भगवद गीता घर में रखना चाहिए या नहीं? सच्चाई क्या है?

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सभी हिन्दू परिवारों के लिए श्रीमद्भगवत गीता एक पवित्र एवं पूजनीय ग्रन्थ है, किसी के लिए यह मात्र एक पुस्तक है तो किसी के लिए यह जीवन का शास्त्र है आज हम इस पोस्ट में जानेंगे की भगवद गीता घर में रखना चाहिए या नहीं?

भगवद गीता घर में रखनी चाहिए या नहीं

महाभारत के युद्ध की कहानी हजारों वर्षों से आज भी लोगों के दिलों में विशेष स्थान रखनी है क्योंकि इस धर्म युद्ध ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया की झूठ कितना ही शक्तिशाली हो वो सच के सामने टिक नहीं सकता।

बचपन से हमने रामायण और महाभारत की कहानी किताबों में, टेलीविजन में देखी है, लेकिन बेहद कम लोग ऐसे हैं जो रोजाना श्रीमदभागवत गीता का पाठ करते हैं और श्री कृष्ण की कही गई बातों को जीवन में अपनाते हैं।

जिन्हें वास्तव में श्री कृष्ण के प्रति प्रेम है उन्हें भागवत गीता के समीप आये बिना चैन नहीं मिल सकता क्योंकि यह एक पुस्तक नहीं है बल्कि एक ऐसा धर्म ग्रन्थ है जो हमें सही जीवन जीने की सीख देता है। बहरहाल इस पोस्ट में जानते हैं की

भगवद गीता घर में रखना चाहिए या नहीं | कृष्ण का सन्देश

श्रीमद्भागवत गीता घर में अवश्य रखनी चाहिए। गीता, श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दी गयी सप्रेम भेंट है। जिसका लाभ हर वह व्यक्ति ले सकता है जो कृष्ण को पाने की कामना रखता हो, जो एक सुन्दर जीवन जीना चाहता हो।

श्रीमद्भागवत गीता इसलिए भी विशेष है क्योंकि यह बाकी अन्य पुस्तकों की भाँती कोई काल्पनिक कहानी का वर्णन नहीं करती।

 गीता के ज्ञान को किसी जंगल में एकांत में या गुरुकुल में नहीं दिया गया है इसे ठीक युद्ध के मैदान में दिया गया है जहाँ हजारों लाखों की संख्या में सैनिक, घोड़े, भीष्म, अर्जुन, दुर्योधन, कर्ण जैसे योद्धा उपस्तिथ हैं।

वे लोग जो गीता को एक पुस्तक के रूप में देखते हैं वे अक्सर इसे मंदिर में साफ सफाई के साथ रखते हैं, कई लोग नित गीता का पाठ भी करते हैं।

पर इससे उन्हें कोई विशेष लाभ प्राप्त नही होता। उनके जीवन में डर, लालच, छोटी छोटी बातों में क्रोध अक्सर दिखाई देता है।

पर आखिर ऐसा क्यों है श्रीमदभागवत गीता रोजाना पढने के बाद भी व्यक्ति का जीवन नहीं सुधरता? इसके पीछे ख़ास कारण है की वे अपने मन की स्तिथि के अनुरूप गीता को पढ़ते हैं।

उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति के मन में लालच भरा हुआ है तो वो किसी भी पुस्तक या धर्म ग्रन्थ को इस दृष्टि से पढ़ेगा ताकि उसका लालची मन और ज्यादा पाने के लिए आकर्षित हो।

इसलिए वे लोग जो वास्तव में गीता का लाभ लेना चाहते हैं, गीता का मर्म समझना चाहते हैं उन्हें गीता का एक-एक श्लोक किसी गुरु के सानिध्य में ध्यानपूर्वक पढना चाहिए।

दुर्भाग्य से आज बाजार में भाष्यकारों ने गीता की अपने स्वार्थ के लिए उलटी-पुलटी व्याख्या की है, इसलिए किसी भी श्रीमदभगवदगीता को उठाकर पढना सही नहीं है, सौभाग्य से आज के समय में आचार्य प्रशांत हमें गीता का एक एक श्लोक सही अर्थ के साथ समझा रहे हैं।

यह विडियो जरुर देखें :- भगवद गीता समझते भी हैं हम?

श्रीमद्भागवत गीता घर में कैसे रखें?

श्रीमद्भागवत गीता को मंदिर में या किसी साफ़ सुथरी जगह जैसे घर की लाइब्रेरी में प्रेम भाव से स्थान दें। गीता को साफ सुथरा रखने से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण यह है की आप नित्य गीता का पाठ करें।

यदि आप सिर्फ गीता को सर पर रखकर पूजते हैं, और घर में स्वयं को भगवद गीता पढने के लिए प्रेरित नही करते तो श्रीमद्भागवत गीता के घर में होने का महत्व नहीं है।

क्योंकि जब तक आप बाल कहानियों में नृत्य को ही वास्तविक कृष्ण समझेंगे तब तक गीता का ज्ञान आपके लिए उपयोगी साबित नहीं होगा, जिस दिन आपने गीता के कृष्ण को अपने घर में जीवन में जगह दे दी उस दिन से आपका जीवन परिवर्तित हो जायेगा।

पढ़ें:- निष्काम कर्म क्या है? श्रीमदभगवद गीता के अनुसार 

गीता पाठ के चमत्कार | Benefits of Reading Bhagwat Geeta

श्रीमद्भागवत गीता के रोजाना पाठ से और उन श्लोंको के अर्थ को समझने से मानो जीवन ही परिवर्तित हो जाता है, आइये जानते हैं गीता पाठ के कौन कौन से लाभ हैं।

