गीता जयंती पर निबंध | जानें इस पर्व से जुडी खास बातें!

आखिर क्यों है गीता जयंती ख़ास, और इसे क्यों मनाया जाता है? इस दिन की महत्वता को समझने के लिए आज हम आपके समक्ष गीता जयंती पर निबंध सांझा करने जा रहे हैं, जिसपर आपको अवश्य ध्यान देना चाहिए।

गीता जयंती पर निबन्ध

देशभर में गीता जयंती का पर्व हर साल मनाया जाता है, भले धर्म और जीवन का सच बतलाने वाली श्रीमदभगवदगीता का ज्ञान सभी को न हो, पर गीता के महाज्ञान के सामने शीश झुकाने के उपलक्ष्य में मनाई जा रही गीता जयंती जरुर पढनी चाहिये।

 गीता जयंती पर निबंध | 500 शब्दों में!

हजारों वर्षों से दिव्य प्रकाश की तरह चमकती भगवदगीता आज किसी परिचय की मोहताज नहीं। वेदान्त के प्रमुख स्तम्भ में से एक भगवदगीता का जिसने भी दिल से मनन किया उसे लाभ अवश्य हुआ है।

हालांकि आम जनता, विशेषकर आज की युवा पीढ़ी के बीच श्रीमदभगवदगीता को वो स्थान नहीं मिला जिसकी वो अधिकारी थी।

पंरतु कुरुक्षेत्र में भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया जा रहा अमृत ज्ञान आज भी हमारी जिन्दगी के लिए कैसे लाभदाई है?

ये बतलाने के लिए ही देशभर में भगवदगीता को विशेष दिन समर्पित किया गया जिसे गीता महोत्सव अथवा गीता जयंती के नाम से सम्बोधित किया गया।

प्रर्त्येक वर्ष मार्गशीर्ष माह की शुक्लपक्ष की एकादशी को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष 2023 में गीता जयंती 22 दिसम्बर को मनाई जा रही है।

बता दें भगवदगीता दुनिया का एकमात्र पूजनीय ग्रन्थ है जिसे गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।

इस दिन श्री कृष्ण के प्रति श्रृद्धा रखने वाले बहुत से श्रद्धालु विशेष रूप से भगवदगीता का पाठ करते हैं, और इन्हीं में से कई लोग नित्य गीता पाठ करने का वचन लेते हैं।

गीता में भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों में जीवन का सार छुपा है। अर्थात हर वह मनुष्य जो जीवन में निराश है, हताश है।

सही कर्म करके इस जन्म को सार्थक करना चाहता है फिर चाहे वह बच्चा हो या बूढा हर किसी के लिए गीता ज्ञान लाभकारी है।

गीता विशेष इसलिए भी है क्योंकि पूज्य गीता जी बताती हैं की किस तरह मनुष्य निष्काम कर्म के पथ पर चलने की बजाय अपनी अंधी इच्छाओं को पूरा करने के कारण संसार में दुःख भोगता है।

और एक के बाद एक जीवन में गलत फैसले लेकर अपनी जिन्दगी को व्यर्थ गवा देता है। गीता हर उस व्यक्ति के लिए लाभप्रद है जिसके जीवन में डर, लालच और अर्जुन की भाँती मोह है।

जो व्यक्ति चाहता तो है जीवन में सच्चे मार्ग पर चलकर परमात्मा के करीब आना पर चूँकि उसे सही रास्ता नजर नहीं आ रहा है तो ऐसे व्यक्ति को गीता न सिर्फ अन्धकार से रोशनी की तरफ ले जाती है।

बल्कि ये गीता की महानता है की यह जीते जी मनुष्य को एक आनन्दमय जीवन जीने का रास्ता भी बताती है।

हालाँकि विडम्बना है की जो पवित्र ग्रन्थ हर किसी मानव के लिए उपयोगी था जिसका पाठ हर व्यक्ति को करना चाहिए था, पर सच तो ये है की इस ग्रन्थ का सम्मान खुद को हिन्दू अथवा कृष्ण का भक्त बतलाने वाले लोग भी नहीं करते।

