भगवद गीता कैसे खरीदें? जानें कैसे करें सही चुनाव

आज बाजार में श्रीमद्भागवत गीता पर अनेक भाष्यकारों (commentator) ने अपने अंदाज में गीता के श्लोकों का अर्थ किया है, ऐसे में गीता के एक एक श्लोक को समझने के लिए भगवद गीता कैसे खरीदें? online या ऑफलाइन ये जानना बेहद जरूरी है।

भगवद गीता कैसे खरीदें

हमारे देश में लाखों लोग रोजाना श्रीमद्भागवत गीता के आगे सर झुकाते हैं, उसे पूजते हैं लेकिन इसके बावजूद उनका जीवन नहीं बदलता, क्यों क्योंकि गीता के मर्म को वो समझ नहीं पाते।

अर्थात ऊपर ही उपर से वो श्लोकों का हिंदी अनुवाद पढ़ते हैं, और बिना यह जाने बूझे की गीता का यह श्लोक मेरी जिन्दगी से किस तरह जुड़ा है वो आगे बढ़ जाते हैं।

और इस तरह सारे अध्यायों को पढने के बाद वे कहते हैं गीता हमने पढ़ ली, हम सब जानते हैं। नहीं गीता कोई पुस्तक नहीं है जिसे आप सुबह पढो और शाम तक निपटा दो।

गीता को जो लोग अपनी जिन्दगी बनाना चाहते हैं उनके लिए गीता का एक एक श्लोक जीवन दायिनी है, गीता आपको कष्टों से मुक्त कर एक ऊँचा जीवन जीने के लिए प्रेरित कर सकती है, चलिए जानते हैं।

भगवद गीता कैसे खरीदें? खरीदने से पहले खुद से पूछें प्रश्न

जब भी आप भगवद गीता की प्रति (कॉपी) अपने या परिवार के लिए किसी भी बुक स्टोर या ऑनलाइन या ऑफलाइन लें बस स्वयं से ये प्रश्न कर लीजिये की क्या मैं इस काबिल हूँ की गीता के सभी श्लोकों की सही व्याख्या कर सकूं।

यदि नहीं, तो मैं क्यों न इसे किसी ऐसे गुरु के सानिध्य में पढूं जिन्होंने खुद गीता की सीख को अपने जीवन में ग्रहण किया है, क्योंकि उनका जीवन गीता से बदला है तो मेरा भी बदलने की बेहद अधिक सम्भावना है।

देखिये जब हम इंग्लिश बोलना सीखते है तो उसके लिए किसी इंग्लिश स्पीकिंग बुक को घर ले आना काफी नहीं होता, हम जानते हैं इस बुक में दी गई व्याकरण का हम उल्टा पुल्टा अर्थ निकाल सकते हैं इसलिए इंग्लिश सीखने के लिए हमें कोचिंग संस्थान की आवश्यकता पड़ेगी।

ठीक इसी प्रकार श्रीमद्भागवत गीता जो की एक शीर्ष हिन्दू ग्रन्थ है उसे पढने के लिए भी हमें कोचिंग करनी होगी। अन्यथा गीता में कई ऐसे श्लोक हैं जिनका हम अपने मन के मुताबिक या लोगों की कही गई बातों के अनुसार अर्थ कर लेते हैं।

उदाहरण के लिए एक गीता का प्रचलित कथन है, कर्म करो फल की चिंता मत करो, और लोगों के बीच यह कथन खूब वायरल हुआ, जिन्होंने कभी श्रीमद भगवद गीता खोलकर नहीं देखी वो भी लगे हुए हैं किसी भी फिजूल के काम में, और खुद को मेहनत से घिस रखा है।

अब उन्हें ये कौन बताए भगवान् कृष्ण गीता के मैदान में अर्जुन को किसी भी कर्म को करने के लिए नहीं कह रहे हैं वो धर्म युद्ध लड़ने के लिए कह रहे हैं, बगैर प्रवाह किये की जीत मिलेगी या हार।

अर्थात जो काम जीवन में श्रेष्ट है उस काम में अपना सारा समय, पैसा झोंक दो इस बात की सीख हमें कृष्ण दे रहे हैं।

अब आप यदि इन्टरनेट पर गीता पढने के लिए Youtube पर गीता सर्च करेंगे तो कई सारे तथाकथित गुरु हैं जो वर्षों से जनमानस को गीता का सन्देश दे रहे हैं, हालाँकि उनकी शिक्षाओं का असर कितना उनके शिष्यों पर हुआ है इस बात का कोई डाटा आपको नहीं मिल सकता?