#1. मन साफ़ होता है, जीवन के प्रति जो भ्रम पाले होते हैं वह धीरे धीरे समाप्त होते हैं।

#2. हम सभी दुखो से घिरे हुए हैं, और अतीत की कडवी यादों और अपने कष्टों से मुक्ति पाना चाहते हैं इस लिए गीता जीवनदायिनी है।

#3. गीता हमें अपने संसाधनों का इस तरह उपयोग करने की सीख देती है ताकि उनसे हमारा जीवन बेहतर हो न की वही हम पर बोझ बने।

#4. गीता के रोजाना पाठ से रिश्ते बेहतर बनते हैं, इंसान अपने परिवार और समाज के साथ सही सम्बन्ध स्थापित कर पाता है।

#5. गीता धर्म के प्रति अंधविश्वासों और बेकार की मान्यताओं को तोडती है जिससे इन्सान अपने बन्धनों से मुक्त होता है।

#6. गीता इन्सान के मन से छोटी कामनाओं, लालच, डर को समाप्त कर उसे डर से मुक्त कर एक ऊँचा इन्सान बना देती है। 

#7.  जीवन के प्रति नजरिया ही बदल जाता है, जो चीजें आपको पहले बहुत जरूरी लगती थी वो अब आपके लिए छोटी हो जाती हैं। सबसे बड़ी बात आपका सर सत्य यानी मात्र कृष्ण के आगे झुकता है।

#8. भविष्य में क्या होगा? ये विचार आपके दिमाग से निकल जाता है और आप वर्तमान में जीने लगते हैं।

गीता का पाठ कब करना चाहिए?

चूँकि बचपन से हम कृष्ण के सन्देश पर नहीं अपनी पुरानी मान्यताओं के सहारे जीवन जीते आये हैं। इसलिए उन विचारों को दिमाग से हटाना इतना सरल नहीं है, इसलिए नित्य हमें गीता का पाठ करने के साथ साथ गीता में कही गई बातों को अपने जीवन में उतारना चाहिए।

जब भी आपका मन कृष्ण से दूर जाए, आपका मन आपको लालच से घेरे, आपको सही काम करने में आलस आये,डर लगे तो आप गीता का पाठ कर सकते हैं। गीता आपको निर्भयता देगी जीवन जीने का उद्देश्य देगी जिसे पाकर आपका जीवन अमृत हो जायेगा।

गीता का कौन सा अध्याय पढ़ना चाहिए?

गीता के समस्त अध्याय मनुष्य के मन की स्तिथि की तरफ इशारा करते हैं, जहाँ गीता में हम कौरव और पांडवों को धर्म और अधर्म के विरुद्ध लड़ते देखते हैं उसी तरह हमारे मन का एक कोना हमेशा सत्य की तरफ चलने के लिए कहता है तो दूसरा कोना हमें हमारे आलस और डर की वजह से पीछे हटने के लिए कहता है।

ऐसे में गीता ज्ञान किताबी नहीं है, प्रति पल जो हम सभी के जीवन में संघर्ष चल रहा है गीता उसी स्तिथि को बयाँ करती है। गीता में कुल 18 अध्याय हैं, और इन अध्यायों में 700 श्लोक हैं, प्रतेक श्लोक हमें हमारे जीवन की खराब हालत के प्रति गंभीर करता है। इसलिए आपको प्रत्येक श्लोक को ध्यानपूर्वक समझना और जीवन में उतारना चाहिए।

गीता और महाभारत में क्या अंतर है

गीता और महाभारत दोनों का एक समय में एक ही स्थान पर वर्णन देखने को मिलता है। पर इन दोनों के बीच कुछ प्रमुख अंतर निम्नलिखित है।

1. महाभारत एक धर्म युद्ध है जबकि गीता उस धर्म युद्ध में असत्य के खिलाफ लड़ने का सन्देश देती है।

2. महाभारत बताती है की ये युद्ध कुरुक्षेत्र में लड़ा गया जबकि गीता बताती है ये युद्ध प्रति पल हमारे भीतर सत्य और असत्य के बीच हजारों वर्षों से चल रहा है।

3. महभारत सिखाती है की धर्म की जीत हमेशा होती है जबकि गीता हमें जीत और हार के परिणाम की नहीं बल्कि युद्ध करने का संदेश देती है।

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FAQ ~ भगवद गीता से सम्बंधित प्रश्न

गीता का कौन सा पाठ रोज करना चाहिए?

गीता का दूसरा अध्याय आपको जरुर करना चाहिए, जहाँ कृष्ण हमें आत्मज्ञान की सीख देते हैं।


भगवद गीता पढ़ने के बाद क्या होता है?

गीता पढ़ने के बाद मन का भ्रम टूटता है,  मनुष्य को अपने दुखों का कारण और उनसे मुक्ति मिलती है और सही कर्म करने की प्रेरणा मिलती है।

हमें भगवद गीता क्यों नहीं पढ़नी चाहिए?

वे लोग जिन्हें शांति, सच्चाई और आनंद से ज्यादा झूठ, नशा करना पसंद होता है ऐसे लोग श्री कृष्ण से हमेशा दूर ही रहते हैं।

अंतिम शब्द

तो साथियों इस लेख को पढने के पश्चात भगवद गीता घर में रखना चाहिए या नहीं? अब आप भली भांति समझ चुके होंगे, क्या अब आप श्रीमदभागवत गीता पढना पसंद करेंगे? कृपया कमेंट बॉक्स में बताएं साथ ही जानकारी को शेयर भी करदें।

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