और उससे भी बड़ा दुर्भाग्य ये है की स्वयं को ज्ञानी कहने वाले लोगों ने अपने फायदे के लिए गीता के श्लोकों का उल्टा पुल्टा अर्थ कर बाजार में भगवदगीता की पुस्तकें बेचना शुरू कर दिया है।

आप पायेंगे बाजार में विभिन्न भाषाओँ में, अलग अलग भाष्यकारों की गीता आपको पढने को मिल जाएगी। और सभी प्रतियों में श्लोकों के अर्थ भी अलग अलग होंगे।

जिसे देखकर कई बार साधकों को मन में प्रश्न आता है की कैसे पता करें किस पुस्तक में भगवदगीता के श्लोकों का सही अनुवाद किया गया है, किसमें नहीं।

तो ऐसे साधकों को यही कहना चाहेंगे की पढ़कर देखिये, अगर किसी प्रकाशक द्वारा प्रकाशित भगवदगीता के श्लोकों का अर्थ जानकर मन शांत होता है।

आपको अपनी कमियों का अहसास होता है, जिन्दगी में सच्चाई के प्रति प्रेम बढ़ता है, भीतर मौजूद लालच और डर में कमी आती है।

तो जान लीजिये भगवदगीता आपके लिए लाभदाई सिद्ध हुई, लेकिन अगर आप पाते हैं आप वर्षों से गीता का पाठ कर रहे हैं लेकिन जिन्दगी में कोई बदलाव नहीं आ रहा।

आप आज भी वही काम, वहीँ गलतियाँ और उन्हीं कारणों से दुःख झेल रहे हैं जिनसे पहले झेला करते थे तो जान लीजिये या तो आप गीता जी का मनन ध्यानपूर्वक नहीं कर रहे या फिर जिस भाष्य को आप पढ़ रहे हैं वो ठीक नहीं है।

हमारी राय में आज के समय में गीता के श्लोकों का सच्चा अर्थ लाने का कार्य आचार्य प्रशांत जी कर रहे हैं आप श्रीमद भगवद गीता पर उनकी यह पुस्तक पढ़ सकते हैं।

श्रीमदभगवद गीता से मेरे जीवन में आये बदलाव (निबंध) | Changes in my life from Bhagavad Gita Essay in Hindi

हर किसी को जीवन में किसी ऐसे व्यक्ति, गुरु अथवा पुस्तकों की आवश्यकता होती है जो उसे अपनी वर्तमान जिन्दगी से एक बेहतर जिन्दगी की तरफ ले जाए।

भगवदगीता के जीवन में आने से मेरे जीवन में तेजी से बदलाव आया जिससे मेरे व्यक्तित्व को निखरने में मदद मिली।

अतः यही कहूँगा इरादा अगर कृष्ण के आगे झुक गए, अर्जुन की भाँती उनका शिष्य बन गये तो जीवन में कुछ विशेष घटित होने लगता है।

बहुत सी बातें, बहुत सी चीजें जो पहले बहुत गम्भीर लगती थीं, जिनके बारे में सोचकर डर लगता था, बेचैनी होती थी वो बातें छोटी लगने लगती हैं।

मन में एक शान्ति आने लगती है, सच्चाई के लिए मन में प्रेम बढ़ने लगता है, जहाँ कहीं झूठ दिखाई दे उससे थोड़ी नफरत और सच्चाई की तरफ जाने का दिल करने लगता है।

समाज, रिश्तेदार और परिवार की सिखाई गई झूठी बातों के प्रति मन उखड़ने लगता है, और मन सच्चाई की तरफ, कृष्ण की तरफ जाने के लिए आतुर हो जाता है।

जीवन में एक आंतरिक बल आने लगता है, एक बेफिक्री, निडरता आ जाती है जीवन में, बाकी लोग जिन चीजों के बारे में सोच सोचकर दिन बर्बाद कर देते हैं।

