न सामजिक न पशु | अध्याय 12 सम्बन्ध पुस्तक सारांश
हम, हमारे परिवारों से मिलकर बनता है एक समाज, और इसी समाज के बीच रहकर हमारा बचपन शुरू होकर बुढ़ापे तक गुजरता है, इसलिए हम अक्सर कहा करते हैं मनुष्य एक सामाजिक पशु है? (न सामजिक न पशु ~ अध्याय 12) क्या वाकई इस बात में सच्चाई है इस बात को हम तभी समझेंगे जब … Read more