पृथ्वी पर जन्म लेने के बाद एक मनुष्य संसार के तीनों में से किसी एक गुण में निवास करता है, इन तीनों गुणों में रजोगुण, तमोगुण,सतोगुण शामिल है। ( तमोगुण क्या है, तमोगुण Meaning in Hindi)
धर्म ग्रन्थों का अध्ययन करने पर आप पाएंगे अनेक जगहों पर इन तीनों गुणों की बात की जाती है। लेकिन शास्त्रों की भाषा में इन तीनों गुणों का अर्थ समझ पाना कई लोगों के लिए सरल नहीं हो पाता।
- सतोगुण क्या है? एक सात्विक जीवन कैसा होता है?
- रजोगुण क्या होता है? रजोगुणी व्यक्ति का जीवन कैसा होता है?
इसलिए आचार्य प्रशांत एक धार्मिक शिक्षक के तौर पर जनमानस को अपने अध्यात्मिक साहित्यों के जरिये उनकी चेतना को ऊँचा उठाने का कार्य कर रहे हैं! आइये उनके शब्दों में समझते हैं यह
तमोगुण क्या है?
तमोगुण मनुष्य के सबसे निचले तल की अवस्था है जहाँ पर उसकी चेतना (समझ) शून्य होती है, जिस वजह से उसका जीवन तमाम तरह की बुराइयों से घिरा रहता है।
अतः ऐसे व्यक्ति में तामसिक वृतियां अधिक होने की वजह से इन्हें तमोगुणी भी कहा जाता है!
एक तमोगुणी व्यक्ति पर आलस, प्रमाद, लोभ जैसी वृतियां हावी रहती हैं, वह किसी ऐसी बुरी लत या आदत का शिकार हो जाता है जो उसके जीवन को अंधकारमय बना देती है।
- शराब के नसे में डूबे रहना,
- हर समय वासना, सम्भोग के बारे में सोचना।
- आवश्यकता से अधिक सोना, खाना इत्यादि ये सभी तमोगुणी व्यक्ति के लक्षण हैं!
ऐसा व्यक्ति चूँकि बेहोशी का जीवन जीता है उसे अपनी हकीकत का ख्याल नहीं रह जाता, अतः जब कोई कभी उसे जगाता भी है।
तो उसमें इतनी इच्छा या शक्ति नहीं होती की वह अपनी इस खराब हालत को अलविदा कहे और जीवन को सुधारने के लिए प्रयत्न करे।
तमोगुण का मतलब क्या होता है?
तमोगुण से अभिप्राय जीवन की उस अवस्था से है जहाँ इंसान अपनी वृत्तियों के आधार पर जीवन जीता है। तमोगुणी यानी तामसिक जीवन में नशा, निद्रा आलस्य इत्यादि बड़ी मात्रा में होता है।
पर ऐसा तामसिक जीवन व्यक्ति उसे बहुत सुहाता है और अपने जीवन को बदलने और उसमें सुधार लाने के प्रति व्यक्ति विरोध उत्पन्न करता है।
तमोगुणी व्यक्ति गलत जीवन जीने के बावजूद भी स्वयं को यह विश्वास दिलाता है की हमारा जीवन उचित है, हम शिखर पर पहुंचकर आनंदित हैं।
और अब हमें जीवन में कुछ विशेष पाने की आवश्यकता नहीं रह गयी है! एक गुरु का कार्य शिष्य के ऐसे विश्वास को तोड़कर उसे उसके निचले तल के जीवन के प्रति सावधान कर बेहतर मार्ग की तरफ प्रेरित करना होता है!
तमोगुण कैसे दूर करें?
तमोगुणी जीवन से बाहर आने के लिए यह परम आवश्यक है की सबसे पहले हम अपनी हालत को स्वीकार करें की हम एक तामसिक जीवन अर्थात सबसे निम्न्कोटी का जीवन जी रहे हैं, फिर जब मनुष्य को यह अहसास होता है तो वह फिर अपनी हालत से बाहर निकलने के लिए छटपटाता है।
जैसे एक कमरे में बंद नशे में लिप्त व्यक्ति को एक दिन होश आये और वह कमरे से दूर भागे और अपने उस पुराने जीवन के प्रति दुखी होकर उससे बाहर आ जाये।
तामसिक जीवन से बाहर आने के लिए जीवन में जरूरी है तुम किसी ऐसे गुरु या व्यक्ति से मिलें जिसकी जिन्दगी तुम्हें स्वयं से काफी बेहतर लगती हो!