वो बातें आपको दौ कौड़ी की लगने लगती है। कुछ भी बोलने से पहले गोल गोल घुमाना नहीं पड़ता, जो बात सही है, उसे सीधा और स्पष्ट बोलने की हिम्मत आ जाती है।

दूसरे शब्दों में कहें तो खाने पीने का, पढने का, नौकरी करने का, यानी जीवन में जितने भी महत्वपूर्ण काम हैं उन सब कामों को करने के पीछे इरादा ही बदल जाता है।

भगवदगीता के निकट आने से पहले मैं जहाँ सोचता था नौकरी अथवा काम का उद्देश्य है पैसा कमाना। पर भगवदगीता पढने के बाद अहसास हुआ की काम सिर्फ काम नहीं होता।

काम तो जिन्दगी होती है, काम ही व्यक्ति की पहचान है तो काम ऐसा करूँगा जिसे करके खुद पर गर्व हो, भले थोडा पैसा कम मिले।

दूसरी बात, जहाँ पहले जो चीज स्वादिष्ट लगती थी, जिन चीजों को खाने के लिए दुनिया भागती है अब ऐसी किसी भी चीज को खाने से पहले मन पूछता है।

क्या किसी ऐसी चीज का सेवन तो नहीं कर रहा हूँ जिससे किसी पशु की हत्या हो, उसे किसी तरह का दर्द हो।

मन में पशुओं के प्रति करुणा जगने लगती है, आपको अहसास होने लगता है की अपने स्वार्थ के लिए उनको तकलीफ देना सही नहीं है। तो ये कारण है की भगवदगीता पढने के बाद मैं वीगन बन गया।

इच्छाएं कम हो गई| भगवदगीता पढ़ी तो मालूम हुआ जीवन में कहीं न कहीं दुःख इसलिए हैं।

क्योंकि इच्छाएं बहुत है, इन्सान अपनी इच्छाओं की पूर्ती के लिए वो काम करने के लिए भी तैयार हो जाता है जो वो करना नहीं चाहता।

और साथ ही ये भी समझ आया की एक इच्छा पूरी होती है तो दूसरी खड़ी हो जाती है और ये पूरा चक्र चलता जाता है।

तो जहाँ मैं पहले बिना सोचे समझे इच्छाओं के पीछे भागता था वहीँ अब इच्छाओं का सच जानने के बाद इच्छाएं कम हो गई हैं। हालांकि पूरी तरह नहीं खत्म हुई हैं, पर हाँ कोशिश जारी है।

सम्मान की चाह कम होने लगती है, आम आदमी को जहाँ बचपन से ही समाज से, दुनिया से इज्जत पाने के लिए संस्कारित किया जाता है, उसे समझाया जाता है की इज्जत ही सबकुछ होती है उसे बचाना चाहिए।

गीता पढने के बाद अहसास हुआ की इज्जत के पीछे छुपा सच क्या है, दुनिया में इज्जत क्यों और कैसे मिलती है? साथ ही ये पता चला की इज्जत, नाम, पैसा इन सबसे आगे है सच्चाई।

और इज्जत मिले न मिले सच्चाई का साथ कभी न छूटे ये बात अब दिल में समाने लगी है।

और इसके अलावा जीवन से जुड़े बहुत से मुद्दे जैसे खेल, संगीत, शादी, रिश्ते इत्यादि बहुत से जीवन के विषयों का सच देखने की रौशनी मिल रही है।

और जीवन एक यात्रा है, और ये यात्रा भगवदगीता के आशीर्वाद से और बेहतर होगी, इस आशा के साथ गीता का नित्य पाठ जारी है।

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अंतिम शब्द  

तो साथियों इस लेख को पढने के बाद गीता जयंती पर निबंध आपके लिए उपयोगी साबित होंगे। इस लेख को पढ़कर मन में क्या विचार आये? कमेन्ट बॉक्स में जरुर बताएं। साथ ही लेख को शेयर करना बिलकुल न भूलें।

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