सतोगुण, तमोगुण और रजोगुण पर आधारित एक व्यक्ति की कहानी

सतोगुण, तमोगुण, रजोगुण पर आधारित कहानी: संसार में जन्म लेने के पश्चात एक व्यक्ति का जीवन प्रकृति के भीतर मौजूद 3 गुणों में व्यतीत होता है, यह तीनों गुण एक दूसरों से भिन्न है, आपने प्रायः सुना होगा और साथ ही गीता में भी इस बात का भी उल्लेख है की एक व्यक्ति को तमोगुणी जीवन त्यागकर रजोगुण और सतोगुण की तरफ बढ़ना चाहिए!

सतोगुण, तमोगुण और रजोगुण पर आधारित एक व्यक्ति की कहानी

क्योंकि इन तीनों गुणों में व्यक्ति की सबसे ज्यादा दुर्दशा तमोगुण होने पर ही होती है, इसलिए इस गुण से पार जाना कई लोगों के आसान नहीं रहता, समाज में आपको अधिकांश लोग तमोगुण और रजोगुण की स्तिथि में ही देखने को मिलते है!

लेकिन शाश्त्र बतात्ते हैं जीवन में वास्तविक शांति और निष्काम भावना से कर्म हमें प्रकृति के इन तीन गुणों से आगे जाकर ही मिलते हैं, उसी को असल में मुक्ति भी कहते हैं! पर उस विषय पर हम कभी और चर्चा करेंगे इस लेख में तमोगुण और रजोगुण और सतोगुण को विस्तार से समझने का प्रयास करेंगे!

सतोगुण तमोगुण रजोगुण पर आधारित कहानी | तमोगुणी व्यक्ति का जीवन

राहुल 22 वर्ष का एक लड़का है, जिसके पिता जी कोर्पोरेट में नौकरी करते हैं, इसलिए पिता की अच्छी सैलरी की वजह से राहुल को घर में पैसे कमाने के लिए कोई दबाव नहीं है!

बारहवी पास किये राहुल को चार वर्ष हो चुके हैं लेकिन दोस्ती यारी के चक्कर में चार वर्षों में वह शराब पी लेना, नशे करना इत्यादि अच्छी तरह सीख चुका है!

वह दोस्तों के साथ लेट नाईट सन्डे, सटरडे पार्टी करता है और फिर बाकी के दिनों में घर पर रहकर खुद को बेहोशी में व्यस्त रखता है! घर में उसका एक प्राइवेट रूम है जहाँ पर उसके अलावा कोई नहीं आता इसलिए नशेपानी का सारा इन्तेजाम होने के कारण हर समय उसे नशे में उसे पाया जाता है!

उसकी इस बेहोशी के कारण घर में बहन और मम्मी काफी परेशान रहती है, लेकिन एक दिन अचानक सुबह Youtube पर वह एक विडियो देखता है और उस विडियो में नशे में मौजूद एक व्यक्ति की हालत को देखकर अचानक उसे अपनी स्तिथि पर होश आता है!

राहुल अब नशा इत्यादि छोड़ने का निर्णय लेता है, अपनी इस हालत से वह बाहर आना चाहता है, लेकिन घर में बंद उन दीवारों में जहाँ पर कई वर्षों से नशे ने उसे घेरा हुआ था वह बेचैन हो जाता है! और परिवार से यह कहकर की वह भी जिन्दगी में अपने पैरो में खड़े होना चाहता है, सफल बनना चाहता है, यह कह कर वह घर छोड़ देता है!

तो दोस्तों अब तक राहुल का जीवन तमोगुणी था, यानि की वह अवस्था जब इंसान कीचड़ में जीवन जीता है और उस जीवन के प्रति उसे आसक्ति इतनी होती है की वह उससे बाहर नहीं आना चाहता!

तमोगुण से रजोगुण की तरफ बढ़ता जीवन

 अब राहुल की यात्रा तमोगुणी से सतोगुणी होने की तरफ बढती है, नए शहर में आने के बाद सड़कों में फिरते फिरते वह एक नौकरी की तलाश में है, एक नौकरी जो उसे आत्मनिर्भर बनना सिखा दे!

जहाँ चाह वहां राह… बस राहुल को एक डाटा एंट्री की जॉब मिल जाती है, 15 हजार के मासिक वेतन पर जब राहुल की पहली सैलरी आती है तो वह 5 हजार अपनी माँ के अकाउंट में भेजता है!

