वेदांत क्या है? जीवन की सभी समस्याओं का समाधान

इस बात में कोई दो राय नहीं की विश्व के प्रमुख दर्शनों में वेदांत का नाम शामिल है, यह भारतीय दर्शन जीवन में झूठ, असत्य को छोड़कर वास्तविकता को देखने सन्देश देता है, हालाँकि वेदांत क्या है? इस प्रश्न को परिभाषित करना आज भी लोगों के लिए थोडा मुश्किल है।

वेदांत क्या है

विशेष बात यह है की वेदांत की लोकप्रियता कम होने के बावजूद ये दर्शन हमारे लिए इतना उपयोगी है की हमारे जीवन को बदल सकता है। इस लेख में हमने आपको वेदांत के विषय पर सरल और स्पष्ट शब्दों में जानकारी देने का प्रयास किया गया है।

वेदांत क्या है? वेदांत दर्शन क्या है?

हिन्दुओं के प्राचीनतम ग्रन्थ हैं वेद, और वेदों के मुख्यतया दो भाग हैं कर्मकांड और ज्ञानकाण्ड!

कर्मकांड में देवी देवता, प्रकृति पूजन की जानकारी मिलती है, तमाम तरह का यज्ञ हवन, पूजा पाठ इत्यादि की सारी विधियाँ इसमें शामिल हैं! आज भी हम प्रायः कर्मकांड होता देखते हैं वो वेदों से ही लिया गया है!

दूसरी तरफ ज्ञानकाण्ड, वेदों का वह भाग है जो कालातीत है, उसमें कुछ ऐसा ज्ञान मौजूद है जो आज भी मनुष्य के लिए उतना ही लाभदाई है जितना की पहले था!

अतः ज्ञानकाण्ड में जो ज्ञान निहित है उसी ज्ञान को वेदों का दर्शन मानकर वेदांत कहकर सम्बोधित किया गया!

दूसरे शब्दों में कहें तो वेदों से जो हमें अमृत ज्ञान प्राप्त हुआ है उसी को वेदान्त कहा जाता है!

अतः कुछ लोग वेदान्त को वेदों का सार कहकर भी सम्बोधित करते हैं! तो समझने वाली बात ये है की हिन्दुओं का मुख्य दर्शन है वेदांत, और मुख्य पुस्तक है उपनिषद!

आपको बता दें वेदान्त की सीख, इसके ज्ञान को पहुचाने के लिए ही बाद में पुराण, आगम शास्त्र, स्मृति इत्यादि की रचना की गई थी! 

तो अगर कोई कहता है की ये धार्मिक बात पुराणों में लिखी है तो उसको ये भी मालूम होना चाहिए की वेदान्त उस मान्यता के माध्यम से आपको क्या सीख देना चाहता है?

वेदांत में क्या ख़ास है? क्यों ये इतना उपयोगी है?

जो हमारे ऋषि थे वो बड़े खोजी, वैज्ञानिक किस्म के थे! वेदों की शुरुवात में जब लोगों के पास ज्ञान की कमी थी तो इन्सान को जो कुछ कहा जाता था वो उसे मान लेता था!

अचानक आसामान में बिजली कडकती तो वो सावधान हो जाता, उसे लगता भगवान नाराज हो गए हैं, अतः जल्दी से वो भगवान को याद करने लगता ताकि कृषक होने के कारण उसकी फसल बर्बाद न हो जाए!

इसलिए शुरुवात में प्रकृति को पूजना मनुष्य के लिए एक तरह से मजबूरी था, पर धीरे धीरे ऋषियों को ये बात समझ में आने लगी की मनुष्य के दुःख का कारण कोई और नहीं बल्कि उसका मन है!

उसका मन ही है जो उसे तमाम तरह के दुखों में डालता है, उसी मन के कारण के उसे जिन्दगी में कष्ट झेलने पड़ते हैं! तो ऋषियों ने फिर इसी मन को सम्बोधित करते हुए कई सारे प्रश्नों के जवाब दिए जो हमें उपनिषदों को पढने पर मालूम होते हैं!

