में बेहोश हो जाता हूँ अर्थात वे चीजें जो आपका ही नुकसान कर रही हैं। एक झूठा जीवन है।
लेकिन उन चीजों की तरफ आना जिससे जीवन में होश आता है, लालच कम होता है, प्रेम बढ़ता है, और आप आनन्द की तरफ बढ़ते है यही सत्य को पूजना है।
तो वाकई चाहते हैं जीवन में शिव जी का आशीर्वाद मिले तो सुबह एक लोटा दूध चढ़ाकर अपने फायदे के लिए दिन भर काम करके झूठा जीवन जीने से शिव नहीं आयेंगे, बल्कि सच्चाई की तरफ बढ़ें उसी से शिव प्रसन्न होंगे।
शिवलिंग पर दूध चढाने के लाभ
देखिये शिवलिंग पर दूध चढाने के पीछे की मान्यता और इस इशारे को आप समझ जाते हैं तो फिर आप शिव जी को वास्तव में वो समर्पित कर पाएंगे जो आपके पास सबसे महत्वपूर्ण और उपयोगी है। शिव ही सत्य हैं और सत्य को समर्पित होने के निम्न लाभ होते हैं।
#1. एक महान जीवन वही है जिसमें सत्य का स्थान हो, पर प्रायः जैसा हम जीवन जीते हैं जिन लोगों के लिए काम करते हैं, जहाँ समय बिताते हैं उसमें कही भी सत्य का स्थान नहीं होता। हमारा जीवन मात्र अपने स्वार्थ (मतलबों) को पूरा करने में बीतता है। लेकिन अगर भीतर प्रेम और करुणा है तो आप कहेंगे मेरे से आगे भी जीवन में कुछ महत्वपूर्ण है और आप उसी को सच्चाई समझकर जीवन जियेंगे।
#2. शिव की भक्ति में लीन होने अर्थात शिवोमय होने का अर्थ ही यह है की आप व्यर्थ की चिंताओं से दूर रहेंगे। जिन भ्रम और अंधविश्वासों को ही लोग अपना जीवन मान लेते हैं उनसे आप दूर रहोगे मतलब होश के साथ जीवन जिओगे।
#3. शिव हैं तो सौन्दर्य हैं इसलिए सत्य को सुन्दर कहा गया। अगर आप शिव यानी सच्चाई के साथ हैं तो आपका हर एक काम सुन्दर होगा। पर जीवन कुछ पाने के लालच और डर के साथ जिया जा रहा तो आप शिव के साथ नहीं हैं।
तो यह कुछ विशेष फायदे हैं सच्चाई के साथ जीने के, बेशक इस मार्ग में कठिनाई आती है कई बार मन को डर भी लगता है पर स्वामी विवेकानन्द, संत कबीर, महात्मा गांधी जितने भी ऊँचे नाम हैं उन्होंने सच्चाई को स्थान दिया और जीते जी अमर हो गए।
शिवलिंग क्या है?
शिवलिंग निराकार सत्य का प्रतीक है जिसे ब्रह्मा या सत्य भी कहा गया है। लिंग माने प्रतीक, इशारा अतः शिवलिंग से तात्पर्य सत्य के प्रतीक से है। पूरी प्रकृति शक्ति का प्रतीक है और उस प्रकृति के बीच में मौजूद लिंग उस चेतना का प्रतीक है जो संसार की तमाम परिस्थियों में भी अडिग रहे, अचल रहे।
इसे आप इस तरह भी समझ सकते हैं की हमारे जीवन में तमाम तरह की परेशानियां, मुसीबतें आती हैं इसके बावजूद भी मन का एक हिस्सा होता है जो हमें अंदर से टूटने नहीं देता।
अतः लिंग यहाँ उस स्तम्भ यानी खम्भे का प्रतीक है, सत्य सबसे ऊँचा होता है जिसे परमात्मा भी कहा जाता है जिसने तैतीस कोटि देवी देवताओं को सहारा दिया है। इसलिए उस निर्गुण निराकार सत्य की उपासना शिवलिंग के रूप में की जाती है।
पर यदि आप शिवलिंग को जाने नहीं समझे नहीं और इसके बारे में कई तरह की धारणाएं और मान्यताओं को पूजते रहे तो आपको इससे कोई लाभ नहीं होगा।
शिवलिंग हमें संदेश देता है की जीवन में कभी ख़ुशी आये, गम आये, आकर्षण हो, विकर्षण हो उस लिंग की भाँती तुम भी सदा अविचलित रहकर सच्चा जीवन जी सकते हो।
पढ़ें:- शिव और भोले बाबा के बीच ख़ास अंतर
शिवलिंग पर दूध किस बर्तन से चढ़ाना चाहिए?
शिवलिंग पर दूध चढाने के लिए उपयोग किये जाने वाले लोटे से अधिक महत्वपूर्ण यह है की आप शिव को किस भावना से दूध, जल या कोई सामग्री अर्पित कर रहे हैं। यदि अपनी मनोकामना की पूर्ती हेतु आप शिवलिंग पर जल चढाते हैं तो इसका सीधा अर्थ है की आप शिव जी को अपनी इच्छा पूर्ती का साधन बना रहे हैं।
अतः शिव जी को मग, लोटे या किसी भी बर्तन से दूध चढाने से पहले मन में अवश्य पूछ लें मेरा जल चढाने का उद्देश्य क्या है? एक बार आप यह जान गये आपके लिए आगे निर्णय लेना आसान हो जायगा।
शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का वैज्ञानिक कारण
शिवलिंग पर दूध चढाने के सन्दर्भ में यह तर्क दिया जाता है की दूध चढाने से शिवलिंग चटकता नहीं है, पर वास्तव में ये तर्क व्यर्थ है। हम ये भूल जाते हैं की शिवलिंग भले ही बड़ी बात का प्रतीक है लेकिन वो प्रतीक है तो पत्थर का ही।
अतः हम पत्थर को कितना ही पूज लें, उसमें कई तरह की खाद्य सामग्री अर्पित कर लें लेकिन यदि हमने शिवलिंग की सच्चाई जानकर अपना जीवन सत्य की सेवा में नहीं लगाया तो हम कितना ही शिवलिंग पर दूध चढ़ा लें इससे कोई फायदा नहीं होगा।
शिवलिंग पर दूध कितने बजे चढ़ाना चाहिए?
प्रायः यह माना जाता है की शिवलिंग पर सुबह के समय दूध अर्पित करना चाहिए। पर यदि आप दूध चढाने के पीछे वास्तविक मर्म को समझ चुके हैं तो आप जान गए होंगे की शिवलिंग किस चीज़ का प्रतीक है।
और शिव वास्तव में प्रसन्न तभी होंगे जब हम अपनी सबसे मूल्यवान वस्तु को शिव यानी सत्य की सेवा में अर्पित करेंगे। अतः अब यह आप पर निर्भर करता है की आप सच जानने के बावजूद शिवलिंग पर दूध चढाने की परम्परा का पालन करते हैं या फिर सच्चाई के साथ आगे बढ़ते हैं।
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अंतिम शब्द
तो साथियों इस लेख को पढने के पश्चात शिवलिंग पर दूध क्यों चढ़ाया जाता है? यह जानने के साथ साथ शिवलिंग के बारे में पूरी सच्चाई आपको पता चल गई होगी। इस लेख को पढ़कर जीवन में यदि