गीता का लाभ हुआ है या नहीं कैसे जांचें

किसी भी भाष्यकार की गीता आप पढने जा रहे हों या पहले आप पढ़ चुके हों उसका आपके जीवन में लाभ हुआ है या नहीं, इसको जानने के लिए आपको दूसरे से पूछने की आवश्यकता नहीं, आप ईमानदारी से खुद से ये प्रश्न पूछ लें।

1. क्या मैं सिर्फ अपने संसाधनों (पैसे,समय,उर्जा) का इस्तेमाल खुद के और अपने परिवार की इच्छाओं की पूर्ती के लिए करता हूँ या मुझे इस पैसे को किसी ऊँचे लक्ष्य को समर्पित करता हूँ।

2. क्या मैं किसी से कुछ पाने की इच्छा के बगैर यानी निष्काम कर्म की भावना से कार्य करता हूँ, या फिर मैं सिर्फ वही काम करता हूँ जिसमें मेरा लाभ हो।

3. क्या गीता को पढ़कर मेरे जीवन में डर, लालच कम हुआ है? या मैं वैसे ही हूँ जैसा पहले था

4. क्या मुझे इस शरीर, मन और आत्मा का अंतर मालूम हो चूका है?

5. क्या मुझे बालकृष्ण और गीता के कृष्ण में अंतर दिखाई दे रहा है?

6. क्या मैं आज भी अपने दोस्तों, रिश्तेदारों की इच्छाओं के आगे झुक जाता हूँ या फिर मेरा सर कृष्ण के आगे झुकने लगा है?

ये सब छोटी छोटी बातें जीवन पर गहरा प्रभाव डालती हैं, जिस इन्सान ने वाकई गीता समझी होगी और जानी होगी। यह हो नहीं सकता की वह लोगों से लुट पिट रहा हो, उसकी आदतें काम वैसे ही हो, उसका जीवन निखर जायेगा, बदल जाएगा।

जो इंसान चाहता है दुनिया उसको न दबा सके उसे बस एक से दबकर रहना होगा उनका नाम है कृष्ण, और कृष्ण हमे भजन कीर्तन कर लेने से नहीं मिलेंगे वो हमे मिलेंगे गीता के रूप में। यदि सोचिये भजन कीर्तन ही सब सार्थक होता तो कुरुक्षेत्र के मैदान में कृष्ण अर्जुन से क्या ये कहते की हे अर्जुन। युद्ध छोडो मेरा भजन कीर्तन करो।

भगवद गीता कहाँ से पढनी चाहिए?

व्यक्तिगत तौर पर यदि आप हमसे पूछें वर्तमान समय में श्रीमदभगवद गीता कहाँ से पढनी चाहिए तो जवाब होगा आचार्य प्रशांत जी से, गीता के शुद्धतम अर्थ को हम तक पहुंचाने का उनका यह प्रयास आज हजारों लोगों की जिन्दगी में प्रेम, करुणा बरसा रहा है।

गीता कोर्स के माध्यम से वह गीता का एक-एक श्लोक समझा रहे हैं, जिससे यह लगता है मानो हजारों साल पहले कुरुक्षेत्र में हुआ धर्म युद्ध हर पल हर समय हमारे मन में घटित हो रहा है।

सच्चाई और बुराई दोनों हमारे भीतर कौरव और पांड्वो के रूप में मौजूद है। और जाहिर है भीतर बैठे देवता हर बार हार जाते हैं दानवों से, क्योंकि हम बुराई की तरफ जल्दी आकर्षित होते हैं।

अगर आप भी चाहते हैं जीवन के इस रण में देवताओं को, जिताना तो आपको उन्हें भोग लगाना होगा अर्थात  उन्हें गीता के ज्ञान से पोषण देना ही होगा, अन्यथा हम भी अर्जुन की तरह अपनी बाजी हार चुके हैं। हमें जरूरत है गीता की।

आचार्य प्रशांत से गीता कैसे पढ़ें?

आप अमेज़न और फ्लिप्कार्ट जैसे ऑनलाइन स्टोर्स से आसानी से आचार्य प्रशांत की गीता बुक खरीद सकते हैं, जिनका लिंक आपको नीचे दिया गया है।

इसके अलावा गीता सत्र में अध्याय 1 से एक एक श्लोक को ध्यान से समझने के लिए आप उनके गीता सत्र में भाग ले सकते हैं।

contact no:- +91-9643750710

आचार्य प्रशांत जी के ऑफिसियल Youtube चैनल पर आपको श्रीमदभगवद गीता पर आधारित कुछ वीडियोस देखने को मिलेंगे जिन्हें देखकर आप शुरुवात कर सकते हैं।

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अंतिम शब्द

तो साथियों इस पोस्ट को पढने के पश्चात श्रीमद भगवद गीता कैसे खरीदें? इस सम्बन्ध में सभी जवाब आपको इस लेख में मिल चुके होंगे, क्या आपने पहले कभी श्रीमदभगवद गीता पढ़ी? हमें कमेन्ट सेक्शन में बताएं साथ ही इस जानकारी को शेयर करना बिलकुल न भूलें।

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