तो हम ये कह सकते हैं की मनुष्य को दुःख से शांति की तरफ ले जाने के लिए वेदांत की जरूरत पड़ी!

अब सवाल आता है की वेदान्त किस तरह इन्सान को दुखों से मुक्ति देता है?

वेदांत दर्शन हर इन्सान से फिर चाहे वो किसी भी स्थान, धर्म, क्षेत्र से सम्बन्ध रखता हो वेदान्त मनुष्य से एक ही प्रश्न पूछता है!

वेदान्त कहता है कौन हूँ मैं (अर्थात कौन है ये मन) जो विभिन्न प्रकार की चीजों को पाने के लिए आकर्षित रहता है!

कौन है ये जिसे कुछ भी मिल जाये, थोड़ी देर बाद अशांत हो ही जाता है, कौन है मेरे अन्दर जिसे ये दुनिया डरावनी या अच्छी लग रही है।

मैं कहाँ से आता हूँ, मुझे चाहिए क्या जीवन में, मैं क्यों इतना दुखी रहता हूँ?

फिर धीरे धीरे जब मनुष्य अपने इस सवाल का जवाब पाता है तो उसे मालूम होता है की मैं कोई और नहीं मैं तो एक दुखी मन हूँ, अर्थात एक अतृप्त चेतना हूँ जो लगातार शांति की खोज में है!

देखिये हर मनुष्य की तरह आपके भीतर मेरे भीतर कुछ ऐसा जरुर है जो लगातार शांति की तलाश में रहता है, और उसी शांति को पाने के लिए कभी कुछ करता है तो कभी कुछ!

और समझने वाली बात ये है की वेदान्त का ज्ञान उस मन को शांति की तरफ ले जाने में बेहद मददगार साबित होता है!

वेदांत को सभी भारतीय दर्शनों की जननी कहा गया है, यह विशेष है, सुन्दर है हजारों वर्षों से देश ही नहीं अपितु विदेशों में भी वेदांत के मर्म को जिन चुनिन्दा लोगों ने समझा है वे वेदांत को जीवन में अपनाकर धन्य हो गए।

वेदांत का मुख्य प्रश्न क्या है| वेदांत का उद्देश्य क्या है?

अब सवाल आता है की वेदान्त ऐसा क्या पूछता है जिससे की इन्सान का दुःख खत्म हो जाता है! 

तो देखिये वेदान्त की विषय वस्तु है मैं, अर्थात मन और उसी मन के इर्द गिर्द वो हर सवाल पूछता है?

प्रश्न पूछकर किसी बात की जांच पड़ताल करना ही वेदांत का मुख्य उद्देश्य है? वेदांत किसी भी बात को स्वीकार करने से पूर्व उसकी जांच पडताल करता है।

चाहे किसी तरह की रुढ़िवादी मान्यता हो या फिर आज के समय में लोकप्रिय कोई कथन हो, दूसरों का मात्र कह देना ही काफी नहीं है।

वेदांत उस बात की तह तक जाने को कहता है और फिर उसे मानने को कहता है। दूसरे शब्दों में सत्य की खोज में लगातार आगे बढ़ने की सीख देना ही वेदांत का मुख्य उद्देश्य है।

उदाहरण के लिए हमें लगता है रोजमर्रा की जिन्दगी से बोरियत को दूर करने के लिए सप्ताह में या महीने में कहीं घूमने जाना चाहिए, इससे मन को असीम शांति का अहसास होता है, लेकिन वेदांत पूछता है की क्यों तुम खुश होने के लिए दिनों का इन्तेजार करते हो?

कौन सा ऐसा कार्य पकडे बैठे हो जिसे करते हुए तुम्हें बोरियत होती है? क्या मजबूरी है उस कार्य को करने की?

वह सब मजबूरियां, लालच, डर जिनकी वजह से तुम हर पल दुःख में तड़प रहे हों, वेदांत उन्हें उखाड़ फेंकने के लिए कहता है। इस तरह वेदांत आपके जीवन को स्कैन करता है, जिससे आप परेशानियों का पर्याप्त समाधान कर पाते हैं।

इसलिए वेदांत जीवन में व्यर्थ की चीजों को हटाता है और आपके जीवन को सुन्दरता और आनंद से भर देता है।

वेदांत क्यों लोगों के बीच इतना लोकप्रिय नहीं हो पाया?