जब आप उस व्यक्ति का अनुसरण करेंगे तो आप पाएंगे आपका जीवन बदल रहा है, तमोगुण से व्यक्ति फिर रजोगुण में प्रवेश करता है।
रजोगुण में प्रवेश करने के बाद गुरु का कर्तव्य आपको यह बताना होता है की तुम अब उस जीवन से बाहर तो आ चुके हो, अब तुम्हें अधिक छटपटाने की आवश्यकता नहीं, अब तुम्हें शांति की तलाश में जाना है और वो शांति तुम्हारे भीतर ही मौजूद है।
आप अपने शरीर से तमस कैसे निकालते हैं?
शरीर से तमस निकालने के लिए अपनी तामसिक आदतों पर लगाम लगाना जरूरी है, जिस क्षण मनुष्य को यह ज्ञात हो जाये की तामसिक क्रियाओं के माध्यम से उसके मन को शांति और चैन नहीं मिल जाना है।
उसी पल वह शारीरिक वृतियां जैसे नशा, निद्रा, स्वाद इत्यादि को महत्व देना थोडा कम कर सकता है!
अतः शरीर से तमस तभी निकल सकता है जब उसे गुरु या किसी व्यक्ति द्वारा यह समझाया जाये की यह जीवन व्यर्थ जा रहा है इन तामसिक आदतों से जीवन में सुधार की सम्भावना नहीं हो सकती।
हालाँकि आजकल कई ऐसे उपाय हैं जिनसे आप तामसिक व्रतियों को शांत कर सकते हैं। जैसे व्यायाम या योगा करना, परन्तु यह आपको अधिक समय तक शांति नहीं दे सकती, ज्ञात रहे बिना अपनी तामसिक स्तिथि के प्रति ज्ञान हासिल किये इससे बाहर नहीं आया जा सकता।
उदाहरण स्वरूप आप तब नशे या अधिक सोने की आदत से बाहर नहीं आ सकते, जब तक तुम्हें ये ज्ञात न हो जाये की नशा मुझे एक बेहोश इंसान बनाकर मेरे जीवन को खराब कर रहा है।
उसी तरह अधिक सोने से मुक्ति तुम्हें तभी मिल सकती है, तब तुम ये समझ जाओ मेरी नींद से जरूरी कुछ है जिन्दगी में जो तत्काल इस समय किया जाना चाहिए!
तमोगुण और रजोगुण में अंतर
तमोगुणी जीवन अर्थात तामसिक जीवन और एक रजोगुणी अर्थात राजसिक जीवन में मूल अंतर जीवन की अवस्था से है!
तमोगुणी जीवन में जब व्यक्ति को अहसास होता है की जो पुरानी आदतें, धारणाएं या विचार मेरे द्वारा पकड़े गए हैं वे गलत हैं। जब इन विकारों को त्यागकर एक इंसान आगे बढ़ता है वह एक रजोगुणी जीवन में प्रवेश करता है।
रजोगुणी जीवन को हम जीवन की एक बेहतर अवस्था कह सकते है, परन्तु यह अवस्था भी अंतिम और श्रेष्ट नहीं है। क्योंकि यहाँ प्रवेश करके व्यक्ति एक सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन जीता है लेकिन फिर भी वह जीवन से संतुष्ट नहीं रहता, एक कशिस एक बेचैनी सदा उसके मन को घेरे रहती है।
दुनिया में तमाम तरह के सुख भोगने के बावजूद शान्ति की तलाश में जब उसे चैन प्राप्त नहीं होता और ज्ञात होता है की कोई भी भौतिक वस्तु अधिक समय तक उसे शांति नहीं दे सकती।
तो वह कुछ और बेहतर पाने का प्रयास कर आगे बढ़ता है और सतोगुण में प्रवेश करता है जो तीनों गुणों में सबसे श्रेष्ट अवस्था मानी जाती है!
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अंतिम शब्द
तो साथियों इस अध्याय को पढ़कर हमें आशा है एक तामसिक जीवन क्या है? यह आपको भली भाँती स्पष्ट हो गया होगा, इस अध्याय को पढ़कर जीवन में कुछ बोध प्राप्त हुआ है तो इस लेख को सोशल मीडिया पर शेयर करना तो बनता है!