समय बीतता है, राहुल धीरे धीरे अपनी मेहनत से कम्पनी में पदोन्नति हासिल करता है, और 6 साल बाद वह कम्पनी में एक बड़े औदे पर सालाना 10 लाख का सैलरी पॅकेज लेने लगता है!

कुछ वर्षों बाद राहुल मुंबई में एक फ्लैट बुक कर लेता है और एक नयी कार ले लेता है, लेकिन समय के साथ राहुल को अहसास होता है की पैसे से मिलने वाला सुख बहुत सीमित है जबकि इन सुखों को पाने के लिए जिस तरह वह खुद को घिस रहा है!

उसकी कीमत कहीं ज्यादा है! इसलिए अपनी इस खराब हालत को देखकर अब राहुल जिन्दगी में किसी और चीज़ की तलाश में है जो उसे शांति दे सके!

तो साथियों यह था एक रजोगुणी जीवन, अब राहुल की राह एक सतोगुणी जीवन की होने वाली है!

 रजोगुण से सतोगुण की तरफ बढ़ता जीवन

एक दिन सुबह राहुल टहल रहा था संयोग से इन्टरनेट पर उसे एक ऐसा लेख (article) मिला जिसने राहुल के चेहरे पर हवाइयां उड़ा दी थी!

उस लेख में जरुर कुछ ऐसा लिखा था जिसने उसे अन्दर से अवाक कर दिया था, और इसने राहुल के जीने के तरीको पर कुछ जरुरी सवाल खड़े कर दिए थे?

उस बात को गहराई से जानने के लिए राहुल ने कुछ दिन आपातकाल कहकर ऑफिस से छुट्टी ली!

और इस दौरान एक हफ्ते में राहुल ने शांति की खोज में हमारे अधय्त्मिक शास्त्रों, ग्रंथों का अध्ययन करना शुरू किया!

वह इन्टरनेट पर ऐसी किताबों और अध्यात्मिक गुरु के संपर्क में आया जो उन्हें उन श्लोंको और ग्रंथो का वास्तविक अर्थ बता सके!

जब राहुल ने उपनिषदों, गीता का अध्ययन करना शुरू किया तो पाया की उसकी मूल समस्या बाहर नहीं है अपितु उसके अन्दर बैठे अंहकार में है!

अब राहुल शांति की असीम अवस्था में था, उसे जीवन में वह मूल उत्तर मिल चुके थे जिनकी तलाश में उसकी चेतना पिछले कुछ सालों से थी!

इससे राहुल के जीवन में लालच, भय और कामवासना में कमी आई थी! जिससे उसका जीवन आनंदमय होने लगा था, पिछले 6 महीनों में राहुल इतना शांत और संतुष्ट कभी नहीं दिखा!

अब जब राहुल को अपने गुरु से पता चला की उसका उपचार हो चुका है… तो गुरु ने उसे सीख दी देखो हमारा काम डॉक्टरों की भाँती लोगों का उपचार कर उनके जीवन में बोध और शांति लाना है, आपसे पहले भी यहाँ लोग आये और उन्हें गीता,उपनिषदों को पढ़कर मदद मिली, और उन्हें जीवन जीने की नयी राह मिली!

अब आप भी यह सीख चुके हैं, तो अब आप बाहर जाइए और एक मुक्त जीवन जियें तथा दूसरों की भी सही जीवन जीने में मदद करें!

सतोगुण से आगे का जीवन जो कृष्णमय होता है

तो साथियों यह एक ऐसा जीवन था जो तमोगुणी से रजोगुणी और फिर सतोगुणी हो जाता है, जो व्यक्ति प्रकृति के इन तीनों गुणों से आगे चला जाता है तो वहां व्यक्ति जो जीवन जीता है वो आत्मस्थ होता है!

इसलिए गीता में तमोगुण, रजोगुण और सतोगुण से भी आगे जीवन जीने के लिए कहा जाता है, इन सबके आगे मात्र सत्य होता है! और गीता हमें प्रकृति के पार जाकर उस सत्य यानी मुक्ति की प्राप्ति का सन्देश देती है!

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निष्कर्ष

तो साथियों हमें आशा है सतोगुण, तमोगुण, रजोगुण पर आधारित यह कहानी आपको पसंद आई होगी, और आप इस पोस्ट को अधिक से अधिक सोशल मीडिया पर शेयर भी करेंगे!

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