प्राचीन काल से लेकर पिछली कई सदियों में अनेक महान पुरुष और महान स्त्रियों ने वेदांत दर्शन का पालन कर अपने जीवन को सार्थक कर हम सभी के सामने उदाहरण पेश किया।

फिर चाहे बात हो कबीर दास, रैदास, गौतम बुद्ध, महावीर स्वामी, कृष्णमूर्ति, विवेकानंद, बुल्लेशाह या फिर मीरा बाई की, वेदांत के माध्यम से सभी को अपने जीवन में प्रकाश मिला।

बल्कि इनमें से कई महान लोगों ने वेदांत की मूल बात को जन जन तक पहुंचाने में अपना जीवन समर्पित कर दिया, उदाहरण स्वरूप बात कबीर साहब की हो, कृष्णमूर्ति जी की हो या अन्य किसी महात्मा की!

पर वेदांत एक दार्शनिक ग्रन्थ के रूप में इतना लोकप्रिय नही हो पाया। जितना की गीता, पुराण जैसे ग्रन्थ हुए।

इसके पीछे एक बड़ी वजह है की वेदांत चीजों को नकारता है, वेदांत उन सभी मान्यताओं और विचारों का खंडन करता है जिनसे मनुष्य की सत्य से दूरी बनती है।

वेदांत को यदि आप एक दर्शन समझते हैं तो आप पाएंगे यह एक ऐसी फिलोसपी है जो नकरात्मक है।

कोई भी बात हो या कथन हो वेदांत पूछता है क्या ये सत्य है? आप संसार की बात करेंगे, ख़ुशी, पैसे की या ईश्वर की बात करेंगे वेदांत पूछता है क्या ये सत्य है?

उदाहरण के लिए अगर कोई सोचता है की जीवन में पैसे कमा लेने से बेहद सुख आता है तो वेदांत कहता है क्या सच में ऐसा होता है? जरा कमा कर देखो तो सही, जरा उन लोगों से पूछो और देखो तो सही जो पहले से ही कमा चुके हैं क्या वो सुखी हैं?

इस प्रकार देखा जाए तो वेदान्त इन्सान को उसकी झूठी उम्मीदों पर भरोसा कायम रखने की बजाय उसे सच्चाई जानने और सच्चाई में जीने के लिए प्रेरित करता है!

दुर्भाग्य से लोग वेदांत के पास आते हैं इसलिए ताकि उन्हें ख़ुशी से भरा जीवन जीने का कोई सूत्र मिल जाये या किसी तरह का सिद्धांत मिल जाए।

पर वेदान्त तो नकारने के सिवा कुछ कहता नहीं इसलिए वेदान्त के वास्तविक सन्देश से लोग चूक जाते हैं।

वेदांत तो नकारता जाता है, जो भी सच नहीं है उसे स्वीकार नहीं करता। पर लोगों को यह बात कुछ जमी नहीं, वेदांत तो कहता है की तुम पूर्ण हो तुममें कोई कमी नहीं है आनन्द ही तुम्हारा स्वभाव है! 

और उस आनन्द को पाने के लिए आपको कहीं भटकना नहीं है वो पहले से ही भीतर है तुम्हारे जानो उसे!

वेदांत कहता है सच्चाई ही अपने आप में परम आनंद है, इसके सिवा कोई जीवन का सूत्र नहीं है।

वेदांत दर्शन की विशेषताएं

होश में रहकर इस जीवन को भरपूर आनंद से जीने के लिए आपको वेदांत दर्शन को अपने जीवन में जरुर अपनाना चाहिए, वेदांत की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं।

सत्य:- सच्चाई को प्राप्त करना, सत्य की खोज करना ही वास्तव में वेदांत का आधार है, हम इस संसार में कभी चीजों में तो कभी लोगों में अपने सुख तलाशते रहते हैं लेकिन कभी भी हमें तृप्ति नहीं मिल पाती क्योंकि हम नहीं जानते किस पर भरोसा करना चाहिए।

वेदांत कहता है अपने भ्रम को तोड़ो और जानो की क्या सच है और क्या झूठ है और जब सच्चाई जान लो तो उसके हिसाब से जीवन जियो फिर आनंद आएगा।

मैं कौन हूँ:- पूरा जीवन मनुष्य गलतफहमी में गुजार देता है, क्योंकि इंसान होता कुछ और है और स्वयं को कुछ और माने रहता है। वेदांत कहता है की न तुम शरीर हो न मन हो आप एक आत्मा हो। अतः शरीर खत्म हो सकता है।

शरीर पर या मन पर चोट लग सकती है, पर आत्मा सदैव अजर है अमर है यह जानकार स्वयं को जानवर की भाँती एक शरीर जानकर जीवन गँवा रहे तो ऐसा जीवन व्यर्थ है।

चेतना:- वेदांत कहता है की हर जीव में चेतना है और यही चेतना जीवन में उंचाई पाना चाहती है, दूसरे शब्दों में जिसे हम कहते हैं दिल बड़ा होना चाहिए यही बात वेदांत में चेतना यानि मन के लिए कही गई है। चेतना आजाद होना चाहती है।

मन मुक्त गगन में उड़ना चाहता है पर हम स्वयं के लालच या डर की वजह से मजबूरी का रोना रोते हैं वेदांत कहता है सब मजबूरियों को त्यागो और खुला जीवन जिओ।

आत्मा:- वेदांत विशेष है क्योंकि आत्मा ही मात्र सत्य है ये संसार नही, वेदांत शरीर की नहीं आत्मा की बात करता है, जो व्यक्ति परम आनंद अर्थात ऊँचे से उंचा सुख पाना चाहता है वह बिना सच्चाई के पा ही नहीं सकता।

अतः वेदांत कहता है तुम इस मन की इच्छाओं के आधार पर जीवन मत जियो क्योंकि ये तो प्रतिपल बदल रहा है, तुम सच्चाई के रास्ते पर चलो!

ब्रह्मा:- वेदांत ईश्वर गॉड को मानने ये इनके होने की बात नहीं करता, वेदांत मात्र एक बात कहता है सत्य, इसी को परमात्मा, ब्रह्मा भी कहा गया है। हमारी चेतना जो हमारे लालच और डर की वजह से संकुचित छोटी बनी रहती है।

इस चेतना को परमात्मा में विलीन करने को कहा गया है, ऐसा होने पर व्यक्ति निष्काम कर्म करता है और निर्भय, आनंदमई जीवन जीता है।

वेद और वेदांत में अंतर

वेद शब्द से आशय ज्ञान से है और वेदों को संसार के सबसे प्राचीनतम धर्मग्रन्थ की संज्ञा मिली हुई है। दूसरों शब्दों में कहें तो वेद ऋषियों की मानव को दी गई सर्वोत्तम भेट हैं। हजारों वर्ष पूर्व रचित वेदों का ज्ञान आज भी उतना ही प्रसांगिक और लाभदायक है जितना की उस समय था।

वेदों को ऋंगवेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, 4 भागों में बांटा गया हैं, जिनकी विभिन्न शखाएं हैं।

दूसरी तरफ वेदों में मौजूद ज्ञान का सार वेदांत हैं! वेदांत का ज्ञान किसी धर्म विशेष के लिए नहीं पूरी मानवता के लिए लाभदाई है।क्योंकि वेदांत की किसी व्यक्ति विशेष ने रचना नहीं की अपितु इसका उद्गम उसी सत्य से हुआ है जिसकी हम सभी को तलाश है।

कर्मयोग क्या है| एक कर्मयोगी का जीवन कैसा होता है?

धर्म क्या है| धर्म की सीधी और सरल परिभाषा 

अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के पश्चात वेदांत क्या है? भली-भांति आप जान गए होंगे,  उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए फायदेमंद साबित हुई होगी। और आप इसे शेयर भी करेंगे।

Leave a Comment